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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि कला का सीधा संबंध मानव के हृदय से होता है। उसी प्रकार संस्कार भी सीधे हृदय से संबंधित होते हैं। उन्होंने कहा कि कला मनुष्य के हृदय को छूती है और प्रभावित करती है। तर्क से तो केवल बुद्धि से संवाद स्थापित किया जा सकता है, पर कला मानव के जीवन को प्रभावित कर सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि कला बहुजन हिताय हो। श्री भागवत गत दिनों नागपुर में संस्कार भारती की नागपुर शाखा के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर संस्कार भारती के संरक्षक श्री योगेन्द्र उपाख्य 'बाबा', संस्कार भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध मराठी सिने दिग्दर्शक श्री राज दत्त, मंत्री श्री कामतानाथ वैशम्पायन, विदर्भ प्रान्त अध्यक्ष श्री राजेंद्र जैसवाल, नागपुर महानगर अध्यक्ष सुश्री कांचन गडकरी तथा कार्याध्यक्ष श्री वीरेन्द्र चांडक भी मंचासीन थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संस्कार भारती गीत और गणेश वंदना के पश्चात श्री राज दत्त ने श्री मोहनराव भागवत का शाल, श्रीफल और तुलसी का पौधा देकर सम्मान किया। साथ ही श्री भागवत द्वारा श्री योगेन्द्र को शाल, श्रीफल तथा मानपत्र देकर सम्मानित किया गया।
अपने उद्बोधन में श्री भागवत ने कहा कि कला के बारे में हमारी दृष्टि सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् जैसी है। कला सत्य को प्रकट करती है और कला के शिवत्व तक इसी सत्य के आधार पर पहुंच पाना संभव होता है। इसी प्रवास में सुन्दरता की सृष्टि होती है। सुन्दरता के बिना आनंद नहीं मिलता इसलिए कला सुन्दर होनी चाहिए। सुन्दरतापूर्वक शिवत्व की अनुभूति सत्य के प्रतिपादन से करना कला का उद्देश्य है। कला की यही भारतीय जीवन दृष्टि है। जीवन में सत्य, शिव और सुन्दरता की जितनी मात्रा होगी, जीवन उतना ही सुखकर और सुन्दर होगा। असत्य, अशिव और असुन्दरता को जीवन से हटाना और सत्य, शिव और सुन्दरता के भाव को जगाना कला का प्रधान कार्य है।
संस्कार भारती के कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए श्री भागवत ने कहा कि कला के क्षेत्र में कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को इन विचारों को कला जगत में स्थापित और प्रतिष्ठित करना आज की परिस्थिति में अतिआवश्यक है। परिश्रम से जनशक्ति का निर्माण हो सकता है और उसी जनशक्ति से प्रभावी कार्यकर्ता मिलते हैं जिनके आधार पर हम समाज में संस्कारयुक्त वातावरण निर्माण कर अपेक्षित परिवर्तन ला सकेंगे। इस हेतु हमें आत्मचिंतन करना चाहिए।
कार्यक्रम में ईटानगर से नागपुर पहुंचे श्री योगेन्द्र ने असम की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि असम में कोकराझार की स्थिति गंभीर है। लोग वहां अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ रहे है। उनके विधायक को ही सरकार ने हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि बंगलादेशी मुसलमानों की घुसपैठ के कारण आज असम तथा पूर्वांचल की स्थिति गंभीर बनी है। ऐसी परिस्थिति में भी संस्कार भारती के कार्यकर्ता वहां के 27 जिलांे में काम कर रहे हैं।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में संस्कार भारती के कलाकारों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये। 'संस्कृति उत्सव' नाम से आयोजित कार्यक्रम के अंतर्गत 'संगीत सौभद्र' नाटक से नांदी गायन, सुबोध सुर्जिकर द्वारा 'कलौत्पत्ति का मूक नाट्य', स्वाति भालेराव की टीम ने 'गोंधल', 'श्रीमंत योगी' नाटक का एक प्रवेश, सिक्किम का लोक नृत्य, मंगलागौरी गीत, कोली नृत्य और सुश्री अरुंधती देशमुख का रबीन्द्र संगीत तथा डा. संगीता नायक ने प्रस्तुत किया 'राग वृन्द'। सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने यहां उपस्थित गण्यमान्य लोगों का मन मोह लिया। इस अवसर पर श्री भागवत के साथ वरिष्ठ विचारक श्री मा.गो. वैद्य एवं संघ के नागपुर महानगर संघचालक डा. दिलीप गुप्ता भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री दीप्ती कुशवाहा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन किया संस्कार भारती, नागपुर के कार्याध्यक्ष श्री वीरेन्द्र चांडक ने। सुषमा पाचपोर
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