श्रद्धाञ्जलि:स्व.केदारनाथ साहनी
July 16, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

श्रद्धाञ्जलि:स्व.केदारनाथ साहनी

by
Oct 6, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मंथन-श्रद्धाञ्जलि:स्व.केदारनाथ साहनीएक सिद्धांतनिष्ठ आदर्श राजनेता

दिंनाक: 06 Oct 2012 15:46:58

 

एक सिद्धांतनिष्ठ आदर्श राजनेता

देवेन्द्र स्वरूप

3 अक्तूबर (बुधवार) को केदारनाथ साहनी भी शरीर छोड़ गये। संघ परिवार के लगभग प्रत्येक कार्यक्रम में सुरूचिपूर्ण भारतीय वेशभूषा में, मितभाषी व मृदुभाषी मंद मुस्कान बिखेरता व ठीक समय पर पहुंचने वाला वह सौम्य चेहरा अब सशरीर देखने को नहीं मिलेगा। किसी भी कार्यक्रम में मुझे देखते ही वे गले से लगा लेते, अपने पास बैठाने की कोशिश करते, और उनका प्रेम मेरे लिए उमड़ आता। मैं समझ नहीं पाता था कि उनके इस स्नेह का अधिकारी मैं क्यों और कैसे बन गया? क्या सबके प्रति वे अपना स्नेह इसी प्रकार बिखेरते रहते थे?

साहनी जी से मेरा निकट सम्पर्क 1968 में आया। उन दिनों वे भारत प्रकाशन के मानद महाप्रबंधक का दायित्व संभालते थे और भारत प्रकाशन के कनाट प्लेस में मरीना होटल स्थित कार्यालय में प्रतिदिन अपने नियत समय पर आकर बैठते थे। तब पाञ्चजन्य साप्ताहिक को लखनऊ से दिल्ली लाया गया था और आर्गेनाइजर के सम्पादक श्री केवल रतन मलकानी के मार्गदर्शन में मुझे उसके सम्पादन का दायित्व दिया गया था। इसलिए मैं भी मरीना होटल स्थित कार्यालय में जाकर बैठता था। उस समय का एक अनुभव मेरे मन पर अमिट छाप छोड़ गया है। एक दिन महाप्रबंधक के नाते साहनी जी ने मुझे अपने कक्ष में बुलाया और मैं सहज भाव से चला गया। उन्होंने पाञ्चजन्य के बारे में कुछ चर्चा की। मैं लौटकर अपनी सीट पर आया तो मलकानी जी का बुलावा आ गया। उन्होंने पूछा, 'तुम साहनी जी के कमरे में गये थे।' मैंने कहा, 'हां, उन्होंने बुलाया और मैं चला गया।' मलकानी जी ने कहा, 'वैसे मिलने जाने में कोई बात नहीं है, पर यहां तुम सम्पादक हो और वे महाप्रबंधक। यह सम्पादक पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है कि तुम महाप्रबंधक के बुलाने पर उनके कमरे में जाओ।' सम्पादक पद के शिष्टाचार की इस मर्यादा को मैं जानता नहीं था। मैंने मलकानी जी को साहनी जी के कक्ष में जाते कभी नहीं देखा। हां, साहनी जी ही सहज भाव से उनके कक्ष में चले जाते थे। जबकि संघ के कार्यकर्त्ता होने के कारण दोनों घनिष्ठ मित्र थे, बड़े प्रेमपूर्वक एक-दूसरे से मिलते- बतलाते। पर भारत प्रकाशन कार्यालय में साहनी जी ने इस मर्यादा का कभी उल्लंघन नहीं किया, उसे झूठी प्रशंसा का विषय नहीं बनाया।

सिद्धांतों पर अडिग

रावलपिंडी (अब पाकिस्तान) में 1927 में जन्मे साहनी जी 1947 में संघ के प्रचारक बनकर जम्मू-कश्मीर प्रांत में भेजे गये। जम्मू-कश्मीर राज्य का मीरपुर क्षेत्र, जो इस समय पाकिस्तान के कब्जे में है, उनका पहला कार्यक्षेत्र बना। कश्मीर पर पाकिस्तान की कबाइली फौज के आक्रमण को उन्होंने झेला, कश्मीर के भारत में विलय के वे साक्षी बने। कश्मीर से उनका कार्यक्षेत्र हरियाणा के गुड़गांव जिले को बनाया गया, और संभवत: 1957 में उन्हें दिल्ली में भारतीय जनसंघ का संगठन मंत्री बनाकर भेजा गया। 19 अप्रैल 1959 से 5 अप्रैल, 1960 तक वे दिल्ली के महापौर रहे। 1967 में साहनी जी ने परिषद् की स्थायी समिति के अध्यक्ष पद का भार संभाला। साथ ही वे भारत प्रकाशन के मानद महाप्रबंधक का दायित्व भी संभाल रहे थे। आगे चलकर 10 अप्रैल्, 1972 से 28 फरवरी, 1975 तक उन्होंने दिल्ली के महापौर पद को भी सुशोभित किया। इन सब दायित्वों को संभालते हुए भी उनकी छवि एक अत्यंत आदर्शवादी और सिद्धांतनिष्ठ प्रशासक की बनी। उनकी इस कठोर आदर्शवादिता के कारण कुछ लोगों ने उनका नामकरण ही 'नियमानुसार' या 'मि.उचित' कर दिया था, क्योंकि वे प्रत्येक फाइल पर लिख देते थे, 'नियमानुसार उचित कार्रवाई की जाए।' किन्तु उपहास एवं व्यंग्य के वातावरण में भी उन्होंने सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए अपने व्यवहार को नहीं बदला।

उनके बारे में उस काल के कुछ संस्मरण मुझे अब तक स्मरण हैं। आपातकाल में तिहाड़ जेल में हमारे साथ बंद एक प्रोफेसर कहा करते थे कि साहनी जी से आप कोई गलत काम नहीं करा सकते, जबकि जिस प्रशासन तंत्र के वे अंग हैं, वह पूरी तरह भ्रष्ट है। उन प्रोफेसर महोदय ने हम लोगों को बताया कि महानगर निगम में किसी निचले पद के लिए भर्ती होनी थी। उसके लिए लिखित परीक्षा ली गयी। मेरा एक परिचित आर्थिक दृष्टि से दुर्बल था और महापौर साहनी जी से मुझे सिफारिश करने का आग्रह कर रहा था। उसके बहुत कहने पर मैं साहनी जी से मिला। उन्होंने कहा कि परीक्षा हो चुकी है, परीक्षा सीलबंद अलमारी में कैद है। उसमें कोई छेड़खानी संभव ही नहीं है। साहनी जी के इस कथन के बाद मैं चुप हो गया। पर कुछ दिन बाद उस परीक्षार्थी ने मुझे बताया कि उसका काम बन गया है। मैं आश्चर्यचकित रह गया कि सीलबंद अलमारी के भीतर उसका काम कैसे हो गया। थोड़ी खोजबीन करने पर पता चला कि नगर निगम के एक कर्मचारी ने 'डुप्लीकेट' व्यवस्था कर रखी थी, क्योंकि यह उसकी आमदनी का जरिया था। यह घटना सुनाते समय उन प्रोफेसर महोदय ने साहनी जी के आदर्शवाद की प्रशंसा करने के बजाय उन पर 'निरुपयोगिता व प्रभावहीनता' का आरोप लगाया।

भ्रष्ट तंत्र में आदर्शवाद के प्रतीक

ऐसा ही एक दूसरा अनुभव मुझे (स्व.) वैद्य गुरूदत्त के सुपुत्र (स्व.) योगेन्द्र से सुनने को मिला। उन दिनों मैं पंजाबी बाग में रहता था और वैद्य जी का परिवार मेरा पड़ोसी था। एक दिन योगेन्द्र जी हमारे यहां बैठे थे कि साहनी जी की चर्चा आ गयी। योगेन्द्र जी ने बताया कि पंजाबी बाग के आर्य समाज भवन का नक्शा पास नहीं हो रहा था। एक दिन कुछ प्रमुख आर्य समाजी नेता एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर साहनी जी के पास गये। साहनी जी उन दिनों महापौर पद पर आसीन थे और स्वयं भी आर्य समाजी परिवार में जन्मे थे। सबको विश्वास था कि साहनी जी कोई न कोई मार्ग अवश्य निकाल कर हमारी मदद करेंगे। उन्होंने हमारा बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया और अपने कमरे में बैठाया, चाय-पानी मंगाया। हमने अपनी समस्या बतायी तो उन्होंने चीफ इंजीनियर को तुरंत बुला लिया। चीफ इंजीनियर को हमने अपनी समस्या बतायी, उसने बड़ी विनम्रता से कहा कि मुझे अपना नक्शा दे दीजिए मैं अपने कमरे में जाकर उसका अध्ययन करता हूं कि क्या हल निकाला जा सकता है। थोड़ी देर बाद वे वापस आये और बोले कि बाकी तो पूरा नक्शा ठीक है केवल इस एक जगह पर मामला अटक रहा है, यदि इसे आप बदल दें तो हम इसे पास कर देंगे। हमने कहा कि इस बाधा के कारण ही तो हम यहां तक आये हैं, यदि यह आपको स्वीकार्य नहीं है तो हम चलते हैं। साहनी जी ने स्वयं को बड़ी असहाय स्थिति में पाया। हालांकि उन्होंने अपनी ओर से पूरा ध्यान दिया था, पर हम निराश होकर वहां से चल दिये। बरामदे में एक वरिष्ठ सदस्य (एल्डरमैन) उनके कमरे के बाहर खड़े थे। उन्होंने हम लोगों को देखते ही तपाक से कहा, 'अरे महाशयों की यह मंडली आज यहां क्यों आयी है?' हमने उन्हें अपनी समस्या बतायी। उन्होंने नक्शे को ध्यान से देखा और बोले कि इसे यहीं छोड़ जाओ। मैं भी कोशिश करके देखता हूं। कुछ दिन बाद उनका फोन आया कि तुम्हारा काम हो गया है, आकर अपना नक्शा ले जाओ, हम लोग आश्चर्यचकित थे कि जो काम महापौर होते हुए भी साहनी जी नहीं करा पाये उसे उन सज्जन ने कैसे करा दिया। उनसे मिले तो उन्होंने कहा कि इसके लिए चीफ इंजीनियर के पास जाना ही नहीं पड़ा, क्लर्क के स्तर पर ही काम बन गया। यह दूसरा उदाहरण था एक सिद्धांतवादी, आदर्शनिष्ठ नेता के भ्रष्ट प्रशासन तंत्र में अपने को असफल पाने का।

