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नकसीर फूटना
गर्मी की एक आम बीमारी
डा. हर्षवर्धन
नाक शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन सेहत की दृष्टी से इसके महत्त्व को खास तवज्जो नहीं दी जाती है।
नाक एक प्रकार से सुरक्षा गार्ड है। शरीर को आक्सीजन आपूर्ति का कार्य नाक के ही माध्यम से ही होता है। शरीर में प्रवेश करने वाली हवा को नम या गर्म करने के कार्य का संचालन भी नाक के द्वारा ही होता है। नाक के अंदर बालों की परत होती है जो नाक में प्रवेश करने वाली धूल तथा अत्यंत सूक्ष्म कणों को फेफड़ों तक जाने से रोक देती है। इसे वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने की पहली सुरक्षा पंक्ति माना जा सकता है। कई बार व्यक्ति जब नुकसानदायक रसायन या अन्य तत्वों के संपर्क में आता है तो नाक में तरल का उत्सर्जन होने लगता है, जिससे वह रसायन अथवा अन्य तत्व बाहर आ जाता है तथा कई बार छींकें आने लगती हैं जिससे हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं और शरीर सुरक्षित हो जाता है। नाक की एक आम परेशानी है नकसीर का फूटना, जिसके बारे में लोगों की अधिकांश शिकायत रहती है। खासकर बच्चे एवं 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में यह परेशानी अधिक होती है। इस बीमारी को “नोज ब्लीड' या “एपिस्टैक्सिस' के नाम से भी जाना जाता है। नाक का आंतरिक अग्र भाग जिसे “लिटिल्स एरिया' कहा जाता है, यहां खून की चार नसें मिलती हैं। ज्यादातर बच्चे अक्सर नाक में इस लिटिल्स एरिया में अंगुली से कुरेदते रहते हैं। बच्चों के नाखून बढ़े होने के कारण बार-बार अंगुली से कुरेदने पर नाक के “सेप्टम' (बीच की दीवार) की झिल्ली क्षतिग्रस्त हो जाती है और नाक से खून आना शुरू हो जाता है। यही कार्य अधिकांश वयस्क व बुजुर्ग लोग भी करते हैं तथा कुछ महिलायें रूमाल को अंगुली में लपेटकर नाक में डालती रहती हैं। इसके अलावा यह परेशानी गर्मी के मौसम में ज्यादा देखने को मिलती है। साधारणत: नाक से रक्त स्त्राव होना कोई बीमारी नहीं है लेकिन जब यह बार-बार होता है, तब एक रोग बन जाता है। नाक से खून जब ज्यादा निकलता है तब कभी-कभी यह रक्त ग्रासनली से होता हुआ पेट में पहुंच जाता है जो एक परेशानी का कारण बन जाता है।
नकसीर के अनेक कारण हो सकते हैं-
● नाक के भीतर संक्रमण होना।
● नाक के अंदर ट्युमर होना।
● नाक में चोट लगना।
● नाक में किसी वस्तु का ला जाना
● एलर्जी आदि कारणों से नाक
में सूजन का हो जाना।
● नाक को झटके से साफ करने के कारण भी नाक से रक्त निकल सकता है।
● रक्त को पतला करने की दवा जैसे एस्प्रिन, हिपेरिन इत्यादि लेते रहने पर भी रक्त निकलता है
● बाहर की हवा से नाक सूख जाती है और अंदर पपड़ी जम जाती है, जिसे साफ करने पर भी रक्त निकलने लगता है।
● “प्लेथोरा' रोग अर्थात शरीर के रक्त कोषों में अधिक रक्त हो जाने के कारण भी नाक से खून आ सकता है।
● नाक में तकलीफ पैदा करने वाले रसायन (औद्योगिक रसायन आदि) से संपर्क होना।
● धूप में अधिक कार्य करने से भी नकसीर की आशंका हो सकती है।
● बहुत अधिक मात्रा में शराब के सेवन से लीवर में “क्लॉटिंग' के लिए आवश्यक विटामिन्स की निर्माण प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है और रक्त पतला हो जाता है। यह
स्थिति बनी रहने पर भी नकसीर की संभावना हो जाती है।
● लू लगने से भी नकसीर हो सकती है।
● नाक की असामान्य बनावट में भी नकसीर होने की संभावना होती है।
● नाक का कभी आपरेशन हुआ हो।
● नकसीर की परेशानी परिवार में चलती आ रही हो।
● अधिक ऊंचाई पर जाना।
● पेट में लगातार कब्ज का होना।
राहत के उपाय :
कभी अचानक नाक से रक्त स्त्राव होना प्रारम्भ हो जाए तो बिना विलंब किये निम्नलिखित प्राथमिक चिकित्सा देनी चाहिए ताकि मरीज को राहत मिल सके-
● मरीज की नाक अंगूठे तथा तर्जनी (अंगूठे के साथ वाली) अंगुली से पांच मिनट तक दबायें तथा इस दौरान सांस मुंह से लेने के लिए कहें और यदि रक्त मुंह से आ रहा है तो थूकने के लिए कहें।
● मरीज को लिटा कर नाक व माथे पर बर्फ की पट्टी रखें तथा इतनी देर मुंह से सांस लेने के लिए कहें।
● यदि अचानक नाक से रक्त बहता है तो घबरायें नहीं। मरीज को शांत और ठंडे स्थान पर रखें तथा उसे आराम करायें। आवश्यक उपचार के बाद दो दिन आराम कराना तथा जरूरत अनुसार मन शांत करने वाली दवा का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
● गर्मी में अगर नाक सूखी रहती है तो तेल अथवा घी छोटी अंगुली से “नॉस्ट्रिल' में लगायें।
● नाक के जिस तरफ से रक्तस्त्राव हो रहा हो, उसमें गौस (पट्टी) को “लिक्विड पैराफिन' में भिगो कर रक्त निकलने वाले स्थान पर दबाव डालते हुए लगा दें तथा कम से कम 48 घंटे तक नाक में रहने दें। ऐसा करने के साथ-साथ “एंटिबायोटिक्स' का भी प्रयोग करना चाहिए ताकि गौस संक्रमित न हो।
● नाक में जमीं पपड़ी आदि को अंगुली से निकालने से यदि घाव हो गया हो तो किसी “एंटीबायोटिक्स' मरहम को अंगुली से दिन में दो बार एक सप्ताह तक लगायें।
● कभी-कभी नाक की फटी खून की नस को विशेषज्ञ की सहायता से कैमिकल अथवा
बिजली की “काट्री' से जलाना आवश्यक होता है।
● जिनको यह परेशानी बार-बार होती है उन्हें परहेज के तौर पर गर्मी के मौसम में
ठंडे पेय का सेवन करना चाहिए जैसे शिकंजी, लस्सी तथा कच्चे आम का ठंडा
पन्ना आदि। इससे काफी लाभ मिलता है।
निम्नलिखित परेशानी उत्पन्न होने पर चिकित्सकीय परामर्श की नितान्त आवश्यकता होती है।
● 15-20 मिनट तक दबाने के उपरांत रक्त बंद न हो रहा हो।
● रक्त के बहने की मात्रा बहुत अधिक हो।
● गिरने अथवा नाक पर किसी वस्तु से चोट लगने के कारण रक्त निकल रहा हो।
● कमजोरी अथवा बेहोश होने जैसा महसूस हो रहा हो।
विशेष सावधानी :
● बच्चों के नाखूनों को बढ़ने न दें तथा उन्हें नाक में बार-बार अंगुली न डालने की हिदायत दें। बच्चे तथा महिलायें नाखून काटने की नियमित आदत डालें। नाक में अंगुली न डालें।
● जिनको “ब्लडप्रेशर' रहता है, वे नियमित “ब्लडप्रेशर' की जांच करायें, क्योंकि उच्च रक्त चाप होने पर शरीर अपने संतुलन को बनाये रखने के लिए नाक के नाजुक स्थान से रक्त को निकाल देता है ताकि शरीर की क्रिया सुचारू रहे। यदि नाक की जगह मस्तिष्क की नस फट गयी तो बहुत बड़ी परेशानी उत्पन्न हो सकती है। अत: “ब्लड प्रेशर' को नियंत्रण में रखने का प्रयास करें। नकसीर के बारे में दी गयी जानकारी पाठकों की जागरूकता के लिए है। ऊपर बतायी गयी प्राथमिक चिकित्सा के बावजूद मरीज को राहत न मिल रही हो तो उसी पर पूरी तरह आश्रित न रहें और बिना देर किये किसी नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें ताकि बीमारी के समुचित कारणों का पता लगाकर उसका उपचार किया जा सके। कृपया अपनी मर्जी से कोई भी दवा न लें।
(लेखक से उनकी वेबसाइट www.drharshvardhan.com तथा ईमेल drhrshvardhan@ gmail.com के माध्यम से भी सम्पर्क किया जा सकता है।)
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