विदेशी निवेशकों
July 20, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

विदेशी निवेशकों

by
Nov 10, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

विदेशी निवेशकोंको मात देते भारतवंशी

दिंनाक: 10 Nov 2012 14:51:55

को मात देते भारतवंशी

डा.अश्विनी महाजन

हाल ही में सरकार द्वारा कथित तौर पर कुछ बड़े फैसले किये गये। जिनके अनुसार मल्टी ब्रांड खुदरा बाजार और पेंशन फंडों में विदेशी निवेश को पहली बार अनुमति दी गई है, बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाया गया है। सामान्य तौर पर यह तर्क दिया जाता है कि विदेशी पूंजी की कमी के चलते हमें विदेशी निवेश को बढ़ाना होगा। इससे न केवल देश में संसाधनों का प्रवाह बढ़ेगा बल्कि विदेशी मुद्रा की पूर्ति बढ़ाकर डालर के मुकाबले रुपये की गिरावट को भी रोका जा सकेगा। हालांकि जितना गुणगान विदेशी पूंजी निवेश का होता है, उतना अनिवासी भारतीयों द्वारा भेजे गए धन का नहीं होता। भारत से विदेशों में जाकर बसे अथवा काम के लिए गए भारतीयों द्वारा भेजी गई धन राशियों पर यदि नजर डालें तो पता चलता है कि अनिवासी भारतीय विदेशी निवेश से कहीं अधिक विदेशी पूंजी मुद्रा देश के लिए जुटा रहे हैं।

ज्यादा भी और विश्वसनीय भी

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत मूल के  लोगों या कहें भारतवंशियों या प्रवासी भारतीयों या अनिवासी भारतीयों द्वारा भेजी गई राशियां वर्ष 2011-12 में एक बार फिर विदेशी निवेश (प्रत्यक्ष एवं पोर्टफोलियों-दोनों मिलाकर) से कहीं ज्यादा रहीं। 2011-12 में अनिवासी भारतीयों ने 63.5 अरब डालर स्वदेश भेजे, जबकि विदेशी निवेशकों से हमें 39.2 अरब डालर ही प्राप्त हुए। इनमें 22 अरब डालर प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश से और 17.2 अरब डालर पोर्टफोलियो (शेयर बाजारों में) निवेश से प्राप्त हुए। महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले कई सालों में लगातार अनिवासी भारतीयों द्वारा विदेशी निवेशकों से कहीं अधिक पैसा स्वदेश भेजा गया, जबकि विदेशियों द्वारा निवेश में उतार-चढ़ाव चलता रहा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008-09 की मंदी के दौरान पोर्टफोलियो निवेश ऋणात्मक हो गया था और इस प्रकार कुल विदेशी निवेश घटकर मात्र 8.3 अरब डालर ही रह गया था। उस वर्ष भी अनिवासी भारतीयों द्वारा स्वदेश को 44.8 अरब डालर भेजे गए। यानी स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि अनिवासी भारतीयों की राशियां विदेशी निवेशकों से कहीं ज्यादा तो हैं ही, उनकी उपलब्धता की विश्वसनीयता भी विदेशी निवेशकों से कहीं अधिक है। भारतवंशियों के महत्व को देखते हुए ही सन् 2003 में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पहले 'प्रवासी भारतीय दिवस' का उद्घाटन किया था।

विदेशी निवेश के नुकसान

विदेशी निवेश दो प्रकार से प्राप्त होते हैं। एक- प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश, जिसमें भारतीय कंपनियों के शेयर किन्हीं नियोक्ताओं द्वारा खरीद कर उनके प्रबंधन में हिस्सेदारी ली जाती है या उसे पूरी तरह से अधिग्रहीत अथवा विलीन कर लिया जाता है। इसके अतिरिक्त नये उद्यमों में भी विदेशी निवेश आ सकता है। लेकिन देखने में आया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नये उद्यमों/प्रकल्पों में तो कम लेकिन पहले से स्थापित भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण एवं विलय में ज्यादा आता है। वर्ष 1990 से 2010 तक देश में जो कुल 183.6 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, उसमें 47.6 अरब डालर का विदेशी निवेश स्थापित भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण के लिए आया। हाल ही में 10 शीर्ष दवा कंपनियों में से दो और कंपनियों का अधिग्रहण होने के बाद अब तक 3 शीर्ष दवा कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास पहुंच चुकी हैं। ए.सी.सी. नामक सीमेंट कंपनी के विदेशी अधिग्रहण के बाद सीमेंट का बड़ा व्यवसाय अब विदेशियों के हाथों में हस्तांतरित हो चुका है। इसी प्रकार अन्यान्य क्षेत्रों में विदेशियों का आधिपत्व पिछले लगभग डेढ़ दशक में काफी बढ़          गया है।

दूसरे प्रकार का विदेशी निवेश 'पोर्टफोलियो' निवेश कहलाता है। विदेशी संस्थागत निवेशक भारत के प्रतिभूति (शेयर एवं ऋण) बाजारों में पैसा लगाते हैं। पोर्टफोलियो निवेश की विशेषता यह है कि विदेशी निवेशक कभी भी रातों-रात शेयर बेचकर अपना पैसा वापस ले जा सकते हैं। इसलिए इस निवेश की सबसे बुरी बात यह है कि यह अत्यंत अस्थिर प्रकृति का निवेश है। वैश्विक मंदी के समय जब पोर्टफोलियो निवेशक अपना धन बाहर लेकर गये तो भारत का शेयर बाजार अचानक नीचे गिर गया और निवेशकों को रातों-रात हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। ऐसे में बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा बाहर जाने से रूपया भी कमजोर हुआ।

