राजनीतिक क्षेत्र के तपस्वी
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श्रद्धाञ्जलि–कैलाशपति मिश्र
स्व. कैलाशपति मिश्र को राजनीतिक क्षेत्र में एक निष्कलंक व्यक्तित्व, एक तपस्वी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 50 वर्ष से अधिक लम्बी चली उनकी राजनीतिक जीवन की यात्रा में न उन पर कोई आरोप लगा और न ही वे किसी विवाद का अंग बने। राजनीति की दलदल में कमल के समान अहंकार, बुराई, द्वेष, लोभ-लालच आदि सामान्य दोषों से भी अछूते रहने वाले कैलाशपति अपनी इन्हीं विशिष्टताओं के कारण भारतीय जनता पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं के लिए आदर्श एवं प्रेरणास्रोत थे। इसी कारण जब शनिवार (3 नवम्बर) को पटना में उनका देहावसान हुआ तो उनका सान्निध्य पाने वाले देश भर में बिखरे भाजपा के कार्यकर्ताओं का मन दु:ख से भर गया। बिहार और झारखण्ड, जो कि उनके राजनीतिक जीवन के प्रारंभिक कार्यकाल में उनके अनथक परिश्रम के साक्षी रहे, में शोक की लहर फैल गई। पूरे प्रदेश से कार्यकर्ताओं ने पटना आकर उन्हें अंतिम प्रणाम निवेदित किया और स्थान-स्थान पर शोक सभाएं भी आयोजित की गईं।
बिहार-झारखण्ड में भारतीय जनता पार्टी के 'भीष्म पितामह' समझे जाने वाले और इसके पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ (बिहार) के संस्थापक सदस्यों में से एक कैलाशपति मिश्र का जन्म बक्सर जिले में दुधारचक गांव में 5 अक्तूबर, 1923 को हुआ था। पंडित हजारी मिश्र के अत्यंत साधारण व अभावग्रस्त परिवार में जन्म लेने के बावजूद बाल्यकाल से ही वे स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागी हो गए। 1942 के 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' आंदोलन में 10वीं के छात्र रहते हुए जेल गए। 1945 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आए तो फिर अपने राष्ट्र और समाज की सेवा ही उनका ध्येय बन गया। आजीवन अविवाहित रहकर अपने समाज की सेवा का जो संकल्प 1945 में उन्होंने लिया, उसे अंत तक निभाया। संघ प्रचारक के रूप में आरा से समाजिक जीवन प्रारंभ किया, 1947 से 52 तक पटना में प्रचारक रहे, 1952 से 57 तक पूर्णिया के जिला प्रचारक रहे, फिर संघ के निर्देश पर ही जनसंघ में गए। 1959 में जनसंघ के प्रदेश संगठन मंत्री का दायित्व मिला तो आपातकाल के बाद चुनावी राजनीति में उतरने के निर्देश का भी पालन किया। विक्रम विधानसभा से चुनाव लड़े, जीते और कर्पूरी ठाकुर की सरकार में वित्त मंत्री भी रहे। 1980 में जनसंघ के नए रूप में सामने आयी भारतीय जनता पार्टी की बिहार इकाई के वे पहले प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत हुए, फिर 1983 से 1987 तक निर्वाचित अध्यक्ष रहे। इस बीच 1984 से 1990 तक राज्यसभा के भी सदस्य रहे। भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ ही अनेक राज्यों के संगठन मंत्री का दायित्व भी उन्होंने बखूबी निभाया। 7 मई, 2003 से 7 जुलाई, 2004 तक वे गुजरात के राज्यपाल पद पर भी आसीन रहे। इसी दौरान 4 माह के लिए राजस्थान के राज्यपाल का कार्यभार भी उनकी ओर था।
इतनी सक्रिय, उच्चस्तरीय व सत्ता के इर्द-गिर्द घूमती राजनीतिक यात्रा में भी वे कभी डिगे नहीं, विचलित नहीं हुए। इसीलिए 4 नवम्बर को उन्हें श्रद्धाञ्जलि देने के लिए पटना पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, 'कैलाशपति जी तपस्वी व सच्चे साधक थे। भाजपा की अन्य दलों के साथ मिलकर कई प्रदेशों में जो सरकारें चल रही हैं, वह कैलाशपति सरीखे समर्पित कार्यकर्ताओं का ही परिणाम है।' श्री आडवाणी के साथ ही राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री अरुण जेटली व भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री अनंत कुमार भी पटना आए और कैलाश बाबू को अपना अभिभावक, आदर्श और प्रेरणास्रोत बताया। गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी पटना आकर कैलाश बाबू की पार्थिव देह पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिला। उन्होंने गुजरात के राज्यपाल पद पर रहते हुए यह उदाहरण देश के सामने प्रस्तुत किया कि संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा कैसे बनाई जाती है। हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं को कैलाशबाबू के जीवन और आचरण से प्रेरणा मिलती रहेगी।
