सेकुलरवाद का कुफल
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सेकुलरवाद का कुफल

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Aug 25, 2012, 12:00 am IST
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पाठकीय:अंक-सन्दर्भ 5 अगस्त,2012सेकुलरवाद का कुफल

दिंनाक: 25 Aug 2012 16:16:19

पाठकीय:अंक-सन्दर्भ 5 अगस्त,2012

श्री प्रदीप कृष्णन की रपट 'लव जिहाद के रास्ते केरल के इस्लामीकरण की साजिश' सनातन-धर्मियों के लिए एक चेतावनी है। 'लव जिहाद' की गहराई में जाने का समय आ गया है। हिन्दू समाज को यह बताना होगा कि 'लव जिहाद' के कारण प्रतिदिन सैकड़ों हिन्दू लड़कियां जबरन मुस्लिम बनाई जा रही हैं। इसके बाद उन लड़कियों के साथ क्या होता है, यह सबको पता है। झांसा देकर निकाह किया जाता है, फिर कुछ समय बाद तलाक दे दिया जाता है। यह सब षड्यंत्र है। फिर भी हिन्दू जागरूक नहीं हो रहे हैं।

–पं. जगदीश लाल शर्मा

बी/64, रघुवीर इन्कलेव, नजफगढ़ (दिल्ली)

केरल 'लव जिहाद' का केन्द्र है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2006 से लेकर अब तक 7713 लोग मुस्लिम बनाए गए। यह सब सेकुलरवाद का कुफल है। सेकुलरवाद यानी मुस्लिम तुष्टीकरण। तुष्टीकरण की नीतियों ने ही पूरे देश में कट्टवादियों का मनोबल बढ़ाया है। कोई मुस्लिम युवक काफी समय तक किसी हिन्दू लड़की के पीछे पड़ता है और छल-कपट से एक दिन उससे निकाह कर लेता है। किन्तु समाज उसका प्रबल विरोध नहीं करता है।

–प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर

1-10-81, द्वारकापुरम, दिलखुशनगर

हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)

केवल केरल ही नहीं ऐसे अनेक राज्य हैं जहां मजहबी कट्टरवादी तेजी से अपनी गतिविधियां फैला रहे हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों का ईसाईकरण किया जा रहा है। वोट की राजनीति देश को बर्बादी की ओर ले जा रही है। केरल में वह सब होने लगा है जो विभाजन से पूर्व होता था। जिहादी पूरे विश्व का इस्लामीकरण करना चाहते हैं, और इसके लिए जान देकर भी काम कर रहे हैं। यह पूरे विश्व के लिए चिन्ता का विषय है।

–वीरेन्द्र सिंह जरयाल

28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर दिल्ली-51

हैरत इस बात की है कि इतने बड़े पैमाने पर हो रहे मतान्तरण को लेकर कांग्रेसी और अन्य सेकुलर नेता खामोश हैं। मतान्तरण के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है। भोली और मासूम हिन्दू लड़कियों को प्रेम-जाल में फंसाया जाता है। उनका भावनात्मक शोषण किया जाता है। यह षड्यंत्र देश के अनेक हिस्सों में जारी है। मुस्लिम शासकों ने बलपूर्वक मतान्तरण कराया। अब यह समुदाय छल का सहारा ले रहा है। यह हिन्दू समाज के लिए चिन्ता का विषय है।

–मनोहर 'मंजुल'

पिपल्या–बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़-451225  (म.प्र.)

पूरी सच्चाई नहीं

चर्चा सत्र में श्री मुजफ्फर हुसैन ने अपने लेख 'यहूदी मुसलमानों की खोज' में यह विचार स्थापित किया है कि मजहब और जाति के झगड़े स्वत: समाप्त हो जाएंगे अगर भारत में बसने वाली जनता को अपना भूतकाल मालूम हो जाए। उनकी इस मान्यता में संभव है पूरी सच्चाई न हो। मुसलमान पठानों और हिन्दू राजपूतों के आपसी संबंधों में कड़वाहट शायद ही होती हो। पठानों को सदा स्मरण रहता है कि इस्लाम पूर्व उनका किस जाति से संबंध था। किन्तु पठानों को छोड़कर अन्य मुस्लिम उपजातियां अपने भूतकाल की सच्चाई को जानने के लिए तत्पर नहीं रहती हैं। जिन्ना और अल्लमा इकबाल को पता था कि उनके पूर्वज किस जाति के थे। किन्तु उनके चिन्तन ने भारत की क्या दशा बना दी जगजाहिर है।

–क्षत्रिय देवलाल

उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया,

कोडरमा-825409 (झारखण्ड)

भारत के अधिकांश मुसलमानों के पूर्वज हिन्दू थे। किन्तु इस सत्य को वे लोग स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि पहले की बातों में क्या रखा है? अब जिस मत को मान रहे हैं, वही उनके लिए सब कुछ है। इस भावना से लेखक भी परिचित हैं। अपने लेख में उन्होंने अलीगढ़ के एक पठान की चर्चा भी की है। फिर भी वे कह रहे हैं कि यदि भूतकाल का पता चल जाए तो झगड़े बन्द हो जाएंगे।

–गणेश कुमार

पटना (बिहार)

हज के नाम पर लूट

श्री मनमोहन शर्मा ने अपनी रपट में बताया है कि केन्द्र सरकार न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना करके हज यात्रियों पर सरकारी पैसा लुटा रही है। यह देश का दुर्भाग्य है कि जो पैसा विकास कार्यों में खर्च होना चाहिए वह वोट बैंक बनाने में खर्च हो रहा है। सरकारी पैसे पर हज यात्रा तो गैर-इस्लामी है। इस पर मुल्ला-मौलवी फतवा क्यों नहीं जारी करते हैं? इस वर्ष एक हज यात्री पर 2 लाख 25 हजार रु. खर्च होंगे। पर हर यात्री से केवल 20 हजार रु. वसूला जा रहा है। यानी एक हज यात्री पर 2 लाख 5 हजार रु. सरकार खर्च कर रही है। इस तरह तो देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाएगी।

–उदय कमल मिश्र

गांधी विद्यालय के समीप

सीधी-486661  (म.प्र.)

संवैधानिक रूप से भारत एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र है। फिर भी यहां मजहब और पंथ के नाम पर कुछ लोगों को विशेष सुविधाएं मिल रही हैं। हज यात्रा को ही देखें। मुसलमानों को हज यात्रा कराने के लिए प्रतिवर्ष अरबों रुपए भारत सरकार खर्च करती है। क्या यही पंथनिरपेक्षता है?

–अनूप कुमार शुक्ल 'मधुर'

संस्कृति भवन, राजेन्द्र नगर

लखनऊ-226004 (उ.प्र.)

दंगे और सेकुलर नेता

जिस दिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पद और गोपनीयता की शपथ ले रहे थे उसी दिन दिल्ली के लाल किला के सामने सुभाष पार्क में जबरन मस्जिद का ढांचा खड़ा किया गया। उसी समय असम में भी दंगाई एक-दूसरे को मौत के घाट उतार रहे थे। यह सिलसिला अभी भी चल रहा है। इसी समय उत्तर प्रदेश के बरेली में भी दंगे शुरू हुए, जो अब तक बन्द नहीं हुए हैं। दिल्ली और असम में कांग्रेसी सरकारें हैं और उ.प्र. में समाजवादी पार्टी की सरकार है। सपा सरकार बनने के बाद तो उ.प्र. के शहरों में दंगे शुरू हो गए हैं। फिर भी न तो सेकुलर मीडिया और न नेता वैसी हाय-तौबा मचा रहे हैं, जैसी किसी भाजपा शासित राज्य में हुई किसी हिंसा पर ये लोग शोर मचाते हैं।

–उमेश प्रसाद सिंह

के-100, लक्ष्मी नगर, दिल्ली-110092

मेट्रो मार्ग में 'मस्जिद'

सुभाष पार्क में मस्जिद का ढांचा खड़ा करना कानून को चुनौती देना है। मुसलमान जानबूझकर अशिक्षित और देश की मुख्यधारा से अलग रहना चाहते हैं। केवल संविधान, संविधान चिल्लाते रहने से संविधान की रक्षा नहीं होती। मुख्य गुनाहगार शीला दीक्षित हैं। थोड़ी उम्मीद न्यायपालिका से है। सरकार मुसलमानों पर सरकारी खजाना लुटा रही है।

–प्रो. परेश

1251/8सी, चण्डीगढ़

अलगाववादियों की करतूत भी देखो

पिछले दिनों मणिपुरी समाज की व्यथा पर एक रपट पढ़ी। अलगाववादी गुटों ने मणिपुरी समाज को पूरी तरह रौंदने का प्रयास किया है। उनकी यह करतूत कथित मानवाधिकारवादियों को नहीं दिख रही है। उन्हें तो केवल वे सुरक्षाकर्मी दिखते हैं, जो अलगाववादी गुटों को नियंत्रित करने में लगे हैं। और यदि सुरक्षाकर्मियों की कोई छोटी चूक उन्हें दिख जाती है तो चिल्लाने लगते हैं कि मानवाधिकार का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।

–अजय कुमार ध्रुर्वे

मरूपारा, कवर्धा, जिला–कबीरधाम-497995 (छ.ग.)

सरकारी उपेक्षा

श्री अमरनाथ यात्रा की देखभाल में घोर सरकारी उपेक्षा होती है। सरकारी स्तर पर यात्रा की तैयारी तब होती है जब श्रद्धालु अपने घरों से निकल पड़ते हैं। बूढ़ा अमरनाथ यात्रा की तरह बाबा अमरनाथ यात्रा के प्रबंध की जिम्मेदारी में हिन्दू संगठनों को भी शामिल किया जाए।

–लक्ष्मी चन्द

गांव–बांध, डाक–भावगड़ी

तहसील–कसौली, जिला–सोलन (हि.प्र.)

स्वार्थवश विरोध

नरेन्द्र मोदी का विरोध वही लोग कर रहे हैं, जो स्वार्थी हैं। आज देश का एक बहुत बड़ा वर्ग नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वे एक कुशल और दूरदर्शी नेता हैं।

–डा. आनन्द भारतीय

ग्रा. – बसंतपुर, पो. कुंडवा चैनपुर

जिला-पूर्वी चम्पारण (बिहार)

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