व्यंग्य वाण
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व्यंग्य वाण
विजय कुमार
शर्मा जी के मौहल्ले में जब एक ही महीने में तीसरी बार चोरी हो गयी, तो लोगों ने थाने को घेरने का निर्णय
लिया। शर्मा जी चाहते थे कि मैं भी वहां चलूं, पर मैंने व्यस्तता के कारण उन्हें समझाने का प्रयास किया।
– देखिये शर्मा जी, भारत जैसा सुरक्षित देश दुनिया में कोई और नहीं है। पिछले दिनों केरल में इटली के एक जहाज के दो सुरक्षाकर्मियों ने दो भारतीय मछुआरों को मार दिया। पुलिस ने उन्हें बन्दी बना लिया। बहुत दिन तक वह जहाज खड़ा रहा, पर अंतत: उसे छोड़ दिया गया। कुछ दिन बाद इटली के विदेश मंत्री भारतीय विदेश मंत्री श्री कृष्णा से मिले। उनकी मांग थी कि इन बन्दियों को भी छोड़ दें, जिससे उन पर इटली में मुकदमा चल सके।
श्री कृष्णा उन्हें समझा रहे थे – आप उन पर भारत में ही मुकदमा चलने दें। दुनिया में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां देशी हों या विदेशी, बड़े अपराधी बिल्कुल सुरक्षित रहते हैं। बोफोर्स वाले क्वात्रोकी और भोपाल गैस कांड वाले एंडरसन के बारे में तो आपने सुना ही होगा। हमने उनके साथ कितनी उदारता का व्यवहार किया?
– हां, कुछ सुना तो है।
– संसद पर हमला करने वाले मो. अफजल और मुंबई में हत्यारे कसाब की सुरक्षा पर करोड़ों रुपया खर्च हो रहा है। उन्हें प्रतिदिन मुर्ग मुसल्लम और बकरा बिरयानी खिलाई जाती है। बंगलादेश के करोड़ों मुस्लिम घुसपैठियों को हमने राशन कार्ड और वोट का अधिकार दे दिया है। अभी-अभी हजारों बंगलादेशी म्यांमार से होकर आये हैं, उन्हें भी हमने सम्मान सहित रख लिया है। कुछ दिन पूर्व कई विदेशी राजनयिक बिना अनुमति नागालैंड घूम आये। हमने उन्हें भी कुछ नहीं कहा। अपनी आदत के अनुसार विपक्ष वाले संसद में थोड़ा शोर करते हैं, फिर वे भी सो जाते हैं।
– अच्छा.. ?
– जी हां। नक्सली हों या माओवादी हत्यारे, या फिर उनके समर्थक और दलाल। हम सबसे मानवता का व्यवहार करते हैं। उन्हें पुरस्कृत कर शासकीय समितियों में रख लेते हैं। क्या दुनिया में कहीं ऐसा होता है ?
– मैंने तो नहीं सुना।
– जगह-जगह हुए बम विस्फोटों में जो लोग पकड़े जाते हैं, हम उन्हें भी छोड़ रहे हैं। कश्मीर से जो लोग आतंक का प्रशिक्षण लेने सीमा पार गये थे, उन्हें उनकी पाकिस्तानी बीवियों और बच्चों सहित वापस बुला रहे हैं। उन्हें सरकारी नौकरी और पैसा भी दिया जा रहा है, जिससे वे मजबूती से अपना बाकी काम कर सकें।
– यह तो बहुत अच्छा है।
– आर्थिक अपराधियों के साथ नरमाई की परम्परा तो हमारे पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी ही डाल गये हैं। बोफोर्स के बारे में तो आप जानते ही होंगे। कलमाड़ी, कनिमोझी हो या ए.राजा, ये सब फिर से संसद की शोभा बढ़ाने लगे हैं।
– पर हमारे उन बन्दी सैनिकों का क्या होगा ?
– आप बिल्कुल चिन्ता न करें। जैसे हमने आपके जहाज को 25 लाख रु. की जमानत पर छोड़ दिया, वैसे ही ये दोनों भी छूट जाएंगे। फिर ये मामला तो सीधे-सीधे इटली का है, इसलिए ..।
– 25 लाख रुपये कितने होते हैं ?
– लगभग 38,000 यूरो।
– बस….। इससे अधिक तो मेरा वेतन है। अब मैं संतुष्ट हूं मि. कृष्णा, कि आपके रहते हमारे हित पूरी तरह सुरक्षित हैं।
– ऐसा न कहें। जब तक 'मैडम' इटली का हाथ चिदम्बरम और मनमोहन सिंह जैसे लोगों के सिर पर है, तब तक क्या मजाल कि कोई किसी अपराधी को हाथ लगा दे।
मैंने शर्मा जी की ओर देखा। उनका चेहरा 45 डिग्री गरमी में कुम्हलाये फूल जैसा हो गया था।
– तो वर्मा जी, हमें घेराव स्थगित कर देना चाहिए ?
– घेराव तो करें, पर 'मा फलेषु कदाचन' की तरह कोई आशा न रखें। पुलिस वाले नेता और अपराधियों की रक्षा करें या आपकी ? इसलिए सब मिलकर एक चौकीदार रख लें, इसी में भला है।
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