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आतंकवादी अपनी रणनीति के अनुसार हमेशा अपने स्थान बदलते रहते हैं। एक समय था कि उनका अड्डा अमरीका में था, फिर वे यूरोप में आ गए और जब उन्हें भारत विरोध का खाद पानी मिलने लगा तो अफगानिस्तान और पाकिस्तान में आ धमके। लेकिन पिछले कुछ समय से उनका अड्डा सऊदी अरब बनता जा रहा है। एक समय ऐसा था कि जिन्हें आतंकवादी बनाया जाता था वे बेचारे अनपढ़ और अशिक्षित हुआ करते थे। लेकिन अब समय के साथ यह प्रवाह बदल गया है। इन दिनों जो मुस्लिम आतंकवादी तैयार किये जाते हैं वे पढ़े-लिखे होते हैं। उनमें कोई डाक्टर होता है, तो कोई इंजीनियर और कोई वैज्ञानिक। वे देश-विदेश के विश्व विद्यालयों से उच्च शिक्षित युवा होते हैं। इतना ही नहीं वे इस्लाम की पूर्ण शिक्षा प्राप्त करते हैं। आतंकवादी पैसे के लिए तो बनते ही हैं लेकिन साथ-साथ अपने मजहब और उसके दर्शन की सेवा करना भी उनका उद्देश्य होता है। आतंकवादी सरगना अपने ठिकाने बदलते रहते हैं। जहां उन्हें धन और सुरक्षा प्राप्त होती है वे वहां अपने प्रशिक्षण के अड्डे बना लेते हैं। धन उनकी पहली आवश्यकता है। या तो उन्हें वहीं धन मिल जाता है या फिर उस स्थान पर हवाला सहित अन्य सुविधाओं के माध्यम से धन उपलब्ध हो जाता है। पिछले कुछ समय से भारत विरोधी आतंकवादी सऊदी अरब को अपना अड्डा बनाए हुए हैं। उन्हें यहां धन के साथ-साथ मजहबी शरण भी मिल जाती है। वर्ष में एक बार हज यात्रा तो होती ही है, इसके अतिरिक्त वे उमरा के बहाने भी सऊदी की यात्रा पर निकल पड़ते हैं।
कट्टर सऊदी
सऊदी अरब सरकार मजहबी मामलों में अत्यंत कट्टर है। इसलिए वह जानती है कि मजहब के बहाने से आतंकवादी किसी भी क्षण घुसपैठ कर सकते हैं। सऊदी राजा अत्यंत कट्टर हैं इसलिए इस्लाम के अन्य पंथ वाले उन्हें कमजोर करने का कोई मार्ग नहीं छोड़ते। इसलिए सऊदी सरकार इस मामले में अत्यंत चौकन्नी और सतर्क रहती है। इसी सतर्कता के कारण वह पिछले दिनों उन आतंकवादियों को अपने शिकंजे में कसने में सफल रही है जो सऊदी अरब में बैठकर भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करते हैं। कुछ समय पूर्व सऊदी सरकार ने फसीह मोहम्मद नामक इंजीनियर को भारत के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों के आरोप में धर दबोचा। इस बार डाक्टर उस्मान गनी पर बिजली गिरी और यह खूंखार आतंकवादी गिरफ्तार कर लिया गया।
दिल्ली में महाराष्ट्र के जिन तीन आतंकवादियों को गिरफ्तार करने की बात कही गई है उनके बारे में अब यह पता चला है कि वे तीनों सऊदी अरब से गिरफ्तार करके लाए गए। अबू जिंदाल के निकट के साथियों में फैयाज कागजी नामक आतंकवादी रियाज एवं इकबाल भटकल के सम्पर्क में आया था। भटकल बंधु बहुत समय से सऊदी अरब में रह रहे हैं। वे वहीं से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। यहां यह बात स्पष्ट करने की आवश्कयता है कि भारत में होने वाले अधिकांश बम धमाकों में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भटकल बंधुओं की भागीदारी बताई जाती है। अबू जिंदाल, जो लश्करे तोएबा से संबंधित आतंकवादी