पाकिस्तान की अकारण गोलीबारी से सीमावर्ती गांवों में दहशत
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से सीमावर्ती गांवों में दहशत
बलवान सिंह
साम्बा सेक्टर के सीमावर्ती गांव चचवाल में जब से पाकिस्तान द्वारा खोदी गई सुरंग का खुलासा हुआ है तभी से पाकिस्तान की ओर से अकारण गोलीबारी जारी है। इस गोलीबारी से लोग इतने भयभीत हैं कि शाम ढलते ही अपना घर-बार छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मबजूर हो जाते हैं। कईं गांवों से लोग पलायन कर शहरों की ओर आ गए हैं। इन लोगों को न दिन को चैन-हैन रात को सुकून। नजर हर पल पाकिस्तानी पोस्टों पर रहती है और जैसे ही गोलीबारी शुुरू होती है अपने-अपने घरों में दुबक कर बैठ जाते हैं। पिछले कईं दिनों से यह लोग अपने खेतों में भी काम नहीं कर पा रहे हैं। सूरज ढलते ही गांव छोड़ने की तैयारी शुरू हो जाती है। कुछ बैलगाड़ी से तो कई परिवार ट्रैक्टर से सुरक्षित स्थानों की ओर चले जाते हैं और सुबह होने पर फिर डरे-सहमे गांव को लौट आते हैं।
आर.एस.पुरा सैक्टर में पाकिस्तान की ओर से रुक रुक कर गोलीवारी की जाती हैै। जिसके चलते सीमवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग भयभीत हैं और धीरे- धीरे पलायन की ओर बढ़ रहे हैं। आर.एस.पुरा सेक्टर के सीमावर्ती गांव अब्दुल्लियां में पिछले दिनों कई बार पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए जमकर गोलीबारी की है और मोर्टार शेल भी दागे हैं। इसके बाद करीब डेढ़ सौ लोग गांव खाली कर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए हैं। इस बार पाकिस्तान की बंदूकों का मुंह गांवों की ओर है और गोलियां सीमांत गांवों में रहने वाले लोगों के घरों में पहुंच रही हैं। इस गोलीबारी में चंदू चक्क, लाइयां, बेगा, बेरा, सुचेतगढ़ व गुलाबगढ़ खासा प्रभावित हुए हैं।
आर.एस. पुरा सैक्टर का गांव कोरोटान जो जीरो लाइन से महज तीन सौ मीटर दूरी पर स्थित है, पांच सौ की आबादी वाला यह गांव तीन तरफ से बार्डर से घिरा है जबकि उसके एक तरफ खेत हैं। ऐसे में यदि रात को गोलीबारी शुरू हो जाती है तो यहां से निकलना भी मुश्किल हो जाएगा। गांव से निकलने के लिए मात्र एक ही रास्ता है, जो पाकिस्तानी बंकर के ठीक सामने पड़ता है। यही कारण है कि रात होने से पहले लोग यहां से कूच कर जाते हैं।
रिटायर्ड सूबेदार खैरू राम का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से दागे गए मोर्टार शेल ठीक हमारे घर के सामने खेत में गिरे थे और अगर वह फट जाते तो काफी नुकसान हो सकता था।
ग्रामीण चौधरी अवतार सिंह कहते हैं पाकिस्तान पर कतई विश्वास नहीं किया जा सकता। वह कब गोलीबारी शुरू कर दे, कहना मुश्किल है। इन दिनों गोलीबारी के कारण हम खेतों में नहीं जा पा रहे। ऐसे में धान की लहलहाती फसल को काफी नुकसान हो रहा है। अभी उसमें खाद डालने का समय है, लेकिन डर के कारण किसान खेतों में नहीं जा रहे। अगर इसी तरह सीमा पर लगातार तनाव बना रहा तो हमारी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी और सालभर परिवार का पेट-पालना मुश्किल हो जाएगा।
सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का कहना है कि सरकार उन्हें ऐसे हालात में सुरक्षित रहने के लिए सीमा क्षेत्र से पीछे प्लॉट दे ताकि माहौल तनावपूर्ण होने पर वह सुरक्षित स्थानों पर चले जाया करें।
पिछले 66 वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग कई बार पलायन कर चुके हैं। जब भी पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी शुरू होती है तो इन लोगों को अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर आना पड़ता है। पाकिस्तान की ओर से बार-बार होने वाली गोलीबारी और स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली-पानी व रोजगार के पर्याप्त साधन न होने से वैसे भी इन क्षेत्रों से पलायन जारी है। पढ़े-लिखे व समृद्ध परिवार इन गांवों से पलायन कर शहरों की ओर आ गए हैं और अगर इसी तरह पलायन जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब यह गांव आबादी शूून्य होंगे। सीमा पर रहने वाले लोग सीमा सुरक्षा बल के साथ मिलकर एक प्रहरी की भूमिका निभाते हैं और अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से निभाते हैं। सरकार को चाहिए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार के साधन बढ़ाने चाहिए ताकि पढ़े-लिखे युवाओं को वहीं रोजगार मिले और पलायन पर रोक लगे।
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