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कट्टरवादी षड्यंत्र

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Sep 8, 2012, 12:00 am IST
in Archive
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श्री अमरनाथ यात्रा के विरुद्धकट्टरवादी षड्यंत्र

दिंनाक: 08 Sep 2012 13:32:10

श्री अमरनाथ यात्रा के विरुद्ध 

तलवार की ताकत से कश्मीर घाटी को हिन्दू–विहीन करने वाली राष्ट्र विरोधी शक्तियों ने अब भारतीय सेना के विरुद्ध कश्मीर की जनता को बहकाने के साथ–साथ हजारों वर्षों से चली आ रही अमरनाथ यात्रा का विरोध भी शुरू कर दिया है। प्रदेश की कांग्रेस समर्थित अब्दुल्ला सरकार और विपक्षी दल पीडीपी इन तत्वों की पीठ थपथपा रही है। यदि भारत सरकार और हिन्दू समाज नहीं चेते तो देशद्रोहियों के मंसूबे पूरे हो जाएंगे।

हिन्दू यात्रियों की बढ़ती संख्या से बौखलाए

पाक प्रेरित अलगाववादी

भारत राष्ट्र की भावनात्मक एवं सामाजिक एकता की प्रतीक श्री अमरनाथ यात्रा में निरंतर बढ़ रही हिन्दू यात्रियों की संख्या से कश्मीर में सक्रिय भारत विरोधी जिहादी तत्व एक बार फिर बौखला गए हैं। इन अलगाववादियों को शिवभक्तों को दी जाने वाली साधारण सुविधाओं में भी अब इस्लाम पर खतरा नजर आने लगा है। पिछले छ:सौ वर्षों से कश्मीर घाटी में हजारों हिन्दू मंदिरों को तोड़ने वाले विदेशी हमलावरों की आक्रांता तहजीब के झंडाबरदार कट्टरवादी मुस्लिम नेताओं को अमरनाथ यात्रा में कश्मीर के इस्लामिक वर्चस्व को समाप्त करने का भारतीय षड्यंत्र और राजनीतिक चाल दिखाई दे रही है। इन पाकिस्तान समर्थित तत्वों ने भारत के उच्चतम न्यायालय के उस आदेश पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है जिसमें प्रदेश की सरकार को यात्रियों को दी जाने वाली जरूरी सुविधाओं में सुधार लाने के लिए कहा गया है। इनमें यात्रा के आधार शिविर बालटाल से पवित्र गुफा तक स्थाई मार्ग तैयार करना भी शामिल है। न्यायालय के इस आदेश के विरुद्ध अलगाववादी संगठनों ने गत चार सितम्बर को पूरी कश्मीर घाटी में पूर्ण हड़ताल करके हिन्दू विरोधी माहौल बना दिया।

तहरीके हुर्रियत के नेता अलीशाह गिलानी, जम्मू-कश्मीर फ्रीडम पार्टी के अध्यक्ष शब्बीर शाह और हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवायज ने धमकी दी है कि वे हिन्दू यात्रा और मुस्लिम मजहबी स्थलों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ बहुत शीघ्र ही आंदोलन चलाएंगे। उल्लेखनीय है कि सन् 2008 में जब सरकार ने अमरनाथ यात्रियों के लिए इसी बालटाल, कश्मीर में सौ एकड़ जमीन किराए पर दी थी उस समय भी इन्हीं पृथकतावादी संगठनों ने कश्मीर घाटी में 'कश्मीर राष्ट्र' का बेबुनियाद सवाल खड़ा करके मुस्लिम समाज को सड़कों पर उतार दिया था। गली-गली में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों के साथ भारत के राष्ट्र-ध्वज जलाए गए थे। तब जम्मू समेत सारे देश में जमकर विरोध होने के बाद सरकार और अलगाववादी झुके और हिन्दू अस्मिता की विजय हुई थी।

हिन्दुत्व के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे

कट्टरवादी मुस्लिम गुट

उच्चतम न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने वाले इन्हीं भारत विरोधी तत्वों ने कश्मीर से चार लाख हिन्दुओं को पलायन करने को बाध्य किया था। इन्हीं द्वारा घोले गए हिन्दुत्व विरोधी जहर के कारण आज कश्मीर घाटी में बचे हुए मुट्ठी भर हिन्दू धर्मस्थल भी सुरक्षित नहीं हैं। इन्हीं की रक्षा और पाक प्रेरित हिंसक आतंकियों से समूची कश्मीर घाटी को बचाने के लिए तैनात भारतीय सुरक्षा जवानों को ये लोग बर्दाश्त नहीं करते। सत्ताधारी नेशनल कांफ्रेंस और मुख्य विपक्षी दल पीडीपी की सहायता से कश्मीर को स्वतंत्र 'मुस्लिम राष्ट्र' बनाने के अपने जिहादी उद्देश्य की पूर्ति के लिए इन अलगाववादियों ने अब श्री अमरनाथ धाम और यहां पहुंचने वाले देश-विदेश के करोड़ों हिन्दुओं के मार्ग में स्थाई बाधाएं खड़ी करने की मजहबी मुहिम चलाने की घोषणा कर दी है। कश्मीर घाटी से हिन्दू, हिन्दुत्व और भारत के सभी चिन्हों/प्रतीकों को पूर्णतया समाप्त कर डालने की यह एक खतरनाक सोची-समझी साजिश है।

सन् 2008 में कश्मीर में हिन्दू विरोधी आग को भड़काने के मुख्य सूत्रधार सैयद अलीशाह गिलानी ने कहा है कि 'भारत सरकार अमरनाथ यात्रा के माध्यम से कश्मीरियों पर मजहबी, सामाजिक और प्रादूषणिक आक्रमण कर रही है। पहले इस यात्रा में बहुत कम लोग आते थे, अब लाखों की तादाद आ रही है। गिलानी यह भी फरमाते हैं कि भारत सरकार इस यात्रा का इस्तेमाल करके जम्मू कश्मीर को अपने सैनिक नियंत्रण में रखना चाहती है। लाखों लोगों (हिन्दुओं) को बुलाकर स्थानीय लोगों (कश्मीरी मुसलमानों) को डराया जा रहा हे। यह कश्मीर के मुस्लिम बहुसंख्यक चरित्र को समाप्त करके इस्लाम को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। इस यात्रा में ज्यादा फिरकापरस्त ही होते हैं। अपने इस बयान के साथ गिलानी ने धमकी के साथ कुछ मांगें भी रखी हैं- केन्द्र को अमरनाथ यात्रियों की संख्या सीमित करनी चाहिए। अमरनाथ श्राइन बोर्ड को भंग करके यात्रा की जिम्मेदारी कश्मीरियों को सौंपी जाए। ऐसा नहीं हुआ तो हम सड़कों पर उतरेंगे।

विदेशी कश्मीरियत के ठेकेदारों ने मचाया शोर

खतरे में इस्लाम

गिलानी सहित प्राय:सभी अलगाववादी संगठनों ने उच्चतम न्यायालय के जिस आदेश को भारत सरकार की मुस्लिम और कश्मीर विरोधी चाल करार दिया है वह वास्तव में अमरनाथ श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर प्रकट की गई एक चिंता है। इसी वर्ष तीन अगस्त को समाप्त हुई यात्रा में अनेक यात्रियों की मौत हो जाना सरकारी व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह है। इन्हीं व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए कहा गया है। अगर अलगाववादियों के कथित इस्लामिक आदर्शों के अनुसार हिन्दू यात्रियों की सुविधाएं मुस्लिम वर्चस्व के लिए घातक हैं तो फिर इसी फार्मूले के अनुसार हज यात्रियों, मस्जिदों, खनकाहों, जियारतों और मदरसों को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं हिन्दुत्व के लिए घातक क्यों नहीं? मजहब के आधार पर मुसलमानों के लिए मांगा जा रहा और दिया जा रहा आरक्षण भी हिन्दुओं के लिए खतरनाक क्यों नहीं माना जाता है? पृथकतावादी तत्वों ने यह कहकर कश्मीरी मुसलमानों को विद्रोह करने के लिए उकसाया था कि कश्मीर में हिन्दू यात्रियों को सुविधाएं देने से कश्मीरियत समाप्त हो जाएगी।

छ: सौ वर्ष पूर्व के हिन्दू कश्मीर को तलवारों की ताकत पर मुस्लिम कश्मीर में तब्दील करने वाले विदेशी हमलावरों के वंशज यह वर्तमान कश्मीरी अलगावादी कौन सी कश्मीरियत की बात करते हैं? जिस 'कश्मीरियत' का झंडा उन्होंने उठाया है, वह कश्मीर की धरती पर नहीं बनी। उसे बनाने वाला कोई कश्मीरी भी नहीं था। यह कश्मीरियत तो विदेशी आक्रमणकारियों की एक ऐसी खूनी दहशत है जिसने प्राचीन गौरवशाली कश्मीरियत को जड़मूल से ही खत्म कर दिया है। वास्तव में इसी आक्रांता परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कश्मीर में सक्रिय यह अलगाववादी अमरनाथ धाम पर जाने वाले हिन्दू यात्रियों का विरोध कर रहे हैं। इसी उद्देश्य के लिए कश्मीर की बार एसोसिएशन, कट्टरवादी मुस्लिम संगठन, आतंकवादी गुट और अपरोक्ष रूप से एनसी, पीडीपी जैसे राजनीतिक दल इस मुद्दे पर गिलानी जैसे हिन्दू विरोधी और देशद्रोही तत्वों का खुलकर साथ देते हैं।

राष्ट्र की सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिए

हिन्दू संगठित हों

भारत के प्राचीन आर्र्ष ग्रंथों और आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री अमरनाथ धाम की यह पवित्र गुफा सम्पूर्ण सृष्टि के आद्य और आराध्य देव भगवान शिवशंकर का निवास है। अत:हिमालय पर्वत की ऊंची सुरम्य पर्वत श्रृंखलाओं में एक 13500 फुट ऊंची बर्फानी खुफा में स्थित यह श्री अमरनाथ धाम सृष्टि के अनादि काल से ही सम्पूर्ण मानव समाज का आस्था स्थल रहा है। जब मानव का अस्तित्व हिन्दू, मुसलमान और ईसाई इत्यादि वर्गों में विभाजित नहीं था तभी से ही इस धाम का आध्यात्मिक महत्व चला आ रहा है। अत: यह अमरनाथ तीर्थ भी जाति, मजहब और क्षेत्र की संकीर्ण दीवारों से दूर सम्पूर्ण जगत से संबंधित है। इसलिए अमरनाथ धाम में प्राकृतिक रूप से बनने वाले शिवलिंग (बर्फानी बाबा) के दर्शनार्थ जाने वाली इस यात्रा का सम्बंध पूरे राष्ट्र और देश-विदेश के करोड़ों हिन्दुओं से है। अमरनाथ यात्रा का संबंध हिन्दू पूर्वजों की संतान उन मुसलमानों से भी है जो पाकिस्तान-परस्त तत्वों के पीछे लगकर अपने अतीत की पीठ में छुरा घोंप रहे हैं।

पहाड़ी रास्तों, दुर्गम नदी, नालों और घने जंगलों को पार करते हुए श्रद्धालु यात्रियों को अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। यद्यपि इस तरह की कठिनाइयां कभी भी हिन्दू समाज को अपनी श्रद्धा और आस्था से डिगा नहीं पाईं तो भी सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में श्रद्धालुओं की सुरक्षा की सुचारु व्यवस्था की बात कहकर अपनी निष्पक्ष न्यायिक प्रणाली का सबूत दिया है। देश, हिन्दू समाज और राष्ट्रवादी मुसलमानों के दुर्भाग्य से देशद्रोही तत्वों ने इस आदेश पर सवालिया निशान लगाकर भारत की अखंडता और सदियों पुरानी समन्वयात्मक संस्कृति को चुनौती दे दी है। हिन्दुओं की आस्था पर प्रहार करने वाले देशद्रोही अलगाववादियों के आगे पूंछ हिलाने वाली जम्मू-कश्मीर और केन्द्र की कांग्रेसी सरकारों को चेताने के लिए अब हिन्दू समाज को संगठित होकर प्रतिकार के लिए तैयार हो जाना चाहिए। 

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