शिक्षा में हों नैतिक मूल्य
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शिक्षा में हों नैतिक मूल्य
–वी. भागैया, अ.भा.बौद्धिक प्रमुख, रा.स्व.संघ
'आज हमारे देश में जो शिक्षा दी जा रही है उसमें ज्ञान व तकनीकी तो सम्मिलित है, किन्तु नैतिक पक्ष पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। समाज क्या होता है, संस्कार क्या होते हैं, हमें किसके साथ किस प्रकार का बर्ताव करना चाहिए। ये सारी बातें शिक्षा पद्धति में सम्मिलित की जानी चाहिए। ऐसा नहीं है कि हमारे देश से संस्कार लुप्त हो गए हैं। आज भी माताएं अपने बच्चों को संस्कार सिखाती हैं और भारत इसीलिए जिंदा भी है'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के अ.भा. बौद्धिक प्रमुख श्री वी. भागैया ने गत 16 जून को नई दिल्ली में रा.स्व.संघ के उत्तर क्षेत्र के संघ शिक्षा वर्ग (द्वितीय वर्ष) के समापन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। वर्ग में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू-कश्मीर के 129 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
श्री भागैया ने आगे कहा कि गर्मी के इस भीषण समय में बड़ी प्रसन्नता के साथ हम सबने शक्ति, संयम, प्रसन्नता का दर्शन किया है। उन्होंने कहा कि समाज को संगठित करना देश के लिए अत्यंत आवश्यक है। ऐसा संघ ने समझा है इसलिए संघ कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देता है। श्री भागैया ने कहा कि यह तो संघ शिक्षा वर्ग है, लेकिन संघ शिक्षा वर्ग के अलावा शाखाओं, भिन्न-भिन्न कार्यक्रमों एवं शिविरों द्वारा लोगों को प्रशिक्षण देना संघ की पद्धति है। उन्होंने कहा कि भगवान कहते हैं 'एकोहम बहुस्यामि' अर्थात मैं अकेला ही कई रूपों में परिणित हुआ इसलिए सब जगह मुझे अनुभव करो। इससे प्रेम बढ़ेगा, एकात्मता आएगी। यही मानवमात्र में भगवान का दर्शन है एवं मानवता की सेवा ही हिंदुत्व है। इसके लिए वातावरण बने इसलिए संघ यह सब करता है।
श्री भागैया ने कहा कि वर्ग के लिए 3000 माताओं ने भोजन व्यवस्था में सहयोग दिया, उनका हमारा क्या सम्बन्ध है। कोई भौतिक संबंध नहीं है, किन्तु हम एक ही देश के निवासी हैं और हमारे बीच एक आध्यात्मिक संबंध है और यही भारत की विशेषता है। उन्होंने कहा कि जो लोग संविधान की बात करते हैं, वही संविधान का उल्लंघन भी करते हैं। उत्तर प्रदेश का चुनाव आया तो सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा कर दी। अब आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने फटकार लगाई है कि ये तो संविधान सम्मत नहीं है। ऐसा आपने क्यों किया? सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है। सरकार सर्वोच्च न्यायालय गई तो वहां भी उसे फटकार सुननी पड़ी।
श्री भागैया ने कहा कि थोड़े से स्वार्थ के लिए राष्ट्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। कश्मीर समस्या को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा वार्ताकारों की नियुक्ति की गई थी। उस समिति ने जो सुझाव सरकार को दिए हैं उनसे ऐसा प्रतीत होता है कि वे कश्मीर को भारत से अलग रखना चाहते हैं। जैसे- कश्मीर में केन्द्र के अधिकार कम किए जाएं। धारा 370 को स्थाई मान्यता दी जाए, यानी आगे भी कोई भारतीय कश्मीर में जमीन न खरीद पाए, इस बात को स्थाई रूप से लागू किया जाए। कश्मीर के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का दर्जा दिया जाए। रक्षा और सेना को छोड़कर किसी भी मामले में केन्द्र का हस्तक्षेप न हो। श्री भागैया ने कहा कि यह समझ से परे है कि वार्ताकारों की रपट कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए तैयार की गई है या जोड़ने के लिए। उन्होंने कहा कि भूमि हमारी मां है। गांवों में जमीन के एक टुकड़े के लिए माताएं-बहनें तक जान की बाजी लगा देती हैं और कश्मीर को हिन्दुस्थान से अलग करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। श्री भागैया ने कहा कि संघ चाहता है कि राष्ट्रहित में सारी आध्यात्मिक एवं राष्ट्रवादी ताकतें एकजुट हों। संघ का अर्थ संगठित होना है। जब हिन्दू संगठित होगा तो हम एक समग्र शक्ति के रूप में उभरेंगे और समाज तथा राष्ट्र का हित कर सकेंगे।
वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए वर्ग कार्यवाह श्री सत्यव्रत शास्त्री ने बताया कि रा.स्व.संघ के उत्तर क्षेत्र के इस वर्ग में चालीस वर्ष से कम आयु वर्ग के प्रशिक्षणार्थी सम्मिलित हुए। वर्ग 27 मई, 2012 से 16 जून, 2012 तक चला। इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश के 129 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। वर्ग में शिक्षार्थियों के मार्गदर्शन के लिए संघ तथा संघ से संबंधित संगठनों के अनेक पदाधिकारियों का आगमन हुआ।
समापन कार्यक्रम में स्वयंसेवकों द्वारा विभिन्न प्रकार के शारीरिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिक्षार्थियों के परिजन तथा स्थानीय स्वयंसेवक उपस्थित थे। विसंके
विहिप ने किया अर्चकों का सम्मान
विश्व हिन्दू परिषद के तत्वावधान में गत दिनों हरियाणा के पानीपत में अर्चक अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। विहिप के केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य स्वामी दयानन्द सरस्वती के सान्निध्य में सम्पन्न हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता गंगाधाम मंदिर के संस्थापक पंडित निरंजन पराशर ने की। विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मंत्री व अर्चक-पुरोहित विभाग के प्रमुख श्री उमाशंकर शर्मा मुख्य वक्ता और प्रांतीय प्रवक्ता श्री विजय शर्मा व प्रांत मंत्री श्री प्रद्युम्न शर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में श्री उमाशंकर शर्मा ने अर्चक व पुरोहित विभाग के महत्व व कार्यों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि संस्कारों की मूर्तियां स्थापित कर संग्रहालय तो बन सकता है, लेकिन मंदिर में भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर भगवान की महिमा को अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य हमारी सदियों से चली आ रही परम्परा ने किया है। मंदिर हमारी संस्कृति, धर्म, वैभव, आस्था, संस्कार व जीवनदर्शन का प्रतीक है। श्री शर्मा ने कहा कि पुरोहित दीनहीन नहीं, बल्कि सर्वमान्य व्यक्ति होता है। वह मानव जीवन में आने वाले हर प्रकार के कष्टों को दूर करने का मार्ग बताता है।
मंदिरों के अधिग्रहण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि जिस परम्परा को मुगलों के आक्रमण नष्ट नहीं कर पाए, जिस परम्परा को अंग्रेजी शासन समाप्त नहीं कर पाया, उस परम्परा को आज मंदिरों का अधिग्रहण कर समाप्त करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने अर्चकों को संगठित होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अधिग्रहीत मंदिरों से प्राप्त धन को केवल हिन्दू समाज के कार्यों व अर्चकों के कल्याण पर खर्च किया जाना चाहिए।
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने विहिप के कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि यह केवल विहिप ही है जो समय-समय पर धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्षरत रहती है। समारोह में स्वामी दयानन्द सरस्वती, श्री उमाशंकर शर्मा, श्री विजय शर्मा एवं पंडित निरंजन पराशर ने अर्चकों को पटका एवं स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया।प्रतिनिधि
बजरंग दल के प्रशिक्षण शिविर का समापन
सेकुलर राजनीति का खेल देश के लिए खतरनाक
–प्रकाश शर्मा, प्रवक्ता, विहिप
'आदिकाल से राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक रहे भगवा का अपमान, बढ़ता मतांतरण व वोट बैंक के नाम पर खेला जा रहा सेकुलर राजनीति का खेल देश के लिए खतरा बनते जा रहे हैं।' उक्त बात विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री प्रकाश शर्मा ने गत 18 जून को नई दिल्ली में बजरंग दल के प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कही। शिविर में दिल्ली के युवाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया तथा नियुद्ध, दंड, योगासन आदि का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
समारोह में युवाओं ने जहां योग, प्राणायाम, ध्यान, नियुद्ध, दण्ड, बाधापार, निशानेबाजी का प्रदर्शन किया, वहीं देश पर आने वाली हर चुनौती का सामना करने के लिए आपदा प्रबंधन व आतंकवाद से लड़ने के कौशल का प्रदर्शन भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विहिप दिल्ली के अध्यक्ष श्री स्वदेश पाल गुप्ता ने की तथा मुख्य अतिथि समाजसेवी श्री लखीराम शर्मा तथा विशिष्ठ अतिथि बजरंग दल के प्रशिक्षण प्रमुख श्री मनोज वर्मा थे।
शिविर में युवाओं को विहिप व बजरंग दल की स्थापना व उद्देश्य, भारत के वर्तमान संकट व उनके समाधान, पाश्चात्य संस्कृति के दुष्परिणाम, सेवा कार्य क्यों और कैसे, आपदा प्रबंधन, धर्म और कानून, साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक, गोरक्षा-राष्ट्ररक्षा जैसे विषयों की विस्तृत जानकारी दी गई।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भी बजरंग दल के शौर्य प्रशिक्षण शिविर का अयोजन किया गया। शिविर के समापन समारोह को संबोधित करते हुए विहिप के केन्द्रीय मंत्री डा. सुरेंद्र जैन ने कहा कि भारतमाता भ्रष्टाचार व कुशासन के बोझ तले दब गई है, जिसके लिए हम सबको आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि यह देश के युवाओं की जिम्मेदारी है कि वे सक्षम बनें और राष्ट्र की सेवा करें। डा. जैन ने कहा कि कमजोर का कोई साथ नहीं देता, सभी शक्तिमान की पूजा करते हैं और सहयोग देते हैं। इसलिए पहले अपनी शक्ति को अर्जित करें और फिर इसका समाजसेवा व नेक कार्यों के लिए सदुपयोग करें। इस अवसर पर स्वामी दिव्यानंद, बजरंग दल के प्रदेश प्रमुख श्री सुरेश वत्स ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
10-17 जून तक चले शिविर में हरियाणा के 18 जिलों से आए 123 युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। शिविर में युवाओं को शारीरिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक शक्ति आर्जित करने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यायाम व योगासन का अभ्यास कराया गया। समापन कार्यक्रम में युवाओं ने देश सेवा को समर्पित रहने का संकल्प भी लिया। दिल्ली से प्रतिनिधि व डा. गणेश दत्त वत्स
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