रोको गोवंश की अवैध तस्करी, अपराधियों पर सख्त कार्रवाई हो
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समन्वय नंद / उड़ीसा
उड़ीसा उच्च न्यायालय का सख्त निर्देश
उड़ीसा से प्रतिदिन लाखों की संख्या में गोवंश को अवैध रूप से आन्ध्र प्रदेश व पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा है । इस बात को गंभीरता से लेते हुए कटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार व पुलिस को इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय ने गौ संपदा की तस्करी पर रोक लगाने के साथ–साथ राज्य में लागू पशु अत्याचार निरोध कानून व पशु हत्या निरोध कानून को सख्ती से लागू करने के लिए कहा है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. गोपालगौडा एवं न्यायमूर्ति एस.के मिश्र की खण्डपीठ ने यह निर्देश दिया है। खण्डपीठ ने इस संबंध में राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, भारतीय वन्य जन्तु कल्याण बोर्ड के सचिव को गोवंश की तस्करी को रोकने हेतु कड़े कदम उठाने के लिए कहा है। कटक के 'लीगल सपोर्ट एण्ड सोशल एक्शन' के महासचिव गदाधर साहू व विश्व गौ–सुरक्षा वाहिनी के अध्यक्ष सुरेश कुमार पांडा द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह निर्देश दिए हैं।
न्यायालय ने राज्य के खुफिया विभाग को निर्देश दिया है कि वह इस संबंध में लगातार निगरानी रखे। न्यायालय ने पुलिस को भी स्पष्ट निर्देश दिया है कि गोवंश की तस्करी करने वालों के खिलाफ पशु अत्याचार निरोध कानून, पशु हत्या निरोध कानून व वाहन अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई करे। न्यायालय ने कहा कि आवश्यक होने पर गोवंश की तस्करी रोकने के लिए अधिक संख्या में पुलिस बल को तैनात किया जाए। न्यायालय ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों से कहा है कि गायों की तस्करी को रोकने के लिए जो भी आवश्यक कदम उठाये जा सकते हैं, वे उन्हें तत्काल उठाएं। गायों की तस्करी करते हुए पकड़े जाने वालों के खिलाफ तुरंत प्राथमिकी दर्ज हो।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था कि राज्य में पशु अत्याचार निरोध कानून -1960 व राज्य गौ हत्या निरोध कानून का ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। इस कारण राज्य के अनेक जिलों से लाखों की संख्या में गौ संपदा को आसानी से पश्चिम बंगाल व आंध्र प्रदेश भेजा जा रहा है। गायों के व्यापारी संगठित रूप से इस कार्य को कर रहे हैं। राजमार्ग से तस्करी के समय पुलिसʄभी मूकदर्शक बनी रहती है। कुछ पुलिस अधिकारी भी इस कार्य में तस्करों से मिले हुए हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि खोर्धा जिले से प्रतिमाह औसतन 15 हजार गोवंश, केन्द्रपाड़ा जिले से प्रतिमाह 24 हजार गोवंश, भद्रक जिले से प्रतिमाह 40 हजार गोवंश, जाजपुर व कटक जिले से एक लाख गोवंश तथा जगतसिंहपुर जिले से प्रतिमाह औसतन 20 हजार गोवंश की कोलकाता के लिए तस्करी हो रही है। इसी तरह कोरापुट जिले से प्रतिमाह औसतन 38 हजार गोवंश की आंध्र प्रदेश के लिए तस्करी हो रही है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि इस गोवंश को ले जाते समय काफी बर्बर तरीके से रखा जाता है। उनके पैरों को बांधा जाता है तथा ट्रकों में ठूंस दिया जाता है। इस दौरान अनेक गायों की रास्ते में ही मौत भी हो जाती है। भारी पैमाने पर हो रहे गोवंश की तस्करी के बारे में वन्य जन्तु कल्याण बोर्ड ने भी राज्य सरकार को अवगत कराया था, लेकिन राज्य सरकार ने किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की।
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