अंग दान : श्रेष्ठतम दान
July 15, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अंग दान : श्रेष्ठतम दान

by
Aug 6, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अंग दान : श्रेष्ठतम दान

दिंनाक: 06 Aug 2012 14:56:19

डा. हर्ष वर्धन

चिकित्सा क्षेत्र में हो रही निरन्तर उन्नति ने अनेक लाइलाज माने गये रोगों पर विजय प्राप्त कर ली है। चिकित्सा क्षेत्र को अंग प्रत्यारोपण (ट्रांसप्लांट) करने में जो सफलता अर्जित हुई है, वह एक विशद् उपलब्धि है। इसके माध्यम से जीवन त्यागने के कगार पर आये अथवा अंग विकृत लोगों को पुन: एक नया जीवन मिल जाता है। अत: अंग प्रत्यारोपण मेडिकल क्षेत्र में किसी क्रान्ति से कम नहीं है।

शरीर के विविध अंगों में आयी विकृति के कारण आज अनेक लोग मरणासन्न अथवा गंभीर विकलांगता की स्थिति में हैं। उनका एक मात्र इलाज अंग प्रत्यारोपण ही है। अंग दान करने वालों की संख्या अत्यल्प तथा मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण प्रतीक्षा की सूची बहुत लम्बी है। एक आंकड़े के अनुसार हर वर्ष एक लाख कोर्निया की जरूरत होती है लेकिन 25000 कोर्निया ही प्रत्यारोपित हो पाती हैं। हर वर्ष एक से डेढ़ लाख किडनी की जरूरत होती है लेकिन 3500 से 4000 किडनी ही प्रत्यारोपित हो पाती हैं। प्रत्येक वर्ष 15000 से 20000 यकृत (लीवर) की जरूरत होती है परन्तु 500 ही प्रत्यारोपित हो पाते हैं। यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि अनेक लोग आवश्यक अंग की उपलब्धता न होने के कारण असमय मौत का शिकार बन जाते हैं। विचार करें यदि समय रहते अंग उपलब्ध हो जाए तो एक व्यक्ति को नया जीवन मिल सका है।

प्राय: हम अपने जीवन में लोगों के मरने के उपरांत उनके अंतिम संस्कार में सहभागी होते हैं और उस शरीर को राख अथवा कब्र के हवाले होते देखते हैं। इस विषय पर विचार करें कि यदि एक शरीर को राख में मिलाने अथवा कब्र में डालने से पूर्व उस शरीर का अंग किसी जीवन-मौत से संघर्ष कर रहे व्यक्ति को मिल जाये तो उस शरीर से एक व्यक्ति को नया जीवन देने में कितना महानतम योगदान हो सकता है। शरीर को खाक में मिलने से पूर्व कितना अच्छा हो कि हमारे अंग किसी को जीवन दान दे सकें। मुझे बहुत दु:ख होता है कि लोग रक्त दान करने से भी परहेज करते हैं। कुछ लोग स्वस्थ एवं निरोग होने के बावजूद तथा उनके पास रक्तदाता होने पर भी मेरे कार्यालय में आकर मुझसे कहते हैं कि मेरे बीमार परिजन को रक्त की व्यवस्था अस्पताल से करवायें। मेरे कहने का अर्थ है कि लोग अपनों के लिए भी रक्त दान करने से कतराते हैं और कोई न कोई झूठा बहाना बनाते है ताकि खून न देना पड़े।

हमारा कदम हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है लेकिन अंग दान करने में विकसित देशों (जिनकी जनसंख्या भारत से बहुत कम है) से बहुत पीछे हैं। धार्मिक अंधविश्वास के कारण कुछ लोग अंग दान करने से कतराते हैं तथा जो लोग इस कार्य को करने के लिए उत्सुक भी होते हैं तो अंधविश्वास के वशीभूत लोग हतोत्साहित कर देते हैं। ऐसे लोगों से मैं यही कहना चाहूंगा कि महर्षि दधीचि जैसा कौन धर्मज्ञ होगा जिन्होंने समाज की भलाई के लिए अपने शरीर को दान कर दिया था। यदि शरीर दान में किसी प्रकार की धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन होता तो शायद महर्षि दधीचि ऐसा नहीं करते। अत: हर भारतीय को आज इस विषय पर गंभीरतापूर्वक चिन्तन करने की जरूरत है।

अंगदान क्या है –

अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति (मृत तथा कभी-कभी जीवित अवस्था में भी) से अंगों तथा 'टिश्यूज' को ले लिया जाता है और तत्पश्चात् इन अंगों को किसी जरूरतमंद व्यक्ति के शरीर में विकृत अंग के स्थान पर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। कुछ लोग जिनके अंग खराब हो जाते हैं तथा दवा से उनके ठीक होने की गुंजाइश खत्म हो जाती है तब ऐसी स्थिति में अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। शरीर के अंगों में प्रमुख रूप से हृदय, यकृत (लीवर), गुर्दा, फेफड़ा, 'पैंक्रियाज' तथा आंत का प्रत्यारोपण हो जाता है। 'टिश्यूज' भी दान किया जा सकता है तथा इसका भी प्रत्यारोपण हो जाता है। इसमें 'हार्ट वाल्व्स', कोर्निया, हड्डियां, अस्थि मज्जा (बोन मैरो), 'टेण्डन्स', मध्य कान (मिडल इअर) तथा त्वचा शामिल हैं।

कौन अंगदान कर सकता है

कोई भी व्यक्ति अंगदान कर सकता है। उम्र का इससे कोई संबंध नहीं है। नवजात बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक अंगदान कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष से कम है तो उसे अंग दान करने के लिए फार्म भरने से पूर्व अपने माता-पिता से सहमति लेना               आवश्यक है।

जीवित व्यक्ति कुछ ही अंग दान कर सकते हैं परन्तु मृत या 'ब्रेन डेड' व्यक्ति से अनेक अंग प्राप्त किये जा सकते हैं। 'ब्रेन डेड' व्यक्ति वह होता है, जिसके समस्त अंग ठीक हैं परन्तु उसका मस्तिष्क मर चुका होता है तथा उसके मस्तिष्क के पुनर्जीवित होने की कोई संभावना नहीं होती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के मस्तिष्क की शरीर के अंगों को सूचना देने का सार्मथ्य (ताकि शरीर के अंग अपना महत्वपूर्ण कार्य जैसे सांस लेना, संवेदनशीलता, आज्ञात्मकता समाप्त हो जाता है। ऐसे लोगों को 'वेन्टिलेशन' पर रखा जाता है ताकि अंगों का आक्सीजेनेशन सुचारु रहे तथा जब तक उन्हें निकाल न लिया जाये तब तक अंग स्वस्थ स्थिति में रह सकें।

मानव अंगों और 'टिश्यूज' की मांग और आपूर्ति में बहुत बड़ा अंतराल है। इस अंतराल का सबसे बड़ा कारण है कि समाज में जागरूकता की कमी तथा 'ब्रेन डेथ' को स्वीकार न करना। 'ब्रेन डेड' की स्थिति में मरीज के परिजनों को लगता है कि यदि दिल धड़क रहा है तो मरीज के ठीक होने की संभावना है और फिर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर उसके अंगदान की बात कैसे शुरू कर दी। लेकिन यह सोच गलत है। 'ब्रेन डेड' होने का अर्थ ही यह है कि इंसान अब वापस नहीं आ पायेगा और इसीलिए उसके अंगों का दान किया जा सकता है। 

कानूनी प्रक्रिया

भारत सरकार द्वारा 'ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन आर्गन एक्ट' 1994 लागू है, जिसके अंतर्गत 'ब्रेन डेथ' को वैध करार दिया गया है और मानव अंगों के निकालने, भंडारण तथा प्रत्यारोपण की व्यवस्था दी गयी है। लेकिन इस एक्ट के अंतर्गत यह भी व्यवस्था दी गयी है कि अंगदान केवल उसी अस्पताल में संभव है, जहां उसे प्रत्यारोपण करने की सुविधा उपलब्ध है। इस नियम के कारण दूर-दराज के इलाकों में अंगदान संभव नहीं हो सकता क्योंकि वहां के अस्पतालों में इतनी सुविधा उपलब्ध नहीं है। परन्तु कानूनी अड़चन को देखते हुए वर्ष 2011 में सरकार ने नियम में परिवर्तन किया है। नये नियम के अनुसार अंगदान किसी भी अस्पताल, जिसमें आई सी यू हो, में किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि उस अस्पताल में प्रत्यारोपण न भी होता हो परन्तु आई सी यू है तो अंगदान किया जा सकता है। यह नियम संभवत अभी तक लागू नहीं हुआ है लेकिन इस नियम के लागू होने के उपरांत अंगदान करना सुविधाजनक हो जायेगा।

