वर्षा रानी-डा. ए.डी. खत्री-
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काले काले बादल आये
लगता है जल लेकर आये
धरती प्यासी, लोग हैं प्यासे
कब से बैठे आस लगाये।
बदरा बरसो रिमझिम–रिमझिम
कृषक की चिंता दूर करो तुम
बोएं बीज खेत लहलहाएं
और अधिक न देर करो तुम।
वर्षा रानी तुम हो देवी
हम गरीब विनती हैं करते
अपनी दया हम पर भी कर दो
कब से हम हैं तिथियां गिनते
इक–इक पल है लगता भारी
बादल खाली घूम रहे हैं
कौन सी हमसे भूल हुई है
जिसकी सजा सब भुगत रहे हैं
हम नादान हैं बालक तेरे
हम को और न अब तरसाओ
भूल चूक माफ भी कर दो
धरती पर अमृत बरसाओ।
डा. ए.डी. खत्री
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