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क्या भाजपा अभी से गुजरात में अपनी जीत मानकर चल रही है?
हां, हमें पूरा विश्वास है कि हम न केवल जीतेंगे बल्कि पिछली बार से भी अधिक सीटों के साथ दोबारा सरकार बनाएंगे।
जीत के प्रति विश्वास का यह श्रेय किसको?
नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार के कार्य और उसके कारण आम जनता को सुशासन की अनुभूति ही हमारी जीत का आधार बनेगी।
कांग्रेस के सामने क्या इस बार भी 'मोदी' ही मुद्दा होंगे?
मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस इस बार श्री मोदी के विरुद्ध कोई व्यक्तिगत, नकारात्मक व अनर्गल आरोप लगाएगी। क्योंकि उन्हें अनुभव हो चुका है कि 'मौत का सौदागर' कहे जाने की भारी कीमत उसे चुकानी पड़ी है।
क्या मुद्दे लेकर जनता के बीच जा रहे हैं?
मख्यमंत्री श्री मोदी की स्पष्ट घोषणा है कि 'सबका साथ सबका विकास।' विकास, विकास और सिर्फ विकास, यही भाजपा का नारा है।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के प्रदेश स्तर के कुछ वरिष्ठ नेताओं का पार्टी से अलग हो जाना पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है?
कुछ लोग पिछले चुनाव से पूर्व ही पार्टी से अलग हो गए, उनके निजी कारण थे। इसलिए उसका कोई विशेष प्रभाव पड़ेगा, ऐसा नहीं लगता है। शेष पार्टी पूरी तरह एकजुट है।
ऐसा तो नहीं कि पार्टी अति आत्मविश्वास में है, इसलिए जीत तय मानकर पार्टी कार्यकर्त्ता घर ही बैठे रहें?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। आत्मसंतुष्टि का भाव हमारे भीतर नहीं है। प्रत्येक 'बूथ' से लेकर 'वोटर' तक पहुंचने की पार्टी ने पूरी तैयारी की है। जीत तय मानकर न तो पार्टी नेतृत्व लापरवाह हुआ है, न ही कार्यकर्त्ता। हमारे सामने चुनौती है पहले से बेहतर प्रदर्शन करने की, और हम सब उसमें जुटे हैं।
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