आदि शंकराचार्य के जीवन का दर्पण 
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आदि शंकराचार्य के जीवन का दर्पण 

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Jul 7, 2012, 12:00 am IST
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'आचार्य शंकर' पुस्तक लोकार्पितआदि शंकराचार्य के जीवन का दर्पण

दिंनाक: 07 Jul 2012 14:48:24

'आचार्य शंकर' पुस्तक लोकार्पित

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के तत्वावधान में गत 1 जुलाई को राजस्थान शैक्षिक संघ, जयपुर के सभागार में श्री हनुमान सिंह राठौड़ द्वारा लिखित पुस्तक 'आचार्य शंकर' का लोकार्पण किया गया। यह पुस्तक आदि शंकराचार्य के जीवन पर आधारित है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. रामानुज देवनाथन (कुलपति, जगदगुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर) ने लोकार्पण के पश्चात् अपने उद्बोधन में कहा कि 'कारण जन्माओं' में से एक आचार्य शंकर भगवान शंकर के समान हैं, जिन्होंने मात्र 32 वर्ष के कार्य से संस्कृति, वेदों की पुनर्स्थापना का कार्य किया। वेदों में स्थापित तत्व को पुन: विश्व के समक्ष तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत कर इस सत्य को मानने के लिए बाध्य किया। भगवान शंकर ने नंगे पांव पूरे भारत का भ्रमण कर कण-कण पहचाना तथा दुर्गम श्रृंगेरी गुफा में जाकर तपस्या की। फिर भारत के लुप्त होते जा रहे संस्कार, संस्कृति, अध्यात्म के स्रोत वेद तथा पुराणों में लिखित कथाओं का सत्य न केवल जाना, वरन् उन्हें पुन: स्थापित करने का कार्य किया तथा अद्वैतवाद की स्थापना की।

संत निरंजननाथ अवधूत ने अपने उद्बोधन में कहा कि आदि शंकराचार्य ने संपूर्ण देश की दो बार पदयात्रा कर देश और समाज की तत्कालीन परिस्थितियों को समझा और एक ऐसी अभिनव व्यवस्था प्रारम्भ की जो समाज में एकता स्थापित करने में सहायक सिद्ध हुई।

पुस्तक के बारे में बताते हुए लेखक श्री हनुमान सिंह राठौड़ ने कहा कि आचार्य शंकर ने तात्कालिक वितण्डावाद, परस्पर मतानुवाद में सामन्जस्य स्थापित करते हुए समन्वय सुमेरू स्थापित किया  है। उन्होंने एकात्मकता के बोध को स्थायी रूप देने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि आचार्य शंकर का मूल्यांकन दर्शन के गूढ़ रहस्यों के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक एकता के लिए भी किया जाना आवश्यक है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा. विमल प्रसाद अग्रवाल (अध्यक्ष, अ.भा.रा.शै. महासंघ) ने कहा कि छात्रों को अपने परिवेश का ज्ञान कराना आवश्यक है। जिससे वे अपने देश की संस्कृति, सभ्यता और इतिहास के बारे में जानें और उस पर गौरव कर सकें। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की पाठ्य पुस्तकों में महापुरुषों के जीवन चरित्र जोड़ने पर बल दिया।

शैैक्षिक मंथन मासिक के सम्पादक प्रो. संतोष पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि पुस्तक में 28 रोचक प्रसंगों के माध्यम से आचार्य शंकर की जीवनी को पिरोया गया है। यह पुस्तक राष्ट्र में नवचेतना उत्पन्न करने में सहायक होगी।  इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख श्री राजेन्द्र कुमार, क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख श्री कैलाश चन्द्र, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री श्री महेन्द्र कपूर, रा.स्व.संघ के जयपुर प्रांत बौद्धिक प्रमुख प्रो. नन्दकिशोर पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में जयपुर के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का  संचालन श्री बसंत जिन्दल ने किया।  प्रतिनिधि

 

हैदराबाद में 'कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट पर संगोष्ठी', वक्ताओं ने कहा

भ्रामक है यह रपट 

हैदराबाद के स्वयंसेवी संगठन 'सोशल कॉज' के तत्वावधान में गत 1 जुलाई को केन्द्र  सरकार द्वारा कश्मीर के संबंध में नियुक्त किए गए वार्ताकारों की रपट पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में भाजपा नेता श्री जितेन्द्र सिंह उपस्थित थे।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि जब केन्द्र सरकार ने वार्ताकारों को नियुक्त किया था तो आशंका बनी थी कि जम्मू-कश्मीर समस्या का कोई भी हल या समाधान नहीं निकलेगा। उन्होंने कहा कि वार्ताकारों ने कश्मीर से संबंधित सभी वर्गों से विचार-विमर्श करने का दावा करते हुए लगभग एक साल पहले अपनी रपट गृह मंत्रालय को सौंप दी थी। इस रपट को गृह मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर विगत 24 मई को अपनी वेबसाइट पर जारी किया है। संसद सत्र समाप्त होने के 36 घंटे बाद रपट को गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी करने से पता चलता है कि सरकार इस पर बहस नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार लगभग एक वर्ष तक बिना संसद में पेश किए इस रपट को लिए बैठी रही, इससे लगता है कि वह भी इससे सहमत नहीं है। वरना सरकार इस रपट को संसद सत्र में प्रस्तुत करके इस पर बहस कराती। श्री जितेन्द्र ने कहा कि वार्ताकारों का कहना है कि एक संवैधानिक समिति का गठन किया जाए जो उन तमाम केन्द्रीय कानूनों की समीक्षा करे, जिन्हें 1952 के समझौते के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया है। रपट में यह भी कहा गया है कि संसद, सुरक्षा व आर्थिक मामलों को छोड़कर जम्मू-कश्मीर के लिए कानून न बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि वार्ताकारों की यह रपट देश को तोड़ने की ओर स्पष्ट संकेत कर रही है। यह रपट पूरी तरह भ्रामक है। 

