नौकरशाहों पर कसे लगाम
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

नौकरशाहों पर कसे लगाम

by
Jul 14, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

नौकरशाहों पर कसे लगाम

दिंनाक: 14 Jul 2012 16:31:06

लक्ष्मीकांता चावला

देर से ही सही, पर अब भारत के केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें यह कहा गया है कि सरकारी कामकाज में दक्षता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि सभी राज्यों और केंद्र के लोकसेवकों के कामकाज की समीक्षा की जाए। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर यह आदेश दिया गया है कि 6 माह के भीतर ही यह रपट दी जाए कि इन नौकरशाहों की कारगुजारी क्या है और इन्होंने आज तक जो कार्य किया वह देश और विभाग के लिए कितना उपयोगी है। डीओपीटी अर्थात केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने पंद्रह या पच्चीस साल नौकरी कर चुके या पचास साल की आयु सीमा के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के कार्य की समीक्षा विशेष रूप से करने को कहा है जो वरिष्ठ प्रशासनिक पद पाने की कतार में हैं। विभाग के सचिव एस.के. सरकार ने कहा है कि हर अफसर को यह महसूस होना चाहिए कि प्रोन्नति मेहनत, कामयाबी और योग्यता के आधार पर ही मिल सकती है।

पिछले दो दशकों में देश ने बहुत से क्षेत्रों में उल्लेखनीय उन्नति की, पर इस दौरान एक बहुत भारी क्षति भी हुई। हमारे देश के कुछ प्रशासनिक अधिकारी राजनीतिक दलों की दलदल में फंस गए। संसद या विधानसभाओं के चुनाव होने पर देश के छोटे-बड़े अधिकारी आशंकित हो जाते हैं कि अब जिस पार्टी का सत्ता पर कब्जा होगा उसके चहेते अधिकारियों को तो सुविधाजनक और लाभदायक पद मिलेंगे, शेष कहीं दूरस्थ क्षेत्रों में भेज दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त एक और भी जगह है- 'खुड्डे लाइन' अर्थात किसी कोने में धकेल देना। निश्चित ही कोना तो प्रशासन या सचिवालय का ही होता है, पर अधिकारियों को आम जनता से दूर कहीं फाइलों तक ही सीमित कर दिया जाता है।

नौकरशाह की ठसक

वैसे 'नौकर' शब्द जितना नापसंद किया जाता है, नौकरशाह उतना ही सम्मानजनक और सुविधासंपन्न शब्द है। आखिर नौकरशाही में कुछ तो जरूर खास है, क्योंकि डाक्टर, वकील, इंजीनियर, प्राध्यापक, अध्यापक सभी उच्च शिक्षित होते हैं। वे नौकरशाह बनने के लिए कमरतोड़ मेहनत करते हैं और जब सफल हो जाते हैं तो इतनी खुशी मनाई जाती है जितनी कभी चिकित्सा क्षेत्र की बुलंदियों को छूने पर भी नहीं होती। इसका भी एक कारण है। बड़े से बड़ा अधिकारी भी प्रशासनिक अधिकारी के सामने झुकता, डांट खाता दिखाई दे जाता है। अपने शासकीय, प्रशासकीय अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकती हूं कि जिले के सिविल सर्जन को एक प्रांतीय सेवा का अधिकारी जनता के सामने ही बुरी तरह डांटने के अधिकार का दुरुपयोग करता है। एक विद्यालय अथवा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य को उपजिलाधिकारी तो क्या, तहसीलदार तक सामने खड़ा रखता है, यहां तक कि पुलिस के दूसरी पंक्ति के वरिष्ठ अधिकारियों को भी प्रशासनिक सेवा में लगे कनिष्ठ अधिकारियों से डांट पड़ जाती है। सीधी सी बात यह कि सम्मान, सत्ता और सारी सुविधाएं उन्हीं के भाग्य में लिखी हैं जो केंद्रीय और प्रांतीय सेवाओं में सफलता प्राप्त करके नौकरशाह बन गए हैं।

कितनी सच गोपनीय रपट

इसी साल जनवरी में केंद्र ने अखिल भारतीय सेवा के नियम 16- 3 में संशोधान किया है, जिसके आधार पर ही यह आदेश जारी किया गया है। इस संशोधान से सरकार जनहित के आधार पर अप्रभावी अधिकारियों को सेवानिवृत्त भी कर सकती है। सरकार अब यह भी मान रही है कि जिन अधिकारियों को वर्षों तक गोपनीय रपट में औसत दर्जा ही मिला है उनकी प्रशंसा नहीं की जा सकती।