अंगदान करने का संकल्प लें

अंगदान महादान है क्योंकि इसकी मदद से व्यक्ति कई जिन्दगी को जीवन दान देता है। व्यक्ति जीते जी रक्त, गुर्दा (क्योंकि एक गुर्दा भी शरीर के क्रियाकलाप को व्यवस्थित रखने में योग्य होता है), 'पैंक्रियाज' का हिस्सा (क्योंकि आधा 'पैंक्रियाज' भी 'पैंक्रियाज' की कार्यप्रणाली को सुचारु रखने में सक्षम होता है) और यकृत का हिस्सा (दान किया गया लीवर का भाग कुछ अवधि के उपरांत शरीर द्वारा पुन: तैयार कर दिया जाता है) दान कर सकता है। ये अंग व्यक्ति अपने परिवारजनों, निकट संबंधियों तथा जिनके साथ भावनात्मक संबंध है को दे सकता है। इसके लिए भारत की संसद द्वारा बनाये गये संबंधित कानून के तहत सरकार द्वारा केन्द्र स्तर पर गठित कमेटी प्रमाणीकरण करती है। उसके उपरांत अंग दान किया जा सकता है।

अंग दान के दो माध्यम हो सकते हैं।  कई एन जी ओ और अस्पतालों में अंगदान से संबंधित कार्य होता है। इन दोनों से संपर्क कर अंगदान संबंधी जानकारी ले सकते हैं। इनमें से कहीं भी जाकर एक फार्म भरकर दे सकते हैं कि मरणोपरान्त आप अमुक अंग दान करना चाहते हैं। आप जो अंग देना चाहेंगे केवल वहीं अंग लिया जायेगा। संस्था अथवा 'हास्पीटल' द्वारा एक 'डोनर कार्ड' मिल जायेगा लेकिन इस कार्ड की कोई कानूनी मान्यता नहीं है। जरूरी यह है कि फार्म भरने के उपरांत आप अपने परिवारजनों तथा निकट संबंधियों को इसकी जानकारी दे दें कि मैंने शरीर के इन-इन अंगों को दान कर दिया है। ऐसा भी नहीं है कि यदि आपने फार्म नहीं भरा है तो आपका अंगदान नहीं हो सकता है। इतना जरूर ध्यान करें कि अपने परिजनों और निकट संबंधियों को अपनी अंगदान संबंधी इच्छा को बताकर रखें, क्योंकि मरने के उपरांत अंगदान की जिम्मेदारी संबंधियों पर ही होगी और संबंधित एन जी ओ अथवा 'हास्पीटल' में वे ही फोन करेंगे। फार्म भरने के उपरांत भी यदि आपके सगे-संबंधी न चाहें तो अंगदान संभव नहीं है।

पाठकों को बताना चाहेंगे कि आगामी लेखों में शरीर के विविध अंगों के दान एवं मरणोपरान्त पूरे शरीर को मेडिकल कालेज में दान करने के बारे में और इस विषय पर देश में कार्य कर रही संस्थाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी।

(लेखक से उनकी वेबसाइट www. drharshvardhan.com तथा ईमेल drhrshvardhan@ gmail.com  के  माध्यम से भी सम्पर्क किया जा सकता है।)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ए जयशंकर, भारत के विदेश मंत्री

पाकिस्तान ने भारत के 3 राफेल विमान मार गिराए, जानें क्या है एस जयशंकर के वायरल वीडियो की सच्चाई

Uttarakhand court sentenced 20 years of imprisonment to Love jihad criminal

जालंधर : मिशनरी स्कूल में बच्ची का यौन शोषण, तोबियस मसीह को 20 साल की कैद

पिथौरागढ़ में सड़क हादसा : 8 की मौत 5 घायल, सीएम धामी ने जताया दुःख

अमृतसर : स्वर्ण मंदिर को लगातार दूसरे दिन RDX से उड़ाने की धमकी, SGPC ने की कार्रवाई मांगी

राहुल गांधी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर हुए रिहा

लखनऊ : अंतरिक्ष से लौटा लखनऊ का लाल, सीएम योगी ने जताया हर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

शुभांशु की ऐतिहासिक यात्रा और भारत की अंतरिक्ष रणनीति का नया युग : ‘स्पेस लीडर’ बनने की दिशा में अग्रसर भारत

सीएम धामी का पर्यटन से रोजगार पर फोकस, कहा- ‘मुझे पर्यटन में रोजगार की बढ़ती संख्या चाहिए’

बांग्लादेश से घुसपैठ : धुबरी रहा घुसपैठियों की पसंद, कांग्रेस ने दिया राजनीतिक संरक्षण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies