गोरक्षपीठ से गूंजा हिंदुत्व का शंखनाद
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गोरक्षपीठ से गूंजा हिंदुत्व का शंखनाद
गोरखपुर से सुभाष चंद्र सिंह
'राष्ट्रीयता के अनन्य साधक अवैद्यनाथ' पुस्तक का लोकार्पण हमें फर्जी धर्मनिरपेक्षता की जरूरत नहीं : सिंहल आडवाणी ने जताई श्रीराम मंदिर के शीघ्र निर्माण की इच्छा
उस दिन गोरखपुर और उसके आसपास का माहौल 1990 के दशक के राष्ट्रवादी ज्वार की याद दिला रहा था। अवसर था गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ पर केंद्रित पुस्तक 'राष्ट्रीयता के अनन्य साधक महंत अवैद्यनाथ' के लोकार्पण का। स्थान था गोरक्षनाथ मंदिर परिसर स्थित महंत दिग्विजयनाथ सभागार। मंच पर थे श्री
लालकृष्ण आडवाणी और राम मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष श्री अशोक सिंहल, उस समय आंदोलन के प्राणतत्व रहे महंत अवैद्यनाथ।
इनके समन्वय और सहयोग से उस समय का राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश हिंदुत्वमय हो गया था। 20 साल बाद इन तीनों का एक खास अवसर पर मंच पर होना केवल संयोग नहीं है। इन तीनों की उपस्थिति में गोरखपुर की धरती पर गूंजा हिंदुत्व का शंखनाथ राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में फिर वैसा ही परिवर्तन ला सकता है जैसा 1990 के दशक में हुआ था। विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक अशोक सिंहल ने इस ओर संकेत भी किया कि 2014 के लोकसभा के चुनाव के बाद ऐसी संसद का गठन होगा जो राम मंदिर के निर्माण के लिए कानून बनाने में सक्षम होगी।
पूर्वान्ह 11 बजे से लेकर अपरान्ह तीन बजे तक चले लोकार्पण समारोह में जय श्रीराम और भारत माता के उद्घोषों के बीच लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि 21वीं सदी भारत की है। इसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए हमें अपनी शक्ति के मूल स्रोत हिंदुत्व को पहचानना होगा। तभी तो हम स्वामी विवेकानंद की तरह पूरी दुनिया को बता सकेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम हमारे प्रेरणास्रोत हैं। अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ ही रामराज्य जैसी राजसत्ता की भी आवश्यकता है। राम मंदिर हमारी प्ररेणा का स्रोत होगा। मेरी इच्छा है कि भव्य राम मंदिर बने, वह भी महंत अवैद्यनाथ और अशोक सिंहल के जीवनकाल में ही। उन्होंने एक देश में दो विधान की आलोचना करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हर हाल में खत्म होनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि जीवन में मैं कई समारोहों में गया हूं लेकिन मंचासीन अतिथियों, प्रतिबद्ध श्रोेताओं और पवित्र स्थान के आधार पर मैं कह सकता हूं कि यकीनन यह मेरे जीवन का यादगार समारोह हैं।
इस अवसर पर खास रूप से पधारे स्वामी रामानुजाचार्य पुरुषोत्तमाचार्य ने कहा कि हिंदुत्व की रक्षा के लिए महंत अवैद्यनाथ ने देश को योगी आदित्यनाथ जैसा समतुल्य व्यक्तित्व दिया है। उन्होंने कहा कि देश में हिंदुत्व की धार तेज करनी ही होगी। पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि देश में हिंदुत्व की धारा का तेज प्रवाह हुए बिना राजनीति का राष्ट्रीयकरण नहीं होगा। उन्होंने महंत अवैद्यनाथ पर पुस्तक के लोकार्पण समारोह को अद्भुत क्षण बताया। नेपाल से आए जनरल भरत केसर ने कहा कि नेपाल पर सदा गोरक्षपीठ का आशीर्वाद रहा है। जब भी नेपाल पर कोई संकट आता है तो पीठाधीश्वर अवैद्यनाथ और उनके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ देश और दुनिया में उसकी आवाज उठाते हैं। विहिप के संरक्षक अशोक सिंहल ने देश में राष्ट्रविरोधी ताकतों के मनोबल में वृद्धि का कारण सेकुरलवाद को बताया। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व ही पंथ-निरपेक्षता है। यही हमारी पहचान है। हमें फर्जी धर्मनिरपेक्षता की जरूरत नहीं है। जब तक यह रहेगी, हिंदुत्व अपमानित होता रहेगा। बाहर से जो भी आया, हमने उसे गले लगाया। लेकिन आज हालात बदल गए हैं। हिंदू हर जगह से भगाया जा रहा है। क्या हम भगोड़े होकर रहेंगे। क्या हमारा कोई अस्तित्व नहीं है। कार्यक्रम को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र, महामंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व सांसद राम विलासदास वेदांती, अयोध्या के दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास ने भी संबोधित किया।
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