अब नहीं होता कोयले के दलालों का मुंह काला
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काश, भारतवास्तवमेंभारतहोपाता।
अभीतोयहउसनावकीतरहहैजो
भ्रष्टाचारमेंहिचकोलेखारहीहै
दूरतककिनारानजरनहींआता।।
ग्रहणसेशापितहोगएहैंहमारेसपने
भ्रष्टाचारमेंलगेहैंकथितजन–प्रतिनिधि
मोटीहोचुकीहैइनकीखाल
कुछभीनजरनहींआताइन्हें
दिन–प्रतिदिनदूषितहोरहाहैआचरण
पुरानेराजाओंका–साहोरहाहैअबचलन।
देशअबपूरीतरहसेस्वतंत्रहै
किसानस्वतंत्रहैमरनेकेलिए,
आजादहैआमआदमी, बेमौतमरनेकेलिए
हैस्वतंत्रपढ़ा–लिखाबेरोजगारयुवक
अपनेतलवेघिसनेकेलिए,
स्वतंत्रहैंसभीटूटतेसपनेदेखनेकेलिए
आजादहैंहमभूखऔरलाचारीकादर्दसहनेकेलिए।
स्वाधीनताकापाठसभीकोपढ़ायाजाताहै
समानताकेनामपरआपसमेंलड़ायाजाताहै,
सिंहासनोंपरआसीनहैंमक्कारसियारोंकीआत्माएं,
भ्रष्टाचारऔरमक्कारीकाहैबाजारगर्म
खूनीगिरोहोंऔरमाफियाकाहैबोल–बाला
अबनहींहोताकोयलेकेदलालोंकामुंहकाला।
न्यायइतनाहैस्वाधीनकि
जोभीचाहतालगादेताहैइसकेमुंहपरताला।
सबकुछप्रश्नोंकेघेरेमें
औरउत्तरहैंकिकालकेहाथोंलुप्तहोचुकी
सोन–चिरैयाकीतरहनजानेकिसकाल–कोठरीमेंबन्दहैं,
काश, हमारीसोचकाजंगखायाद्वारखुलपाता
औरयहदेशवास्तवमेंभारतकहलाता!
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