कैलाशपति मिश्र के निधन का समाचार मिलते ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी उनके पटना स्थित निवास पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। एक दिन के राजकीय शोक की घोषणा करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि कैलाश बाबू के निधन से एक युग का अंत हो गया। झारखण्ड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुण्डा ने कहा कि वे अपने परिश्रम, त्याग और समर्पण से इन दोनों प्रदेशों (बिहार और झारखण्ड) को बहुत मजबूत आधार प्रदान कर गए हैं।
रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की चेन्नै में बैठक आयोजित होने के कारण राज्य के वरिष्ठ कार्यकर्ता बिहार में नहीं थे। चेन्नै से ही संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री स्वांत रंजन, क्षेत्र संघचालक श्री सिद्धिनाथ सिंह, क्षेत्र कार्यवाह डा. मोहन सिंह, उत्तर बिहार प्रांत प्रचारक श्री राजेन्द्र, प्रांत संघचालक श्री विजय जायसवाल, प्रांत कार्यवाह श्री राजकिशोर प्रसाद एवं दक्षिण बिहार के प्रांत प्रचारक श्री अनिल ठाकुर, प्रांत संघचालक डा. शत्रुघ्न प्रसाद तथा प्रांत कार्यवाह श्री अशोक साह ने भी शोक संदेश भेजकर कार्यकर्ताओं एवं परिजनों को ढांढस बंधाया।
स्व. कैलाशपति मिश्र की पार्थिव देह को रविवार (4 नवम्बर) कौटिल्य नगर स्थित उनके आवास से पहले विधान भवन और फिर प्रदेश भाजपा कार्यालय ले जाया गया, इस दौरान मार्ग में खड़े हजारों लोगों ने पुष्प वर्षा कर उन्हें अंतिम प्रणाम निवेदित किया। सायंकाल दीघा घाट पर उनका अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ।
उड़ीसा में फिर नक्सली हिंसा शुरू
नक्सलियों के पास अमरीका के हथियार, पाकिस्तान की गोलियां
उड़ीसा/पंचानन अग्रवाल
पश्चिम उड़ीसा के बलांगीर, बरगढ़ व नुआपाड़ा जिलों में सक्रिय नक्सलवादी काफी समय तक शांत रहने के बाद पुन: हिंसक वारदातें करने लगे हैं। गत 3 व 4 नवम्बर की मध्य रात्रि नक्सलियों ने एक शराब व्यवसायी की बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी। आरोप यह लगाया कि वह पुलिस का खबरी था। जाते-जाते ये नक्सली सड़क बनाने के लिए खड़े एक ठेकेदार के उपकरणों को भी आग के हवाले कर गए। हालांकि पुलिस का दावा है कि उसने त्वरित कार्रवाई करते हुए रविवार की सुबह बलांगीर-नुआपाड़ा जिले की सीमा पर जंगलों में स्थित नक्सलियों के एक शिविर पर हमला बोला, शिविर ध्वस्त कर दिया और भागते हुए नक्सलियों में से कई पुलिस की गोलियों का शिकार हुए। बाद में शिविर से पुलिस ने भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, हथियार व भड़काऊ पत्र व पोस्टर बरामद किए।
शनिवार (3 नवम्बर) की आधी रात करीब 20-25 सशस्त्र नक्सली रेंगाली गांव (थाना खप्राखोल जि. बरगढ़) पहुंचे और 55 वर्षीय मुरलीधर मेहरे के घर जबरन घुस गए। नक्सलियों ने पहले मुरलीधर को उनकी पत्नी और पुत्र के सामने कुल्हाड़ी से काट डाला और फिर मृत मुरलीधर के शरीर पर दो गोलियां भी दाग दीं। मुरलीधर की पत्नी आऐंला और पुत्र ईश्वर चीखते-चिल्लाते रह गए और नक्सली हथियार लहराते और पर्चे बांटते हुए आसानी से चले गए। नक्सलियों के द्वारा बांटे गए पर्चों में पुलिस के लिए मुखबिरी न करने की चेतावनी दी गई थी और गांव के अन्य 5 लोगों को भी कहा गया था कि उनका भी यही हश्र होगा।
बलांगीर-बरगढ़-महासमुंद परिक्षेत्र के इन्हीं नक्सलियों ने पोलीमुंदा (थाना पाइकमाल, जिला बरगढ़) के एक ठेकेदार के घर पर भी धावा बोला। उस ठेकेदार के ना मिलने पर उसके परिसर में खड़े 5 ट्रैंक्टरों, एक जे.सी.बी. मशीन तथा एक मिक्सर को आग लगा दी। नक्सली यहां से भी जाते समय धमकी भरे पोस्टर छोड़ गए। इन दोनों घटनाओं के बाद बलांगीर जिले के पुलिस अधीक्षक अमर प्रकाश ने नेतृत्व विशेष सुरक्षा बल (एस.ओ.जी.) के एक दस्ते ने इस परिक्षेत्र के जंगलों में सघन तलाशी अभियान शुरू किया। नुआपाड़ा जिले में भी तलाशी अभियान के दौरान बांजीपाली के जंगल में अभियान दल और नक्सलियों के गिरोह के बीच मुठभेड़ भी हुई, पर नक्सली भागने में सफल रहे।
उधर कुछ दिनों पूर्व पकड़े गए नक्सलियों के एक कमाण्डर ने पूछताछ में खुलासा कि विदेश से प्राप्त धन और हथियारों से ही नक्सली बिहार और झारखण्ड में तबाही मचा रहे हैं। सिमडेगा के पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने नक्सलियों के इस कमाण्डर से मिली जानकारी के आधार पर जांच कराई, सम्बंधित जिलों व राज्यों को सूचित किया और पाया कि उसकी बात सही है। अब नक्सलियों के पास सिर्फ चीन नहीं बल्कि अमरीका में निर्मित हथियार भी हैं और पाकिस्तान में निर्मित गोलियां भी। इससे यह बात साफ तौर पर उभरती है कि भारत को अस्थिर करने के काम में अनेक अन्तरराष्ट्रीय शक्तियां सक्रिय हैं और वे नक्सलियों का प्रयोग एक हथियार की तरह कर रही हैं।
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