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हर व्यक्ति की अभिलाषा होती है कि जीवन में वह कम से कम एक बार तीर्थ-यात्रा में जरूर जाय, लेकिन आर्थिक कमजोरी के कारण वह तीर्थ-यात्रा में नहीं जा पाता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की स्थापना के छप्पनवे वर्ष में आम आदमी की इस मजबूरी को न केवल महसूस किया बल्कि इस मजबूरी को दूर करने का 'मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना के रूप में रास्ता भी निकाला।
श्री चौहान ने बहुत सोच-विचार कर 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को तीर्थ-दर्शन करवाने के लिए योजना बनायी और विगत 3 सितम्बर से उसका क्रियान्वयन शुरू कर दिया। देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी ने भोपाल के हबीबगंज स्टेशन से भोपाल से रामेश्वरम् जाने वाली ट्रेन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इसके बाद अनवरत रूप से तीर्थ-यात्रियों को लेकर ट्रेन तीर्थ-स्थलों की यात्रा के लिए जा रही हैं।
धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग द्वारा बनायी गयी मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना के अनुसार प्रदेश के 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को उनके जीवन काल में एक बार प्रदेश के बाहर के निर्धारित तीर्थ-स्थानों में से किसी एक स्थान की यात्रा के लिए राज्य सरकार सहायता देगी। प्रथमतरू आई.आर.सी.टी.सी. (रेलवे) के पैकेज के अनुसार यात्रियों को भेजा जाएगा।
अभी तक तीर्थ-दर्शन यात्रा में गयीं 20 ट्रेन मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में प्रदेश से 15 नवम्बर तक 20 ट्रेन विभिन्न तीर्थ-स्थलों के लिए जा चुकी हैं। योजना में भोपाल से लगभग 15 हजार बुजुर्ग अपने मन की मुराद पूरी कर चुके हैं। पहली ट्रेन भोपाल से रामेश्वरम् के लिए गयी थी। इसके बाद भोपाल से ही अजमेर शरीफ, रीवा से वैष्णो देवी, बुरहानपुर से वैष्णो देवी, बुरहानपुर से जगन्नाथपुरी, कटनी से वैष्णो देवी, उज्जैन से वैष्णोदेवी, बुरहानपुर से अजमेर शरीफ, जबलपुर से वैष्णो देवी, इंदौर से काशी, रतलाम से जगन्नाथपुरी और भोपाल से द्वारकापुरी, इंदौर से रामेश्वरम् , सागर से पुरी और इंदौर से तिरुपति, दतिया से रामेश्वरम् , सागर से शिरडी , जबलपुर से द्वारकापुरी, रीवा से तिरुपति के लिये तीर्थ-यात्रियों को लेकर ट्रेन रवाना हुई।
रीवा से तिरुपति के लिये 24 नवम्बर, सागर से तिरुपति के लिये 3 दिसम्बर, रीवा से शिरडी के लिये 13 दिसम्बर, जबलपुर से गाडरवारा के लिये 21 दिसम्बर और भोपाल से शिरडी के लिये 31 दिसम्बर को ट्रेन रवाना होंगी। प्रत्येक ट्रेन में संबंधित जिलों के लगभग 980 तीर्थ-यात्री जायेंगे।
पात्रता
तीर्थ यात्री 60 वर्ष से अधिक आयु का एवं मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए। वह आयकर दाता नहीं होना चाहिए। साथ ही उसने तीर्थ-दर्शन योजना का पूर्व में लाभ नहीं लिया हो। तीर्थ यात्री को यात्रा के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए। तीर्थ यात्री को किसी भी संक्रामक रोग जैसे टी.बी., हृदय रोग, श्वास में अवरोध एवं संक्रामक कुष्ठ आदि से पीड़ित नहीं होना चाहिए। आवेदन में सही जानकारी नहीं देने एवं तथ्यों को छिपाने पर किसी भी समय तीर्थ यात्री को योजना के लाभ से वंचित किया जा सकेगा।
