भ्रष्टाचारियों को 'सलामी?'-महाराष्ट्र/ द.वा. आंबुलकर-
|
महाराष्ट्र/ द.वा. आंबुलकर
मुम्बई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने जलगांव नगर निगम की गृहनिर्माण परियोजना में हुए भ्रष्टाचार के मामले में राज्यमंत्री गुलाबराव देवकर को प्रथम दृष्ट्या दोषी पाया। न्यायालय की 'जेल भेजा जाए या छोड़ दिया जाए' टिप्पणी के बावजूद राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता कहते हुए घूम रहे हैं कि उच्च न्यायालय ने गुलाबराव देवकर को पूरी तरह दोषी नहीं पाया है, इसलिए उन्हें त्यागपत्र देने की कोई जरूरत नहीं है। इस चर्चा और आलोचना के बीच गुलाबराव देवकर ने एक राज्यमंत्री के नाते अपने गृहनगर जलगांव में गत 15 अगस्त को तिरंगा फहराकर पुलिस की सलामी ली। यह बहुत शर्मनाक अवसर था जब भ्रष्टाचार के अपराध में दोषी पाए जाने के बावजूद आरोपी मंत्री ने स्वाधीनता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया तथा पुलिस द्वारा सलामी दे का सम्मान भी प्राप्त किया।
दूसरी ओर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा कांग्रेसी विधायक कृपा शंकर सिंह मुम्बई में रमजान के दौरान आयोजित एक इफ्तार पार्टी में प्रमुख रूप से मौजूद रहे तथा वहां मौजूद पुलिसकर्मियों द्वारा उन्हें सम्मानपूर्वक स्थान दिया गया, जिसके चित्र एवं समाचार छपे, जिसकी काफी आलोचना हो रही है। यह वही कृपा शंकर सिंह हैं जिनकी बेनामी आय तथा संपत्ति के जांच के आदेश न्यायालय द्वारा दिए गये हैं तथा जिनके पास एक नहीं बल्कि दो-दो पासपोर्ट एवं पैनकार्ड पाये गये तथा जिनके मुम्बई स्थित निवास स्थान से जिंदा कारतूस बरामद होने पर वे कथित रूप से 'फरार' हो गए तथा उनकी तलाश करने वाली मुम्बई पुलिस ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया है कि कृपा शंकर सिंह कहीं नहीं मिल रहे हैं। विवादों से घिरे तथा 'फरार' व्यक्ति की पुलिस द्वारा रोजा इफ्तार के दौरान सम्मानपूर्वक सुरक्षा व्यवस्था करना किसी भी सभ्य समाज के गले नहीं उतर रहा है। यही नहीं, कृपा शंकर सिंह का इफ्तार के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के निकट बैठना एवं मुख्यमंत्री से लगातार बातचीत करते रहने के चित्र प्रकाशित होना इसी बात का प्रमाण है कि 'फरार' कृपा शंकर सिंह को मुम्बई पुलिस अब तक क्यों नहीं गिरफ्तार कर सकी?
टिप्पणियाँ