घर को आदर्श हिन्दू घर बनाएं
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वडोदरा में रा.स्व.संघ का कार्यक्रम
–मोहनराव भागवत, सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
'बौद्धिक वर्ग व सभा में अंतर है, सभा में श्रोता को सुनने का बंधन नहीं होता, मन में आया तब तक सुना। बौद्धिक वर्ग में ऐसा नहीं है। बौद्धिक वर्ग में आकर पूरा समय पंक्तिबद्ध होकर बैठते हैं, सुनते हैं। सुनते ही नहीं, वरन् उसमें बताए गए विषय को आचरण में उतारने एवं व्यवहार में लाने का प्रयत्न भी करते हैं। संघ का एक ही विषय है राष्ट्र को परमवैभव तक ले जाना'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 8 सितंबर को गुजरात के वडोदरा में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
श्री भागवत ने कहा कि भारतवर्ष ने प्राचीन काल में समस्त मानवजाति को सुख-शांति प्रदान की थी। उन्होंने कहा कि सारा विश्व भारत की ओर टकटकी लगाकर देख रहा है, परन्तु भारत की वर्तमान स्थिति पर विचार करने की आवश्यकता है। देश में पिछले 150-200 वर्षों में अनेक महापुरुष हुए। रा.स्व.संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार ने कहा था 'जब तक देश सुखी नहीं बनता तब तक अपने सुख का विचार नहीं करना'। उनके समकालीन जितने भी नेता हुए- लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, वीर सावरकर आदि सभी के यही विचार थे। उन्होंने कहा कि देश में कुछ मूलभूत कमियां आ गई हैं। लेकिन सामान्य समाज की गुणवत्ता और एकता के आधार पर सब समस्याओं का समाधान हो सकता है।
श्री भागवत ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र का एक प्रयोजन होता है। हमारा देश कभी मिट नहीं सकता। भूतकाल में अनेक देश समाप्त हो गए। हमारा देश हजारों वर्षों के आक्रमण सहन करते हुए भी खड़ा है। आखिर क्या है हमारे देश की पहचान? भारत की पहचान हिन्दू है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही कहा है। उन्होंने कहा कि मन के सारे स्वार्थ, भेद, दुर्बलता मिटाकर सारे समाज को आत्मीयता के आधार पर संगठित करना है।
श्री भागवत ने कहा कि रा.स्व.संघ की शाखा में सीधे और सरल दिखने वाले जो कार्यक्रम होते हैं उससे उत्कृष्ट व्यक्ति निर्माण होता है। इसके लिए शाखा में जाना होता है तथा संस्कार न बदले इसके लिए नित्य जाना होता है। नित्य साधना से मनुष्य डिगता नहीं, भटकता नहीं, सार्मथ्यवान बनता है। समाज का धैर्य और विश्वास कैसे बना रहे यह चिंता हमें करनी है। हमें सेवा के लिए तत्पर रहना है। उन्होंने कहा कि हम अपने घर को आदर्श हिन्दू घर बनाएं। संस्कार से संस्कृति बचती है। विसंके, गुजरात
गंगा की अविरलता हेतु 21 सितंबर से 'गंगा समग्र यात्रा' शुरू
उमा भारती को अशोक सिंहलने सौंपा यात्रा का ध्वज
गंगा की अवि लता और निर्मलता सुनिश्चित करने के आगामी 21 सितंबर से होने वाली करीब 2500 किलोमीटर की गंगा समग्र यात्रा का ध्वजार्पण समारोह गत 11 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। यात्रा का ध्वज विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने यात्रा पर जा रहीं साध्वी उमा भारती को यात्रा की सफलता की शुभकामनाओं के साथ दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री अशोक सिंहल ने कहा कि गंगा समग्र यात्रा एक ऐतिहासिक अभियान है। गंगा की अविरलता और निर्मलता को नष्ट करने के लिए कौन-कौन सी शक्तियां काम कर रही हैं इसका विवेचन करना तो मुश्किल है, लेकिन जाने-अनजाने इस पाप के भागी हम सब हो रहे हैं। भविष्य में इस पाप के भागी हम न हों, यह सुनिश्चित करने के लिए इस यात्रा का आयोजन हो रहा है।
साध्वी उमा भारती ने कहा कि गंगा समग्र यात्रा का उद्देश्य गंगा की समस्याओं को देशवासियों के सामने उजागर करना है। उन्होंने कहा कि गंगा को लेकर हमें देशभर में एक आंदोलन खड़ा करना है। हम अपनी अपेक्षाओं, आकांक्षाओं का त्याग करके इस आंदोलन में लगेंगे तो यह आंदोलन अवश्य सफल होगा। गंगा प्रदूषणमुक्त और अविरल हो यही एक इच्छा सिर्फ हमारे मन में रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देशभर में करीब 750 सांसदों से भेंट कर गंगाजल दिया गया और यात्रा के बारे में चर्चा की। कुछएक अपवाद छोड़ दिया जाएं तो अधिकतर ने इस अभियान को सराहा है। प्रतिनिधि
डिब्रूगढ़
भारत विकास परिषद् द्वारा प्रश्नोत्तरी व संगीत प्रतियोगिता
छात्रों को प्रोत्साहित किया
भारत विकास परिषद् की डिब्रूगढ़ शाखा ने हाल ही में डिब्रूगढ़ के खोलिहामारी अंचल में बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए प्रश्नोत्तरी व संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसमें विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके बाद विद्यार्थियों ने वंदेमातरम् का गान किया। साथ ही गणेश वंदना भी की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. नारायण उपाध्याय ने अपने संबोधन में कहा कि देश की सेवा सिर्फ तिरंगा हाथों में लेकर जय हिंद करने से नहीं होती, बल्कि अन्य तरीकों से भी की जा सकती है। भारत विकास परिषद् बच्चों का बौद्धिक विकास करने के साथ ही अन्य सामाजिक कार्यों से देश की जनता की सेवा में लगा हुआ है। शिक्षा के साथ ही बच्चों के लिये जरूरी है संस्कार, जो उन्हें परिवार से मिलता है इसलिये एक संस्कारी पुत्र के माता-पिता होने के लिये पहले एक संस्कारी माता-पिता होना जरूरी है।
कार्यक्रम में उपस्थित भारत विकास परिषद् की डिब्रूगढ़ शाखा के अध्यक्ष श्री श्याम दत्त ने संस्था द्वारा किया गये कार्यों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। इसके बाद उपस्थित विद्यालयों के बच्चों के बीच प्रश्नोत्तरी व संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। साथ ही विजेता प्रतियोगियों को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजक श्री कमल घोष ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मनोज पांडे
आगरा
अ.भा. ग्राहक पंचायत का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन
बेमानी साबित हो रहे हैंग्राहकों के हित में बने कानून
–जोगिन्दर सिंह, पूर्व प्रमुख, सी.बी.आई.
'हमारे देश में सरकारें कानून तो बना देती हैं लेकिन उनके लागू कराने की ओर कोई ध्यान नहीं देता। इसी कारण ग्राहकों के हित में बने कानून बेमानी साबित हो रहे हैं। ग्राहक न्याय पाने में आने वाली तमाम बाधाओं और देरी को देखते हुए अदालत जाने से बचता है और अपना शोषण कराता रहता है। ऐसे में उसे अपने शोषण के खिलाफ जागरूक बनाना जरूरी है'। उक्त उद्गार अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन करते हुए सी.बी.आई. के पूर्व निदेशक सरदार जोगिन्दर सिंह ने व्यक्त किये। अधिवेशन का आयोजन उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ।
इस अवसर पर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नारायण भाई साहा ने कहा कि वर्तमान अर्थव्यवस्था शोषणकारी है जिसमें हर कोई एक-दूसरे का शोषण करने में लगा है। इस स्थिति को बदलने के लिए उत्पादक की जगह ग्राहक को केन्द्र में लाना होगा, क्योंकि उसी को ध्यान में रखकर ही सारा उत्पादन किया जा रहा है। इसके लिए ग्राहकों का प्रभावी संगठन बनाने के साथ-साथ जागरूक ग्राहक बनाने और उन्हें संघर्ष के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें ग्राहक हित के साथ ही राष्ट्रहित का भी ध्यान रखना होगा, क्योंकि कभी-कभी ग्राहक हित और राष्ट्र हित अलग-अलग होते हैं। लेकिन हमारे लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए, तभी राष्ट्र का सम्वर्द्धन सम्भव है।
कार्यक्रम में सरदार जोगिन्दर सिंह द्वारा लिखित पुस्तक 'राइट ऑफ कन्ज्यूमर्स' का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अरुण देशपांडे भी उपस्थित थे। वीरेन्द्र वार्ष्णेय
चित्रकूट
आरोग्य भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक
कार्य की समीक्षा और योजनाओं पर विचार
गत दिनों चित्रकूट के दीनदयाल शोध संस्थान परिसर में आरोग्य भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक संपन्न हुई। बैठक में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राघवेंद्र कुलकर्णी, राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डा. सुनील घाटे, उपाध्यक्ष डा. नरेंद्र प्रसाद एवं श्री प्रवीण भावसार, सचिव डा. रमेश गौतम तथा संगठन सचिव डा. अशोक कुमार वार्ष्णेय मुख्य रूप से उपस्थित थे। बैठक का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन तथा धन्वन्तरी पूजन से हुआ।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो कृष्णबिहारी पाण्डेय एवं दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव डा. भरत पाठक थे।
प्रो. कृष्णबिहारी पाण्डेय ने इस अवसर पर कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानव दर्शन स्व. नानाजी देशमुख के कार्य का आधर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत गांवों में बसता है और वे ही उपेक्षित हैं। हमें ग्राम विकास के कार्य को प्राथमिकता देनी होगी। इस अवसर पर डा. भरत पाठक एवं डा. अनिल जैसवाल ने दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्य क्षेत्र में हुए प्रयोग एवं उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई।
बैठक के विभिन्न सत्रों में आरोग्य भारती के देशभर में चल रहे कार्यों की समीक्षा की गयी तथा आगामी योजनाओं पर विचार किया गया। बैठक में स्वस्थ ग्राम योजना के राष्ट्रीय संयोजक का दायित्व जामनगर, गुजरात के डा. हितेश जानी को दिया गया। साथ ही यह भी तय किया गया कि आरोग्य भारती के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक आगामी 27-29 अक्तूबर, 2012 को पटना में आयोजित होगी। इसमें देश के सभी प्रान्तों के प्रमुख कार्यकर्ता सहभागी होंगे। बैठक में पारित प्रस्ताव में समाज में पश्चिम के अन्धानुकरण के कारण विकृत जीवनशैली जनित स्वास्थ्य समस्या पर चिंता व्यक्त की गयी। प्रतिनिधि
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