करोड़ों लोगों की
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

करोड़ों लोगों की

by
Sep 29, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

करोड़ों लोगों की बर्बादी का फैसला

दिंनाक: 29 Sep 2012 13:38:54

खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश

बर्बादी का फैसला 

एक बार फिर  सरकार ने  'मल्टी ब्रांड' खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को अनुमति देने की घोषणा कर दी। एक बार फिर से देश में इस मुद्दे पर बवाल मच गया है। 20 सितम्बर को कांग्रेस और उसके कुछ सहयोगी दलों को छोड़कर वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी सहित लगभग सभी गैर कांग्रेसी दलों एवं व्यापारी, किसान और मजदूर संगठनों ने भारत बंद में हिस्सा लिया। तृणमूल कांग्रेस ने अपना समर्थन भी सरकार से वापस ले लिया। ऐसे में स्पष्ट है कि यह निर्णय सरकार में प्रमुख दल कांग्रेस पार्टी का ही है और इसमें इस फैसले से प्रभावित होने वाले पक्षों और सरकार में शामिल अन्य राजनीतिक दलों से कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है।

तब भी हुआ था विरोध

केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 24 नवंबर 2011 को यह फैसला किया गया था कि 'मल्टी ब्रांड' खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत विदेशी निवेश को अनुमति दे दी जायेगी। साथ ही पूर्व में 'सिंगल ब्रांड' खुदरा क्षेत्र में दी गई अनुमति को बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया जायेगा। तब संसद का सत्र चल रहा था, लेकिन इस मुद्दे पर तीखे विरोध के चलते 10 दिन तक संसद नहीं चल पाई। व्यापारी, किसान एवं मजदूर संगठनों के साथ विपक्षी दलों ने तो विरोध किया ही, सरकार के अपने घटक दलों ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के भारी विरोध के चलते सरकार को 'मल्टी ब्रांड' में 51 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति के अपने फैसले से  पैर खींचने पड़े। लेकिन सरकार की ओर से लगातार यह बयान आता रहा था कि विभिन्न पक्षों को मनाकर इस फैसले को पुन: लागू करवाया जायेगा।

विदेशी कंपनियों के लिए देश के खुदरा बाजार को खोल देने का सरकार का यह फैसला देश में बहुसंख्यक लोगों की बर्बादी का फैसला है। यह केवल खुदरा व्यापार में लगे करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर ही चोट नहीं है, करोड़ों छोटे-बड़े किसानों और छोटे-बड़े उद्योगों, सभी पर कहर ढाने वाला है।

एक क्षेत्र, जो 3.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और 1.7 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 14 प्रतिशत भाग अर्जित करता है और जिसके बाजार का आकार 20 लाख करोड़ से भी अधिक है, उसे सरकार द्वारा गैर जिम्मेदाराना तरीके से वालमार्ट और अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपने की तैयारी की जा रही है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली भारत सरकार आजकल केवल वालमार्ट, बड़ी कंपनियों और अमरीकी सरकार की बातें ही मान रही है। कुछ समय पहले वित्तमंत्री के सलाहकार कौशिक बसु ने अंतर-मंत्रालय समूह के प्रमुख के नाते यह तर्क दिया था कि खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को अनुमति देने से देश में महंगाई को रोका जा सकेगा। कुछ दिन पहले सचिवों की एक समिति ने भी खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत विदेशी पूंजी को अनुमति देने का प्रस्ताव करते हुए इसी तर्क का सहारा लिया है।

यदि इन सिफारिशों को ध्यानपूर्वक देखा जाए तो  साफ पता लगता है कि यह आदेश कहां से आ रहा है। वास्तव में वालमार्ट एवं अन्य बड़ी खुदरा कंपनियों, अन्तरराष्ट्रीय मुद्राकोष एवं अमरीकी सरकार द्वारा भाड़े पर लिए गए सलाहकारों की रपट से इन तर्कों को उठाया गया है। अन्तर-मंत्रालय समूह की सिफारिशों और अमरीकी सरकार के सुझावों में कोई अन्तर दिखाई नहीं देता।

हावी होतीं बहुराष्ट्रीय कम्पनियां

खुदरा व्यापार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश 1960 के दशक में हुआ था। केवल चार दशकों में ही दुनिया के खुदरा व्यापार पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने लगभग वर्चस्व स्थापित कर लिया। वालमार्ट, टेस्को, कैरी फोर और कई अन्य खुदरा व्यापार में संलग्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों का व्यवसाय कई देशों की राष्ट्रीय आय से भी अधिक पहुंच चुका है। आज अमरीका में 90 प्रतिशत, यूरोप में 80 प्रतिशत, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में 50 से 60 प्रतिशत और चीन में भी लगभग 30 प्रतिशत खुदरा व्यापार पर बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां काबिज हो चुकी हैं। इसके साथ ही इन देशों में अधिकतर छोटे खुदरा व्यापारी प्रतिस्पर्धा से ही बाहर हो चुके हैं। इसलिए व्यापारियों के लिए अस्तित्व का खतरा बना हुआ है।

एक ओर तो सरकार महंगाई रोकने में असफल सिद्ध हो रही है, तो दूसरी ओर इसी बात को खुदरा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को लाने के लिए तर्क के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि खुदरा क्षेत्र में वालमार्ट के आने से महंगाई कम हो जायेगी। बल्कि सच्चाई तो यह है कि भारत का खुदरा व्यापार, जो 20 लाख करोड़ रु. का है, आज मध्यम वर्ग की बढ़ती कमाई के कारण फल-फूल रहा है, यह अर्थव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। भारत में उद्यमशीलता को संरक्षण और बढ़ावा देने के बजाए सरकार अंतरराष्ट्रीय समझौते करते हुए उसे बेचने की तैयारी कर रही है। आज का विकेंद्रित खुदरा बाजार उपभोक्ताओं और उत्पादकों के लिए अत्यंत शुभकारी है। अगर बड़ी खुदरा कंपनियों को आने दिया जायेगा, तो वे न केवल उपभोक्ताओं बल्कि छोटे उत्पादकों एवं किसानों पर भी अपनी शर्तें लाद देंगी। शोध से यह सिद्ध हो चुका है कि भारत में छोटे दुकानदार अत्यधिक कम लागत पर अपना व्यापार चलाने में सक्षम हैं। यह तर्क कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलेगा, कहीं सिद्ध नहीं हुआ है। शेयर बाजार की तर्ज पर वस्तुओं का एम.सी.एक्स. बाजार शुरू करने में भी यही तर्क दिया गया था कि इससे किसानों को उचित मूल्य मिलेगा, जो एकदम गलत सिद्ध हुआ है।

बेकार के तर्क

हमें ध्यान रखना होगा कि खुदरा व्यापार के वर्तमान मॉडल को छेड़े जाने से देश में रोजगार एवं अर्थव्यवस्था पर भारी दुष्प्रभाव पड़ने वाला है।  कृषि में आज 60 प्रतिशत जनसंख्या संलग्न है। कृषि और अधिक लोगों को खपाने में सक्षम नहीं है। विनिर्माण क्षेत्र 21 प्रतिशत लोगों को रोजगार देता है और उसमें वृद्धि की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि पिछले कई वर्षों से अतिरिक्त क्षमता का निर्माण नहीं हो रहा। ऐसे में खुदरा क्षेत्र ही एकमात्र क्षेत्र है जहां सबसे अधिक रोजगार हैं। यह क्षेत्र भी बैंकों द्वारा ऋण न दिए जाने के कारण और बड़ी भारतीय कंपनियों द्वारा खुदरा में आने से पहले से ही दबाव में है।

भण्डारण एवं कोल्ड स्टोरेज ढांचे का तर्क दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार भण्डारण और कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं उपलब्ध कराने में अपनी कमी को भी विदेशी कंपनियों को लाने के लिए तर्क के रूप में उपयोग कर रही है। सरकार स्वयं अथवा निजी क्षेत्रों को भण्डारण एवं कोल्ड स्टोरेज उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित कर सकती थी। सरकार द्वारा जारी चर्चा पत्र में यह कहा गया था कि देश में भण्डारण एवं कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 7687 करोड़ रुपये की जरूरत है और यह निवेश विदेशी कंपनियां ही कर सकती हैं। यह तर्क बड़ा हास्यास्पद है। जब भारत सरकार का वार्षिक बजट 12 लाख करोड़ से भी अधिक है, तब मात्र 7687 करोड़ के लिए छोटे व्यापारियों की मौत का वारंट लिख  देना समझ से परे है।

सरकार का यह तर्क कि वर्तमान खुदरा व्यापारियों का नयी पद्धति में पुनर्वास हो सकेगा, हास्यास्पद है। छोटे व्यापारियों को नए 'माल्स' में किसी भी प्रकार से सम्मानपूर्वक रोजगार नहीं मिल सकता। सरकार यदि 'मल्टी ब्रांड' खुदरा व्यापार को खोलने की अनुमति देती है तो वह उसकी छोटे व्यापारियों, रेहड़ी-पटरी-खोमचा लगाने वाले करोड़ों गरीबों के प्रति संवेदनहीनता का परिचायक होगा।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा जारी रपट में यह बताया गया है कि देश में स्वरोजगार समाप्त हो रहा है। वर्ष 2004-05 और 2009-10 के बीच स्वरोजगार में 251 लाख की कमी हुई। जबकि उसका स्थान आकस्मिक यानी स्तर से नीचे रोजगार ने लिया। स्वरोजगार युक्त लोग जैसे- किसान, छोटे और कुटीर उद्योग चलाने वाले लोग तथा दुकानदारों की संख्या घटी है और आकस्मिक रोजगार का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। वेतनभोगी लोगों की संख्या भी पहले से कम तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2004-05 में ग्रामीण क्षेत्रों में जहां केवल 35 प्रतिशत श्रमिक आकस्मिक रोजगार वाले थे, वे बढ़कर 2009-10 में 38.6 प्रतिशत हो चुके हैं। लगभग यही स्थिति शहरी क्षेत्रों में भी है।

देश में मचेगी अफरा–तफरी

आकस्मिक रोजगार का प्रतिशत बढ़ने और स्वरोजगार के घटने की प्रवृत्ति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। कृषि, लघु और कुटीर उद्योग और व्यापार इत्यादि में स्वरोजगार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। खुदरा क्षेत्र में बड़े औद्योगिक घरानों और चोर दरवाजे से विदेशी खुदरा कंपनियों के प्रवेश के चलते आम व्यापारी के रोजगार पर पहले से ही काफी चोट हो रही है और इस क्षेत्र में रोजगार में भारी कमी हो रही है। हमारे देश में जिस प्रकार से खुदरा व्यापार चलता है, वर्तमान में खुदरा व्यापार में लगे दुकानदारों के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के वैकल्पिक अवसर उपलब्ध कराना मुश्किल ही नहीं, असंभव है। ऐसे में करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी पर आंच आने से देश में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो सकता है। बड़ी संख्या में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी फैलने से स्थिति को संभालना संभव नहीं होगा।  (लेखक पीजीडीएवी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

किशनगंज में घुसपैठियों की बड़ी संख्या- डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

गंभीरा पुल बीच में से टूटा

45 साल पुराना गंभीरा ब्रिज टूटने पर 9 की मौत, 6 को बचाया गया

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

एबीवीपी का 77वां स्थापना दिवस: पूर्वोत्तर भारत में ABVP

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

किशनगंज में घुसपैठियों की बड़ी संख्या- डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

गंभीरा पुल बीच में से टूटा

45 साल पुराना गंभीरा ब्रिज टूटने पर 9 की मौत, 6 को बचाया गया

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

एबीवीपी का 77वां स्थापना दिवस: पूर्वोत्तर भारत में ABVP

प्रतीकात्मक तस्वीर

रामनगर में दोबारा सर्वे में 17 अवैध मदरसे मिले, धामी सरकार के आदेश पर सभी सील

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा पढ़कर हिंदू लड़की को फंसाया, फिर बनाने लगा इस्लाम कबूलने का दबाव

प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तराखंड में भारी बारिश का आसार, 124 सड़कें बंद, येलो अलर्ट जारी

हिंदू ट्रस्ट में काम, चर्च में प्रार्थना, TTD अधिकारी निलंबित

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies