हिन्दुओं के घर और दुकानें जलती रहीं
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कोसीकलां में दंगा
…अखिलेश की पुलिस देखती रही
मुकेश गोस्वामी
बाजार में तैनात पुलिस बल
गत 1 जून को मथुरा जनपद (उत्तर प्रदेश) के कोसीकलां में दोपहर लगभग ढाई बजे एक वृद्ध व्यक्ति एक समुदाय विशेष की प्याऊ पर हाथ धोने क्या गया, उस समुदाय विशेष के लोगों द्वारा बेवजह हिंसा की शुरुआत कर दी गई। उस वृद्ध से हाथापाई की गई। इसके बाद देखते ही देखते तनाव फैल गया। सराय शाही में हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के दो पक्ष आमने-सामने आ गये। दोनों में काफी कहा-सुनी हुई। तभी सराय शाही स्थित मस्जिद के पास स्थानीय हिन्दुओं की दुकानों में आग लगानी शुरू कर दी गई। दूसरे पक्ष के लोगों को यह देखकर क्रोध आना स्वाभाविक था। दुकानों के धू-धूकर जलते ही चारों तरफ हाहाकार मच गया, पथराव होने लगा। लोग हकबकाए से कहते रहे, 'हमारे मकान क्यों जला रहे हो', लेकिन दंगाइयों पर जुनून सवार था। लोग एक-दूसरे पर हमला बोल रहे थे। पथराव में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए। इस बीच गोलीबारी शुरू हो गई। घन्टाघर चौराहे पर पत्रकारों के साथ भी दंगाइयों ने मारपीट की एवं उनके कैमरे तोड़ दिए। बल्देव गंज चौराहे पर संजय चौधरी बाजार में खड़ा दुकानों को बंद होते देख रहा था। अभी वह निकासा मोहल्ले की ओर बढ़ा ही था कि अचानक एक गोली उसके पेट में आ लगी। स्थानीय दुकानदार पदमचन्द जैन दुकान बंद करके जा रहे थे कि दंगाइयों के पथराव का शिकार हो गये । ब्राह्मणपुरी निवासी राजेश गोयल नाई की दुकान में थे। दंगे की बात सुनकर वह भागे तो उनको भी गोली आ लगी।
दंगे में आगजनी के बाद का दृश्य
दंगे की शुरुआत से उसके भीषण रूप लेने तक पुलिस ने खास हरकत नहीं की। यदि पुलिस पहले ही सक्रिय हो गई होती तो कितने ही घरों में आग नहीं लगती। एक छोटी सी घटना को लेकर शुरू हुए विवाद देखते ही देखते दर्जनों लोगों की खुशियां छीन गया। डा. हरिशंकर अग्रवाल के क्लीनिक में आग लगा दी गई। गुरुगंज में अशोक ट्रांसपोर्ट कंपनी का कार्यालय जलाया गया। बल्देव गंज के निवासी आर.के. गर्ग के घर में आग लगा दी गई। किशन पंडित के घर एवं बाहर खड़े ट्रक को जला दिया गया।
पूरी घटना के संदर्भ में स्थानीय भाजपा नेता निर्भय पाण्डेय एवं लोगों ने पुलिस प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दंगे की शुरुआत कैसे हुई और किसने की, उस ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। दंगे के बाद तीन दिन कर्फ्यू रहा जबकि बीच बीच में में दो घण्टे, चार घण्टे, आठ घंटे की प्रशासन द्वारा ढील दी गई। इस दंगे में 4 लोगों की मौत हो गई और दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल दंगा पीड़ितों से मिलने एवं मौके का जायजा लेने हेतु घटनास्थल पर गया। प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ितों से मुलाकात के बाद पूरी घटना की तीखी निंदा की। अपनी आपबीती सुनाते हुए पीड़ितों ने प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया। उधर राज्य सरकार ने आनन-फानन में जनपद के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का तबादला करके दोनों पदों पर नए अधिकारियों की नियुक्ति कर दी। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक माहौल नियंत्रित किन्तु तनावपूर्ण बना हुआ है।
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