चक्कर आना-एक ऐसी परेशानी है, जिसमें व्यक्ति को सब कुछ घूमता नजर आता है। यह अपने आपमें बीमारी नहीं है अपितु एक लक्षण है। शरीर में अन्य परेशानियों के कारण चक्कर आना प्रारम्भ हो सकता है। यह परेशानी सभी उम्र के लोगों में हो सकती है। बहुधा चक्कर आने के बारे में सही प्रकार से बता पाना मरीज के लिए कठिन होता है। ऐसे में पूरी और सही जानकारी उस समय मरीज को महसूस हो रही चक्कर आने संबंधी परेशानियों को चक्कर आने के अन्य प्रकारों जैसे बेहोशी, सिर का हल्कापन, ड्राप अटैक्स स्थिति के हिसाब से रक्त चाप के घटने-बढ़ने से अलग करके लेना चाहिए। मरीज को सही और विस्तार से डाक्टर को जानकारी देनी चाहिए
चक्कर आना-तीन प्रकार का होता है-
1.'ऑब्जेक्टिव'-इसमें व्यक्ति को यह महसूस होता है कि सभी वस्तुएं घूम रही हैं।
2.'सब्जेक्टिव'-इसमें व्यक्ति को यह आभास होता है कि वह स्वयं घूम रहा है।
3. 'स्यूडो वर्टाइगो'-इसमें व्यक्ति को सिर के अंदर घूमने का आभास होता है।
चक्कर आने के प्रमुख कारण निम्नलिखित है-
चक्कर आने का एक आम कारण 'बिनाइन पैरोक्जिमल पोजीशनल वर्टाइगो' (बी पी पी वी) है, जिसकी पहचान है गति में उत्तेजना। इसमें अचानक सिर घूमने लगता है अथवा एक ही दिशा में सिर घूमता है। इस प्रकार का 'वर्टिगो' बहुत कम गंभीर होता है तथा इसका इलाज आसानी से हो जाता है।
कान के आंतरिक भाग में सूजन होने के कारण भी चक्कर आ सकता है, जिसकी पहचान है अचानक सिर में चक्कर की शुरुआत तथा इसके साथ कान में सुनने की शक्ति का ह्रास भी शामिल हो सकता है। इसका कारण है कान में वायरल अथवा बैक्टिीरियल संक्रमण।
'मेनियर्स रोग' (कान के आंतरिक भाग का विकार जो संतुलन और सुनने को दुष्प्रभावित करता है) के कारण जिसमें तीन लक्षण एक साथ परिलक्षित होते हैं-चक्कर आना, कान में आवाज आना, सुनना बंद हो जाना। इस स्थिति में व्यक्ति को तेजी से चक्कर आना शुरू होकर गंभीर रूप धारण कर लेता है। 'हियरिंग लॉस' अस्थिर हो जाता है और कभी-कभी किसी भी लक्षण का आभास नहीं होता है।
'एकाउस्टिक न्यूरोमा' एक प्रकार का 'नर्व टिश्यू' का 'ट्यूमर' होता है, जिसके कारण चक्कर का आना प्रारम्भ हो जाता है। इसमें चक्कर आने के साथ-साथ एकतरफा कान में आवाज शुरू हो जाती है तथा सुनाई देना बंद हो जाता है।
मस्तिष्क में रक्त की कम आपूर्ति के कारण भी चक्कर आ सकता है। मस्तिष्क के पीछे रक्तस्राव के कारण चक्कर, सिर में दर्द, चलने में परेशानी, बहते हुए रक्त की तरफ देख पाने में असमर्थता। इसका परिणाम होता है कि आंख की 'गेज साइड' से दूर हो जाती है। चलना भी प्रभावित हो जाता है।
सिर एवं गर्दन की चोट के कारण चक्कर आ सकता है।
'माइग्रेन' के कारण भी चक्कर आ सकता है। इसमें चक्कर के साथ-साथ सिर का दर्द भी बना रहता है।
'डायबिटीज' के कारण धमनियां कठोर हो जाती हैं, जिसके कारण मस्तिष्क को रक्त आपूर्ति में बाधा होती है। इस कारण चक्कर आ सकता है।
'ड्रग्स' और शराब के सेवन से भी चक्कर आने की परेशानी उत्पन्न होती है।
शरीर में खून की कमी (एनीमिया)
शरीर में उच्च रक्तचाप का होना।
'सर्वाइकल स्पोन्डिलाइसिस' का स्नायुओं पर दबाव पड़ना।
आंखों का रोगग्रस्त होना।
आंतों में परेशानी होना।
लक्षण :
चक्कर आने की परेशानी यदि वास्तविक है तो भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है।
इसके अलावा निम्नलिखित लक्षणों में से कुछ अथवा सभी लक्षण महसूस हो सकते हैं-
मिचलाहट अथवा उल्टी
पसीना आना
आंखों में असामान्य गतिविधि
इन लक्षणों की अवधि मिनटों से घंटों तक हो सकती है। यह लक्षण स्थायी अथवा अस्थायी भी हो सकते हैं।
चक्करआनेपरक्याकरें–
जिस स्थिति में चलने पर चक्कर आता हो, उस स्थिति का परहेज करें। कुछ रोगियों खासकर अधिक उम्र के तथा 'पोस्ट ट्रोमेटिक' रोगियों को लेबिरिथाइन सिडेटिव्स की जरूरत पड़ती है।
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है शरीर के अंगों में भी विकृति शुरू हो जाती है। इसी तरह कान के आंतरिक भाग में भी विकृति होती है। ऐसे में 'वासोडिलाटर्स' जैसे साइकलानडीलाट का उपयोग किया जा सकता है। यदि चक्कर आना गंभीर हो लेबिरियइन सिडिटिव्स दिया जा सकता है। जिन लोगों को 'सरवाइकल स्पोन्डीलोसिस' है, अल्प समय के लिए 'सरवाइकल कॉलर' उनके लिए लाभप्रद हो सकती है।
भोजन में विटामिन बी कॉम्पलैक्स तथा अन्य विटामिन्स का प्रयोग करें।
भोजन ऐसा करें जो जल्दी पचता हो।
भोजन का समय निश्चित रखें तथा स्वास्थ्य नियमों का पालन करें।
व्यायाम व योग नियमित करें।
चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही दवा लें। अपने मन से किसी दवा का प्रयोग न करें।
रक्तचाप बढ़ गया हो तो बैठे हुए अवस्था से अचानक खड़े होने से बचें।
उत्तेजक खाद्य पदार्थों के प्रयोग से बचें।
ठंडे पानी से स्नान करें।
चक्करआनेपरक्यानकरें–
चक्कर आने पर इसे नजरंदाज न करें।
किसी भी कार्य को झटके के साथ करने से बचें।
सिर में किसी प्रकार का झटका न लगने दें।
अधिक दूरी तक वाहन चलाने, ऊंचाई पर चढ़ने तथा तैरने से बचें। यदि अत्यंत आवश्यक हो तो किसी व्यक्ति को साथ रखें।
चिकित्सककीसलाहकबलें– अधिकांश मामलों में चक्कर आने में कोई नुकसान नहीं होता है तथा इसका इलाज सहज होता है लेकिन कुछ मामले गंभीरता लिये होते हैं, जिसके लिए तुरन्त विशेषज्ञ परामर्श एवं बेहतर चिकित्सा की आवश्यकता है। निम्नलिखित परेशानी होने पर अविलंब चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए-
कोई भी वस्तु दो दिखाई देती हो (डबल विजन)।
सिरदर्द
कमजोरी
बोलने में परेशानी
असामान्य नेत्र गतिविधि
बदली हुई चेतना (आल्टर्ड लेवल ऑफ कांशियसनेस), उपयुक्त क्रियाकलाप का अभाव अथवा परेशानी उत्पन्न होना
चलने में परेशानी अथवा हाथ और पैर को नियंत्रित करने में कठिनाई।
चक्कर आने से संबंधित ऊपर दी गयी जानकारियां पाठकों की जागरूकता के लिए है। कई बार बीमारी के बारे में जानकारी न होने के कारण लोग लापरवाही कर जाते हैं तथा साधारण सी बीमारी भी गंभीर रूप ले लेती है। अत: पाठकों से निवेदन है कि उपरोक्त जानकारी के आधार पर सावधानी जरूर बरतें परन्तु स्वयं चिकित्सा न करें तथा चक्कर आने की परेशानी जब कभी उत्पन्न हो तो चिकित्सक से सलाह लेने में विलंब न करें। किसी भी चक्कर के मरीज को नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजिस्ट, हड्डी के शल्य चिकित्सक, नेत्र रोग विशेषज्ञ, हृदय रोग विशेषज्ञ एवं जनरल फिजिशियन की सलाह की आवश्यकता पड़ सकती है। जांच में एक 'बेसिक इन्वेस्टिगेशन' खून के-'हीमोग्लोबीन' की जांच से लेकर दिमाग के सी टी स्कैन तक की भी आवश्यकता पड़ सकती है। किसी भी चक्कर को चाहे वह कुछ सेकण्ड के लिए ही आता है, गैर गंभीरता से न लें, क्योंकि यह किसी बड़ी बीमारी की चेतावनी हो सकती है। (लेखक से उनकी वेबसाइट www.drharshvardhan.com तथा ईमेल drhrshvardhan@gmail.com के माध्यम से भी सम्पर्क किया जा सकता है।)
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