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Sep 1, 2012, 12:00 am IST
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देश से बाहर किए जाएं बंगलादेशी घुसपैठिए

दिंनाक: 01 Sep 2012 14:09:17

देश से बाहर किए जाएं

बंगलादेशी घुसपैठिए

–डा. कृष्ण गोपाल, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ

पिछले दिनों असम में हुई में हिंसा में बड़ी संख्या में लोग मारे गए तथा लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा। असम की इस हिंसा के विरोध में देशभर में अनेक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए तथा अनेक स्थानों पर संगोष्ठी–परिचर्चा के जरिए हिंसा के पीछे के कारणों को जानने का प्रयास किया गया। साथ ही इस समस्या के समाधान पर भी चिंतन–मंथन हुआ। यहां उन्हीं धरने–प्रदर्शन तथा संगोष्ठी–परिचर्चाओं को दिया जा रहा है। 

नई दिल्ली में रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल की प्रेस वार्ता तथा 'बंगलादेशी घुसपैठ एवं असम हिंसा समस्या–समाधान' विषय पर संगोष्ठी

'आज असम की जो स्थिति बनी हुई है उसके लिए बंगलादेशी घुसपैठिए जिम्मेदार हैं। वहां बड़ी संख्या में बंगलादेशी घुसपैठिए बसे हुए हैं, जिन्होंने असम की जनसांख्यिकी को ही बदल कर रख दिया है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब इन घुसपैठियों की पहचान कर इन्हें देश से बाहर कर दिया जाएगा'। यह कहना है रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल का। वे गत 24 अगस्त को नई दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। इसी दिन डा. कृष्ण गोपाल ने दिल्ली के सिरीफोर्ट सभागार में 'बंगलादेशी घुसपैठ एवं असम हिंसा समस्या-समाधान' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को भी संबोधित किया। संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के उत्तर-पूर्व विभाग द्वारा किया गया था। संगोष्ठी में असम के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री एस.पी. कार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए डा. कृष्ण गोपाल ने कहा असम की स्थिति आज चिन्ताजनक है। जुलाई मास से प्रारम्भ हुई हिंसक घटनाओं के कारण लाखों लोगों का विस्थापन हुआ है। यह दु:ख की बात है कि 'बोडोलैण्ड टेरीटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स' (बी.टी.ए.डी.) नामक भारतीय क्षेत्र में हुई घटनाओं से अपने ही देश के नागरिक शरणार्थी बन गये हैं। उन्होंने कहा कि बंगलादेशी घुसपैठियों के सम्बन्ध में अनेक वर्षों के प्रयासों के बावजूद अभी तक कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिल पायी है। सर्वोच्च न्यायालय ने आई.एम.डी.टी. एक्ट को निरस्त करते समय 2005 में तथा एक बार पुन: 2006 में सरकार की मंशा पर तीखी टिप्पणियां की थीं तथा इस समस्या के सामाधान हेतु गंभीर निर्देश भी दिये थे। किन्तु कोई भी सकारात्मक परिणामकारी कदम न उठाने के कारण यह समस्या आज इतने विकराल रूप में सामने आई है। उत्तर पूर्वांचल के सभी प्रान्त बंगलादेशी घुसपैठ से त्रस्त हैं। स्वतंत्रता के बाद भी घुसपैठ का क्रम रुका नहीं और इस कारण इन घुसपैठियों की उपस्थिति के चलते असम के 9 जिले मुस्लिम बहुल जिलों में बदल गये हैं।

डा. कृष्ण गोपाल ने कहा गंभीर बात यह है कि यह बंगलादेशी घुसपैठिए पूरे देश में फैल चुके हैं। करीब 3 करोड़ बंगलादेशी इस समय देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद हैं। इन्हीं घुसपैठियों ने बंगलूरु, हैदराबाद, पुणे आदि स्थानों पर रह रहे उत्तर पूर्व राज्य के लोगों को धमकी भरे संदेश भेजकर स्थान छोड़ने को कहा। यह बंगलादेशी घुसपैठिए देश के लिए खतरा बन                                                              चुके हैं।

'बंगलादेशी घुसपैठ एवं असम हिंसा समस्या-समाधान' संगोष्ठी में डा. कृष्ण गोपाल ने पावर प्वाइंट के जरिए बहुत ही सुंदर ढंग से उत्तर-पूर्व राज्यों की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज म्यांमार, कंबोडिया, चीन, तिब्बत, थाईलैण्ड में अगर इस्लाम नहीं पहुंचा है तो इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ असम को जाता है जिसके निवासियों ने इस्लामी आक्रमण को रोका। पूर्वोत्तर भारत तथा पूर्वी एशिया के लोगों के धर्म तथा उनकी संस्कृति को जिन्होंने बचाए रखा वे असम के ही लोग थे। यह विश्व इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय है।

डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि आजादी के समय (1947) असम का एक भी जिला, ब्लाक, कमिश्नरी मुस्लिम बहुल नहीं था। लेकिन आज 9 जिले मुस्लिम बहुल हो गए हैं। राज्य में साढ़े तीन हजार गांवों में ऐसे हैं जहां एक भी हिन्दू नहीं है। बंगलादेशियों ने चार हजार गांवों में मुस्लिम और बसा दिए हैं। पूरा धुबरी जिला बंगलादेशियों से भरा पड़ा है। यह कैसे हो गया? क्या 'सेकुलरिज्म' का यही मतलब है? उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की पहले से चली आ रही वोट बैंक की राजनीति के कारण असम तथा देश के अन्य क्षेत्रों में आज यह स्थिति बनी है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री एस.पी. कार नेे कहा कि मौजूदा घटनाक्रम विगत 6 जुलाई से प्रारम्भ हुआ। यह स्थिति अचानक नहीं बनी, बल्कि धीरे-धीरे इसका निर्माण किया गया। संगोष्ठी में रा.स्व.संघ दिल्ली प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा सहित बड़ी संख्या में राजधानी दिल्ली के गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे। प्रतिनिधि

 

कोटा

देश की एकता–अखण्डता के लिए खतरा है बंगलादेशी घुसपैठ  

असम समस्या पर कोटा में प्रबुद्धजन गोष्ठी

–डा. भगवती प्रसाद, प्रांत संघचालक, चित्तौड़ प्रांत, रा.स्व.संघ 

राष्ट्र चेतना अभियान समिति, कोटा महानगर के तत्वावधान में गत 24 अगस्त को 'जलता हुआ असम' भारत की अखण्डता को खतरा विषय पर प्रबुद्धजन गोष्ठी सम्पन्न हुई। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रा.स्व.संघ, चित्तौड़ प्रांत के प्रांत संघचालक डा. भगवती प्रसाद शर्मा ने कहा कि बंगलादेशी घुसपैठियों द्वारा असम में जमीन कब्जा कर वहां के जनजाति समाज को आतंकित करने से भड़की हिंसा के बाद देशभर में पूर्वोत्तर के निवासियो के विरुद्ध हिंसा का दौर देश की एकता और अखण्डता के लिये गम्भीर चुनौती बनकर उभर रहा है। असम का जनजाति समाज अपने ही क्षेत्र में अपनी पहचान खोता जा रहा है। घुसपैठियों द्वारा बोडो क्षेत्र में फैलाये दंगो से हजारों लोग मारे गये एवं लाखों लोगों के विस्थापित होने की घटनायें चिंताजनक हैं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री अरविन्द गोयल थे, जबकि अध्यक्षता श्री चन्द्रमोहन सिंह चौहान ने की। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में कोटा के गण्यमान्य नागरिकों ने भाग लिया।प्रतिनिधि 

दिल्ली

विश्व हिन्दू परिषद की मांग

घुसपैठियों को दिल्ली से खदेड़ो

इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद की गत 26 अगस्त को संपन्न हुई बैठक में परिषद के महामंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन ने कहा कि केन्द्र व दिल्ली की सरकार, पुलिस तथा प्रशासन असम में बंगलादेशी घुसपैठियों की समस्या से उत्पन्न स्थिति से सबक लेकर राजधानी में अवैध रूप से बसे लगभग दस लाख बंगलादेशियों को अविलम्ब दिल्ली से बंगलादेश सीमा पार कराकर भारत-बंगलादेश सीमा सील करे। उन्होंने कहा कि जब से दिल्ली में घुसपैठिए आए हैं आम नागरिकों का जीना दूभर हो गया है। माननीय उच्च न्यायालय के बार-बार कहने के बावजूद अभी तक केवल 1076 बंगलादेशियों को ही पकड़ा जा सका है, जबकि लगभग तीन हजार से अधिक का आपराधिक ब्योरा दिल्ली पुलिस के रिकार्ड में दर्ज है, जो न सिर्फ हत्या, लूटपाट, चोरी, आगजनी, डकैती, ड्रग्स, नकली नोट इत्यादि के धन्धों में लिप्त हैं बल्कि इनके पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी आई.एस.आई. व बंगलादेशी आतंकी संगठन हूजी सहित अनेक आतंकी संगठनों से गहरे सम्बन्ध हैं। श्री सत्येन्द्र मोहन ने कहा कि यदि इन अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों को दिल्ली से नहीं खदेड़ा गया तो ये असम की तरह दिल्ली की भोली-भाली निर्दोष जनता को खदेड़ने में सक्षम हो जाएंगे।

बैठक में इस संबंध में सर्व सम्मति से एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि गत कुछ वर्षों में ही असम के कई जिले बंगलादेशियों की अवैध घुसपैठ के कारण मुस्लिम बहुल हो गए और अब उन्होंने वहां रह रहे बोडो व अन्य हिन्दू समुदाय के लोगों पर जघन्य अत्याचार कर उन्हें घर-बार छोड़ने को मजबूर कर दिया है। दिल्ली में भी यही स्थिति बनती जा रही है। यहां का आपराधिक ग्राफ बढ़ता जा रहा है। प्रस्ताव में विहिप ने मांग की है कि एक समयबद्ध विशेष अभियान के तहत इन राष्ट्रद्रोहियों को चिन्हित कर सीमा पार खदेड़ कर भारत-बंगलादेश सीमा को सील किया जाए तथा इनके भारतीय समर्थकों तथा शुभचिन्तकों के विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई की जाए।  प्रतिनिधि

 

 

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