बदलाव की दस्तक
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पाञ्चजन्य
बदलाव की दस्तक
दीपवली विशेषांक
11 नवम्बर, 2012 पृष्ठ-84, मूल्य 15 रुपए
दीपावली पर्व है उजास का और उन आकांक्षाओं की पूर्णता का जो असुरों के राज से त्रस्त जनता ने श्रीराम के राज्याभिषेक में पिरोई थीं। आज फिर एक बार ऐसे ही कुशासन से पीड़ित देशवासियों की देहरी पर बदलाव की दस्तक सुनाई दे रही है, लेकिन कैसे होगा यह बदलाव और कैसा होगा? कौन बनेगा इस बदलाव का संवाहक? क्या इससे जनाकांक्षाएं पूर्ण होंगी और राष्ट्र व समाज का जीवन आलोकित हो उठेगा भ्रष्ट, अहंकारी व सत्तालोभी कुशासन का अंधेरा चीरकर? प्रस्तुत है इन्हीं कुछ सवालों के जवाब खोजता पाञ्चजन्य का दीपावली विशेषांक। इस विचारोत्तेजक सामग्री को संजोना न भूलें।- सं.
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