सलमान का सच
दिंनाक: 14 Jul 2012 16:28:22 |
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कर्तव्यनिष्ठ पुरुष कभी निराश नहीं होता।
-सरदार पटेल (सरदार पटेल के भाषण, पृ. 178)
इधर सोनिया गांधी राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रणव मुखर्जी को विजय दिलवाने की मंशा से 'डिनर डिप्लोमेसी' से लेकर मुलायम सिंह व अन्यों को साधने तक की कवायद करके आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावनाएं बढ़ाने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं, उधर उनके चहेते केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद कांग्रेस और 'युवराज' राहुल गांधी को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। सलमान ने जाने–अनजाने जो सच्चाई बयान की है, वह भले ही कांग्रेस को नहीं पची और उसके दबाव में सलमान को मुकरना पड़ा, लेकिन सलमान के सच को नकारा नहीं जा सकता। कांग्रेस दिशाहीनता की शिकार है, उसे नई विचारधारा की जरूरत है और राहुल गांधी में वैचारिक दिशानिर्देश की कमी है, वे पार्टी को सही दिशा नहीं दे रहे हैं, उनकी समझ पार्टी के लिए कुछ बड़ा नहीं कर पा रही है, जैसी बातें अनायास ही मुखरित नहीं हो सकतीं। यह केवल जुबान फिसलने का परिणाम नहीं है, बल्कि यह एक सच्चाई है जो देश के साथ–साथ अधिकांश कांग्रेसी भी सोच रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लगभग 8 वर्षों के शासन का संदेश जनता में यही गया है कि वे देश की जिम्मेदारी संभालने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं और उन्होंने व उनकी सरकार की गलत नीतियों ने देश को हर मोर्चे पर गर्त्त में धकेला है।
भारत की इसी जनभावना को 'टाइम' पत्रिका ने उन्हें आर्थिक मोर्चे पर फिसड्डी बताकर एक नई अभिव्यक्ति दे दी। लेकिन जब सलमान खुर्शीद, जो प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडलीय सहयोगी हैं, ही यह कहें कि प्रधानमंत्री में हालात संभालने का माद्दा नहीं है, तो मामला गंभीर हो जाता है। बाद में भले ही अपनी जान छुड़ाने को सलमान ने कहा हो कि उनकी बातों को मीडिया ने तोड़–मरोड़कर पेश किया है, जैसा कि अधिकांश राजनेता कहते हैं, लेकिन सच बात तो बाहर आ ही गई। सलमान के सच से भले ही कांग्रेस को अपनी फजीहत दिख रही हो, लेकिन गत 8 वर्षों से कांग्रेसनीत संप्रग शासन की सच्चाई तो यही है कि आर्थिक मोर्चे से लेकर देश की आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति तक यह सरकार पूरी तरह विफल रही है। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार ने आम जनता का जीना तो मुहाल किया ही है, देश की प्रगति की दिशा ही मोड़ दी। विकास दर लगातार नीचे जा रही है और देश की मुद्रा रुपया, पाताल की ओर। यदि यह वास्तव में वैश्विक आर्थिक संकट का परिणाम है, जैसा कि प्रधानमंत्री सफाई देते हैं, तो हमारे पड़ोसी देशों की मुद्रा इस पतन की शिकार क्यों नहीं हुई?
वस्तुत: देश के वर्तमान हालात संप्रग सरकार की गलत आर्थिक नीतियों का परिणाम हैं। वोट राजनीति पर आधारित इस सरकार की नीतियां देश के आंतरिक-सामाजिक ताने-बाने और राष्ट्रीय एकात्मता को छिन्न-विच्छिन्न कर रही हैं। मुस्लिम आरक्षण, सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा (रोकथाम) विधेयक- प्रारूप व कश्मीर पर सरकारी वार्ताकारों की रपट इसका प्रमाण हैं। इतना ही नहीं, भारत को दारुल इस्लाम में परिवर्तित कर देने के स्वप्न को साकार करने के लिए पाकिस्तान द्वारा फैलाया गया जिहादी आतंकवाद भी इस सरकार की वोट राजनीति और घुटनाटेक नीति के कारण काबू में नहीं आ रहा। एक ओर कांग्रेसी नेता जिहादी आतंकवादियों के खिलाफ जांबाज जवानों की मुहिम को फर्जी मुठभेड़ बताकर कठघरे में खड़ा करते हैं, तो दूसरी ओर बहादुर जवानों की शहादत को अपमानित करके आरोपी खूंखार आतंकवादियों को 'न्याय दिलाने' की बात करते हैं। जम्मू-कश्मीर में इन्हीं पाकिस्तानपरस्त और पाकिस्तानी सेना व आईएसआई द्वारा पोषित जिहादी आतंकवादियों व अलगाववादियों की नकेल कसने वाली सेना उनके निशाने पर रहती है और भारत की संसद पर हमला कर देश की संप्रभुता पर चोट करने का मुख्य षड्यंत्रकारी अफजल न्यायालय से फांसी की सजा पाकर भी जेल में मौज मनाता है। लेकिन कांग्रेस व सरकार आतंकवाद के लिए राष्ट्रभक्त हिन्दू संगठनों व साधु-संतों को आरोपित कर उनका उत्पीड़न करती है और 'हिन्दू आतंकवाद' व 'भगवा आतंकवाद' जैसे जुमले गढ़ती है। ऐसी कांग्रेस को सलमान खुर्शीद ने यदि दिशाहीन कह दिया तो यह सच्चाई का ही सामने आना है। कहावत भी है- सच्चाई सात पर्दों में भी नहीं छुपती।
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