कटिहार के बारसोई में उपद्रव
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बिहार में भी उभरी मजहबी कट्टरता
बिहार/संजीव कुमार
ऐसा लगता है कि बिहार के कुछ हिस्सों में मजहबी कट्टरवादियों ने अपना राज कायम कर लिया है। इन्हें न तो पुलिस-प्रशासन का डर है और न ही लोगों का। कटिहार के बारसोई प्रखण्ड में तो इन कट्टरवादी उपद्रवियों द्वारा बेवजह, छोटी-छोटी बातों पर मंदिर तोड़ दिए जाते हैं एवं जमकर उत्पात मचाया जाता है। हाल ही में ईद के दिन बारसोई प्रखण्ड के तलुआ ग्राम में हजारों उपद्रवियों ने जमकर उत्पाद मचाया। 65 परिवारों के इस तलुआ ग्राम की मुख्य सड़क पर ईदगाह है। ईदगाह के समीप ही मुस्लिम की शराब की दुकान है। ईद के दिन मुस्लिम समाज ने ईदगाह की सफाई की तथा नमाज पढ़ी। कुछ देर बाद किसी ने देखा कि ईदगाह में शराब की बोतल का एक टुकड़ा पड़ा है। बस, इसी बात पर हंगामा मचा दिया गया। कुछ ही देर में एक पूर्व विधायक के नेतृत्व में उपद्रवियों की टोली ईदगाह के समीप जुटने लगी। 30-40 मिनट के भीतर ही हजारों लोग इकट्ठा हो गए तथा तलुवा ग्रामवासियों पर कहर बरपा दिया। ईदगाह के समीप स्थित विमान दास की दुकान में हार्डवेयर, एस्वेस्टस तथा हैण्डपम्प का सामान रखा था। इसी प्रकार उनके अनुज कार्तिक दास का सीमेंट व किराना का सामान दूसरी दुकान में रखा था, इस सबको उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। वहीं पर मनोरंजन दास ने 1 दिन पहले 5 लाख रु. का खाद व सीमेंट मंगवाया था। निवारण दास का 25 क्विंटल जूट तथा फर्नीचर का सामान भी जला दिया। हरिमोहन दास तथा अंगद दास की अलग-अलग चाय-नाश्ते की दुकान थी। उपद्रवियों ने इनकी दुकानों को भी पूरी तरह तोड़ दिया तथा सामान लूट लिया। मदन दास का 'सैलून', सनातन राय की पान की दुकान तथा रामपद दास की किराने की दुकान-सभी उपद्रवियों के निशाने पर रहीं।
सड़क पर आतंक मचाने के बाद ये उपद्रवी गांव में घुसे तथा जो मिला उसे पीटा। बतामु का मार-मार कर सिर फाड़ दिया। निर्मल की 65 वर्षीया मां को जमकर पीटा। उसका रुपया पैसा लूट लिया तथा घर तोड़ दिया। गांव के ही निवासी सदानंद दास ने बताया कि हम लोग मजहबी कट्टरवादियों की इस प्रकार की सोच और कार्रवाई से पूर्व परिचित थे। इसलिए जब उपद्रवियों की भीड़ जुटने लगी तो हम लोगों ने गांव की जवान बहू-बेटियों को सबसे पहले गांव के पिछवाड़े से सुरक्षित स्थान पर ट्रैक्टर से भिजवा दिया। फिर बाकी लोग भागने लगे। सड़क पर जब हंगामा शुरू हुआ तो गांव के लोग अपनी जान बचने की आपाधापी में थे। हमलावरों के हाथों में नंगी तलवारें, बरछी, गंडासे थे। गांव में घुसते ही इन उपद्रवियों ने लूटपाट शुरू कर दी, जो मिला उसे पीटा। सदानंद दास ने बताया कि कुछ हमलावर अभी भी धमकी देते हैं कि वह सिर्फ 'ट्रेलर' था, पूरी फिल्म अभी बाकी है।
उप्रद्रवियों ने लगभग चार घंटे तक हंगामा मचाया। आग बुझाने के लिए जब दमकल की गाड़ी पहुंची तो उसे भी इन लोगों ने रोका। पुलिस को भी गांव के अंदर नहीं जाने दिया। पत्रकारों के साथ भी मार पीट की। आजादपुर और बारसोई थाने की पुलिस पहुंची तो उस पर भी इन दंगाइयों ने पथराव किया। कुछ लोगों ने बताया कि पूर्व विधायक ने आजादपुर थाना प्रभारी के साथ भी हाथपाई की।
विश्व हिन्दू परिषद् के नगर मंत्री गोपाल ने बताया कि यहां मजहबी कट्टरवादियों द्वारा एकजुट होकर गुण्डागर्दी करना अब आम बात हो गई है। इस घटना के मूल में जिस शराब दुकान की बात बतायी जा रही है, उसका लाइसेंस एक मुस्लिम के पास है। ईदगाह में नमाज के पूर्व सफाई की गई थी, फिर नमाज के बाद शराब की बोतल का टुकड़ा कैसे अंदर आ गया? नमाज के बाद लोग घर जा चुके थे, तब किसने अफवाह उड़ाई कि 'शराब की बोतल' ईदगाह में है। वास्तव में यह पूर्व नियोजित षड्यंत्र है जिससे हिन्दुओं में दहशत पैदा की जा सके। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता कुमुद रंजन इसे कोकराझार की घटना से भी जोड़ते हैं। उनका मानना है कि रमजान के महीने में मजहबी भावना ज्यादा प्रबल होती है। नमाज के बाद तकरीर में इस भावना को और भड़काया जाता है। हिन्दू समाज कमजोर और असंगठित है, इसलिए उपद्रवियों का गुस्सा इसी समाज पर फूटता है। रंजन ने मांग की कि सभी मस्जिदों में प्रत्येक दिन, विशेषकर जुम्मा (शुक्रवार) की नमाज के समय की गई तकरीर (भाषण) को प्रशासन द्वारा रिकार्ड कराना चाहिए, क्योंकि इन तरकीरों की भाषा से लोगों को भड़काया जाता है।
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