सिद्धांतनिष्ठ होना कठिन कार्य

शायद यही कारण है कि 1977 के अलावा वे कभी चुनाव मैदान में प्रत्यक्ष नहीं उतरे, क्योंकि उनकी 'मि.उचित' और 'नियमानुसार कार्य करें' की छवि चुनाव युद्ध में उनके विरुद्ध चली जाती थी। किन्तु यह सब जानकर भी साहनी जी कभी अपने पथ से विचलित नहीं हुए। ऐसा ही एक अनुभव मुझे व्यक्तिश: आया। दिल्ली विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर से मेरा घनिष्ठ पारिवारिक संबंध था। उनकी पत्नी दिल्ली प्रशासन में पीजीटी श्रेणी की शिक्षिका थीं और प्रधानाचार्य पद पर पहुंच गयी थीं। उनका स्थानांतरण दिल्ली शहर से बहुत दूर कर दिया गया था, जहां से आने-जाने में उन्हें बहुत कठिनाई हो रही थी। उन मित्र ने मेरी सहायता मांगी। हम दोनों साहनी जी के कार्यालय गये। साहनी जी उस समय मुख्य कार्यकारी पार्षद अर्थात मुख्यमंत्री पद पर आसीन थे। साहनी जी को 'भेंट पर्ची' भेजी तो उन्होंने अपने व्यक्तिगत कक्ष में हमें बैठाया, चाय-काफी भिजवा दी और आगंतुकों को विदाकर हमारे पास आये। हमने पूरी समस्या उनके सामने रखी। उन्होंने बहुत सहानुभूतिपूर्वक सुनकर कहा कि नियुक्ति और स्थानांतरण के सब नियम मैंने अपनी देखरेख में बनवाये, क्योंकि उसमें बहुत हेराफेरी होती है। अत: मैं अपने बनाये नियमों का स्वयं ही कैसे उल्लंघन कर सकता हूं। पर, उन नियमों का उल्लंघन हो रहा है। इसका उदाहरण देते हुए स्वयं साहनी जी ने बताया कि मलकानी जी अमरीकी सूचना विभाग के किसी अधिकारी की पत्नी के स्थानांतरण का मामला लेकर मेरे पास आये थे। मैंने अपनी विवशता बतायी। मलकानी जी स्वयं भी बहुत सिद्धांतवादी थे, इसलिए संतुष्ट होकर चले गये। किन्तु एक सप्ताह बाद उनका फोन आया कि, 'साहनी यू हैव लेट मी डाउन' (साहनी तुमने मुझे शर्मिदा कर दिया है)। मैं चौंक गया। पता चला कि वह स्थानांतरण हो भी गया है। मैंने स्थानांतरण मामलों के प्रमुख उपनिदेशक को बुलाकर पूछा कि क्या यह स्थानांतरण आपने किया है? उसने सकुचाते हुए कहा कि 'हां।' मैंने कहा कि 'क्यों किया?' उसने कहा कि 'मुझ पर दबाव था।' मैंने पूछा 'किसका?' वह यह नाम बताने को तैयार नहीं था। मैंने धमकी दी कि मैं यह मामला जांच शाखा को सौंप दूंगा। तब वह घबरा गया। उसने कहा कि यदि मुझे अभयदान दें तो मैं बता देता हूं। फिर उसने बताया कि मुझ पर दिल्ली प्रशासन के मुख्य सचिव का दबाब था और मेरी नौकरी तो आपके नहीं, उनके अधिकार में है, इसलिए मुझे उनके आदेश का पालन करना पड़ा। मैंने पूछा कि उनका आदेश मौखिक था या लिखित? तब वह ढूंढकर मुख्य सचिव के हाथ की लिखीं पर्ची ढूंढ लाया। यह घटना बताकर साहनी जी ने स्पष्ट किया कि हम जिस प्रशासन तंत्र के अंग हैं, वह ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट है। उसमें सिद्धांतनिष्ठ रहना बहुत जोखिम भरा काम है।

कमल सरीखा व्यक्तित्व

पर ऐसे तंत्र में भी साहनी जी अलोकप्रियता का जोखिम उठाकर अपने आदर्शों पर अटल रहे। सिक्किम और गोवा के राज्यपाल पदों पर पहुंचकर भी उन्होंने वैभव प्रदर्शन को अपने पास नहीं फटकने दिया। उन दिनों भी उनके सुंदर हस्तलेख में लिखे पत्र मुझे प्राप्त हुए, जिसमें उन्होंने मुझे पहले सिक्किम और फिर गोवा आने का निमंत्रण दिया। पर उनकी आदर्शवादी प्रवृत्तियों से परिचित होकर उनका निमंत्रण स्वीकार करने का साहस मैं नहीं बटोर पाया। 1990 में कश्मीरी पंडितों के सामूहिक निष्कासन से उत्पन्न विषम स्थिति में हमने दीनदयाल शोध संस्थान में कश्मीरी बुद्धिजीवियों एवं सामाजिक कार्यकर्त्ताओं का एक सांझा 'कश्मीर बचाओ मंच' खड़ा किया। कश्मीर की स्थिति से परिचित होने के कारण साहनी जी का सहयोग मांगा तो वे उसकी प्रत्येक बैठक में आये और कश्मीरी बंधुओं से उन्होंने दो टूक बातें की। साहनी जी उनसे पूछते थे कि आपमें से कितने लोग कश्मीर घाटी में जाकर बसने को तैयार हैं? तब वे एक-दूसरे के मुंह ताकते, क्योंकि उस स्थिति में कश्मीर घाटी जाने का अर्थ होता अपने विनाश को निमंत्रण देना।

समय पालन साहनी जी का पर्याय बन गया था। भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय में वे ठीक 3 बजे पहुंचते थे और 5 बजे तक बैठते थे। साहनी जी का सुंदर-सधा हुआ हस्तलेख उनके अंदर की पवित्रता व संतुलित वृत्ति को प्रतिबिम्बित करता था। वे बाहर से जितने सौम्य और मृदु थे, अपने भीतर अपने आदर्शों व सिद्धांतों के प्रति उतने ही कठोर। मेरे एक मित्र श्री भोलानाथ विज ने 'चौपाल' नामक संस्था के माध्यम से गरीब और बेसहारा परिवारों को आर्थिक सहायता का एक अभिनव उपक्रम आरंभ किया था तो साहनी जी ने उसके संरक्षक होने का दायित्व सहर्ष संभाला। मेरी उनसे अंतिम भेंट श्री बालेश्वर अग्रवाल के 90वीं वर्षगांठ समारोह में हुई, तब उन्होंने बड़ी सरलता से अपने कुछ अनुभव बताये कि प्रत्येक कार्यक्रम में समय पर पहुंचने का दंड भी उन्हें भोगना पड़ता था। वस्तुत: भारत की कीचड़ भरी राजनीति में वे कमल के समान खिले और खिले ही रहे। ऐसे विरले आदर्श पुरुष के प्रति विनम्र श्रद्धाञ्जलि।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

शुभांशु की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की अंतरिक्ष रणनीति का नया युग : ‘स्पेस लीडर’ बनने की दिशा में अग्रसर भारत

सीएम धामी का पर्यटन से रोजगार पर फोकस, कहा- ‘मुझे पर्यटन में रोजगार की बढ़ती संख्या चाहिए’

बांग्लादेश से घुसपैठ : धुबरी रहा घुसपैठियों की पसंद, कांग्रेस ने दिया राजनीतिक संरक्षण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies