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मजहबी उन्माद से उठते सवाल!

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Oct 1, 2012, 12:00 am IST
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मजहबी उन्माद से उठते सवाल!

दिंनाक: 01 Oct 2012 11:40:13

मनमोहन शर्मा

गत एक वर्ष से देश के विभिन्न भागों में सांप्रदायिक दंगों की ज्वाला भड़काने की साजिश चल रही है। सुरक्षा एजंेसियों की राय है कि पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आई.एस.आई. भारत में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के लिए इन सांप्रदायिक दंगों को भड़का रही है। खास बात यह है कि इन सांप्रदायिक दंगों की ज्वाला को भड़काने के लिए मजहबी बहानों का सहारा लिया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि पंजाब में आतंकवाद की ज्वाला भड़काने के लिए भी पाकिस्तानी एजेंट इन्हीं हथकंडों का सहारा लिया करते थे। अब जम्मू-कश्मीर में भी विदेशी एजेंट इस्लाम के नाम पर लोगों में मजहबी उन्माद भड़काने का काम कर रहे हैं। पाकिस्तान तीन कारणों से भारत में सांप्रदायिक दंगों की आग भड़काने में रुचि ले रहा है। पहला कारण तो यह है कि पाकिस्तान में जिस तरह से शिया-सुन्नी दंगे तेजी से भड़क रहे हैं उनसे पाकिस्तानी जनता का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान भारत में सांप्रदायिक हिंसा की ज्वाला भड़काना चाहता है। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान से अल्पसंख्यक हिंदू अपनी जान बचाने के लिए जिस तरह से पलायन करने पर विवश हो रहे हैं उसके कारण विश्व भर में पाकिस्तान की बहुत बदनामी हो रही है। इसलिए भारत में होने वाले सांप्रदायिक दंगों के बारे में विश्व मंच पर पाकिस्तान दुष्प्रचार करके उसका राजनीतिक लाभ उठाना चाहता है।

सोची–समझी साजिश

पिछले दिनों गाजियाबाद जिले के मसूरी में हुए दंगों के पीछे विदेशी हाथ होने के बारे में जांच एजेंसियां पुष्टि कर रही हैं। 14 सितंबर के दिन एक रेलगाड़ी से कुरान के फटे हुए पृष्ठों के फेंके जाने की घटना की आड़ लेकर जिस तरह से इस क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा की ज्वाला भड़काई गई है उसे नजरअंदाज करना खतरनाक होगा। कुरान के इन फटे हुए पृष्ठों को किसने सबसे पहले देखा था, इसके बारे में भिन्न-भिन्न दावे किए जा रहे हैं। कहा जाता है कि कुरान के फटे पृष्ठों पर अपशब्द लिखे हुए थे और उसके साथ ही एक मोबाइल नम्बर भी लिखा था। वैसे, कोई पागल ही होगा जो कुरान का कथित अपमान करने के साथ ही उस पर अपना मोबाइल नंबर भी लिख देगा। मगर इस मामले में कुछ शरारती लोग इन पृष्ठों को रफीकाबाद मस्जिद के इमाम के पास ले गए और उन पर इस बात के लिए दबाव डाला कि वे इन पृष्ठों को मसूरी थाने में ले जाएं। खास बात यह है कि जब मसूरी थाने पर उत्तेजित भीड़ ने हमला किया तो कुरान के पृष्ठ इमाम तक पहुंचाने वाले लोग वहां से रहस्यमय ढंग से गायब हो गए। किसी को नहीं पता कि भड़काने वाले ये लोग कौन थे? इसके बाद इमाम और उनके साथ आए लोगों ने दोषी व्यक्तियों को फौरन गिरफ्तार करने की मांग की। थानाध्यक्ष ने दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया। मगर इससे लोग संतुष्ट नहीं हुए और हजारों लोगों की भीड़ ने थाने को चारों तरफ से घेर कर आग लगा दी।

मेरठ परिमंडल के उपमहानिरीक्षक जकी अहमद का कहना है कि ये दंगे पूर्व नियोजित थे। गांव वालों को भड़काने के लिए लाउडस्पीकरों से अत्यंत उत्तेजित भाषण दिए गए। थाने पर जिस भीड़ ने हमला किया वह तेज धार हथियारों और विस्फोटकों से लैस बताई जाती है। पुलिस वालों ने खुद को एक कमरे में बंद करके अपनी जान बचाई। भीड़ की गुंडागर्दी के साक्ष्य दर्जनों वाहन जली हुई हालत में थाने के भीतर पड़े हुए हैं। थाने की इमारत दंगाइयों की गोलियों से छलनी दिखाई देती है। पुलिस वालों ने अपनी जान बचाने के लिए गोलियां चलाईं जिसमें सात व्यक्ति मारे गए।

पीपलेदा गांव वालों ने इस बात की पुष्टि की है कि कुरान के कथित अपमान की सूचना उन्हें मस्जिद के लाउडस्पीकर से दी गई थी। उनका यह भी कहना है कि बुजुर्गों ने किशोरों और युवकों को समझाने का हरसंभव प्रयास किया था। मगर भीड़ में शामिल कुछ अज्ञात लोग उन्हें 'कुरान के अपमान का बदला' लेने के लिए खुलेआम उकसा रहे थे। इसके बाद भीड़ ने हापुड़ जाने वाली सड़क को घेर लिया। उन्होंने मकानों और दुकानों में लूटपाट शुरू कर दी। सड़क पर वाहनों को भी निशाना बनाया। उनमें सवार महिलाओं और पुरुषों को लूट लिया और उनसे मारपीट करने के बाद वाहनों को आग लगा दी।

सपाई तुष्टीकरण नीति

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने थानाध्यक्ष एवं गुप्तचर विभाग के दो अन्य अधिकारियों को बिना किसी जांच के निलंबित कर दिया। अपने मुस्लिम वोट बैंक को पुख्ता करने के लिए मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव ने मजहबी आग भड़काते हुए मारे गए लोगों के परिवारजन को पांच-पांच लाख रु. के चेक भेंट करने के लिए विशेष समारोह का आयोजन कर डाला। मगर इतने से मुस्लिम नेता संतुष्ट नहीं हुए। उनकी मांग है कि सभी अधिकारियों को फौरन निलंबित किया जाए, मृतकों के परिवारजन को बीस-बीस लाख रुपए दिए जाएं और इस घटना की न्यायिक जांच करवाई जाए।

आतंकियों की जमात

इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि मसूरी और उसके आसपास का इलाका पाकिस्तानी आतंकवादियों का शुरू से ही गढ़ रहा है। इस क्षेत्र में तब्लीगी जमात का भारी प्रभाव है। इस कट्टरवादी संगठन की डोर विदेशों से जुड़ी हुई है। जहां तक पाकिस्तानी आतंकवादियों के इस क्षेत्र से तार जुड़े होने का संबंध है तो इस बारे में 1993 में कश्मीर में चार विदेशी नागरिकों के अपहरण की घटना का उल्लेख करना जरूरी है। उस अपहरण कांड में ब्रिटिश मूल के एक आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ में मिली जानकारी के बाद एक अपहृत अमरीकी नागरिक को इसी मसूरी गांव के एक तहखाने से जंजीरों में जकड़े हुए बरामद किया गया था। इस अभियान में पाकिस्तानी आतंकवादियों से पुलिस की खूनी झड़प हुई थी, जिसमें साहिबाबाद थाने के थानाध्यक्ष ध्रुवलाल यादव और एक सिपाही विजेन्द्र शहीद हो गए थे। शेष तीन विदेशी पर्यटक सहारनपुर से बरामद किए गए थे। इस संबंध में एक दर्जन पाकिस्तानी उग्रवादी पकड़े गए थे।

लश्करे तोयबा का डिप्टी कमांडर अब्दुल करीम टुंडा भी इसी क्षेत्र का रहने वाला है। उस पर देश के एक दर्जन नगरों में बम विस्फोट करने का आरोप है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार करने का प्रयास किया था तो उस मुठभेड़ में तीन पाकिस्तानी आतंकवादी और चार पुलिस वाले मारे गए थे। मगर टुंडा पुलिस के चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा। इन दिनों वह पाकिस्तान में है। पाकिस्तान के इशारे पर बनी एक अन्य आतंकवादी तंजीम इस्लाम उल मुसलमीन का संस्थापक आजम गोरी भी इसी गांव का रहने वाला है। इससे साफ है कि इस क्षेत्र के तार पाकिस्तानी आतंकवादियों से जुड़े रहे हैं। हाल में ही थाने पर हुए हमले के पीछे भी पाकिस्तानी एजेंटों के हाथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश में कोसी कलां, बरेली, मुजफ्फरनगर, प्रतापगढ़ आदि जगहों पर मजहबी उन्माद भड़क चुके हैं। खास बात यह है कि इन सभी दंगों की शुरुआत मजहबी उन्मादियों द्वारा की गई। मिल्ली काउंसिल के नेता अमीर खां का आरोप है कि उत्तर प्रदेश में कम से कम 20 अन्य जगहों पर भी कुरान और मस्जिदों के 'अपमान' के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का प्रयास हुआ है। मगर प्रशासन और जनता ने समझदारी से काम लेकर स्थिति को संभाल लिया और मामला नहीं बिगड़ा।

गत दिनों असम और म्यांमार में हुए मजहबी दंगों के मामलों को लेकर विरोध प्रदर्शन की आड़ में भी देश भर में सांप्रदायिक दंगों की ज्वाला भड़काने का सुनियोजित प्रयास हुआ था। देशभर में मुस्लिमों में उन्माद भड़काने का यह सुनियोजित षड्यंत्र पाकिस्तानी आईएसआई भारत में मौजूद अपने हस्तकों के जरिए रच रही है। उ.प्र. में तो सपा सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति आग में घी का काम कर रही है। केन्द्र सरकार सब जानती है, पर वोट राजनीति उसके हाथ बांधे हुए है।

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