आवेदन प्रक्रिया
'तीर्थ-दर्शन योजना का लाभ लेने के इच्छुक वरिष्ठ नागरिकों को अपना आवेदन दो प्रतियों में निर्धारित प्रपत्र में भरकर निकटतम तहसील या उप तहसील में निर्धारित समय-सीमा के पहले जमा करना होगा। आवेदक को आवेदन के साथ फोटो और निवास का साक्ष्य भी लगाना होगा। निवास के साक्ष्य के रूप में राशन कार्ड, ड्रायविंग लाइसेंस, बिजली बिल, मतदाता पहचान-पत्र या राज्य सरकार द्वारा स्वीकार्य कोई अन्य साक्ष्य लगाना होगा।
योजना में 65 वर्ष से अधिक उम्र के यात्री के साथ एक सहायक भी जा सकेगा। सहायक की उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए। पति-पत्नी के साथ यात्रा करने पर सहायक ले जाने की सुविधा नहीं रहेगी। आवेदक पति-पत्नी में से किसी एक का नाम चुना जाता है, तो उसका जीवन साथी भी यात्रा पर जा सकेगा। जीवन साथी की आयु 60 वर्ष से कम होने पर भी वह यात्रा कर सकेगा। जीवन साथी का आवेदन भी साथ में ही देना होगा। इसी प्रकार सहायक का आवेदन भी आवेदक के साथ ही जमा किया जाएगा।
योजना का लाभ लेने के लिए यदि वरिष्ठ नागरिक समूह में आवेदन करते हैं, तो संपूर्ण समूह को एक आवेदन मानते हुए लाटरी में सम्मिलित किया जाएगा। एक समूह में अधिक से अधिक 25 आवेदक हो सकते हैं। इनमें सहायक भी शामिल होगा।चयन-प्रक्रिया तीर्थ यात्रियों का चयन कलेक्टर द्वारा किया जाता है। सबसे पहले प्राप्त आवेदनों को स्थानवार छांटा जाता है। यदि निर्धारित कोटे से अधिक संख्या में आवेदन प्राप्त होते हैं, तो लाटरी द्वारा तीर्थ यात्रियों का चयन किया जाता है। कोटे से 10 प्रतिशत अतिरिक्त व्यक्तियों की प्रतीक्षा सूची भी बनायी जाती है।
ऐसे तीर्थ यात्री जो यात्रा के दौरान शासन द्वारा निर्धारित सुविधाओं के अतिरिक्त सुविधाएं प्राप्त करना चाहते हैं, उसका भुगतान उन्हें स्वयं करना होगा। यात्रा के दौरान किसी तरह के ज्वलनशील पदार्थ एवं मादक पदार्थ और आभूषण ले जाने की अनुमति नहीं रहेगी। यात्रा के दौरान किसी दुर्घटना के लिए राज्य शासन उत्तरदायी नहीं होगा।
योजना में 17 तीर्थ-स्थान शामिल तीर्थ-दर्शन योजना में राज्य शासन ने वर्तमान में श्री बद्रीनाथ, श्री केदारनाथ, श्री जगन्नाथपुरी, श्री द्वारकापुरी, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णो देवी, शिरडी, तिरुपति, अजमेर शरीफ, काशी, गया, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवण बेलगोला और बेलांगणी चर्च, नागापट्टनम तीर्थ को शामिल किया है।
तीर्थ यात्रा के लिए राज्य एवं जिला स्तरीय प्रबंध समिति मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में वरिष्ठजन की तीर्थ-यात्रा की समुचित व्यवस्था के लिए राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन प्रबंध समिति का गठन किया गया है। इसी तरह जिले में भी प्रबंध समिति गठित की गयी है।
