निर्बाध, निष्कंटक हो अमरनाथ यात्रा
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विहिप की केन्द्रीय प्रबंध समिति की मांग
तरुण सिसोदिया
कूड़ेदान में डाल दी जाए कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट
गत वर्ष किए गए कार्यों की समीक्षा तथा आगामी वर्ष की योजना के उद्देश्य से गत 26 जून को उ.प्र. के गाजियाबाद में विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय प्रबंध समिति की बैठक आयोजित हुई। पांच दिवसीय इस बैठक में देश के सभी प्रांतों से 300 के लगभग प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में समीक्षा और योजना के साथ-साथ श्रीराम मंदिर, कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट, मुस्लिम आरक्षण, श्री अमरनाथ यात्रा आदि विषयों पर भी गहन चिंतन-मनन हुआ।
बैठक का विधिवत उद्घाटन 28 जून की सुबह हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वाल्मीकि संत श्री विवेकनाथ आचार्य ने की। इस अवसर पर विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राघव रेड्डी, कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रवीण भाई तोगड़िया, महामंत्री श्री चंपत राय, संगठन महामंत्री श्री दिनेश चंद्र, संरक्षक श्री अशोक सिंहल, रा.स्व.संघ के अ.भा. बौद्धिक प्रमुख श्री वी. भागैया भी मंचासीन थे।
उद्घाटन कार्यक्रम का शुभारम्भ मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात श्री हरि सत्संग समिति के कार्यकर्ताओं ने 'शंकर सुवन भवानी के नंदन, गाइये गणपति जग वंदन' भजन गाकर उपस्थित कार्यकर्ताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही श्री राजवीर सिंह 'क्रांतिकारी' ने अपनी कविताओं से देश और समाज की स्थिति को प्रस्तुत किया।
संत विवेकानाथ आचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्व हिन्दू परिषद जो कार्य कर रही है, वह हिन्दू धर्म के लिए बहुत लाभदायक है। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं के देश में हिन्दुओं को ही अपना हक मांगना पड़ रहा है, यह बहुत ही दुख की बात है इस पर चिंतन अवश्य होना चाहिए। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राघव रेड्डी के धन्यवाद ज्ञापन से उद्घाटन सत्र का समापन हुआ।
28 जून की ही शाम विहिप के महामंत्री श्री चंपत राय ने पत्रकार वार्ता में श्री अमरनाथ यात्रा की अवधि में लगातार की जा रही कटौती पर रोष प्रकट किया। उन्होंने कहा कि अवधि में कटौती एक सोची-समझी साजिश के तहत की जा रही है। सरकार यात्रा की अवधि को कम करते-करते यात्रा को समाप्त करना चाहती है। लेकिन हम ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे।
बैठक में कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट, अल्पसंख्यक आरक्षण तथा श्री अमरनाथ यात्रा की अवधि कम करने से संबंधित प्रस्ताव भी पारित हुए। श्री अमरनाथ यात्रा की अवधि कम करने से संबंधित प्रस्ताव में कहा गया है कि विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय प्रबन्ध समिति का स्पष्ट मत है कि अमरता के प्रतीक बाबा अमरनाथ की यात्रा भी मृत्युंजय है और इस यात्रा को बाधित करने का कोई भी षड्यन्त्र कभी सफल नहीं हो पाया। विदेशी आक्रमणकारी जिस कार्य में सफल नहीं हो सके और आतंकवादियों के हमले भी जिस यात्रा को नहीं रोक सके, आज अलगाववादियों को खुश करने के लिए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बार-बार अवधि का विवाद खड़ा करके इस यात्रा को समाप्त करने का षड्यन्त्र रच रहे हैं। अनादिकाल से पूरे वर्ष चलती रही इस पावन यात्रा को केवल आतंकवाद के दिनों में ही सीमित किया गया था, परन्तु 2004 में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर इस यात्रा को 60 दिन तक चलाया गया। मौसम की अनिश्चितताएं इस यात्रा में हमेशा रही हैं, परन्तु मौसम का बहाना बताकर 2009 से 60 दिन की अवधि को लगातार कम करते जाना एक षड्यन्त्र की ओर ही संकेत करता है।
प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि शैव परम्परा के अनुसार बाबा अमरनाथ का क्षेत्र ज्योतिष्पीठ के अन्तर्गत आता है और इस पीठ के शंकराचार्य परम पूज्य वासुदेवानन्द जी महाराज ने 20 मई, 2012 को जम्मू में स्पष्ट घोषणा कर दी थी कि यात्रा 60 दिन की होनी चाहिए, लेकिन दर्शनार्थियों को पूरे वर्ष जाने की अनुमति रहनी चाहिए। इस अधिकृत घोषणा के बाद अब किसी अन्य की सलाह की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गयी है। अब हर वर्ष इस विवाद को बार-बार खड़ा करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल अमरनाथ श्राइन बोर्ड के पदेन अध्यक्ष हैं। उनका दायित्व यात्रा के विकास का है, परन्तु दुर्भाग्य से वे यात्रा को विनाश की ओर ले जाना चाहते हैं। श्राइन बोर्ड को यात्रा मार्ग में अस्पताल बनाना, यात्री निवास बनाना, मार्ग चौड़े करना, वैकल्पिक मार्गों का विकास आदि का दायित्व उनको संवैधानिक तौर पर दिया गया है, परन्तु ऐसा लगता है कि राज्यपाल महोदय को जो काम करने चाहिए उसमें अपनी अकर्मण्यता को छिपाने के लिए भी वे बार-बार इस संवेदनशील विषय पर विवाद निर्माण करते हैं। अमरनाथ यात्रा के राष्ट्रीय और धार्मिक महत्व को देखते हुए विहिप जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल से अपील करती है कि वे इस संबंध में अपनी भूमिका पर आत्मावलोकन करें, वरना विहिप को उनके विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन करना पड़ेगा।
कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट से संबंधित दूसरे प्रस्ताव में विहिप ने कहा है कि कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट देश के साथ विश्वासघात है, इसे जल्द से जल्द कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए। तीसरे प्रस्ताव में मुस्लिम आरक्षण को असंवैधानिक और देशघाती षड्यंत्र बताते हुए कहा गया है कि विश्व हिन्दू परिषद की प्रबंध समिति आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का अभिनन्दन करती है क्योंकि उन्होंने 28 मई, 2012 को अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण में से मुस्लिम समाज को 4.5 प्रतिशत आरक्षण देने के आदेश पर रोक लगाकर केन्द्र सरकार को अपने निहित स्वार्थों के लिए एक और देशघाती कदम उठाने से रोक दिया।
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