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राष्ट्रीयता का शंखनाद है पाञ्चजन्य
मैं पिछले 30 साल से पाञ्चजन्य का पाठक हूं। पाञ्चजन्य से देश की वास्तविक स्थिति का पता चलता है। अराष्ट्रीय तत्वों की गतिविधियों की जितनी जानकारी पाञ्चजन्य से मिलती है उतनी और कहीं से नहीं। सेकुलर मीडिया तो देश की गौरवशाली परम्पराओं और संस्कृति को ही मिटाने में लगा है। हिन्दुत्व पर चारों ओर से हो रहे आक्रमणों के खिलाफ पाञ्चजन्य एक फौलादी दीवार है। पिछले दिनों श्री देवेन्द्र स्वरूप का एक आलेख 'मुस्लिम पृथकतावाद और गांधीजी' पढ़ा। इस लेख से मेरे मन में गांधीजी को लेकर कई सवाल उठे। आजादी की लड़ाई में मुसलमानों की अनुचित मांगें मानकर उनकी विभाजनकारी मानसिकता को बढ़ावा दिया गया। फिर भी कांग्रेस या गांधीजी मुसलमानों का सहयोग प्राप्त नहीं कर पाए। क्या इसकी परिणति भारत के विभाजन में नहीं हुई? देश का दुर्भाग्य है कि आज भी वही तुष्टीकरण का काम हो रहा है।
–पवन कुमार जैन
किशनबाग कालोनी, संगरूर (पंजाब)
आवरण कथा के अन्तर्गत शशि सिंह की रपट 'उ.प्र. में चलेगा इस्लामी एजेण्डा' संकेत करती है कि उत्तर प्रदेश को 'दारुल इस्लाम' बनाने का प्रयास चल रहा है। मुलायम सिंह यादव केवल सत्ता के लिए अपने कुल के विपरीत काम कर रहे हैं। यदुवंशियों ने इस देश को एक रखने के लिए प्राचीनकाल से ही संघर्ष किया है। किन्तु मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश सिंह यादव देश को मजहब के आधार पर बांटने का काम कर रहे हैं। मुलायम सिंह यादव ने तुष्टीकरण के मामले में जवाहर लाल नेहरू को भी पीछे छोड़ दिया है।
–सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
द्वारकापुरम, दिलसुखनगर, हैदराबाद-60 (आं.प्र.)
उत्तर प्रदेश में असली मुख्यमंत्री तो मुलायम सिंह यादव ही हैं। अखिलेश सिंह यादव तो नाम के मुख्यमंत्री हैं। कहा जाता है कि मुलायम की सलाह पर ही अखिलेश सरकार ने कांशीराम योजना को 'हमीद योजना,' एक दूसरी कांशीराम योजना को 'अशफाक योजना' नाम दिया है। किसी योजना का नाम भगत सिंह, पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे महापुरुषों के नाम पर क्यों नहीं रखा जाता है?
प्रदीप सिंह राठौर
37-बी, पनकी, कानपुर (उ.प्र.)
दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम बुखारी इस भ्रम में छाती फुला रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार मुसलमानों की बदौलत बनी है। इसलिए वे मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव पर दबाव डालकर अपनी उचित-अनुचित मांगें मनवाना चाहते हैं। रामपुर में पिछले दिनों उन्होंने मुसलमानों से कहा कि अधिकार भीख मांगने से नहीं मिलता, एकजुट होकर छीनना पड़ता है। इसके लिए वे उनका साथ देने को तैयार हैं। क्या इस असभ्य तरीके से बुखारी, आजम खां या फिर कोई अन्य मुस्लिम नेता अपना-अपना दबाव बनाकर समाजवादी पार्टी को छिन्न-भिन्न नहीं कर देंगे? पहले ही समाजवादी पार्टी की सरकार ने कुछ मुख्य पदों पर मुसलमानों की नियुक्ति कर दी है और मुस्लिम लड़कियों को भी तीस हजार रुपए देने की घोषणा की है। साथ ही साथ उनको और अधिक लाभान्वित करने की अनेक योजनाओं पर कार्य चल रहा है। जिससे प्रदेश की हिन्दू जनता हताश व निराश होने लगी है।
–विनोद कुमार सर्वोदय
नयागंज, गाजियाबाद (उ.प्र.)
जयचन्द ने भारत में मुसलमानों के शासन की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी। और अब सत्ता में बने रहने की होड़ में देश का सेकुलर खेमा मुसलमान की रट लगाए हुए है जिसे पहले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह कहकर कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है, देश के इस्लामीकरण की नींव रख दी थी। यदि हिन्दू संगठन आज भी एक होकर इस भयावह स्थिति का मुकाबला नहीं करेंगे तो देश का भविष्य अंधकार की ओर जाएगा।
–आर.सी.गुप्ता
अखिलेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में अनेक प्रमुख पदों पर मुस्लिमों को नियुक्त किया है। मुस्लिम छात्राओं को 30 हजार रु. की छात्रवृत्ति दी जा रही है। यदि यह सरकार प्रदेश का विकास करना चाहती है तो उसे सभी वर्गों के साथ न्याय करना पड़ेगा। शासन-प्रशासन में हर वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व देना होगा। विपक्षी दल इस सरकार की गलत नीतियों को जनता के बीच ले जाएं। नहीं तो यह सरकार तुष्टीकरण की सारी हदें पार कर देगी।
–दिनेश गुप्त
पिलखुवा, गाजियाबाद (उ.प्र.)
अमरनाथ यात्रा की अवधि बढ़े
अमरनाथ यात्रा की अवधि में कटौती से संबंधित समाचार से पता चला कि हिन्दू आस्था के साथ निरन्तर खिलवाड़ किया जा रहा है। विश्व हिन्दू परिषद् के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने ठीक ही कहा है कि अमरनाथ यात्रा की समाप्ति के लिए षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। 2009 तक अमरनाथ यात्रा की अवधि 60 दिन की थी, पर अब 39 दिन ही रह गई है। जबकि हर साल अमरनाथ जाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
सरकार कहती है कि सुरक्षा की दृष्टि से अमरनाथ यात्रा की अवधि घटाई जा रही है। यह बहुत ही गन्दी सोच है। अलगाववादी तत्व और आतंकवादी चाहते हैं कि अमरनाथ यात्रा न हो, शेष भारत के लोग कश्मीर न आएं। उन्हीं की बोली जम्मू-कश्मीर और केन्द्र सरकार बोलती है। होना तो यह चाहिए कि भक्तों की संख्या को देखते हुए अमरनाथ यात्रा की अवधि और अधिक बढ़ाई जाती।
–गणेश कुमार
पाटलिपुत्र कालोनी, पटना (बिहार)
सक्रिय हैं इस्लामी ताकतें
श्री मुजफ्फर हुसैन ने अपने आलेख 'भारत को बनाया जाए मुगलिस्तान' में जिन वास्तविकताओं से साक्षात्कार कराया है उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। 'सेन्टर फॉर पालिसी स्टडीज', चेन्नै द्वारा 2003 में प्रकाशित पुस्तक 'डेमोग्राफी ऑफ इंडिया' ने स्पष्ट बता दिया है कि 2061 आते-आते हिन्दुओं की घटती आबादी मुस्लिमों और ईसाइयों की बढ़ती आबादी के बराबर हो जाएगी। इसके खतरों का अनुमान लगाया जा सकता है। बंगलादेश के जहांगीर खान ने भारत को मुगलिस्तान में बदल देने की योजना वर्षों पूर्व बनाई थी। उसी को मूर्त रूप देने के लिए भारत सहित विश्व भर की इस्लामी ताकतें अग्रसर हैं।
–क्षत्रिय देवलाल
अड्डी बंगला, उज्जैन कुटीर, झुमरी तलैया
कोडरमा-825409 (झारखण्ड)
दुर्भावना क्यों?