पोर्टफोलियो निवेश के लिए भारत सरकार समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों में निवेश की सीमा निर्धारित करती है। अनुभव यह है कि यह विदेशी निवेश उस अधिकतम सीमा तक होता है, यानि विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों को हस्तगत करने में कभी नहीं चूकते। इसका अभिप्राय यह है कि इन निवेशकों के भारी निवेश के कारण अधिकतर भारतीय कंपनियों के शेयर इन संस्थागत (पोर्टफोलियो) निवेशकों के हाथों में जा चुके हैं। मार्च 2012 तक 1502 बड़ी कंपनियों के शेयरों में संस्थागत निवेशकों का निवेश 9,30,184 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो मुम्बई स्टाक एक्सचेंज में शामिल सभी कंपनियों के शयरों के बाजार मूल्य का 14.9 प्रतिशत था। जून, 2010 से मार्च, 2012 के बीच जहां कंपनियों के शेयरों का बाजार मूल्य 3.5 प्रतिशत घट गया, विदेशी कंपनियों की भागीदारी 26 प्रतिशत बढ़ गई।

कुछ वर्ष पूर्व देश के प्रमुख रक्षा सलाहकार ने भारत सरकार को चेतावनी दी थी कि विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा जारी 'पार्टिसिपेटरी नोट्स' के जरिये आतंकवादी संगठन अपना पैसा भारतीय शेयर बाजार में लगा रहे हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कि न केवल अर्थतंत्र बल्कि भारत की सुरक्षा को भी पोर्टफोलियो निवेश के कारण खतरा है।

विदेशी मुद्रा उत्प्रेषण

विदेशी संस्थाओं/व्यक्तियों द्वारा निवेश स्वभाविक रूप से लाभ के उद्देश्य से होता है। स्थापित भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण से उन्हें भारी लाभ तो होता ही है। आधारभूत संरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) के क्षेत्र में भी उन्हें न्यूनतम लाभ की गारंटी सरकार द्वारा दी जाती रही है। इसके चलते उनके द्वारा लाभ, ब्याज, रॉयल्टी, लाभांश इत्यादि के रूप में आय तो विदेशों में भेजी ही जाती है, इन उपक्रमों में लगे विदेशी लोगों को वेतन के रूप में भी भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का उत्प्रेषण होता है। गौरतलब है कि 1992-93 आय के रूप में कुल विदेशी मुद्रा उत्प्रेषण मात्र 3.8 अरब डालर था, 2011-12 में यह बढ़कर 26.1 अरब डालर तक पहुंच गया। यानि विदेशी निवेशक ब्याज, लाभांश, रॉयल्टी और वेतन इत्यादि के रूप में 26.1 अरब डालर देश के बाहर ले गए, जबकि इस वर्ष हमें कुल 22 अरब डालर विदेशी निवेश से प्राप्त हुए। दूसरी तर�%

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Arunachal Flood landslide death

अरुणाचल में भूस्खलन और बाढ़ से तबाही, अबतक 15 लोगों की मौत, 36,000 से अधिक प्रभावित

miraz-2000 atra MK2

स्वदेशी Astra Mk2 मिसाइल से लैस होंगे मिराज-2000 विमान

Russia Ukraine War

Russia Ukraine War: क्या हुआ कि युद्धविराम की बात करने लगे जेलेंस्की?

Indus water treaty Manoj Sinha

सिंधु जल समझौता खत्म होना कश्मीर के लिए वरदान: मनोज सिन्हा

WCL 2025 Shikhar Dhawan

WCL 2025: शिखर धवन ने ठुकराया भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच, कहा- ‘देश से बढ़कर कुछ नहीं’

Shashi Tharoor national interest Party loyalty

कांग्रेस से वफादारी पर शशि थरूर: राष्ट्रीय हित पहले, पार्टी बाद में

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Arunachal Flood landslide death

अरुणाचल में भूस्खलन और बाढ़ से तबाही, अबतक 15 लोगों की मौत, 36,000 से अधिक प्रभावित

miraz-2000 atra MK2

स्वदेशी Astra Mk2 मिसाइल से लैस होंगे मिराज-2000 विमान

Russia Ukraine War

Russia Ukraine War: क्या हुआ कि युद्धविराम की बात करने लगे जेलेंस्की?

Indus water treaty Manoj Sinha

सिंधु जल समझौता खत्म होना कश्मीर के लिए वरदान: मनोज सिन्हा

WCL 2025 Shikhar Dhawan

WCL 2025: शिखर धवन ने ठुकराया भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच, कहा- ‘देश से बढ़कर कुछ नहीं’

Shashi Tharoor national interest Party loyalty

कांग्रेस से वफादारी पर शशि थरूर: राष्ट्रीय हित पहले, पार्टी बाद में

Irana Shirin Ebadi

शिरीन एबादी ने मूसवी के जनमत संग्रह प्रस्ताव को बताया अव्यवहारिक, ईरान के संविधान पर उठाए सवाल

छत्रपति शिवाजी महाराज के दुर्ग: स्वाभिमान और स्वराज्य की अमर निशानी

महाराष्ट्र के जलगांव में हुई विश्व हिंदू परिषद की बैठक।

विश्व हिंदू परिषद की बैठक: कन्वर्जन और हिंदू समाज की चुनौतियों पर गहन चर्चा

चंदन मिश्रा हत्याकांड का बंगाल कनेक्शन, पुरुलिया जेल में बंद शेरू ने रची थी साजिश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies