अंक संदर्भ : 29 जुलाई,2012एवं अंक संदर्भ : 22 जुलाई, 2012
|
पाठकीय
दिल्ली में लालकिले के समीप सुभाष पार्क में बहुमूल्य सरकारी जमीन पर जबरन कब्जा करके एक मस्जिद के ढांचे के निर्माण के संबंध में श्री मनमोहन शर्मा की रपट पढ़ी। क्या यह मान लिया जाय कि लगभग 300 वर्ष पहले जिस मुगलिया राज का खात्मा हो गया था, अब वह फिर वापस आ गया है या आने वाला है? अगर यह सेकुलरवाद है तो लानत है ऐसे सेकुलरवाद पर। वोट बैंक की राजनीति का इससे बदतर चेहरा और क्या हो सकता है?
–राजेन्द्र गोयल
बल्लभगढ़, फरीदाबाद (हरियाणा)
दिल्ली में कायदे-कानूनों की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर रातों-रात मस्जिद का ढांचा खड़ा करने की बात हो या सपा राज आते ही हिन्दुओं पर मुस्लिम दंगाइयों के हमले शुरू होने की बात। असम में बोडो समुदाय बेबसी में जीने को बाध्य हो या केरल सहित विभिन्न मुस्लिम-बहुल इलाकों में हिन्दुओं पर बढ़ते खतरे की घटनाओं का सवाल। सब कुछ अन्तरराष्ट्रीय मुस्लिम जगत की सोची-समझी नीति से हो रहा है। भारत को दारूल-हरब से दारूल-इस्लाम में बदल देना ही इनका उद्देश्य है। सेकुलर मीडिया सच्चाई से आंखें मूंदा बैठा है।
–क्षत्रिय देवलाल
अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा (झारखण्ड)
कांग्रेसी नेताओं की शह पर लोजपा विधायक शोएब इकबाल ने सुभाष पार्क पर जबरन कब्जा किया और मस्जिद का ढांचा खड़ा कर दिया। कांग्रेसी नेता खुलकर हिन्दू-द्रोह पर उतर आए हैं। हिन्दू समाज प्रण ले कि वह कभी कांग्रेस को माफ नहीं करेगा। हिन्दू जब तक एकजुट नहीं होंगे तब तक कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर ही चलेगी।
–दिनेश गुप्ता
पिलखुवा, गाजियाबाद (उ.प्र.)
सरकारी जमीन पर जबरन कब्जा कर मस्जिद का ढांचा खड़ा करना घोर निन्दनीय है। दोषी लोगों के विरुद्ध तुरन्त कार्रवाई होनी चाहिए। मुसलमानों को समझना चाहिए कि कांग्रेस उन्हें सिर्फ वोट समझती है, इसलिए उनकी भावनाओं का भी वह दोहन करती रहती है। राष्ट्रवादी मुसलमानों की बात मुस्लिम समुदाय को सुननी-समझनी चाहिए।
–प्रदीप सिंह राठौर
एम.आई.जी-37, ब्लॉक–बी, पनकी कानपुर (उ.प्र.)
दिल्ली में सरकारी जमीन पर मस्जिद का निर्माण दिल्ली की कांग्रेस सरकार खुद कर रही है। जंगपुरा एक्सटेंशन में बनी अवैध मस्जिद को उच्च न्यायालय के आदेश पर ढहाया गया था। किन्तु दिल्ली सरकार ने उस मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए 71 लाख रु. दिए। ऐसा क्यों किया गया यह बताने की जरूरत नहीं है। यदि कांग्रेस की ऐसी ही नीति रही तो दिल्ली के सभी सरकारी भूखण्डों पर मस्जिदें खड़ी हो जाएंगी।
–राममोहन चंद्रवंशी
अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर, टिमरनी, जिला–हरदा (म.प्र.)
दिल्ली में मस्जिद बनाने की आड़ में कांग्रेस चुनावी गणित बैठाने में लग गई है। यह कितनी दुर्भाग्यजनक बात है कि देश की राजधानी में रातों-रात किसी सरकारी जमीन पर मस्जिद बन जाती है। यदि हिन्दू ऐसा करें तो तुरन्त उनके खिलाफ कार्रवाई हो जाती है। लगता है सारे कानून केवल हिन्दुओं के लिए ही हैं।
–शान्ति कुमारी
वार्ड नं. 36, कटिहार-854105 (बिहार)
पहले जंगपुरा, फिर कर्बला और अब सुभाष पार्क पर मुस्लिमों का कब्जा। दिल्ली में यह हो क्या रहा है? कांग्रेस कट्टरवादियों को शह देकर देश की कानून-व्यवस्था की कमर तोड़ रही है। पता चला है कि कर्बला (दिल्ली) में सरकारी भूखण्डों पर कब्जा करने वालों (जो अभी बन्द हैं) को दिल्ली सरकार छोड़ने जा रही है। ऐसे में तो उनका हौसला और बढ़ेगा।
–बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-23
वंश–पूजा
सम्पादकीय 'राहुल का ऐलान' पढ़ा। राहुल को केवल इसलिए आगे बढ़ाया जा रहा है कि वे सोनिया गांधी के पुत्र हैं। राहुल की दादी और पिता प्रधानमंत्री रहे हैं। इसलिए उन्हें बड़े दायित्व देने की बात चल रही है। राहुल में कितनी 'क्षमता' है वह गुजरात, बिहार, उ.प्र. आदि राज्यों में दिख चुकी है। जहां-जहां वे गए कांग्रेस का बंटाधार हो गया फिर भी कांग्रेसी उन्हें दायित्व देने की बात कर रहे हैं। यह वंश-पूजा नहीं तो क्या है?
–हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)
दोस्ती का दुष्परिणाम
श्री नरेन्द्र सहगल के आलेख 'राष्ट्र-विरोधी मजहबी जुनून' में कश्मीर को लेकर कांग्रेस की गन्दी राजनीति बाहर आई है। संप्रग सरकार विभाजनकारी तत्वों को संरक्षण देती है। कांग्रेस ने ही कश्मीर में धारा 370 लागू कर उसे विशेष राज्य का दर्जा दिया है। कांग्रेस की घातक नीति के कारण कश्मीर आज कट्टरवादी और अलगाववादी तत्वों का खुला मैदान हो गया है। पूरी कश्मीर घाटी हिन्दूविहीन हो गई है।
–मनोहर 'मंजुल'
पिपल्या–बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़-451225 (म.प्र.)
वार्ताकारों ने धारा 370 के दुष्परिणामों की अनदेखी क्यों की? दरअसल वार्ताकारों की रपट के माध्यम से केन्द्र सरकार ने फिर एक बार मुसलमानों को रिझाना शुरू किया है। वोट बैंक की राजनीति के कारण कश्मीर समस्या नासूर बनती जा रही है। धारा 370 की वजह से कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी मांगें होती हैं, यह जब तक हम नहीं समझेंगे तब तक कश्मीर की समस्या हल नहीं हो सकती है।
–गणेश कुमार
पाटलिपुत्र कालोनी, पटना (बिहार)
नेहरू के समय से ही कश्मीर को इस्लामी राज्य बनाने का कुचक्र चल रहा है। नेहरू और शेख अब्दुल्ला की दोस्ती का दुष्परिणाम आज पूरा भारत भोग रहा है। सोनिया-मनमोहन सरकार ने वार्ताकारों के माध्यम से जो रपट तैयार करवाई है, वह मुस्लिम तुष्टीकरण की पराकाष्ठा है। इस रपट पर अमल करने से कश्मीर भारत के हाथ से निकल सकता है।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
कश्मीरी वार्ताकार शुक्र मनाएं कि वे भारत के नागरिक हैं और ऐसी राष्ट्र-विरोधी रपट तैयार करके भी सरेआम घूम रहे हैं, भाषण दे रहे हैं। यदि ये लोग पाकिस्तान में होते और ऐसी देश-तोड़क रपट बनाते तो पता चलता कि वे कितने बड़े बुद्धिजीवी हैं। आश्चर्य होता है कि आखिर लोग अपने ही देश के दुश्मन क्यों और किस परिस्थिति में हो जाते हैं?
–सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
द्वारकापुरम, दिलसुखनगर, हैदराबाद-60 (आं.प्र.)
सोनिया के दरबारी
कमलेश सिंह की रपट 'सोनिया का ठीकरा मनमोहन के सिर' की ये पंक्तियां बड़ी अच्छी लगीं कि 'प्रधानमंत्री फिसड्डी हैं, पर यह अधूरा सच है। पूरा सच यह है कि मनमोहन-सोनिया-राहुल की तिकड़ी ही सही मायने में फिसड्डी हो रही है।' मनमोहन सिंह सोनिया के दबाव में ही सब काम करते हैं। जब कुछ अच्छा होता है तो उसका श्रेय सोनिया गांधी को दिया जाता है और जब बुरा होता है तो उसका ठीकरा मनमोहन के सिर फोड़ा जाता है। सोनिया के दरबारी इस काम को बड़ी निष्ठा के साथ करते हैं।
–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा-457222 (म.प्र.)
कठोर कानून
श्री मनोज पाण्डेय की रपट 'गुवाहाटी में मानवता शर्मसार' पढ़ी। 20-25 युवाओं ने एक लड़की के साथ सरेआम बदसलूकी की और सैकड़ों लोग उस घटना को देखकर चुप रहे। इस तरह की घटनाओं के लिए दुर्जनता से अधिक सज्जनों की निष्क्रियता जिम्मेदार होती है। सज्जनों की निष्क्रियता चिन्ता का विषय है। समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों पर रोकथाम के लिए न केवल कठोर कानून की आवश्यकता है, बल्कि जागरूकता की भी जरूरत है।
–दयाशंकर मिश्र
राजधानी एन्कलेव, लोनी, गाजियाबाद (उ.प्र.)
हिन्दुओं से सरकार की दुर्भावना
इस बार अमरनाथ यात्रा में 100 से ऊपर भक्त अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए। सन् 1997 में इस यात्रा में कई सौ यात्रियों की मृत्यु बर्फबारी से हुई थी तथा हजारों लोग बीमार हुए थे, परन्तु सरकार यात्रियों के स्वास्थ्य तथा जीवन रक्षा के लिए उचित सेवाएं प्रदान नहीं करती है। प्रति वर्ष पांच लाख से अधिक संख्या में यात्री इस यात्रा में भाग लेते हैं, परन्तु सरकार डाक्टरों की टीम इनके साथ नहीं भेजती है। हज यात्रा में तो लगभग एक लाख यात्रियों के लिए 200 चिकित्सक भेजे जाते हैं। हज यात्रियों को प्रतिवर्ष 6 अरब रुपए सब्सिडी के रूप में सरकार देती है। परन्तु इसके विपरीत दो वर्ष पूर्व हरिद्वार के कुंभ मेले में यात्रियों पर रेल का किराया 3 से 15 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था। सरकार हिन्दुओं से ही दुर्भावना क्यों रखती है?
–डा. शशिकान्त गर्ग
म.नं. 152/2, अहीर वाड़ा, कुन्दन कालोनी बल्लभगढ़, जिला-फरीदाबाद-121004 (हरियाणा)
टिप्पणियाँ