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सन्दर्भ में एक रपट 'महामना के सपनों के साथ खिलवाड़' पढ़ी। पं. मदनमोहन मालवीय द्वारा स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। यह सरकार उसके नाम से हिन्दू शब्द को हटाने का प्रयास कर रही है। क्या ऐसा कुछ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के साथ किया जा सकता है? 'मुस्लिम' शब्द तो केवल एक सम्प्रदाय विशेष से जुड़ा है, जबकि 'हिन्दू' शब्द इस राष्ट्र की पहचान है। फिर इस शब्द के साथ दुर्भावना क्यों?
–सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम (म.प्र.)
बर्बर तालिबान
पिछले दिनों दृष्टिपात स्तम्भ में 'पढ़ोगी तो मारी जाओगी' इस शीर्षक से अफगानिस्तान में कट्टरवादियों के फरमान की चर्चा की गई थी। साथ ही कुंदूज में लड़कियों के स्कूल में पानी की टंकी में जहर घोलने जैसे अमानवीय कृत्य का पर्दाफाश किया गया था। स्त्री शिक्षा और स्वतंत्रता के घोर विरोधी तालिबानी, विश्व में आतंक और बर्बरता के पर्याय बन चुके हैं। यह वस्तुस्थिति है। पर इसी परिदृश्य में 36 वर्षीय फौजिया कूफी नामक महिला ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वे भू.पू. राजनयिक की पुत्री हैं और एक अमरीकी वेबसाइट ने उन्हें दुनिया की 150 सबसे साहसी महिलाओं में शामिल किया है। कूफी के साहस को नमन्!
–इन्दिरा किसलय
बल्लालेश्वर, रेणुका विहार, शताब्दी चौक
नागपुर-440027 (महाराष्ट्र)
भारत और पाकिस्तानी हिन्दू
पिछले काफी समय से पाञ्चजन्य पाकिस्तानी हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचारों को उठाता रहा है। पाकिस्तान में हिन्दुओं की स्थिति एक जानवर से भी बदतर है। पेट भरने के बाद जानवर आराम से सो तो सकता है। किन्तु पाकिस्तानी हिन्दू अपने भविष्य की चिन्ता में ढंग से सो भी नहीं पाते हैं। कट्टरवादी प्राय: प्रतिदिन हिन्दुओं को यह अहसास कराते हैं कि तुम लोग हिन्दू के नाते पाकिस्तान में नहीं रह सकते हो।
–हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला, कटिहार-854105(बिहार)
पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ वहां की न्यायपालिका भी न्याय नहीं कर रही है। जो सेकुलर राजनीतिक दल भारत में मुस्लिमों की सुरक्षा और तरक्की की चिन्ता करते हैं, वे पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए आवाज उठाना भी साम्प्रदायिक मानते हैं। जब भारत में रह रहे मुसलमानों (जिन्हें पूरे संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं) के लिए पाकिस्तान सहित अन्य मुस्लिम देश आवाज उठा सकते हैं, तो पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए भारत आवाज क्यों नहीं उठा सकता है? दरअसल तुष्टीकरण में आकंठ डूबे राजनीतिक दल हिन्दू और उससे जुड़े किसी मुद्दे पर मुंह खोलना भी गलत समझते हैं। भारत सरकार का नैतिक दायित्व है कि वह पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में आवाज उठाए।
–मनोहर मंजुल
पिपल्या–बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)
बिगड़ रही है हालत
रामदेव गरजे पुन:, अण्णा भी हैं साथ
एक–एक मिलकर हुए, मानो ग्यारह हाथ।
मानो ग्यारह हाथ, बढ़ी दोनों की ताकत
कांग्रेस शासन की बिगड़ रही है हालत।
कह 'प्रशांत' पर जादू जैसी बात नहीं है
उधर मीडिया भी पहले सा साथ नहीं है।
–प्रशांत
पञ्चांग
वि.सं.2069 तिथि वार ई. सन् 2012
आषाढ़ कृष्ण 13 रवि 17 जून, 2012
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