वृद्धावस्था 
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

वृद्धावस्था 

by
Oct 13, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

वृद्धावस्था अवसाद भी, प्रसाद भी

दिंनाक: 13 Oct 2012 13:30:12

अवसाद भी, प्रसाद भी

अक्टूबर महीने के प्रारम्भ से ही अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर वृद्धजनों की दशा और दिशा पर चिन्तन शिविर प्रारम्भ हो जाते हैं। संसार के लगभग हर देश में वृद्धजनों की संख्या में निरन्तर वृद्धि परिलक्षित हो रही है और स्वभावत: वृद्धावस्था के साथ जुड़ी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। भारतवर्ष में हमने वर्ष का एक दिन अथवा कुछ संगोष्ठियां मात्र वृद्धावस्था के नाम नहीं कीं। हमारी परम्परा और हमारे संस्कार वर्ष के हर दिन का प्रारम्भ वृद्धजनों के प्रति प्रणति निवेदन से करते हैं। हमारे शास्त्रों का अभिवचन है कि जो अभिवादनशील है और नित्य वृद्धजनों की सेवा करने वाला है, उसकी आयु-विद्या-यश और बल में निरन्तर वृद्धि होती रहती है। महाभारतकार महर्षि व्यास का स्पष्ट कथन है – न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धा: अर्थात् वह सभा वस्तुत: सभा कहलाने योग्य ही नहीं है जिसमें वृद्धजनों की उपस्थिति न हो! हमारे नित्यकरणीय पंचयज्ञों में ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ के बाद पितृ यज्ञ का विधान है, जो वृद्धजनों के प्रति संवेदनशीलता की दीक्षा देता है। भारतवर्ष में वृद्ध व्यक्ति को हिमाच्छादित शुभ्र शैल शिखर के रूप में देखा गया है। हमारी आश्रम-व्यवस्था के अन्तर्गत वानप्रस्थ आश्रम वृद्धावस्था के अभिनन्दन का ही उपक्रम है। वृद्धावस्था विषाद की मरुभूमि नहीं, प्रसाद की तीर्थभूमि है – ऐसी हमारी सांस्कृतिक अवधारणा है जो हमारे साहित्य में भी स्थान-स्थान पर परिलक्षित होती है। किन्तु  उसकी विषादमयता, उसकी अवसादग्रस्तता के चित्र भी साहित्य में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं! आज जब हमारे आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में दस करोड़ वयोवृद्ध हैं और उनमें से हर पांच में से एक व्यक्ति अपने को नितान्त एकाकी पाता है, तो साहित्य के दर्पण में प्रतिबिम्बित बिम्बों पर दृष्टि डालना समीचीन प्रतीत होता है।

महाप्राण निराला ने कभी वृद्धावस्था के अवसाद को निरूपित करते हुए कहा था कि जीवन-दीपक का स्नेह समाप्ति की तरफ है और दैहिक शक्ति बन्द मुट्ठी से रेत की तरह झर रही है, उस समय वह भी भयावह एकाकीपन के भाव को जी रहे थे-

मैं अकेला देखता हूं, आ रही

मेरे दिवस की सांध्य वेला।

हमारे युग के महनीय कवि बलवीर सिंह 'रंग' ने अस्पताल के बिस्तर पर बैठकर एक गीत लिखा था और अपने आपको अन्तिम यात्रा के लिये मानसिक रूप से तैयार कर लिया था –

करो मन चलने की तैयारी –

आये हो तो जाना होगा

शाश्वत नियम निभाना होगा

सूरज रोज किया करता है

ढलने की तैयारी।

इन पंक्तियों में कवि की यह स्वाभिमानिनी आकांक्षा प्रदीप्त हो रही है कि वह सूरज की तरह संसार से विदा होना चाहता है जो संध्या के समय भी उतना ही रागारूण होता है जितना कि उषा वेला में! कविवर भारतभूषण के अन्तिम कुछ गीत वस्तुत: ईश-भजन की पंक्तियों में ढल गये थे, वह सर्वत्र व्याप्त विषाक्तता से घुटन का अनुभव करते हुए विश्व-मानव की कातर पुकार बन गये थे –

प्रत्येक क्षण विषदंश है

हर दिवस अधिक नृशंस है

व्याकुल बहुत मनुवंश है

     जीवन बना जाता मरण,

     हर ओर कलियुग के चरण –

     मन स्मरण कर अशरण–शरण!

      पिछले दिनों दृष्टिपथ में आये दो वरेण्य गीतकारों के वृद्धावस्था पर केन्द्रित गीत अपनी अलग-अलग भंगिमा के कारण विशेष रूप से उल्लेख्य हो गये हैं। इस लेख में उनकी कुछ पंक्तियां उद्धृत करना चाहूंगा-

रात बीत  जाये सपनों में

दिन काटे न कटे,

सब कुछ घट जाता है

लेकिन जो चाहूं न घटे।…..

अब भविष्यफल पूछूं–देखूं

यह उत्साह नहीं है

छलनी–छलनी वसन,

        किसी की कुछ परवाह नहीं है

        आंधी चली, चीथड़ों जैसे

        कपड़े और फटे।

एक अति संवेदनशील चित्त, जो गुलाब की पंखुड़ी के संस्पर्श से भी सिहरता रहा है, उम्र के झंझावातों और निष्करुण समय के कशाघातों से अन्तत: उस उन्मनी अवस्था को प्राप्त हो जाता है जहां अपशब्द और अभिनन्दन अपनी अर्थवत्ता खो देते हैं, जहां स्मृति के अंधेरे कक्षों में अपने अश्रुओं का ही प्रकाश सहारा देता है और जहां अन्तस् की छटपटाहट गीत की गुनगुनाहट बनकर ही विसर्जित हो पाती है –

मुझ पर गाली या कि दुआ का

असर नहीं होता है

अंध गुफा में बैठ कौन है

जो कि नहीं रोता है

मेरे प्राणों में क्या जाने

कितने गीत अटे!

अवसाद की यह गहनता बाह्य दृष्टि को उन्माद लगने वाली उस स्थिति तक जाती है जहां कवि व्यर्थ के वाद-विवाद में न पड़कर आत्म-संवाद में लीन रहने लगता है।

हिन्दी नवगीत के पुरोधा कवि माहेश्वर तिवारी की अभिव्यक्ति में वृद्धावस्था के लिये प्रसाद के सूत्र उपलब्ध होते हैं। तीसरी पीढ़ी में गुलाबों की खिलती पंखुड़ियों के दर्शन करने वाला कवि तोतले बचपन में वैदिक ऋण के अधरचे श्लोक की झंकृति पाता है –

हंस रही है तीसरी पीढ़ी

पंखुरी खुलती हुई

जैसे गुलाबों की!

     है सुबह की हवा का झोंका

     अधरचा–सा श्लोक है

शायद किसी ऋण का ……..

इस तीसरी पीढ़ी की निश्छल हंसी पर कवि गुरु-गम्भीर ज्ञान के समस्त ग्रन्थों को न्योछावर करने को तत्पर है –

शब्द जैसे

बन रहे अक्षर

गूंजता–सा लग रहा

है घर

     हंस रही है

     तीसरी पीढ़ी

     कौन ढूंढे पंक्तियां

     जाकर किताबों की!

वृद्धावस्था का अवसाद भी सच है, प्रसाद भी। अपनी-अपनी प्रकृति और परिस्थिति के अनुरूप सभी को इनकी अनुभूति होती है।……. पूरी चेतना के साथ जीवन जीकर किसी कवि को यह अनुभूति भी होती है कि उसके केशो की श्यामता विसर्जित होते-होते उसे श्यामा-श्याम से संयुक्त कर गई और कुछ खोकर उसने सब कुछ पा लिया –

श्वेत केश

ये शीश पे लगे बहुत अभिराम,

खो दी हमने श्यामता पाये

श्यामा–श्याम।

अभिव्यक्ति मुद्राएं

किसको दिल के दाग दिखाएं

किसको अपनी व्यथा सुनाएं

उपन्यास–सी हुई जिन्दगी–

इसमें पीड़ा है, तड़पन है–

कितना कठिन हुआ जीवन है!

– डॉ. रोहिताश्व अस्थाना

पानी में कोई आग थी बादल में बिजलियां,

तनहाइयों के पास था शहनाइयों का सच।

मिट्टी की वो महक वो परिन्दे वो बारिशें,

दीवारें कैसे खा गईं अंगनाइयों का सच।

प्यासा कोई रहा कोई बारिश में भर गया,

पर्वत का सच अलग था अलग खाइयों का सच।

– अखिलेश तिवारी

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies