अब तो सख्ती बरतो
दिंनाक: 30 Jun 2012 14:26:26 |
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अकारणं रूपमकारणं कुलं महत्सु नीचेषु च कर्म शोभते।
न रूप, गौरव का कारण होता है और न कुल। नीच हो या महान, उसका कर्म ही उसकी शोभा बढ़ाता है। –भास (पंचरात्र, 2/33)
अबू जुंदाल की गिरफ्तारी के बाद अब इसमें कोई शक नहीं रहा है कि 26/11 के मुम्बई हमलों में पाकिस्तान की प्रमुख भूमिका थी। हालांकि शक तो पहले भी नहीं था बल्कि पूरा विश्वास था, लेकिन जुंदाल से जो जानकारी मिली है उसके आधार पर भारत और पुख्ता सबूतों के साथ फिर से पाकिस्तान को लपेट सकता है, क्योंकि पहले दिए गए 'डोसियर' को कमजोर बताकर पाकिस्तानी अदालत ने मुम्बई हमलों के मुख्य षड्यंत्रकारी हाफिज सईद को छोड़ दिया था और पाकिस्तान इसी आधार पर भारत के सबूतों को फिजूल बताता रहा। तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा था कि 26/11 हमले में गैर सरकारी लोग यानी 'नॉन स्टेट प्लेेयर्स' शामिल हो सकते हैं, लेकिन उनमें सरकारी नुमाइंदों की भागीदारी नहीं थी। परंतु अबू जुंदाल के द्वारा दी गई जानकारी बताती है कि मुम्बई हमलों में सरकारी नुमाइंदों की ही नहीं, बल्कि पाकिस्तानी प्रशासन की भी भूमिका रही। कराची के 'वीआईपी' क्षेत्र में इन हमलों का नियंत्रण कक्ष बनाया गया जहां जकीउर्रहमान लखवी सहित कई लोगों के साथ बैठकर जुंदाल मुम्बई में हमलावरों को निर्देश देता रहा। पाकिस्तान के बैतुल्ला मुजाहिदीन इलाके में हमले से 2 दिन पहले पूरे हमले की रिहर्सल यानी 'मॉक ड्रिल' कराई गई, यहां तक कि हमलावरों से सम्पर्क व उन्हें निर्देश देने के लिए मोबाइल कनेक्शनों की जांच भी की गई। इस बीच जुंदाल ने ही सभी दस हमलावरों को कामचलाऊ हिन्दी सिखाई और मुम्बई तथा वहां बोले जाने वाले कुछ शब्दों के बारे में उन्हें प्रारंभिक जानकारी दी ताकि वहां के वातावरण के अनुकूल वे स्वयं को ढाल सकें। इस पूर्व तैयारी का ही घातक परिणाम था कि बड़े पैमाने पर पूर्व नियोजित तरीके से इन हमलों को अंजाम दिया गया और उनमें 166 निर्दोष नागरिकों व जवानों की जान गई तथा सैकड़ों घायल हो गए। इन हमलों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।
पाकिस्तान की सरकार, सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई मिलकर किस तरह जिहादी आतंकवाद के द्वारा भारत को खत्म कर देने पर आमादा हैं, अबू जुंदाल इसका जीता-जागता प्रमाण है। किस तरह उससे महाराष्ट्र के बीड़ में एक जिहादी आतंकवादी ने संपर्क किया, उसे कश्मीर में सक्रिय एक लश्कर आतंकवादी से मिलाया गया, वहां से जिहादी प्रशिक्षण के लिए सीमा पार लश्कर के प्रशिक्षण शिविर में भेजा और पाकिस्तान के पांच स्थानों पर उसका प्रशिक्षण पूरा हुआ, फिर उसे मुम्बई हमलों की मुख्य कमान सौंपी गई। महाराष्ट्र के बीड़ क्षेत्र का निवासी जबीउद्दीन अंसारी अबू हमजा-अबू जुंदाल-अबू इकराम आदि 10 नामों को बदल-बदलकर इस्तेमाल करता रहा और पाकिस्तान ने उस पर शान चढ़ाकर भारत के खिलाफ ही झोंक दिया। जुंदाल का कहना है कि इसी साल भारत में फिर से मुम्बई जैसे हमले की तैयारी थी और ऊंची इमारतें व बड़े बांध जिहादी आतंकवादियों के निशाने पर थे तथा उसे विमान उड़ाने का भी प्रशिक्षण दिया गया ताकि 'ट्विन टॉवर' जैसा 9/11 का विध्वंस भारत में भी किया जा सके, यह सब भारत पर मंडराते जिहादी आतंकवाद के खतरे की गंभीरता को दर्शाता है। इसलिए भारत सरकार न केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की असलियत सामने लाए, बल्कि घुटनाटेक नीति त्यागकर सीधे-सीधे पाकिस्तान के प्रति कड़ा रुख अपनाए और उसे बताए कि व्यापारिक रिश्तों व वार्ताओं की आड़ में किसी भी कीमत पर भारत-द्रोह को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। या तो पाकिस्तान अपना रवैया बदले, अन्यथा वार्ता-व्यापार सब बंद। सरकार व पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते बनाने के पैरोकार यह क्यों नहीं समझते कि जब भारत रहेगा तभी रिश्ते और व्यापार रहेंगे, जब भारत का अस्तित्व ही दांव पर लगा हो तो? गफलत ने ही भारत का विभाजन कराया और अब यही गफलत देश को बर्बाद कर रही है। इसी गफलत का नतीजा है कि जिहादी आतंकवाद पर लगाम कसने, कड़े कानून बनाने की बजाय लीगी तत्वों को खुश करने के लिए भारत के गृहमंत्री 'हिन्दू आतंकवाद' व 'भगवा आतंकवाद' जैसे जुमले गढ़ते रहे व सरकार ने राष्ट्रभक्त हिन्दू संगठनों व साधु-संतों को निशाने पर ले लिया। लेकिन इससे पाकिस्तान के हौसले और बढ़ गए। सरकार समझे कि जिहादी आतंकवाद वोट की राजनीति का नहीं, राष्ट्र-रक्षा का प्रश्न है। इसलिए जेल में कसाब और अफजल जैसी खातिरदारी करने की बजाय जुंदाल को सजा के अंजाम तक ले जाए ताकि भारत द्रोहियों को सबक मिले।
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