|
0 वही उग्र मुस्लिम मानसिकता, वही कांग्रेसी 'वोट–बैंक षड्यंत्र' 0 न्यायालय के आदेश पर सुभाष पार्क 'सील' 0 मस्जिद बनाने पर रोक जारी, नमाज पर पाबंदी 0 खड़े किए गए अवैध ढांचे को गिराने पर निर्णय सुरक्षित 0 भारतीय पुरातत्व विभाग ने कब्जे में लिया पार्क 0 खुदाई कर पता लगाएगा अकबराबादी मस्जिद की असलियत 0 भूगर्भीय रडार तकनीकी/भूसंवेदी उपग्रह की मदद ली जाएगी 0 मुस्लिम उपद्रवियों ने रमजान के महीने में भी की हिंसा–आगजनी 0 पुलिसकर्मियों को पीटा, निर्दोष राहगीरों को सताया 0 पाञ्चजन्य (15 व 22 जुलाई) ने पहले ही चेताया था शीला–शोएब के इस षड्यंत्र से
जितेन्द्र तिवारी
अगर न्यायपालिका न हो तो वोट बैंक के लालची राजनीतिक दल मुसलमानों को खुश करने के लिए न केवल सरकारी जमीनों और इमारतों पर कब्जे करवा दें, बल्कि हज सब्सिडी की तरह सरकारी खजाने से मस्जिदें भी बनवा दें। कम से कम सुभाष पार्क पर अवैध मस्जिदनुमा ढांचे के निर्माण के बाद यह तो समझा ही जा सकता है। अब यह साफ होता जा रहा है कि मंडी हाउस से कश्मीरी गेट तक मेट्रो लाइन के विस्तार के दौरान लालकिले के पास दरियागंज से सटे ऐतिहासिक सुभाष पार्क के नीचे खुदाई के दौरान किसी खण्डहर, जिसे अकबराबादी मस्जिद का नाम दिया जा रहा है, का मिलना कोई संयोग नहीं बल्कि एक षड्यंत्र का हिस्सा है। दरअसल करोड़ों-अरबों रुपए की कीमत वाला यह सुभाष पार्क आर्थिक व व्यावसायिक दृष्टि से बेशकीमती है और मटिया महल से लोक जनशक्ति पार्टी से वर्तमान विधायक और पूर्व कांग्रेसी शोएब इकबाल की इस पर वर्षों से नजर थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित और चांदनी चौक क्षेत्र से कांग्रेसी सांसद व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की इस संबंध में शोएब इकबाल से 'डील' हो गई थी। मुस्लिम समाज के उन्माद को भड़काकर सुभाष पार्क में रातों-रात अवैध मस्जिद के निर्माण से पूर्व ही पाञ्चजन्य (15 जुलाई, 2012) ने शोएब की योजना और शीला दीक्षित की सहमति का खुलासा कर दिया था। पर न्यायालय द्वारा दखल दिए जाने के बावजूद यह कांग्रेसी षड्यंत्र चलता रहा। चूंकि यह पार्क दिल्ली नगर निगम (उत्तरी) के अधीन है, जिस पर भाजपा का कब्जा है, इसलिए केन्द्रीय गृहमंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस ने न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद शोएब इकबाल को कुछ गुण्डों के बल पर अवैध मस्जिद बनाने की छूट दी। लेकिन दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता अमन लेखी व अन्य अधिवक्ताओं ने जब पिछले शुक्रवार (20 जुलाई, 2012) को सरकारी सम्पत्ति पर अवैध कब्जे व निर्माण और पुलिस की मिलीभगत का खुलासा किया तो न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया। न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सुभाष पार्क को 'सील' कर दिया जाए, वहां किसी की भी आवाजाही पर रोक लगाई जाए, वहां किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य न हो तथा वहां कोई सत्रहवीं शताब्दी की कथित अकबराबादी मस्जिद थी या नहीं, इसकी जांच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करे। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (कार्यकारी) ए.के. सीकरी, न्यायमूर्ति संजय कृष्ण कौल एवं न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पूर्ण पीठ द्वारा राज्य सरकार, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली पुलिस और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए जाने के बाद अब शीला और शोएब के हाथ कुछ रह नहीं गया था। इसलिए शुक्रवार (20 जुलाई) देर रात और शनिवार (21 जुलाई) दिन भर सुभाष पार्क को घेरे बैठी पुलिस पर शनिवार रात उग्र मुस्लिमों में हमला बोल दिया। सुभाष पार्क को न्यायालय के निर्देश पर 'सील' करने के खिलाफ भड़काए गए लोग सुभाष पार्क के निकट बनी एक मस्जिद से रात 11.30 बजे तवारीह की नमाज (इन दिनों रमजान चल रहे हैं, इसलिए देर रात भी नमाज होती हैं) के बाद नारेबाजी करते हुए सड़क पर आ गए। सुभाष पार्क के सामने दरियागंज की लालबत्ती पर खड़ी बसों पर अचानक पत्थर बरसाने लगे। दिनभर के थके हारे लोग और बाहर के मुसाफिर घबराकर मदद की गुहार लगाने लगे। बस की सीटों के नीचे लेटकर अपनी जान बचाने की कोशिश करने लगे। पर मजहबी उन्माद से भरे जुनूनियों ने एक न सुनी। जिसे मुसलमान रमजान के पवित्र दिन कहते हैं और जिसमें लोगों की मदद करना उनका पहला फर्ज होना चाहिए, उन्हीं रमजान के दिनों में वे बेकसूर लोगों पर जुल्म ढाते नजर आए। और फिर अचानक उनमें से कुछ ने सुभाष पार्क में घुसने की कोशिश की। उसके मुख्य द्वार पर तैनात पुलिसकर्मियों को नीचे गिराकर लातों-घूसों से पीटा गया। फिर चारों तरफ से पुलिस पर हमला बोल दिया गया, पत्थरबाजी की गई। पुलिस इस अचानक हमले से कुछ देर के लिए चकरा गई, फिर संभलकर दंगाइयों पर लाठी चार्ज किया तो दंगाई सुभाष पार्क से सटे उर्दू बाजार व मदर डेरी की तरफ भाग गए। पुलिस उधर गई तो और उपद्रवी बड़ी संख्या में एकजुट होकर फिर हमलावर हो गए और सुभाष पार्क पर कब्जे की कोशिश में आगे बढ़े। अंतत: पुलिस ने अश्रु गैस के गोले दागे और बड़े संयम से काम लिया। खुद के बचाव में लाठी भांजी, चोटें खाईं, 15 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिन्हें लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें से दो की हालत गंभीर है। पर भागते-भागते भी दंगाई रास्ते में खड़ी कारों (जो अधिकांशत हिन्दू व्यावसायियों की थीं) के शीशे फोड़ते गए ताकि धमाके होते रहें। 15 मोटर साइकिलों को नुकसान पहुंचाया और पांच सरकारी वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। यह सारा हंगामा रात के दो बजे तक चलता रहा।
उपद्रव और विरोध को देखते हुए पुरातत्व विभाग रविवार से खुदाई कर जांच करने के काम से पीछे हट गया। उसे दिल्ली पुलिस पर भरोसा ही नहीं था कि वह उसे सुरक्षा दे भी पाएगी या नहीं। पुरातत्व विभाग का दिल्ली नगर निगम से कहना था कि पिछले दिनों अवैध रूप से किए गए निर्माण को गिराकर ही उसे सुभाष पार्क सौंपा जाए, ताकि वह उत्खनन कर किसी पुराने या ऐतिहासिक भवन का पता लगाए। यानी मुस्लिम समाज की उग्रता के चलते हर सरकारी विभाग अपने को बचाकर चलना चाहता था। ऐसे में 25 जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने एक बार फिर साफ कर दिया कि सुभाष पार्क में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर रोक जारी रहेगी, पुरातत्व विभाग जांच में तेजी लाए और शीघ्र रपट दे कि वहां कोई अकबराबादी मस्जिद थी या नहीं। इस जांच में दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगम पूरी मदद करे।