सभी जानते हैं कि वार्षिक गोपनीय रपट लिखने का आदेश अंग्रेजों के शासनकाल में दिया गया था। उस समय पता नहीं कार्य कुशलता पर कितना जोर होता था, पर कौन सरकार का कितना वफादार है या कहिए कि अपने देश के प्रति वफादार नहीं है, यही बढ़िया रपट का आधार रहता होगा। आज भी अपने देश में अनेक कर्मचारी ए.सी.आर. अर्थात वार्षिक गोपनीय रपट लिखने-लिखवाने के लिए बहुत सी परेशानियां सहते हैं। कहीं-कहीं तो वार्षिक रपट के साथ ही वार्षिक भेंट-पूजा भी जुड़ी रहती है। जिस अधिकारी को अपना अधीनस्थ कर्मचारी अपने अनुकूल प्रतीत होता है, विभाग के हित से ज्यादा अपने साहब का हित पूरा करता है उतनी ही बढ़िया रपट उसे मिल जाती है। यह चलन ज्यादातर देखने में आता है।

केंद्र सरकार ने जिन अधिकारियों की कारगुजारी का लेखा- जोखा बनाने के लिए कहा है, वे सभी प्रथम  पंक्ति के नौकरशाह हैं। लोकतंत्र में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि मंत्री पद संभालते हैं और आईएएस, आईपीएस आदि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उन्हीं के अंतर्गत काम करते हैं, पर सच यह है कि पांच वर्ष के सरकार के कार्यकाल में पहले दो या तीन वर्ष तो मंत्री आदेश देते हैं, पर बाद के दो वर्षों में अधिकतर जन प्रतिनिधि इन अधिकारियों से डरते भी दिखाई देते हैं। उनकी गोपनीय रपट लिखने से पहले यह सोचा जाता है कि जब वे स्वयं मंत्री नहीं रहेंगे तब ये अधिकारी उनकी सुनेंगे अथवा नहीं। बहुत कम ऐसे जन प्रतिनिधि देखे गए जो सच लिखने का साहस जुटा पाते हैं।

सियासत का रंग

राजनीतिक उठापटक भी इसमें बहुत बड़ी रुकावट है। ऐसा भी हो जाता है कि एक मंत्री की लिखी हुई रपट दूसरा मंत्री विभाग संभालने पर बदल देता है। इससे भी संदेश सही नहीं जाता। आज स्थिति तो यह हो गई है कि चुनाव परिणाम आने से पहले ही बड़े अधिकारी यह अंदाजा लगाना प्रारंभ कर देते हैं कि किस पार्टी के आने पर कौन सा नौकरशाह कहां राज करेगा। बात सीधी सी है कि जब सरकारी अधिकारी ही राजनीतिक दलों में बंट जाएं तब न न्याय मिलता है और न ही कानून-व्यवस्था सही रहती है।

बहरहाल, भारत सरकार के इस नए आदेश से आशा बहुत है। पर जहां पक्षपातपूर्ण रपट तैयार की जाएगी, वहां कई अच्छे अधिकारी इस छंटनी के प्रहार से आहत होंगे। हो सकता है कि वे नौकरी से भी निकाल दिए जाएं। वैसे इस कानून को लागू करने की बहुत आवश्यकता है। ऐसे बहुत से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी देखे गए हैं जिनके कार्यकाल में उनके जिलों में जनता को न न्याय मिलता है, न जनहित कार्य होता है। कानून की रक्षा भी नहीं होती और उनकी निजी संपत्ति सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जाती है। वे जितने वरिष्ठ होते जाते हैं उतने ही कानून के प्रति असावधान भी बनते जाते हैं।

डीओपीटी ने नाकारा नौकरशाहों की छुट्टी करने का तो राज्यों को आदेश दे दिया, पर यह भी देखना चाहिए कि वे नाकारा हैं या राजनीति तथा पक्षपात के चश्मे से नाकारा बनने को विवश किए गए हैं। ऐसा कुछ नियंत्रण जनप्रतिनिधियों पर भी होना चाहिए। जिस मंत्री के कार्यकाल में उसके विभाग में संतोषजनक कार्य न हो उसे भी पुन: मंत्री नहीं बनने देना चाहिए। केवल जनता के वोट ही उनके सत्तासीन होने की कसौटी बने रहना उचित नहीं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

पीले दांतों से ऐसे पाएं छुटकारा

इन घरेलू उपायों की मदद से पाएं पीले दांतों से छुटकारा

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies