आदर्श जैसा पिचड़ का घोटाला
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जनजातियों की जमीन हथियाई, पर कोई कार्रवाई नहीं
महाराष्ट्र/द. वा. आंबुलकर
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या कहें कि पवार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर मधुकर पिचड़ को दोबारा निर्वाचित किए जाने पर हुआ दलगत विवाद थमा भी नहीं था कि मधुकर पिचड़ के परिजनों द्वारा नासिक जिले के जनजातियों की जमीन गैर-कानूनी तरीके से हथियाने के मामले ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
नासिक जिले के अंबाई कस्बे के किसानों की उपजाऊ जमीन हथियाने के लिए मधुकर पिचड़ ने जिन हथकंड़ों का इस्तेमाल किया वे भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं। हालांकि मधुकर पिचड़ स्वयं जनजातीय समाज के हैं तथा पवार कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले राज्य के वनवासी विकास मंत्रालय के मंत्री भी रहे हैं। आरोप है कि वनवासी विकास मंत्री के कार्यकाल के दौरान ही मधुकर पिचड़ ने सरकारी योजनाओं की आड़ में नासिक जिले के जनजातीय किसानों की जमीन हड़प ली थी। महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई में समुद्र तट पर बसे तथा पूर्व सैनिकों तथा शहीदों की विधवाओं के लिए आरक्षित जमीन पर राज्य के कई पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, राजनेता तथा वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलीभगत करके जिस तरह गैरकानूनी आदर्श परियोजना बनायी, उसी रास्ते पर चलते हुए मधुकर पिचड़ ने नासिक जिले के जनजातीय ग्रामीणों को धोखे में रखते हुए उनकी जमीन हथिया ली।
वनवासी विकास विभाग के मंत्री रहते हुए मधुकर पिचड़ ने आज से दस साल पहले यानी सन् 2002 में नासिक जिले के अंबाई गांव के जनजातीय किसानों को यह लालच दिया कि एक सरकारी परियोजना के तहत पूर्व सैनिकों तथा उनके परिजनों के पुनर्वास हेतु उनकी जमीन चाहिए, जिसके लिए उन्हें उचित मुआवजे के अलावा विकसित भूमि का भाग दिया जाएगा। इस सारे लेन-देन के लिए स्वयं 'मंत्री जी' के प्रस्ताव पर 66 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे के लालच में अंबाई गांव के ग्रामीणों ने सहमति दे दी। इस योजना के तहत मात्र 5000 रुपए की अग्रिम राशि देकर संबद्ध किसानों के अंगूठे जमीन की खरीद एवं हस्तांतरण के कागजों पर लगवा लिए गए। महाराष्ट्र के कृषिभूमि की खरीद एवं मिल्कियत हस्तांतरण से संबद्ध प्रावधानों के अनुसार ऐसे प्रत्येक मामले में संबधित जिले के जिलाधिकारी की सहमति/अनुमति आवश्यक होती है। पर स्वयं 'मंत्री जी' से जमीन हस्तांतरण का मामला जुड़ा होने के कारण नासिक के जिलाधिकारी की अनुमति 2003 में लेकर सारी कागजी प्रक्रिया पूरी की गयी। जब जनजातीय किसानों की उपजाऊ जमीन की खरीद की सारी प्रक्रिया पूरी हो गयी, तब पता चला कि जमीन की खरीद किसी सरकारी विभाग या पूर्व सैनिकों या उनके परिवार वालों ने नहीं, अपितु हेमंत मधुकर पिचड़, हेमलता मधुकर पिचड़, वैभव मधुकर पिचड़ तथा पूनम मधुकर पिचड़ द्वारा की गई थी। ये सभी मधुकर पिचड़ के परिजन हैं। हेमलता पिचड़ मधुकर पिचड़ की पत्नी हैं, जबकि हेमंत तथा वैभव पिचड़ उनके बेटे तथा पूनम पिचड़ उनकी पुत्रवधू हैं।
नासिक के जिलाधिकारी ने किसानों तथा जमीन के मालिकों को सुनवाई का अवसर दिए बिना ही जमीन के खरीद एवं हस्तांतरण पर मुहर लगवाने की कार्रवाई कर डाली, जिस पर अब प्रश्न उठ रहे हैं। इसके अलावा जिलाधिकारी के उसी आदेश पत्र में जमीन की पूरी राशि संबंधित किसान के बैंक खाते में जमा करने के निर्देश दिए गए थे, पर उन निर्देशों का पालन पिचड़ परिवार द्वारा न किए जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। अंबाई गांव के जनजातीय किसानों की जमीन धोखाधड़ी से हथिया लेने के पश्चात पिचड़ परिवार का लालच और हौसला बढ़ने लगा। उन्होंने यही तरीका निकटवर्ती कार्चुला गांव के जनजातीय किसानों के साथ भी अपनाया और उनकी जमीन भी हथियाई। कार्चुली गांव के जनजातीय किसानों से जमीन की खरीद के लिए उन्हें मधुकर पिचड़ ने जिला मुख्यालय नासिक में बुलाया। पिचड़ परिवार ने इन किसानों के आने-जाने का प्रबंध करने के अलावा उन्हें नासिक में सरकारी अतिथि गृह में रुकवा कर वहां उनके अंगूठे के निशान कागजातों पर लेकर जमीन हथियाने का दूसरा अध्याय रच दिया। अंबाई तथा कार्चुली गांव के ये गरीब किसान अब कहीं के नहीं रहे। अपने जीने का एकमात्र साधन खेती को इस तरह धोखाधड़ी से तथा औने-पौन दाम पर छीन लिए जाने के कारण इन दिनों इन गांवों के रहने वाले सोमाबाई पारधी, ताई बाई लचके, देवराम पारधी, गोविंद पारधी, सकारू लचके, सोमा भुताम्रा, रामा पारधी, रामा मुनाम्रा आदि को अपना गुजारा करने लिए किसी और के खतों में मजदूरी करने को मजबूर होना पड़ रहा है। इन किसानों ने उनके साथ हुए अन्याय तथा धोखाधड़ी के मामले में पुलिस थानों में रपट लिखवाने की कई बार कोशिश की, पर उनकी किसी ने नहीं सुनी। यहां तक कि उनकी शिकायत तक नहीं दर्ज की गई। हताश किसानों को कुछ राहत तब मिली जब सूचना के अधिकार कानून के तहत एक सामाजिक कार्यकर्ता ने यह मामला उठाया। तब यह सारी जानकारी सार्वजनिक हुई और घोटाला सामने आया।
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