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आंध्र प्रदेश उपचुनाव में जीत का परचम फहराते हुए जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने 18 विधानसभा सीटों में से 15 पर जीत दर्ज कर ली, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों पर ही सफलता मिली। बची हुई एक सीट तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को मिली है। वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार मेकापति राजामोहन रेड्डी ने नेल्लोर लोकसभा सीट भी जीत ली है। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए यह परिणाम एक सबक हैं। उल्लेखनीय है कि एक सांसद के इस्तीफा देने व कांग्रेस के 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद प्रदेश में उपचुनाव कराना पड़ा। तिरुपति विधानसभा सीट पर जीते चिरंजीवी के राज्यसभा में जाने के बाद वह स्थान भी रिक्त था। कुल 18 विधानसभा स्थानों पर जहां उप चुनाव हुए, उनमें से कांग्रेस की 6 चुनाव क्षेत्रों में और तेलुगू देशम् पार्टी की पांच स्थानों पर जमानत जब्त हुई।
2009 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कुल 36.5 प्रतिशत मत हासिल किये थे। जबकि 2009 में ही अभिनेता चिरंजीवी की पार्टी प्रजा राज्यम् को 16 प्रतिशत मत मिले थे। प्रजा राज्यम् के कांग्रेस में विलय के बाद भी इस उपचुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 21.84 प्रतिशत मत मिले, जबकि नवगठित वाईएसआर कांग्रेस को 46.5 प्रतिशत मत हासिल हुए हैं। जगन की नई पार्टी ने तिरुपति विधानसभा सीट भी जीत ली। यहां वाईएसआर के करीबी माने जाने वाले करुणाकर रेड्डी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 17,723 मतों से हराया। तिरुपति सीट पर कांग्रेस की हार को मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। क्योंकि यह सीट उनके गृह जिले चित्तूर के अन्तर्गत आती है और यहां कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद, वायलर रवि, आंध्र से चुने गए केन्द्रीय मंत्रियों और अभिनेता चिरंजीवी ने भी चुनाव प्रचार में भाग लिया और यह उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न माना जा रहा था।
उधर टीआरएस को पारकला विधानसभा सीट पर मुश्किल से ही जीत मिली। कड़े मुकाबले में टीआरएस उम्मीदवार भीक्षापति ने वाईएसआर कांग्रेस की कोंड़ा सुरेखा को केवल 1562 मतों से हराया। परकाल वामपंथी दलों का केन्द्र माना जाता है और टीआरएस को वामपंथी दलों के समर्थन के बावजूद इतने कम मतों से जीत के कारण अलग तेलंगाना राज्य की मांग पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया है। क्योंकि वाईएसआर कांग्रेस समग्र आंध्र की मांग का समर्थन करती है।
वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में 27 मई को गिरफ्तार किया था। तो क्या चुनावों में इनकी पार्टी को उसकी सहानुभूति मिली? कांग्रेस का मानना है कि सहानुभूति से ही जगन जीते। जिस समय जगन को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था तब वे अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने में व्यस्त थे। उनकी मां विजयम्मा व बहन शर्मिला ने इसके लिए कांग्रेस व तेदेपा पर निशाना साधकर लोगों की सहानुभूति बटोरी। विजयम्मा ने 2 सितम्बर, 2009 को हैलीकॉप्टर दुर्घटना में अपने पति व तत्कालीन मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के मारे जाने के मामले में भी कांग्रेस की ओर अंगुली उठाकर संशय जताया था। 2010 के आखिर में कांग्रेस पर परिवार तोड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए जगन ने कडप्पा लोकसभा सीट व विजयम्मा ने पुलिवेंडुला विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस का गठन कर वाईएसआर द्वारा गरीबों के लिए शुरू की गई योजनाएं लागू करने का वादा किया। पिछले साल हुए उप चुनावों में दोनों ने अपनी-अपनी सीटों पर दोबारा भारी बहुमत से जीत हासिल की।
हालांकि उपचुनाव में हार को देखते हुए कांग्रेस की आलाकमान किरण कुमार रेड्डी को कभी भी बदल सकता है। कांग्रेस को इस बात से भी बड़ा धक्का लगा है कि 9 विधानसभा क्षेत्रों में उसे तीसरा स्थान मिला है। फिर भी राज्य में कांग्रेस सरकार के तुरंत गिरने का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि 294 सदस्यों वाली विधानसभा में उसके सदस्यों की संख्या 151 थी और इन उपचुनावों के बाद वह बढ़कर 153 हो गई है। इसके अलावा उसे मजलिस-इ-इत्तेहादुल मुसलमीन के 7 विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है, जबकि बहुमत के लिए 148 सदस्य चाहिए।
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