अवसरवादी गठबंधन
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

अवसरवादी गठबंधन

by
Jul 30, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अवसरवादी गठबंधन

दिंनाक: 30 Jul 2012 12:33:09

यह जीव ईश्वर के समान स्वतंत्र नहीं है, अत: अपनी इच्छा के अनुसार कुछ नहीं कर सकता। काल इसे इधर–उधर खींचता रहता है।

–वाल्मीकि (रामायण, अयोध्याकाण्ड, 105/15)

कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। कांग्रेस के नेतृत्व में चल रहे संप्रग में खलबली है। मानो प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह लगातार एक के बाद एक घटक दलों का दबाव झेलने को अभिशप्त हैं। अब तक ममता ही संप्रग का सिरदर्द बनी हुई थीं, लेकिन अब शरद पवार ने भी मोर्चा खोल दिया। हालांकि मान–मनौव्वल से शरद पवार ठंडे पड़ गए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सब ठीक–ठाक हो गया। दरअसल जब गठबंधन का आधार दलगत स्वार्थ हों और मोल–भाव व लेन–देन की राजनीति उसके मूल में हो तो अंदर तिरकन बनी रहती है। ऐसा ही कुछ संप्रग का स्वरूप है, जहां सभी घटक दल अपना दबदबा बनाए रखने को आतुर हैं। ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस की सांसें अटका रखी थीं, लेकिन अंत में ममता के प्रणव मुखर्जी को समर्थन देने की घोषणा से संप्रग की जान में जान आई। परंतु प.बंगाल को पैकेज का मुद्दा दोनों के बीच अभी भी फंसा है और ममता की घोषणा, कि वे प.बंगाल में एकला चलेंगी, से कांग्रेस के सामने राज्य में अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। इसी तरह शरद पवार ने पहले सरकार में नं.2 की जगह पाने के लिए मुंह फुला लिया और अब महाराष्ट्र में राकांपा–कांग्रेस की गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री द्वारा राकांपा कोटे से पवार के चहेते दो मंत्रियों के विभागों से संबंधित जांच को हरी झंडी दी तो पोल खुलने के डर से संप्रग को तेवर दिखा दिए। लेकिन समस्या दोनों की है, कांग्रेस और घटक दलों के रिश्ते 'तोकों और न मोकों ठौर' वाले हैं, क्योंकि संप्रग की सारी राजनीति सत्ता केन्द्रित है। सभी घटक दलों के सत्ता स्वार्थ हैं, वे परस्पर टकराते हैं तो 'उसे ज्यादा मुझे कम क्यों' की तर्ज पर विवाद बढ़ता है, लेकिन लड़ेंगे तो सत्ता जाएगी, की सोच उन्हें एक–दूसरे की मजबूरी में बांधे रखती है। इसीलिए प्रधानमंत्री हर समस्या की जड़ में गठबंधन की मजबूरी का राग अलापते हैं।

एक समय करुणानिधि की दबाव की राजनीति ने भी कांग्रेस की नाक में खूब दम किए रखा। लेकिन राष्ट्रहित को दरकिनार कर घटक दलों को साधने और सत्ता में बने रहने की लिप्सा से ही कांग्रेस घिरी है। इसी कारण देश में सुरसा के मुंह की तरह फैलते गए भ्रष्टाचार की अनदेखी भी संप्रग सरकार ने की और प्रधानमंत्री 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य सूत्रधार तत्कालीन संचार मंत्री ए.राजा को दूध का धुला बताते रहे। संप्रग में बिखराव की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने खुलकर आरोप लगाया कि घटक दलों में तालमेल न होने के लिए कांग्रेस दोषी है। राकांपा नेताओं के गुस्से का आलम यह था कि पार्टी के तीनों मंत्रियों ने अपने मंत्रालयों के कामकाज तक का बहिष्कार कर दिया, सरकारी गाड़ियां लौटा दीं और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी को बधाई देने अपनी निजी कारों से गए। प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित भोज का भी पवार व उनकी टीम ने बहिष्कार कर दिया। इतना गुस्सा यकायक कैसे शांत हो गया? जाहिर है सौदेबाजी ही इसके पीछे है। सारा झगड़ा सत्ता की मलाई का है, उसमें बराबर की भागीदारी सभी चाहते हैं। कांग्रेस भी दबाव बनाए रखने के लिए सीबीआई और केन्द्रीय मदद का राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से इस्तेमाल करती है। लेकिन घटक दल भी जानते हैं कि कांग्रेस की साख लगातार गिर रही है और उसे आगामी लोकसभा चुनाव में अपना भविष्य सुरक्षित नहीं दिख रहा, इसलिए वे भी यदा-कदा दबाव की राजनीति अपनाकर अपने लिए सत्ता समीकरणों में बढ़ा रुतबा चाहते हैं। संप्रग से बाहर के दल व नेता भी इसी मानसिकता से कांग्रेस के साथ रिश्तों में नरमी-तल्खी बरतते हैं, विशेषकर मुलायम सिंह व मायावती, लेकिन सीबीआई का कोड़ा सबको रास्ते पर ले आता है। राष्ट्रपति चुनाव में तो यह साफ-साफ दिखा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐसी अवसरवादी और सत्तालोलुप राजनीति देश का क्या भला करेगी?

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Europe Migrant crisis:

Europe Migrant crisis: ब्रिटेन-फ्रांस के बीच ‘वन इन, वन आउट’ डील, जानिए क्या होगा असर?

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Europe Migrant crisis:

Europe Migrant crisis: ब्रिटेन-फ्रांस के बीच ‘वन इन, वन आउट’ डील, जानिए क्या होगा असर?

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies