|
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सत्ता संभालने के साथ ही मुस्लिम आक्रामकता में वृद्धि और हिन्दू समाज के उत्पीड़न का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। प्रत्येक घटना सरकारी संरक्षण में पनपते कथित अल्पसंख्यक वर्ग के गुण्डों के दु:साहस तथा हिन्दू समाज की प्राताड़ना की पराकाष्ठा को व्यक्त कर रही है। बुलन्दशहर के खुर्जा क्षेत्र के गांव बौरोली में हुई लोमहर्षक घटना इसका प्रमाण है। घटनाक्रम के अनुसार गत 2 जुलाई को बौरोली में एक मजहबी स्थल पर लाउडस्पीकर लगाने को लेकर हुए विवाद के बाद दंगाईयों द्वारा हिन्दू समाज पर सुनियोजित हमला कर आगजनी, लूटपाट, मारपीट तथा गोलीबारी की गई, जिसमें एक दर्जन लोग घायल हुए। उक्त घटना के दौरान ही कुछ गुण्डे एक घर में जबरन घुसे तथा महकवती (45 वर्ष) को घेर लिया। उन्होंने पहले उसे लाठी-डण्डों से बुरी तरह पीटा, फिर जबरदस्ती अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र के एक घर की छत पर खींच ले गये। वहां उन्होंने बड़ी ही निर्दयतापूर्वक महकवती के मुंह में तमंचा घुसाकर गोली मारकर नृशंसतापूर्वक उसकी हत्या कर दी। उसकी मृत्यु के बाद उसके शव को पत्थरों से कुचला गया। पुलिस-प्रशासन के पहुंचने के कई घण्टे बाद महकवती का शव उसी घर की छत पर बरामद हुआ।
इस दिल दहला देने वाली घटना की खबर से हिन्दू समाज बेहद उत्तेजित हो गया, किन्तु जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भारी पुलिस बल के साथ पहुंच गए और हिन्दू समाज को शांत कराया। महकवती की हत्या के आरोप में नामजद 5 आरोपी-साबू, बिट्टू, आमिर, सईद तथा साईना में से केवल दो- सईद और साईना को गिरफ्तार किया गया। उधर हमलावर रहे कुछ गुण्डों ने फिर से हिन्दुओं के खिलाफ खुर्जा में लामबन्दी की, जिसको बाहर से आये मुस्लिम नेताओं ने हवा दी। इसके विरुद्ध हिन्दू संगठन भी सक्रिय हो गये। बजरंग दल द्वारा जिला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन कर जिलाधिकारी कार्यालय में धरना दिया गया। विश्व हिन्दू परिषद्, आर्य समाज, भारतीय जनता पार्टी, आर्यवीर दल, राजपूत महासभा आदि के द्वारा भी महकवती के पीड़ित परिवार तथा ग्रामीणों के साथ मिलकर हमलावरों को तुरन्त गिरफ्तार कर कठोर कार्रवाई की मांग करते हुए आन्दोलन किया गया। फलस्वरूप घटना के 10 दिन बाद 2 और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन आरोपियों पर कार्रवाई के स्थान पर पूरा प्रशासनिक तंत्र हिन्दू समाज पर दबाव डालकर आरोपियों से समझौता करने के लिए कह रहा था।
बौरोली काण्ड के विरोध में 15 जुलाई को खुर्जा में विभिन्न धार्मिक व हिन्दू संगठनों के आह्वान पर विशाल हिन्दू महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें खुर्जा-बुलन्दशहर तथा आसपास के क्षेत्रों से 2500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। महापंचायत में स्वामी नरसिंहानन्द सरस्वती, योगी सिद्धनाथ, रंजीत सिंह राघव, चेतना शर्मा (अधिवक्ता) आदि ने हिन्दुओं को जागरूक होने व अपनी रक्षा के लिए प्रतिकार करने का आह्वान किया। हिन्दू महापंचायत की सफलता से चिढ़कर स्थानीय प्रशासन ने उसी शाम को कार्यक्रम के आयोजकों तथा वक्ताओं पर भड़काऊ भाषण देने, धार्मिक उन्माद फैलाने आदि का आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज कर दिये। बजरंग दल के जिला संयोजक हेमन्त सिंह, कार्यक्रम संचालक डा. सुशील शर्मा, भाजयुमो (पश्चिम उ.प्र.) के प्रभारी प्रो. विक्रम सिंह, भाजपा नेता प्रेमप्रकाश अरोरा सहित 18 हिन्दू नेताओं व 200 अज्ञात लोगों को आरोपी बना दिया। दूसरी ओर बौरोली में भी दोनों पक्षों की तहरीर पर नये सिरे से मुकदमे दर्ज कर दिये गये। कुछ मुस्लिमों की तहरीर पर पुलिस ने मृतक महकवती, उनके पति मनवीर तथा अन्य परिजनों सहित 23 हिन्दुओं के खिलाफ लूटपाट, डकैती, बलवा, आगजनी और पथराव की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया। शर्मनाक यह कि 15 दिन पूर्व कथित अल्पसंख्यक वर्ग के गुंडों द्वारा मारी जा चुकी महकवती को भी अभियुक्त बना दिया गया। समाचार लिखे जाने तक पूरे क्षेत्र का माहौल बेहद तनावपूर्ण बना हुआ है। हिन्दू समुदाय को महकवती की निर्मम हत्या को भुलाकर समझौता करने के लिए मजबूर करने के लिए सपा सरकार द्वारा निर्देशित प्रशासन नित नये हथकण्डे आजमा रहा है।ा है।
टिप्पणियाँ