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भारतीय सीमा सुरक्षा बल ने तथ्यों और प्रमाणों के साथ यह साफ कर दिया है कि नकली भारतीय मुद्रा के चलन के लिए अब गो-तस्करों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह भी साफ होता जा रहा है कि नकली भारतीय मुद्रा के चलन में बंगलादेश ही मुख्य केन्द्र बना हुआ है। सीमा सुरक्षा बल के अतिरिक्त महानिदेशक श्री बंशीधर शर्मा ने हाल ही में पत्रकारों से चर्चा-वार्ता के दौरान बताया कि अवैध रूप से भारत से बंगलादेश भेजे जाने वाले गोवंश के बदले वहां से नकली भारतीय नोट में दोगुनी कीमत दी जा रही है। एक गाय-बैल के बदले दोगुनी, चार गुनी और कभी-कभी दस गुनी कीमत के लालच में पशुओं के ये अवैध व्यापारी चोरी-छिपे नकली नोट यहां लाते हैं। ढाका (बंगलादेश) में आयोजित सीमा सुरक्षा बल के उप महानिदेशक स्तर की बैठक में यह मामला उठाने वाले श्री शर्मा ने बताया कि अब नकली नोटों की आवाजाही रोकने के लिए 'टास्क फोर्स' का गठन हो चुका है।
गोवंश के तस्कर ही ला रहे हैं नकली नोट
श्री बंशीधर शर्मा ने यह भी बताया कि अब तक सीमा पर रात के अंधेरे में बंगलादेश की ओर से नकली नोटों का बंडल बांधकर इस ओर फेंक दिया जाता था और भारत में उनके एजेंट उसे रातों-रात उठाकर बाजार में चलवा देते थे। भारत-बंगलादेश के बीच सीमा इस प्रकार खुली है कि वहां ऐसा करना संभव था। पर सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने निगरानी कड़ी की तो इस पर काफी हद तक रोक लगी। उन्होंने एक उदाहरण भी बताया- सीमा पर अपने खेतों पर काम करने गए कुछ लोग शाम को वहां से लौटे तो उनके कंधों पर सिंचाई का पाइप था। नियमित खेतिहर, कामगार या मजदूर होने के कारण सामान्यत: उनकी पूरी कड़ाई से जांच नहीं होती होगी। पर उस दिन उनका पाइप रखवाकर जांच की गई तो उसमें 1000-1000, 500-500 के ढेरों भारतीय वोट ठूंस-ठूंसकर भरे पड़े थे, सबके सब नकली। इस तरह के 57 लोगों को सुरक्षा बलों ने गत वर्ष पकड़ा और उनके पास से 43 लाख 81 हजार रुपए की जाली मुद्रा बरामद की गई थी। पिछले वर्ष पकड़े गए 57 में से 44 बंगलादेशी घुसपैठिये थे तो इस वर्ष 15 लाख 82 हजार नकली रुपए के साथ जिन 46 लोगों को पकड़ा गया है, उनमें से अधिकांश वे बंगलादेशी घुसपैठिये ही हैं जो भारत-बंगलादेश सीमा पर आ बसे हैं। इनके कारण नकली नोट के कारोबार का मुख्य केन्द्र मालदा जिला बना हुआ है।
कालियाचक बना सिरदर्द
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अधिकारियों ने हिज्बुल मुजाहिदीन के एक ऊंचे दर्जे के आतंकी को मालदा के कालियाचक से उस समय धर दबोचा जब उनका दल जाली नोटों के एक कारोबारी को गिरफ्तार करने वहां आया था। हिज्बुल मुजाहिदीन के इस वांछित आतंकवादी का नाम बादल शेख है। इसे 13 अक्तूबर को गिरफ्तार कर मालदा में सीमा सुरक्षा बल के शिविर में रखा गया है। लगभग एक साल पहले जम्मू-कश्मीर से सलीम शेख को गिरफ्तार किया गया था। हिज्बुल मुजाहिदीन गिरोह का आतंकी सलीम शेख भी बंगलादेश की सीमा से सटे मालदा जिले के कालियाचक के शेरशाही मोहल्ले का रहने वाला है। उससे पूछताछ के बाद बादल शेख की हरकतों पता चला था। गत 12 अक्तूबर को मालदा से 20 लाख रुपये के नकली भारतीय नोटों के साथ कौसर शेख को गिरफ्तार किया गया था। उससे पूछताछ करने के लिए मालदा में राष्ट्रीय जांच एजेंसी का एक दल आया। सूत्रों के अनुसार हिज्बुल मुजाहिदीन के 'स्लीपर सेल' के सदस्य बादल शेख के बारे में सेना के भी खुफिया विभाग से अनेक जानकारियां प्राप्त हुई थीं। इस जानकारी के आधार पर सीमा सुरक्षा बल एवं राज्य पुलिस को साथ में लेकर एनआईए के दल ने कालियाचक से बादल शेख को धर दबोचा।
उल्लेखनीय है कि मालदा कई वर्षों से नकली भारतीय नोटों के कारोबार का प्रमुख केन्द्र बना हुआ। एक खुफिया अधिकारी का कहना है कि मालदा जिले में भारत-बंगलादेश सीमा पर 83 किमी. इलाका लगभग खुला है। उसी इलाके से जाली नोटों की तस्करी और अवैध व्यापार होता है। इस स्थिति का फायदा उठाकर आतंकी गिरोह के लोग भी आते-जाते हैं। कुछ महीनों से खुफिया विभाग के पास मालदा, कूचबिहार, उत्तर एवं दक्षिण दिनाजपुर की तारविहीन सीमा से माओवादियों के आने- जाने के भी समाचार मिल रहे हैं। इस बीच बादल शेख की गिरफ्तारी काफी महत्वपूर्ण है। सभी जांच एजेंसियों ने बादल शेख से विस्तृत पूछताछ की है। उससे पूछताछ में साफ हुआ है कि कालियाचक (मालदा) अवैध धंधों का बड़ा केन्द्र बन चुका है। यदि कालियाचक में सुरक्षा बंदोबस्त दुरुस्त किए जाएं तो आतंकवादियों और अवैध व्यापारियों पर काफी हद तक लगाम लग सकेगी।
मणिपुर में माओवाद की दस्तक
पश्चिम बंगाल में अपने पैर पीछे खींच चुके माओवादी अब मणिपुर में पांव पसार रहे हैं। मणिपुर की कूटनीतिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील भौगोलिक परिस्थितियां हैं। माओवादियों के जरिए चीन यहां पर अपना प्रभाव कायम करने की कोशिश कर रहा है। पिछले वर्ष मार्च माह में मणिपुर में माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी (मणिपुर) का गठन किया गया था। पिछले 4/5माह में इस गुट ने जंगल महल (प.बंगाल) क्षेत्र में भी आराजकता, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान, सरकारी अधिकारियों के घरों पर हमले एवं सुरक्षा बलों पर हमले किए। उधर मणिपुर के इम्फाल, थोवाल और विष्णुपुर जिले में भी यह गुट हमले करता आ रहा है। गत 20 अगस्त की रात इस माओवादी गुट ने इम्फाल के पास लामलाई में विस्फोट किया। इस विस्फोट का निशाना गश्त पर जा रहे बीएसएफ के जवान ही थे। विस्फोट के तरीके व उसमें प्रयुक्त किए गए विस्फोटकों की जांच के बाद खुफिया विभाग ने भी माना कि वह सब चीन के सहयोग से मणिपुर के कुमतिंग में चलाई जा रही अवैध हथियार फैक्ट्री में बनाया गया था। यह भी समाचार है कि मणिपुर के इस गांव में माओवादियों का एक बड़ा गुट चीनी सेना से प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटा है। खुफिया अधिकारियों का कहना है कि मणिपुर के सात अलगाववादी संगठनों ने एक साथ मिलकर जो 'को-आर्डिनेशन कमेटी' बनाई है, उसे चीन और माओवादियों का समर्थन मिल रहा है। अलगाववादी कलिंगपोंग कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) के आतंकी दस्ते पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 16 लड़ाकों को चीन की 'रेड आर्मी' ने म्यांमार के जंगलों में प्रशिक्षण दिया था। अब मणिपुर के 50-60 माओवादियों का एक गुट चीन के यूनान प्रांत में प्रशिक्षण ले रहा है। यहां तक कि इस पूरे क्षेत्र के माओवादियों को अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध कराने से लेकर प्रशिक्षण देने का काम भी चीन के सहयोग से मणिपुर का यह माओवादी गुट कर रहा है। पिछले दिनों केसीपी की सैन्य शाखा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक वरिष्ठ नेता को गोपालपुर से पकड़ा गया था। उससे पूछताछ से पता चला कि झारखंड के साराण्डा एवं उड़ीसा के मयूरभंज जिले के जंगलों में पीएलए के कैडरों ने ही माओवादियों-आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया था। स्पष्ट रूप से कहा जाए तो चीनी हथियार, प्रशिक्षण तथा समर्थन से मणिपुर में माओवादी अपने समर्थन का दायरा बढ़ा रहे हैं।
उड़ीसा/ पंचानन अग्रवाल
कंधमाल की जांच में नए 'नोटिस'
कंधमाल में स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती जी की निर्मम हत्या तथा उसके बाद हुए सामप्रदायिक दंगों की जांच कर रहे न्यायमूर्ति शरत चन्द्र महापात्रा के 4 माह पूर्व हुए निधन के पश्चात जांच आयोग का प्रभार न्यायमूर्ति (से.नि.) ए.एस. नायडू को सौंप दिया गया था। उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एस. नायडू ने कार्यभार संभालने व अब तक हुई कार्रवाई का अध्ययन करने के पश्चात इस मामले से संबद्ध 55 लोगों को नए सिरे से नोटिस जारी कर आयोग के समक्ष उपस्थित होने को कहा है। दो पूर्व पुलिस महानिदेशकों (गोपाल नंदा एवं मनमोहन प्रहराज) तत्कालीन गृहसचिव टी. के. मिश्रा, पूर्व राज्यसभा सदस्य राधाकांत नायक एवं पूर्व लोकसभा सदस्य नकुल नायक, पूर्व मंत्री पद्मनाभ बेहरा, पूर्व आर्चबिशप राफेल चिन्नाय, ईसाई नेता जान दयाल और कंधमाल जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक निखिल कनोडिया वे कुछ प्रमुख नाम हैं जिन्हें आयोग ने 'सम्मन' भेजा है। उल्लेखनीय है कि 23 अगस्त, 2008 (जन्माष्टमी की रात)को स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की मिशनरियों के षड्यंत्र से कथित माओवादियों ने निर्मम हत्या कर दी थी। इसकी प्रतिक्रियास्वरूप हुए दंगों में कंधमाल जिले में 42 लोग मारे गए, 4000 घर जला दिए गए और हजारों लोग बेघर हो गए। इस घटना की न्यायिक जांच एक सदस्यीय आयोग कर रहा है।
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