म्यांमार के मुस्लिमों के नाम पर बंगलादेशी घुसपैठियों को शरणार्थी का दर्जा दिलाने का प्रयास
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

म्यांमार के मुस्लिमों के नाम पर बंगलादेशी घुसपैठियों को शरणार्थी का दर्जा दिलाने का प्रयास

by
May 20, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिल्ली को ‘असम’ बनाने का षड्यन्त्र

दिंनाक: 20 May 2012 19:47:13

अरुण कुमार सिंह

भारत में ही रहकर भारत-विरोधी तत्व किस प्रकार के देश-विरोधी कार्य कर रहे हैं, इसका एक नमूना सामने आया है।ये तत्व गत दिनों लगभग 2500 लोगों को लेकर नई दिल्ली के वसन्त विहार स्थित यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर फार रिफ्यूजी (यू.एन.एच.सी.आर.) के दफ्तर के सामने पहुंचे। यूएनएचसीआर के अधिकारियों को बताया गया कि ये लोग म्यांमार के नॉदर्न रेखिन स्टेट से आए हैं और रेयांग मुस्लिम हैं। म्यांमार की सरकार ने इन लोगों को वहां से खदेड़ दिया है। इसलिए ये लोग वाया बंगलादेश भारत आए हैं, इन्हें शरणार्थी का दर्जा दिया जाए। इस मांग के साथ ये सभी लोग वसन्त विहार की सड़कों और पार्कों पर कब्जा करके कई दिन तक जमे रहे। उनकी हरकतों से स्थानीय निवासी परेशान हो गए और उन्होंने सभी लोगों को वसन्त विहार से बाहर करने की मांग की। इसके बाद 6 मई को दिल्ली के कुछ मुस्लिम नेता और मुल्ला-मौलवियों की शह पर प्रशासन ने उन सभी लोगों को वसन्त कुंज के पास रंगपुरी पहाड़ी पर रातों-रात पहुंचा दिया। यहां एक धार्मिक स्थल “दादा भैया' है। स्थानीय हिन्दुओं में इस स्थल की बड़ी मान्यता है। पहाड़ी पर एक पुरानी मजार भी है। “दादा भैया' स्थल को उन लोगों ने अपवित्र करना शुरू कर दिया। वहीं मांसाहारी भोजन बनने लगा और फिर नमाज भी पढ़ी जाने लगी। इस कारण आसपास के गांवों (नांगल देवत, महिपालपुर, रंगपुरी, मसूदपुर, किशनगढ़, घिटोरनी, महरौली, कटवारिया सराय, रजोकरी, कापसहेड़ा आदि) के लोग भी भड़क गए। ग्रामीणों ने अनेक पंचायतें कर प्रशासन को चेतावनी दी कि पहाड़ी से उन मुस्लिमों को हटाया जाए, नहीं तो गांव वाले आन्दोलन शुरू कर देंगे। इस सम्बंध में ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से भी भेंट की। चौतरफा दबाव के कारण प्रशासन ने उन मुस्लिमों को 15 मई को रंगपहाड़ी से हटा दिया। उनमें से कुछ लोग जम्मू गए, तो कुछ लोग उ.प्र. के मुस्लिम-बहुल जिलों मुजफ्फरनगर, रामपुर, मेरठ, अलीगढ़ की ओर कूच कर गए। कुछ दिल्ली में ही रह गए। उन लोगों के लिए ओखला क्षेत्र के मदनपुर खादर में कुछ मुस्लिम संगठनों ने आशियाना बनाने की बात कही है।

सोची-समझी साजिश

नई दिल्ली में यूएनएचसीआर कार्यालय के बाहर यूं जमे थे मुस्लिम

यहां सवाल उठता है कि बिना किसी कागजात के अवैध तरीके से भारत आए मुस्लिमों को देश से बाहर करने के बजाय उन्हें भारत के ही विभिन्न स्थानों पर क्यों जाने दिया गया? इसका जवाब वह भारत सरकार कभी नहीं देगी, जो लुट-पिटकर पाकिस्तान से भारत आए बेचारे हिन्दुओं को खदेड़ने के लिए सदैव तैयार रहती है। रंग पहाड़ी के आसपास के ग्रामीणों का कहना था, “जिन मुस्लिमों को म्यांमार का बताकर भारत में शरणार्थी का दर्जा दिलाने की कोशिश की जा रही है, उनकी पहचान संदिग्ध है। उनमें एकाध प्रतिशत जरूर म्यांमार के हो सकते हैं, पर उनमें से अधिकांश बंगलादेशी लगते हैं। वे शक्ल, बोलचाल और पहनावे से म्यांमारी कम, बंगलादेशी अधिक लगते हैं। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि उनमें से एक के पास भी ऐसा कोई कागज नहीं है, जो साबित करे कि वे म्यांमार के हैं। उन लोगों का कहना है कि म्यंमार में उनका साढ़े तीन सौ साल पुराना इतिहास है। फिर भी उन्हें वहां की सरकार

अपना नागरिक नहीं मानती है। क्या ऐसा हो सकता है? इसका अर्थ यह है कि वे लोग म्यांमार के नहीं, बंगलादेश के हैं। चूंकि भारत में किसी बंगलादेशी या पाकिस्तानी को शरणार्थी का दर्जा नहीं मिल सकता है इसलिए वे लोग अपने को म्यांमार का निवासी बताकर भारत में शरणार्थी का दर्जा प्राप्त करना चाहते हैं।

यह सब कुछ एक सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है। इस साजिश में भारत के अनेक मुस्लिम नेता और मुल्ला-मौलवी शामिल हैं। ऐसे ही बंगलादेशी घुसपैठियों के कारण अब अनेक स्लम नेता यह दावा करने लगे हैं कि कुछ ही साल बाद असम में कोई मुस्लिम ही मुख्यमंत्री होगा।

 जिन मुस्लिमों को शरणार्थी का दर्जा दिलाने के लिए दिल्ली लाया गया था, उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे 4-5 साल से भारत के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं और इनकी संख्या 80 हजार के करीब है। मुजफ्फरनगर, जम्मू आदि शहरों में रहने वाले इन मुस्लिमों को स्थानीय मुस्लिमों का पूरा समर्थन प्राप्त है। चूंकि न्यायालय के आदेश पर कभी-कभार पुलिस बंगलादेशी घुसपैठियों को पकड़ती है। शायद इसलिए अब जो बंगलादेशी मुस्लिम चोरी-छिपे भारत आ रहे हैं, वे पुलिस से बचने के लिए शरणार्थी का दर्जा प्राप्त करना चाहते हैं।

मददगारों की जांच हो

यूएनएचसीआर कार्यालय के अनुसार इन मुस्लिमों ने सबसे पहले 2009 में शरणार्थी का दर्जा पाने के लिए आवेदन किया था। मार्च 2012 तक ऐसे 2000 मुस्लिमों को शरणार्थी का दर्जा मिल चुका है। इस बार भी एक साथ 2000 मुस्लिमों ने शरणार्थी-कार्ड प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था। इन मुस्लिमों के सलाहकारों की सोच यह थी कि एक साथ हजारों लोग आवेदन लेकर यूएनएचसीआर दफ्तर पहुंचेंगे तो सरकार पर दबाव बनेगा और इन मुस्लिमों को एक झटके में शरणार्थी का दर्जा मिल जाएगा। पर इस साजिश में वे सफल नहीं हुए। स्थानीय लोगों के विरोध के कारण प्रशासन को उन मुस्लिमों को दिल्ली से

बाहर करना पड़ा। इस विरोध को देखते हुए यूएनएचसीआर ने भी इतने लोगों को एक साथ शरणार्थी का दर्जा देने से मना कर दिया। विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रवीण भाई तोगड़िया ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि इन मुस्लिमों को किसी भी सूरत में शरणार्थी का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए। क्योंकि इनके संबंध जिहादी गुटों से हैं। डा. तोगड़िया ने यह भी मांग की है कि इन मुस्लिमों के स्थानीय मददगारों की जांच कर उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए और जो संगठन इनकी मदद कर रहे हैं उन पर प्रतिबंध लगे। इस संबंध में भाजपा सांसद बलबीर पुंज ने एक अच्छा सवाल उठाया कि इन मुस्लिमों को यूएनएचसीआर कार्यालय तक कौन लोग लाए, उसकी जांच होनी चाहिए। गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने इसकी जांच का आश्वासन तो दिया है पर चिदम्बरम की मानसिकता को देखते हुए जांच की कम ही उम्मीद है।

 

ऐसे होते हैं सेकुलर

शरणार्थी का दर्जा मांगने वाले इन मुस्लिमों के संबंध में 15 मई को वसन्त विहार स्थित यूएनएचसीआर के कार्यालय में पत्रकारों और कुछ अन्य लोगों को कुछ औपचारिक जानकारी दी गई। एक पत्रकार ने यूएनएचसीआर की एक महिला पदाधिकारी से पूछा कि पाकिस्तानी हिन्दुओं को शरणार्थी का दर्जा क्यों नहीं दिया जाता है? तो एक चैनल की महिला पत्रकार चिढ़ गई। उसने कहा यह क्या फालतू सवाल पूछ रहे हो। यानी हिन्दुओं से जुड़ा कोई सवाल पूछने पर भी सेकुलर अपनी चिढ़ नहीं छिपा पा रहे हैं। इससे पता चलता है कि हिन्दुओं के प्रति सेकुलरों में कितनी नफरत है। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएच.डी. कर रही एक युवती तो इस बात पर उलझ गई कि उन मुस्लिमों को शरणार्थी का दर्जा क्यों नहीं दे रहे हैं? जब एक ने उससे पूछा कि ऐसी मांग आप उन बेचारे पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए क्यों नहीं करती हो, जो दिल्ली में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं? तो उन्होंने कहा मुझे नहीं पता कोई पाकिस्तानी हिन्दू दिल्ली में रह रहा है। शायद सेकुलरों को कोई दुखिया हिन्दू दिखाई ही नहीं देता है।

यूएनएचसीआर' और हिन्दू

“यूएनएचसीआर' संयुक्त राष्ट्र संघ की एक इकाई है, जो दुनियाभर में दफ्तर खोलकर बैठी है। हालांकि मुस्लिम देशों में इसका न के बराबर वजूद है। इसका काम है किसी देश में कम संख्या में आए शोषित और पीड़ित विदेशियों को शरणार्थी का दर्जा देना। किसी देश में बड़ी संख्या में आने वाले पीड़ित विदेशियों को शरणार्थी का दर्जा देने का अधिकार वहां की सरकार के पास होता है। जैसे भारत सरकार ने तिब्बतियों को शरणार्थी का दर्जा दे रखा है। हजार-दो हजार विदेशियों को किसी देश में शरणार्थी का दर्जा यूएनएचसीआर देती है। यूएनएचसीआर संबंधित देश की सरकार के दिशा-निर्देश पर काम करती है। यानी किस देश से आने वाले लोगों को शरणार्थी का दर्जा मिलेगा, यह संबंधित देश की सरकार तय करती है। भारत स्थित यूएनएचसीआर को हिदायत है कि वह भारत के पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों को शरणार्थी का दर्जा न दे। शायद भारत सरकार ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि भारत के दो प्रमुख पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बंगलादेश से प्रताड़ित होकर भारत आने वालों में मुख्य रूप से हिन्दू हैं। यही कारण है कि 1971 में या उसके बाद बंगलोदश से जो हिन्दू भारत आए हैं, उन्हें अभी तक शरणार्थी का दर्जा नहीं मिल पाया है। यही हाल उन प्रताड़ित पाकिस्तानी हिन्दुओं का भी है, जो बड़ी आस के साथ भारत में शरण लेने आते हैं। पर उन्हें शरणार्थी का दर्जा नहीं मिल पाता है। जबकि भारत में यूएनएचसीआर के माध्यम से 22 हजार लोगों को शरणार्थी का दर्जा मिला हुआ है। इनमें अफगानिस्तान, सोमालिया, मलेशिया, कांगो, ईरान, इराक, म्यांमार आदि देशों के लोग शामिल हैं। यूएनएचसीआर भारत में किसी विदेशी को शरणार्थी का दर्जा बड़ी आसानी से दे देती है। शरणार्थी का दर्जा मांगने वाले किसी भी विदेशी से यूएनएचसीआर चार-पांच सवाल करती है और उसी आधार पर उसे भारत में शरणार्थी का दर्जा दे देती है। यह बहुत ही गलत तरीका है। जिसको शरणार्थी का दर्जा दिया जाए उसकी अच्छी तरह जांच होनी चाहिए। किन्तु दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं रहा है।

 

 

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

सनातन धर्म की खोज: रूसी महिला की कर्नाटक की गुफा में भगवान रूद्र के साथ जिंदगी

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

सनातन धर्म की खोज: रूसी महिला की कर्नाटक की गुफा में भगवान रूद्र के साथ जिंदगी

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies