खतरा! 440 वोल्ट
|
भारत में बिजली लाइन बिछाने को उतावला है चीन
भारत में 'पावरग्रिड' बिछाने को उतावले चीन के 'स्टेट ग्रिड कार्पोरेशन' ने देश के आला बिजली अधिकारियों और सुरक्षा विशेषज्ञों में खलबली मचा दी है। मौजूदा कायदे रणनीतिक पारेषण क्षेत्र में विदेशी कंपनियों की बेरोक-टोक पहुंच के रास्ते खोलने वाले हैं, जिनका फायदा उठाकर चीन सरकार के नियंत्रण वाली उक्त कंपनी प्रतियोगी बोली के रास्ते पारेषण की एक लाइन बिछाने की अपनी बोली भी दाखिल कर चुकी है। हैरानी की बात है कि इस कम्पनी ने भारत की पारेषण परियोजना की तमाम बारीकियों पर पहले से ही पूरी जानकारी हासिल की हुई है। चीन की यह कंपनी 2011 में राजस्व के लिहाज से दुनिया की 500 सबसे बड़ी वैश्विक कम्पनियों में 7वें नम्बर पर थी।
भारत में विद्युत पारेषण के क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सहूलियत के चलते स्पेन की दो कम्पनियां पहले से ही यहां मौजूद हैं। लेकिन चीन की सरकारी नियंत्रण वाली कम्पनी की इस क्षेत्र में दिलचस्पी रणनीतिक नजरिए से खतरनाक मानी जा रही है। गौर करने वाली बात यह है कि इसी साल मार्च में इस कम्पनी ने 1400 करोड़ की 765 किलोवाट क्षमता की वेमागिरी-हैदराबाद परियोजना के लिए बोली लगाई थी, पर तकनीकी कारणों से उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया था। कंपनी का मुख्यालय बीजिंग में है। इसकी भारत के कुछ बड़े वाले अफसरों से बातचीत भी हुई थी जिसमें इसने कॉरिडोरों के लिए बोली लगाने के अलावा ग्रिड का संचालन भी खरीदने की इच्छा जताई थी। उसकी इस इच्छा से आला अफसर हैरान हैं और अब कायदों को दुरुस्त करने की दिशा में सोचा जा रहा है।
चीन की मंशा कई मौकों पर अपना आभास दे चुकी है। अगर उसने लचीले कायदों का फायदा उठाकर भारत की ढांचागत परियोजनाओं में भी दखल देना शुरू कर दिया तो उसके नतीजे बहुत नुकसानदेह हो सकते हैं। l
सऊदी अरब में इंडियन मुजाहिद्दीन के अड्डे
भारत में कई सालों से आतंकी कार्रवाइयों को अंजाम देते आ रहे जिहादी गुट इंडियन मुजाहिद्दीन ने अब सऊदी अरब में सुरक्षित पनाह पाई है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. अरब में उसके अड्डे जमाने में मददगार रही है। भारत की गुप्तचर एजेंसियों को ऐसे सुराग मिले हैं जो बताते हैं कि इंडियन मुजाहिद्दीन ने पिछले कुछ सालों में पश्चिम एशिया, खासकर सऊदी अरब में अड्डे जमा लिए हैं जहां से वह भारत विरोधी जिहादी कार्रवाइयों का सूत्र संचालन करेगा।
आतंकी पनाहगार के तौर पर पाकिस्तान पर दुनिया की नजरें गढ़ी होने के चलते, अब वह मुल्क आतंकवादियों को अपने यहां जमाने में खासी दिक्कत महसूस कर रहा है, इसी वजह से आई.एस.आई. उन्हें सऊदी अरब में डेरा जमाने में मदद दे रही है। इससे पाकिस्तान खुद को जिहादियों से दूर दिखाकर दुनिया को भरमा सकता है। गुप्तचर विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि जिहादियों के पास पाकिस्तानी पासपोर्ट होते हैं इसलिए वे जब चाहें अरब से पाकिस्तान जाकर जिहादी प्रशिक्षण वगैरह ले सकते हैं। सऊदी अरब में बैठे इंडियन मुजाहिद्दीन के आका इंटरनेट और सोशल साइट्स के जरिए भारत में छुपे अपने कारकूनों को हिदायतें देते हैं, जिनकी थाह पाना गुप्तचर एजेंसियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है।
हाल में दिल्ली में पकड़े गए तीन संदिग्ध इंडियन मुजाहिद्दीनों से सऊदी अरब से जुड़ाव और इंटरनेट के इस्तेमाल का खुलासा हुआ था। वे तीनों ही सऊदी अरब जा चुके थे। वहां वे-असद, इमरान और सैयद-अबु जुंदाल के करीबी जिहादी फैयाज कागजी से मिले थे जिसने उन्हें बड़े वाले इंडियन मुजाहिद्दीनों रियाज भटकल और इकबाल भटकल से मिलाया था और भारत में आतंकी हमले करने की हिदायतें दिलाई थीं। दोनों भटकल भाई पाकिस्तान से निकलकर सऊदी अरब में जमे हुए ½éþ*l
अनूठी 'हरित कुंभ यात्रा'
2014 में दक्षिण कोरिया में जैव विविधता पर शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। उस दृष्टि से एक अनूठी 'हरित कुंभ यात्रा' का पिछले दिनों हैदराबाद (भारत) में श्रीगणेश हुआ। भारत सहित कई देशों का सफर तय करके यह यात्रा शिखर सम्मेलन के मौके पर दक्षिण कोरिया पहुंचेगी। उससे पहले जहां-जहां से यह गुजरेगी वहां-वहां पर्यावरण और जैव विविधता को संजोने का अलख जगाएगी। 14 अक्तूबर को हैदराबाद में यात्रा का शुभारम्भ करते हुए त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामी ने जैव विविधता सम्मेलन के कार्यकारी सचिव डा. ब्रोलियो फेरेरा डिसूजा को मोतियों से भरा पीतल का कुंभ सौंपा। स्वामी जी ने लोगों से अनुरोध किया कि हवा और पानी को दूषित न करें, नदियों में कचरा न डालें, चराचर जगत को स्वस्थ-सुखी ¤ÉxÉÉBÆ*l
285 डालर में लेनिन ले लो!
मंगोलिया ने ढहाया लेनिन का आखिरी पुतला
मंगोलिया कभी पूर्व सोवियत संघ का करीबी था। शीत युद्ध के दौरान वह सोवियत सरपरस्ती में रहा, लेकिन 1990 से उसने पश्चिम और चीन की तरफ पींगें बढ़ानी शुरू कर दीं। कम्युनिस्ट सोवियत से नजदीकी की कई निशानियां मंगोलियाई राजधानी उलान बातोर में दिखाई देती थीं, लेकिन वे सब धीरे-धीरे नेस्तोनाबूद होने लगीं, और अभी 14 अक्तूबर को शहर में साम्यवाद की आखिरी निशानी, 98 साल से खड़े सोवियत कम्युनिज्म के प्रणेता व्लादिमीर लेनिन के साढ़े चार मीटर ऊंचे कांसे के पुतले को ढहा दिया गया। शहर के महापौर बात उल अरदीनी ने लेनिन को 'हत्यारा' कहते हुए सोवियत संघ से करीबी के काल को दमन का काल बताया। अरदीनी के मुताबिक, उस पुतले को अब नीलाम कर दिया जाएगा, जिसकी सरकारी बोली करीब 285 डालर होगी। पुतले को ढहाए जाते देखने के लिए चौक पर भारी भीड़ जमा हो गई थी। कुछ ने तो पुतले पर पुराने जूते तक फेंके। l आलोक गोस्वामी
टिप्पणियाँ