उधर दिल्ली के हिन्दू संगठनों ने भी कमर कस ली है। विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू महासभा, हिन्दू नव निर्माण सेना और राष्ट्रवादी सेना की सामूहिक बैठक में कहा गया है कि वहां पांडवकालीन मंदिर था, जिसके ऊपर अवैध मस्जिद के निर्माण का प्रयास किया जा रहा है। हिन्दू संगठनों ने घोषणा कर दी है कि यदि शुक्रवार को वहां नमाज पढ़ने की कोशिश की गई और अवैध निर्माण नहीं गिराया गया तो वहां हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा। विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल ने भी अवैध निर्माण तुरंत गिराने की मांग की है (देखें पृष्ठ 16)। पिछले शुक्रवार (20 जुलाई) को भी हिन्दू संगठनों ने गौरीशंकर मंदिर से सुभाष पार्क के लिए कूच किया था लेकिन तब पुलिस ने हिन्दुओं को गिरफ्तार कर लिया था और मुसलमानों को नमाज पढ़ने की खुली छूट दे दी थी। पुलिस की इस दोहरी चाल के विरुद्ध हिन्दू संगठनों ने न्यायालय में अवमानना याचिका दायर कर दी है और उधर न्यायालय का रवैया भी सख्त है, इसलिए 27 फरवरी (शुक्रवार) को पुलिस ने सुभाष पार्क के निकट किसी भी मुस्लिम को फटकने तक नहीं दिया और उधर गौरीशंकर मंदिर से पार्क की ओर बढ़ रहे हिन्दुओं को भी वहीं रोक दिया। सुभाष पार्क में अब शीला-शोएब की योजना पर फिलहाल तो लगाम लग गई है। लेकिन अवैध निर्माण का मौका देकर और उससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएं भड़काकर वोट बैंक राजनीति का जो घिनौना खेल खेला गया उससे यह साफ हो गया है कि कट्टरवादी मुस्लिम नेता अभी भी 1947 वाली मानसिकता में जी रहा है और कांग्रेस अभी भी तुष्टीकरण की उसी राह पर चल रही है जिसने देश का विभाजन कराया था।
अवैध ढांचा हटाने के लिए संतों का प्रचण्ड प्रदर्शन
हजारों ने किया 'महा हनुमान चालीसा' का पाठ, राष्ट्रपति को ज्ञापन
दिल्ली के वरिष्ठ संतों के नेतृत्व में 27 जुलाई को सुभाष पार्क से अवैध ढांचा हटाये जाने की मांग को लेकर प्रचण्ड प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में दिल्ली के वरिष्ठ संतों व हजारों की संख्या में देशभक्त नागरिकों ने भाग लेकर 'महा हनुमान चालीसा' का पाठ किया। पाठ से पूर्व हुई सभा को सम्बोधित करते हुए संतो ने घोषणा की कि जब तक सुभाष पार्क में अराजक तत्वों द्वारा बनाये गये इस ढांचे को हटाया नहीं जाता, हमारा विरोध जारी रहेगा।
चांदनी चौक स्थित गौरीशंकर मंदिर के बाहर हुए विशाल 'महा चालीसा पाठ' कार्यक्रम को जगतगुरू रामानन्दाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य, दिल्ली संत महामण्डल के अध्यक्ष व कार्यक्रम के संयोजक महंत नवल किशोर दास, महामण्डलेश्वर स्वामी राघवानन्द, स्वामी धर्मदेव, महन्त सुरेन्द्र नाथ अवधूत, महन्त भईया दास व स्वामी चकपाणि सहित अनेक संतों तथा विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ओम प्रकाश सिंहल, प्रांत महामंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन, संगठन मंत्री श्री करूणा प्रकाश, हिन्दुस्थान नव निर्माण दल के श्री शैलेन्द्र जैन व श्री अशोक कपूर, राष्ट्रवादी शिव सेना के अध्यक्ष श्री जय भगवान गोयल, हिन्दू मंच के श्री राम शरण यादव, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा के संगठन मंत्री श्री बृज मोहन सेठी, हिन्दू रक्षा समिति के श्री राकेश गोला, हिन्दू स्वाभिमान संघ के श्री धर्मेन्द्र पाण्डेय, राष्ट्रीय सिख संगत के सरदार उजागर सिंह, क्षेत्रीय गोरक्षा प्रमुख श्री राष्ट्र प्रकाश तथा पूर्व पार्षद श्री सुमन गुप्ता सहित अनेक संगठनों के पदाधिकारियों ने सम्बोधित किया। संतों के एक प्रतिनिधि मण्डल ने कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति भवन जाकर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी को बधाई दी और सुभाष पार्क मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ज्ञापन भी दिया।प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