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महाराष्ट्र /द.बा. आंबुलकर
लोग पानी से बेहाल, नेता चलें राजनीति की चाल
महाराष्ट्र के वर्तमान हालात को सूखा, अकाल या पानी की कमी- किन शब्दों में रेखांकित करें, इसे लेकर बयानबाजी जारी है। राज्य के जल आपूर्ति मंत्री लक्ष्मण राव ढोबले के अनुसार महाराष्ट्र के सतारा, सांगली, सोलापुर, बीड़, उस्मानाबाद, लातूर, धुलिया, नगर तथा नसिक- इन 9 जिलों में पानी की भीषण कमी है। राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की मानें तो यह सूखे की स्थिति है। जबकि उप मुख्यमंत्री अजित पवार के अनुसार राज्य में अकाल की स्थिति है। संबद्ध विभाग के मंत्री, उप मुख्यमंत्री तथा मुख्यमंत्री द्वारा मौजूदा हालात पर दिये जा रहे बयानों को सोनिया कांग्रेस- पवार कांग्रेस के बीच की आपसी खींचतान तथा राजनीतिक तौर पर एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, जबकि राज्य के एक तिहाई क्षेत्र का हाल बढ़ती गर्मी के साथ बद से बदतर होता जा रहा है।
इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने अपने प्रभाव क्षेत्र सतारा से की। जिले के कुछ गावों में जाकर मुख्यमंत्री ने स्थिति का जायजा लिया, सूखे पड़े तालाब तथा खेत-बागान देखे, गांवों के लोगों का हाल जाना और ग्रामीणों- मजदूरों के साथ बैठकर भोजन भी किया। मुख्यमंत्री द्वारा सूखे का जायजा लेते समय ग्रामीणों-मजदूरों द्वारा लाया गया भोजन उन्हीं के साथ करने की शासन-प्रशासन स्तर पर काफी चर्चा हुई। पर इसका नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री चव्हाण जब सतारा जिले के ही आरपाड़ी क्षेत्र का जायजा लेने पहुंचे तो उनको दिखाने और सूखे की स्थिति को छिपाने के लिए स्थानीय प्रशासन ने फिल्मी स्टाइल में एक “सेट' जमा दिया। हुआ यूं कि मुख्यमंत्री की आरपाड़ी यात्रा के दौरान काम पर “ग्रामीण मजदूर' के तौर पर काम करते हुए दिखाने के लिए जिले में कार्यरत प्रशिक्षणार्थी पुलिसकर्मियों को लगाया गया। इन पुलिसकर्मियों को मुख्यमंत्री के दौरे के दो दिन पहले से ग्रामीणों के भेष में तैनात किया गया। यहां तक कि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत वृक्षारोपण का दिखावा करने के लिए पेड़ों की बड़ी डालियां काटकर मुख्यमंत्री के दौरे की पूर्व संध्या पर सड़क के दोनों ओर लगवाइं गयीं। जब मुख्यमंत्री चव्हाण ने सूखा क्षेत्र की यात्रा कर वहां मजदूरी करने वाले युवाओं से चर्चा की तो उन “ग्रामीण युवा मजदूर' बने पुलिसवालों ने पूर्व-निर्धारित योजना के अनुसार अपने सारे संवाद बोल दिये। पर मुख्यमंत्री के साथ गये गृहमंत्री आर.आर. पाटिल तथा ग्रामीण विकास मंत्री जयंत पाटिल ने जब वहां मौजूद महिलाओं से चर्चा की तो उन्हें असलियत पता चली। मुख्यमंत्री द्वारा सूखाग्रस्त क्षेत्र की यात्रा के दौरान इस प्रकार की “प्रशासनिक नौटंकी' करने के लिए इन दोनों मंत्रियों ने स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ कांग्रेसी नेताओं को भी आड़े हाथों लिया।
सूखे की स्थिति को छिपाने के लिए प्रशासन ने पुलिसकर्मियों को नकली किसान बनाकर खेत में उतारा तो शरद पवार अपनी ही गठबंधन सरकार की निंदा में जुटे और राहुल गांधी भी सतारा जाकर भाषण दे आए, पानी नहीं!
मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा सुखाग्रस्त क्षेत्र की इस प्रकार से यात्रा करने व सूखाग्रस्त लोगों से मिलने की इस पहल पर राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष तथा केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने तीखा कटाक्ष किया। राज्य सरकार द्वारा राहत के लिए केन्द्र से विशेष अनुदान न मांगने के लिये भी शरद पवार ने राज्य के कांग्रेसी नेताओं को ही दोषी करार किया। अपने सहयोगी दल के अध्यक्ष शरद पवार की टिप्पणियों को नजरंदाज करते हुए मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने अपने राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी के साथ सतारा के सूखाग्रस्त क्षेत्र का दोबारा दौरा किया। इन कांग्रेसी नेताओं ने मात्र ढाई घंटे में
सूखा-पीड़ित ग्रामीणों की समस्याएं जानकर समाधान ढूंढने की राजनीतिक औपचारिकता पूरी कर दी। राहुल गांधी जब सतारा के सूखा पीड़ित ग्रामीणों को संबोधित कर रहे थे तो कुछ ग्रामीणों ने उनके खिलाफ नारेबाजी कर सूखे से तुरंत राहत देने की मांग की। कुछ प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने धरदबोचा बावजूद इसके कुछ ग्रामीण प्रदर्शनकारियों ने “इस क्षेत्र में सूखा हर साल पड़ता है और नेताओं की यात्राएं भी हर साल होने के बावजूद गर्मी के दिनों में हमें पीने का पानी तक नसीब नहीं होता। यह कुदरती तथा प्रशासनिक ज्यादती कब तक जारी रहेगी, हमें हमारी जिंदगी में पेयजल कब नसीब होगा?' इस प्रकार के बैनर लहराए। इससे हैरान-परेशान मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने चुप्पी साधना ही उचित समझा, जबकि राहुल गांधी ने केवल इतना कहते हुए अपना भाषण समाप्त कर दिया कि “राज्य में हमारी सरकार है तथा मुख्यमंत्री सूखे को समाप्त करने का प्रयास करेंगे।'
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