जिला स्तरीय प्रबंध समिति जिला प्रभारी मंत्री जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष हैं। कलेक्टर समिति के सचिव हैं। समिति में पुलिस अधीक्षक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, कलेक्ट्रेट के माफी शाखा के प्रभारी अधिकारी या कलेक्टर द्वारा नामांकित डिप्टी कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और जिले के सत्कार अधिकारी सदस्य हैं।
तीर्थ–यात्रियों की प्रतिक्रियाएं
इस तरह से मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना की सभी धर्म एवं वर्ग के लोगों ने सराहना करते हुए इसे सर्वधर्म समभाव की एक अनूठी मिसाल बताया है। इसके साथ ही इस योजना ने बुजुर्गों की बरसों पुरानी ख्वाहिश भी पूरी की है। अब प्रदेश का हर बुजुर्ग कोई न कोई तीर्थ-यात्रा जरूर कर सकेगा।
मध्यप्रदेश में जल–संरक्षण से खमरिया मौजीलाल में बदलाव की बयार
जल संकट के दौर में जल-संरक्षण की दिशा में दमोह जिले की जबेरा जनपद का ग्राम खमरिया मौजीलाल अग्रणी है। गाँव में मालगुजारी काल में बने निस्तारी तालाब ने पंचायत राज तक के सफर में अनेक उतार-चढाव देखें। गाँव के मालगुजार देशराज सिंह के परिजनों ने अपनी मिल्कियत वाले इस तालाब को पूर्व विधायक श्री नेक नारायण सिंह की सलाह पर पंचायत को दान कर दिया। श्री देशराज सिंह ने अपने सरपंच कार्यकाल में एक घाट का निर्माण स्वयं, दो घाट का निर्माण विधायक निधि से, एक सांसद निधि से, 4 घाट जे.आर.वाय से, एक घाट सम्पूर्ण रोजगार योजना से और एक घाट योजना मंडल से बनवाकर तालाब का कायाकल्प कर दिया।
जिले में रोजगार गारंटी योजना लागू होने से इस तालाब की मानो तकदीर ही बदल गई। योजना में जल संसाधन विभाग ने तालाब के जीर्णोध्दार के तहत जल संवर्धन के लिये 50 लाख की लागत से जल क्षमता वृध्दि का कार्य करवाया। इसमें तालाब के बाँध की ऊँचाई 5 फुट और वेस्ट वियर की 3 फुट बढाई गई। घाटों को और मजबूती देकर सुन्दरता वृद्धि की गई। आज 17 एक़ड में फैला यह तालाब पानी से लबालब भरा है। जल क्षमता वृद्धि ऐसी कि तालाब में दुगुना पानी भर गया है। इस तालाब से खमरिया मौजीलाल, बिजौरा और अर्थखेडावासियों का निस्तार हो रहा है। पानी के भराव से कुओं का जल स्तर भी बढ़ गया है।
बेहद मनोरम स्थल पर बने इस तालाब के किनारे मंदिर, निर्मल नीर, कूप और ग्राम वन ने इसकी सुन्दरता में और इजाफा कर दिया है। ग्राम वन में शीशम, ऑंवला, नीम और करंज के 840 लहलहाते पेड इस बात के साक्षी हैं कि उन्हें तालाब से भरपूर पानी मिल रहा है। आंवले के वृक्ष फल देने लगे हैं। इसके अलावा गाँव में 9 लाख 45 हजार की लागत से खेल मैदान तैयार हो रहा है। पंच परमेश्वर योजना में 3 लाख 48 हजार की लागत से 100 मीटर की सी.सी. सड़क बन चुकी है। गाँव के 14 हितग्राही को कपिलधारा कूप की सौगात सरकार से मिली है इनमें से 12 को मोटर पम्प भी मिल चुके हैं।
गरीब किसान नारायण बना अमीर
भिण्ड जिले की गोहद तहसील मुख्यालय पर रहने वाला गरीब किसान नारायण बाथम राज्य सरकार की सब्जी की खेती को बढावा देने वाली योजना का लाभ लेकर अपनी क़डी मेहनत से अब अमीर बन गया है। कल तक जो जीवन-यापन के लिए छोटी सी नौकरी के लिए चक्कर काटता था वह आज न केवल अपनी आर्थिक स्तर से मजबूत है वरन् तकरीबन साढे तीन हजार से अधिक लोगों को काम देकर दूसरे परिवारों के आर्थिक स्तर सुधारने का प्ररेणा स्त्रोत बन गया है।
