हरिद्वार में विहिप की दो दिवसीय संत उच्चाधिकार समिति की बैठकश्रीराम जन्मभूमि से छेड़छाड़ अस्वीकार्य
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विश्व हिन्दू परिषद की सन्त उच्चाधिकार समिति की बैठक गत 19 जून को हरिद्वार के परमार्थ ज्ञान मन्दिर में जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्वेशतीर्थ की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुई। दो दिवसीय बैठक का शुभारम्भ जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती, जगद्गुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्वेशतीर्थ, जगद्गुरु निम्बाकर्ाचार्य स्वामी युवाचार्य, स्वामी विवेकानन्द सरस्वती एवं विहिप के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री श्री चम्पत राय ने बैठक की विषयवस्तु रखते हुए कहा कि इस प्रकार की सूचनाएं आ रही हैं कि श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर के साथ-साथ अन्य मजहब का धार्मिक प्रतीक चिह्न भी बना दिया जाए। सरकार भी इसी प्रकार के प्रयत्नों में लगी है। आवश्यक है कि सन्त समाज अपने पुराने संकल्प को स्मरण रखते हुए यह सुनिश्चित करे कि अयोध्या में जहां आज रामलला विराजमान हैं, वहां श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के अतिरिक्त हमें कुछ भी स्वीकार्य नहीं है। अन्य कोई मजहबी ढांचा अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा में स्वीकार्य नहीं होगा।
श्री चम्पत राय ने कहा कि दूसरा विषय गंगा का है। सरकार यह प्रयत्न कर रही है कि गंगा की रक्षा के नाम पर संचित शक्ति का उपयोग वह श्रीराम जन्मभूमि पर सरकारी एजेंडे को पूरा कराने में कर ले, इसे ध्यान में रखते हुए हमें निर्णय करना होगा। उन्होंने कहा कि समाज के सामने इस प्रकार के भ्रम उत्पन्न किए जा रहे हैं कि हमें बिजली और पानी की बहुत आवश्यकता है किन्तु समाज तो भोला होता है, वह यह नहीं समझ पा रहा है कि बिजली और पानी की कीमत पर क्या गंगा के पतित पावनी होने के गुण को हम समाप्त हो जाने देंगे या गंगा को हम नाला बन जाने देंगे। गंगा का अवतरण धरती पर बिजली और पानी ही प्राप्त करने के लिए नहीं हुआ था, भगीरथ ने अपने दीर्घ तप से अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए किया था। हम गंगा की अविरलता और निर्मलता के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे।
श्री चंपत राय ने कहा कि तीसरा विषय हमारे सामने यह है कि आज पूरे देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सिर्फ चारों ओर लोकपाल-लोकपाल का ही बोलबाला सुनाई दे रहा है। हमें विचार करना होगा कि भ्रष्टाचार और चारित्र्य पतन को कठोर कानून बनाकर ही रोका जा सकता है या इसके पीछे और भी कोई कारण है। क्या व्यक्तिगत, नैतिक और राष्ट्रीय चरित्र का ह्रास भी इसके पीछे कारण है। भारत धर्मप्राण देश रहा है जहां धर्म और अधर्म की स्पष्ट अवधारणा के आधार पर व्यक्ति अपने जीवन को उच्चतम शिखर तक ले जाता था। पंथनिरपेक्षता का ढिंढोरा पीटते-पीटते समाज निरन्तर गिरावट की ओर जा रहा है। आज फिर से देश में आध्यात्मिक शक्ति के उदय एवं धर्म के संरक्षण की आवश्यकता है। श्री चंपतराय ने कहा कि संतजन दो दिवसीय इस बैठक में गहन रूप से विचार विमर्श करते हुए ऐसे दिशा निर्देश देने की कृपा करें जिससे कि इस अंधकार से बाहर निकला जा सके।
बैठक के समापन पर संतों ने सर्वसम्मति से श्रीराम जन्मभूमि, गंगा और भारत की पहचान सेकुलर नहीं आध्यात्मिक राज्य विषयक तीन प्रस्ताव भी पारित किए। श्रीराम जम्मभूमि के प्रस्ताव में कहा गया है कि आज जहां रामलला विराजमान हैं, वह स्थान ही श्रीराम की जन्मभूमि है। हमारे इस विश्वास को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है। अत: केन्द्र सरकार संसद में कानून बनाकर इस सम्पूर्ण परिसर को श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के लिए हिन्दू समाज को सौंपे। गंगा के प्रस्ताव में कहा गया है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों पर कोई बांध न बनाया जाए और टिहरी जैसे बड़े बांध जो पूरी भागीरथी को अपने जलाशय में कैद कर लेते हैं, ऐसे बांधों से गंगा को मुक्त किया जाए। अंतिम प्रस्ताव में कहा गया है कि सेकुलरवाद एवं आधुनिकता के कारण हो रहे सांस्कृतिक पतन से विश्वगुरु भारत की छवि ही धूमिल हो गई है। अत: सेकुलर सिद्धान्त भारत में असफल हो चुका है। इसके लिए जन-जन के ह्दय में राम का आदर्श एवं रामराज्य की प्रतिष्ठा करनी होगी। यह हिमालय के शिखर पर पहुंचने के समान कठिन कार्य है जिसे देश की सन्त शक्ति अपने आध्यात्मिक तपोबल से ही प्राप्त कर सकती है। तभी समृद्ध भारत और अजेय भारत के लक्ष्य को हम प्राप्त कर सकेंगे।
बैठक में प्रमुख रूप से जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य, जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामाधाराचार्य, जगद्गुरु निम्बाकर्ाचार्य स्वामी युवाचार्य, स्वामी विवेकानन्द सरस्वती, विहिप के कार्याध्यक्ष डा. प्रवीण तोगड़िया, संगठन महामंत्री श्री दिनेश चन्द्र ने भाग लिया। बैठक का संचालन विहिप के केन्द्रीय मंत्री श्री जीवेश्वर मिश्र ने किए।
फरीदाबाद में राष्ट्र सेविका समिति का प्रशिक्षण शिविर सम्पन्न
–प्रमिला ताई मेढ़े, प्रमुख संचालिका, राष्ट्र सेविका समिति
'स्त्री जाग्रति के बिना समाज व राष्ट्र जाग्रत नहीं हो सकता। स्त्री माता, पुत्री, बहन और पत्नी इनमें से किसी भी नाते से पुरुष से संबंधित होने पर समाज-जाग्रति का कार्य प्रेम के साथ सहजता से कर सकती है। तपस्यामय जीवन के द्वारा राष्ट्र जीवन में स्वाभिमान और उत्साह का आलोक नारी ही फैला सकती है। यदि हम सभी अपनी जीवन गंगा को राष्ट्र गंगा में विलीन होने दें तो जीवन की सार्थकता का अपूर्व आनंद लूटने का अवसर हमें मिलेगा'। उक्त विचार राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका सुश्री प्रमिला ताई मेढ़े ने गत 16 जून को फरीदाबाद में राष्ट्र सेविका समिति के 15 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
सुश्री मेढ़े ने आगे कहा कि हमारी परिवार व्यवस्था बहुत सशक्त है क्योंकि हमारे यहां परिवार की प्राणशक्ति नारी है। नारी ही परिवार को बनाकर खिलाती है, परिवार का पालन-पोषण करती है, परिवार के लिए अनेक प्रकार के कष्ट उठाती है, परिवार का संचालन करती है। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज व राष्ट्र के निर्माण में सक्रिय भूमिका का निर्वहन भी करती है। परिवार का व्यवहार और चरित्र निर्माण मां ही करती है। यही कारण है कि हमारा देश हर दृष्टि से समृद्ध है, विश्व की एक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। ऐसा पूरी दुनिया महसूस कर रही है, परन्तु हमारे शत्रु उसमें अनेक प्रकार से अवरोध पैदा करने की कुटिल चालें चल रहे हैं। अधिकार की लड़ाई के रूप में हमारी परिवार व्यवस्था को तोड़ने की कोशिशें कर रहे हैं। जब परिवार टूटते हैं तो व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया अवरुद्ध होती है और जब व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया अवरुद्ध होती है तो समाज व राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया भी अवरुद्ध होती है। इसलिए हमें परिवार की मजबूती के लिए अपने परिवारों के वातावरण को सुधारना होगा। परिवारों में हमारे राष्ट्रीय महापुरुषों व मनीषियों के चित्र लगने चाहिए, उनके गौरवशाली जीवन पर चर्चा होनी चाहिए। ताकि बच्चों के मस्तिष्क पर उनका सकारात्मक प्रभाव रहे। यदि परिवार सुदृढ़ होगा तो समाज व राष्ट्र की उन्नति को कोई रोक नहीं सकता। इस कार्य के लिए नारी की भूमिका ही अहम है।
सुश्री मेढ़े ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने बहुत पहले ही चीन की बुरी नीयत के बारे में देश को आगाह करते हुए कहा था 'भारत पर अगला आक्रमण चीन की ओर से होगा'। परन्तु हमारे शासक उस भविष्यवाणी की परवाह किए बिना 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा लगाते रहे और चीन ने 1962 में हम पर आक्रमण कर दिया और हमारे एक बहुत बड़े भू-भाग पर अपना आधिपत्य जमा लिया। चीन आज भी हमारे विरुद्ध चालें चल रहा है, हमारी सीमाओं पर अतिक्रमण कर रहा है। चीन एक मानचित्र प्रस्तुत करता है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताता है, परन्तु हमारी सरकार उस पर गंभीर नहीं। हमारे बाजार चीनी माल से भरे पड़े हैं, बच्चों के खिलौनों से लेकर देवी-देवताओं की मूर्तियां तक चीन से आयात हो रही हैं, जिसके कारण हमारे लघु उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। चीनी माल सस्ता होता है, परन्तु बढ़िया नहीं। अत: हमें अपने पैरों पर खड़े होने के लिए अपने लघु उद्योंगों को प्रोत्साहन व हर संभव मदद देकर विकसित करना होगा।
सुश्री मेढ़े के उद्बोधन से पूर्व राष्ट्र सेविका समिति की हरियाणा प्रांत कार्यवाहिका डा. अंजली जैन ने सेविकाओं व समारोह में आए परिवारों को समिति के उद्देश्य, समिति द्वारा देशभर में चलाये जा रहे सेवा प्रकल्पों, संस्कार केन्द्रों, छात्रावासों व विद्यालयों की जानकारी दी। सह-प्रांत कार्यवाहिका श्रीमती रजनी गुलाटी ने शिविर में सिखाये गए शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक कार्यक्रमों की जानकारी दी।
समारोह की अध्यक्षता साधू उद्योग समूह की निर्देशिका श्रीमती सरला गर्ग ने की। मुख्य अतिथि इन्डियन आयल कॉरपोरेशन की वरिष्ठ अधिकारी डा. सरिता गर्ग थीं। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सविता मलिक ने किया। इस अवसर पर सेविकाओं ने शिविर में सीखे कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया, जिनमें नियुद्ध, दंड, योगासन, व्यायामयोग, योगचाप, व राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत खेल मुख्य रूप से थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे। राजेन्द्र गोयल
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