कहा जाता है और 26/11 के मुम्बई पर होने वाले आतंकवादी हमलों में उसका हाथ होने की बात कही जाती है, भी सऊदी अरब से गिरफ्तार करके लाया गया था। उसके संबंध में यह बात कही जाती है कि वह भी सऊदी अरब आने से पहले बहुत दिनों तक पाकिस्तान में रह चुका है। उसको पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई का सम्पूर्ण सहयोग प्राप्त था। सच बात तो यह है कि आईएसआई ने ही उसे सऊदी अरब स्थानांतरित करने की योजना बनाई थी। यह रहस्य खुलने के पश्चात् ही हिन्दुस्थान के एक और युवक मोहम्मद फसीह की भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की बात सामने आई। उसे भारत लाने की बातें भी जोर-शोर से उठी थीं। पता चला है कि वह इस समय सऊदी अरब में ही है। भारत में आतंकी गतिविधियों के सम्बंध में उस पर जो आरोप थे इस कारण उसे हिरासत में रखा गया है। लेकिन जब तक भारत की ओर से उसके विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के सबूत भारत सरकार नहीं देती है तब तक सऊदी अधिकारी उसे भारत को सौंपने वाले नहीं हैं।
ठोस कार्रवाई
भारतीय एजेंसियों के लिए सऊदी का यह रवैया परेशान करने वाला ही नहीं था, बल्कि आश्चर्यजनक भी था। क्योंकि अबू जिंदाल की गिरफ्तारी के पश्चात् भारत में प्रसन्नता का वातावरण था और वह समझ गया था कि सऊदी अरब के इस सहयोगी रवैये से पाकिस्तान में प्रशिक्षित भारत के दुश्मन उन आतंकवादियों को पकड़ लेना आसान हो जाएगा जो अब पाकिस्तान से निकलकर सऊदी अरब में अड्डा बना चुके हैं। इस समय यह बात जोर-शोर से कही जा रही है कि सऊदी अरब आतंकवादियों की मजबूत शरणस्थली बन गया है। इतना ही नहीं इस समय अनेक कुख्यात आतंकवादी वहीं से तबाही मचाने की साजिश रच रहे हैं। भारत में जो दहशतगर्द घुसपैठ कर रहे हैं वे सऊदी की धरती से ही प्रशिक्षित होकर आ रहे हैं। पाकिस्तान के अखबारों में इस प्रकार के समाचार प्रकाशित हो रहे हैं कि ऐसा करने का कारण सऊदी अरब पर एक दबाव बनाना भी हो सकता है ताकि सऊदी अरब ने मोहम्मद फसीह के सम्बंध में जो रवैया अपनाया है उससे उसको पीछे हटने पर मजबूर किया जा सके। लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत की ओर से जब भी किसी की गिरफ्तारी की कार्रवाई और इस संबंध में सम्पर्क की जो विस्तृत रपट दी जाती है उसमें अनेक कमियां रह जाती हैं। इन घटनाओं को चर्चित करके वाहवाही तो लूटी जा सकती है लेकिन इस दिशा में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आता है। इसके कारण भारतीय एजेंसियों की साख दांव पर लग जाती है। सऊदी अरब निश्चित ही पाकिस्तानी आतंकवादियों का अड्डा बनता जा रहा है लेकिन अब तक भारत सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। भारत की अदालतें समय रहते कोई निर्णय नहीं देती हैं इसलिए अपराधी को इसका पूरा लाभ मिल जाता है। वह जेल में भले ही बंद रहे लेकिन उसके अपराध के सबूतों को नष्ट करने में आतंकवादी संगठन रात-दिन एक कर देते हैं। आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई ही इस समस्या का समाधान है।
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