व्यक्ति में लगन, आत्मविश्वास हो और सही रास्ता मिल जाए तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है। इन तथ्यों को नारायण बाथम ने सही मायनों साकार किया है। दो बीघा जमीन और केवल ढाई हजार रुपये की जमा पूँजी से प्याज और कक़डी की खेती करने वाला नारायण 5 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जी की खेती कर अब वह भिण्ड जिले का बडा सब्जी उत्पादक किसान बन गया है। इससे वह करीब पन्द्रह लाख सालाना कमा रहा है।
नारायण बाथम पाँच साल पहले नौकरी की तलाश में दर-दर की ठोंकरे खा रहा था। उसके पास खेती लायक जमीन तो थी लेकिन जमीन के साथ पैसा न होना उसके लिए बडी समस्या थी। इस बीच उसके पिता का स्वर्गवास हो गया, जिसके कारण परिवार का बोझ उसी के ऊपर आ गया। ऐसे में उद्यानिकी विभाग के अफसरों ने नारायण की खेती में गहरी दिलचस्पी और लगन को देखकर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया। उसकी ललक को देखकर अनुदान पर उन्नत किस्म के बीज, स्प्रिंकलर, स्प्रेयर, वर्मी कम्पोस्ट आदि मुहैया करवाये गए। फिर क्या था। उसने रात-दिन मेहनत कर सब कुछ पा लिया जिसकी उसे दरकार थी। अब नारायण का उत्साह कुलांचे भरने लगा और धीरे-धीरे खेती का आकार भी बढ गया। नारायण के खेत में पैदा होने वाली सब्जी को भिण्ड जिला सहित ग्वालियर की सबसे बडी सब्जी मण्डी में भेजने लगा है। इसकी प्याज अब तो उत्तर प्रदेश के कानपुर की प्रमुख मण्डी में बिकने जाने लगी है।
(माँ–बेटी मेला)
सामाजिक कुरीतियों को दूर करने राजग़ढ जिला प्रशासन का अभिनव प्रयास
माँ-बेटी मेला के माध्यम से समाज में फैली बाल-विवाह और नातरा जैसी कुरीतियों को दूर करने तथा बेटी बचाओ अभियान और महिला सशक्तीकरण के लिए राजगढ़ जिला प्रशासन द्वारा अभिनव प्रयास किया जा रहा है। माँ-बेटी मेला विकासखण्ड स्तर, सेक्टर स्तर एवं शैक्षणिक संस्थाओं में लगातार लगाए जा रहे हैं।माँ-बेटी मेला में जन-प्रतिनिधियों, जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और खासतौर से महिला जन-प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों का उद्बोधन जरूर होता है। माताओं और बेटियों को यहाँ बतलाया जाता है कि महिला होने के नाते वे बाल-विवाह, भ्रूण हत्या जैसी अनेक सामाजिक कुरीतियों को रोकने में महत्वसुर्ण भूमिका निभा सकती है।माँ-बेटी मेला में लघु नाटिकाओं और छात्र-छात्राओं के भाषण एवं निबंध के माध्यम से भी जन-जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है। जिला कलेक्टर ने बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलवाने और इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाली छात्राओं के घर जाकर उन्हें सम्मानित करने का निर्णय भी लिया है।कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय राजग़ढ में हुए माँ-बेटी मेला में राज्य महिला आयोग की सदस्य श्रीमती स्नेहलता उपाध्याय और सुश्री कविता भेरूलाल पाटीदार भी शामिल हुई। थ्प्रस्तुति – हरिमोहन मोदी
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