संगोष्ठी में उपस्थित कश्मीरी पंडित समाज के श्री राजदान ने कहा कि कश्मीर को एक राजनीतिक प्रयोगशाला बनाया जा रहा है। कश्मीर को जोड़ने का काम कम और तोड़ने का प्रयास ज्यादा हो रहा है।  नागराज राव

 

 

दिल्ली में लघु उद्योग भारती का सम्मेलन

उद्योगों के लिए लाइसेंस प्रणाली सरल करने पर जोर

लघु उद्योग भारती, दिल्ली तथा एच.डी.एफ.सी. बैंक के संयुक्त तत्वावधान में गत दिनों दिल्ली के दीनदयाल शोध संस्थान में सम्मेलन आयोजित किया गया। दिल्ली में उद्योगपतियों को नए उद्योगों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने में होने वाली कठिनाइयों तथा इससे नई पीढ़ी का उद्योगों से विमुख होकर नौकरी पर निर्भर होना सम्मेलन का मुख्य विषय रहा।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि उत्तरी दिल्ली नगर निगम की महापौर श्रीमती मीरा अग्रवाल थीं तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में लघु उद्योग भारतीय के राष्ट्रीय महासचिव श्री ओमप्रकाश मित्तल उपस्थित थे। इनके साथ रा.स्व.संघ दिल्ली प्रांत के सह प्रांत संघचालक डा. श्याम सुन्दर अग्रवाल तथा लघु उद्योग भारती दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष श्री मनोहर लाल धवन भी मंच पर   आसीन थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री मनोहर लाल धवन ने कहा कि उद्योगपतियों को उद्योगों के लाइसेंस प्राप्त करने में होने वाली कठिनाइयों को दूर करना ही इस सम्मेलन का उद्देश्य है। इन कठिनाइयों तथा इंस्पेक्टरराज के कारण ही युवा वर्ग स्वयं का उद्यम आरम्भ करने से अपने कदम पीछे खींच रहा है। श्री धवन ने कहा कि हम सभी को पता है कि सन् 1991 में भारत सरकार ने आर्थिक उदारीकरण की नीति का आरम्भ किया था, जिसका मूल उद्देश्य इंस्पेक्टरराज तथा लाइसेंस प्रणाली को चरणबद्ध रूप से समाप्त करना था, लेकिन वह प्रयास विफल रहा।

लघु उद्योग भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य श्रीमती अंजू बजाज ने लघु उद्योग भारती के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्र की प्रगति हेतु उद्योगों के विकास के लिए लघु उद्योग भारती का गठन किया गया।  इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र

 

एकल विद्यालय का महिला सम्मेलन

विद्यालयों के कुशल संचालन का प्रशिक्षण लिया

गत दिनों असम के डिब्रूगढ़ में एकल विद्यालय का दो दिवसीय महिला सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में पूर्वोत्तर की महिला कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इसमें कार्यकर्ताओं को एकल विद्यालय संचालन में आने वाली समस्याओं से निपटने के उपाय तथा विद्यालयों के कुशलतापूर्वक संचालन का प्रशिक्षण दिया गया।  सम्मेलन का उद्घाटन डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के असमिया विभाग की प्राध्यापक व साहित्यकार डा. करीबी डेका हजारिका ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वन बंधू परिषद की राष्ट्रीय सचिव सुश्री मंजूश्री ने की।  अपने संबोधन में डा. करीबी डेका हजारिका ने कहा कि आज भी महिलाओं पर अत्याचार कम नहीं हुए हैं। एक तरफ जहां उन्हें देवी का दर्जा दिया जाता है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। उन्होंने कहा कि शोषण के विरुद्ध महिलाओं को आगे आना होगा। शिक्षित होना होगा, तभी समाज में उनकी जगह बनेगी। डा. हजारिका ने इस अवसर पर एकल विद्यालय के कार्यों की प्रशंसा भी की। इस अवसर पर खिलाड़ी पिंकी कर्मकार को सम्मानित भी किया गया। पिंकी ने बताया कि मैंने भी एकल विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की है।  मनोज पाण्डेय

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