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राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन की अस्थियां 25 सितंबर को हरिद्वार स्थित हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुण्ड में प्रवाहित कर दी गईं। श्री सुदर्शन का विगत 15 सितंबर को रायपुर में निधन हो गया था और 17 सितंबर को उनका अंतिम संस्कार नागपुर में हुआ।
गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने से एक दिन पूर्व (24 सितम्बर) हरिद्वार के सेवा समिति भवन में विशाल श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। हरिद्वार के शिक्षाविद्, संत-महात्मा एवं स्वंयसेवकों ने श्री सुदर्शन के अस्थिकलश: पर पुष्प अर्पित कर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दी। हजारांे स्वयंसेवकों से भरे सेवा समिति भवन के हाल में संतों की भारी उपस्थिति ने यह अहसास कराया कि हरिद्वार के संतों में श्री सुदर्शन के प्रति अगाध श्रद्धा है। किसी ने उन्हें महामानव, तो किसी ने युगपुरुष बताया।
भारतमाता मन्दिर के संस्थापक एवं निवर्तमान शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि ने कहा कि श्री सुदर्शन का जीवन भारतीय सभ्यता संस्कृति में श्रद्धा रखने वाले हर मानव के लिए प्रेरणादायी है। राष्ट्र कार्य के लिए समर्पण का भाव उनमें कूट-कूटकर भरा था। उन्होंने श्री सुदर्शन को महामानव की संज्ञा देते हुए कहा कि वास्तविक अर्थों में वह त्याग-तपस्या की प्रतिमूर्ति थे।
योगगुरु स्वामी रामदेव भी श्री सुदर्शन को श्रद्वांजलि अर्पित करने पहुंचे। स्वामी रामदेव ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि श्री सुदर्शन ने अपने चरित्र और समर्पण से राष्ट्र को सिंचित करने का कार्य किया। ऐसे महापुरुषों की तपस्या के कारण ही धर्म, राष्ट्र तथा भारतीय संस्कृति जिंदा है। उन्होंने कहा कि उनका चिंतन महान था। वे युग पुरुष थे। उनके प्रशंसकों में विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल थे। उन्होंने जीवनपर्यन्त देश में राष्ट्रवाद का नारा बुलंद किया।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने भी स्व. सुदर्शन जी के अनेक संस्मरणों को साझा किया। श्रद्धांजलि सभा को पूर्व केन्दीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानन्द, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केन्द्रीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री मधुभाई कुलकर्णी, सह प्रांत प्रचारक डा. हरीश, प्रांत प्रचारक श्री महेन्द्र, स्वामी देवानन्द एवं महंत ज्ञानदास ने भी संबोधित किया।
25 सितम्बर की प्रात: 7 बजे निष्काम सेवा ट्रस्ट हरिद्वार से अस्थि कलश लेकर श्री रवीन्द्र, दिल्ली प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता डा. हर्षवर्धन, विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली के प्रदेश संगठन मंत्री श्री करुणा प्रकाश, क्षेत्र प्रचारक श्री शिवप्रकाश, प्रांत प्रचारक श्री महेन्द्र, विभाग प्रचारक श्री पवन गड़कोटी हरकी पैड़ी पहुंचे। हरकी पैड़ी पर पहले से ही स्वयंसेवकों का भारी हुजूम मौजूद था।
हरकी पैड़ी पर गंगा सभा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम शर्मा, महामंत्री श्री श्रीकांत वशिष्ठ के तत्वावधान में पंडित नवीन त्रिपाठी ने पूजा-अर्चना के बाद अस्थि विसर्जन का कार्य सम्पन्न कराया। इस बीच कार्यकर्ताओं ने 'भारतमाता की जय, सुदर्शन जी अमर रहंे' के साथ गगनभेदी नारे लगाये। इस अवसर पर नगर विधायक श्री मदन कौशिक, राज्यसभा सांसद श्री भगत सिंह कोश्यारी, विधायक श्री आदेश चौहान, श्री चन्द्रशेखर, सह प्रांत कार्यवाह श्री लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल, वरिष्ठ पत्रकार शिवशंकर जायसवाल, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के श्री आशीष गौतम ने श्रद्धासुमन अर्पित किये। मनोज गहतोड़ी
देश के बाहर भी याद किए गए श्री सुदर्शन
भारत के बाहर भी जहां-जहां संघ का कार्य है, वहां श्री सुदर्शन की स्मृति में श्रद्धांजलि कार्यक्रम हो रहे हैं। भारत के बाहर से आए कुछ श्रद्धांजलि संदेशों के अंशों को यहां प्रकाशित किया जा रहा है।
हिन्दू स्वयंसेवक संघ, इंग्लैंड के संघचालक श्री धीरज डी शाह द्वारा जारी संदेश में कहा गया है कि श्री सुदर्शन का जाना हम सबके लिए गहरा आघात है। उनका जीवन प्रेरणादायी है, सबको उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
हिन्दू स्वयंसेवक संघ, अमरीका द्वारा जारी संदेश में कहा गया है कि श्री सुदर्शन एक श्रेष्ठ व्यक्ति थे, भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
सनातन धर्म स्वयंसेवक संघ के संघचालक श्री बजरंग लाल शर्मा द्वारा जारी संदेश में कहा गया है कि सुदर्शन जी का जाना हिन्दू समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
रा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं विश्व विभाग के पूर्व संयोजक डा. शंकरराव तत्ववादी ने अपने संदेश में कहा कि श्री सुदर्शन की मृत्यु का समाचार हम सबके लिए दुख भरा है।
कनाडा से जारी श्री जे.सी. शारदा ने अपने संदेश में कहा है कि श्री सुदर्शन ने अपने जीवन काल में हजारों लोगों को संघ कार्य के लिए प्रेरित किया एवं उन्हें स्वयंसेवक बनाया।
आस्ट्रेलिया में 16 सितंबर को श्री सुदर्शन की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में एकत्रित लोगों ने 2 मिनट का मौन रखा। प्रतिनिधि
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