पाठकीय
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पाठकीय
22 अप्रैल,2012
हैदराबाद के दंगों पर आधारित रपट 'तेलंगाना मुद्दे से ध्यान हटाने की राजनीतिक साजिश' में जो तथ्य दिए गए हैं, उनकी अनदेखी राष्ट्र की एकता के लिए ठीक नहीं है। आखिर किसी हिन्दू पर्व के अवसर पर ही दंगे क्यों होते हैं? किसी त्योहार के अवसर पर निकाली गईं शोभा-यात्राओं और कलश-यात्राओं पर पत्थर क्यों बरसते हैं? इसलिए क्योंकि कट्टरवादी यह नहीं चाहते हैं कि उनके मोहल्लों से कोई हिन्दू यात्रा निकले। पर यही कट्टरवादी यह जरूर जिद करते हैं कि ताजिये का जुलूस हिन्दू मुहल्लों से होकर गुजरे।
–गणेश कुमार
राजेन्द्र नगर, पटना (बिहार)
n {ÉÖ®úÉxÉÉ हैदराबाद तो पाकिस्तानी आतंकवादियों और बंगलादेशी घुसपैठियों का 'स्वर्ग' हो चुका है। स्थानीय कट्टरवादियों ने इन सबको पनाह दे रखी है। हालिया दंगों के लिए स्थानीय कांग्रेसी और मजलिस पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ पाकिस्तानी और बंगलादेशी भी जिम्मेदार हैं। पुराने हैदराबाद में किस तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधियां होती हैं, यह सबको पता है। सब कुछ जानते हुए भी राज्य की कांग्रेस सरकार चुप है। यह देश के साथ द्रोह नहीं, तो क्या है?
–प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर
1-10-81, रोड न.-8बी, द्वारकापुरम, दिलसुखनगर
हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)
n गया में रामनवमी जूलूस पर पथराव की खबर पढ़ी, यह कोई नई बात नहीं है। 1960 के दशक में पटना, रांची, चाईबासा, मधुबनी, जमशेदपुर आदि स्थानों पर भी दंगे हुए थे। उनका एकमात्र कारण रामनवमी जुलूस पर मजहबी स्थलों से पथराव था। मुस्लिम कतई नहीं चाहते हैं कि किसी मस्जिद के सामने से हिन्दुओं का कोई जुलूस निकले। फिर भी हिन्दुओं को ही साम्प्रदायिक कहा जाता है। तथाकथित सेकुलर नेता तो मुस्लिमों से वोट की भीख इस तरह मांगते हैं, मानो उनके बिना वे जिन्दा ही नहीं रह सकते हैं।
–हरि सिंह महतानी
89/7, पूर्वी पंजाबी बाग, नई दिल्ली-110026
n पूरे देश में भारत-विरोधी गतिविधियां बढ़ रही हैं। चाहे हैदराबाद हो, गया हो या दिल्ली- हर जगह देश-विरोधी तत्व अपनी ताकत दिखा रहे हैं। किन्तु तुष्टीकरण की राजनीति ऐसी हो गई है कि कोई भी नेता इन देश-विरोधियों के खिलाफ आवाज ही नहीं उठाता है। राष्ट्रवादी लोगों को आगे आना ही होगा।
–सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)
मोदी की विशेषता
सम्पादकीय 'मोदी की और कितनी अग्निपरीक्षाएं?' की ये पंक्तियां अच्छी लगीं कि विशेष जांच दल की रपट उन मोदी विरोधियों के मुंह पर एक करारा तमाचा है, जो 10 वर्षों से मनगढ़न्त और झूठे आरोप लगाकर मोदी की एक 'राक्षसी छवि' बनाने में लगे हैं। नरेन्द्र मोदी की इस बात पर प्रशंसा करनी ही पड़ेगी कि तमाम आरोपों और आलोचनाओं को चुपचाप सहते हुए वे गुजरात के विकास में लगे हैं। मनगढ़न्त आरोपों पर उन्होंने कभी कुछ नहीं बोला। वे अपने विरोधियों को विकास कार्यों के द्वारा मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। यही नरेन्द्र मोदी की विशेषता है।
–हरिहर सिंह चौहान
जंबरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
n स्वतंत्र भारत में नरेन्द्र मोदी के अलावा शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसे इतने लम्बे समय से अग्निपरीक्षाएं देनी पड़ रही हों। यह सन्तोष की बात है कि मोदी हर परीक्षा में सफल हो रहे हैं। मोदी विरोधी तत्व एक तरह से हिन्दुओं को चेतावनी दे रहे हैं कि विश्व में हिन्दू-हित जैसी कोई बात है ही नहीं। यदि हिन्दू-हित की बात करोगे तो अग्नि-परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। जो लोग गुजरात दंगों की बात करते हैं वे 1984 के सिख नरसंहार की बात क्यों नहीं करते?
–सुभाष चन्द्र सूद
हिम रश्मि, वी-6, न्यू शिमला (हि.प्र.)
दिल्ली में ऐसी घटना!!
गायों के अपहरण और उनकी निर्मम हत्या के सन्दर्भ में श्री अरुण कुमार सिंह की रपट पढ़ी। देश के किसी पिछड़े या साधन सुविधाओं से रहित किसी गांव में ऐसी घटना हो तो समझा जा सकता है। परंतु देश की राजधानी दिल्ली में ऐसी घटना हो तो, इसे राजनीतिक और प्रशासनिक कमजोरी के अलावा क्या कहें? गाय केवल दूधारू पशु ही नहीं, बल्कि हमारी आस्था का केन्द्र है। हमारी सनातन संस्कृति में गाय को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह आश्चर्य और घोर शर्म का विषय है कि गोपालकों को न तो सुरक्षा प्राप्त है और न ही उनकी वाजिब शिकायतों को पुलिस दर्ज करती है।
–मनोहर 'मंजुल'
पिपल्या–बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)
किष्किंधा के चित्र
श्री भारत कुमार ने किष्किंधा की बड़ी अच्छी जानकारी दी है। मन को बहुत शांति मिली। आंजनाद्रि पर्वत लगता है किसी कुशल कारीगर की कोई कृति है। कमल दल से ढका हुआ पंपा सरोवर उस शीतलता को हम तक पहुंचाता है जो भगवान राम ने अरण्य के अंत में यहां स्नान कर अनुभव की होगी। रपट से पता लगता है रामकथा से जुड़े अन्य प्रसंगों की मूर्तियां इन मंदिरों के भीतर स्थापित हैं। ऐसी मूल्यवान सम्पदा इस प्रदेश में है, जानकर मन अत्यंत कृतज्ञ हुआ।
–प्रो. परेश
1251/8सी, चण्डीगढ़
संघ का मूल–मंत्र
कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में रा.स्व.संघ, पूर्वी उ.प्र. के क्षेत्रीय प्रचारक श्री शिवनारायण ने कहा कि शाखा जाने से आता है समर्पण का भाव। इसमें डा. हेडगेवार के विचारों का समावेश है। संघ की शाखा के द्वार सबके लिए खुले हैं। एक घंटे की शाखा में व्यक्ति जो ज्ञान प्राप्त करता है उससे वह राष्ट्रवादी बन जाता है। 'राष्ट्रदेवो भव', 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी'- संघ का मूलमंत्र है।
–प्रदीप सिंह राठौर
एम.आई.जी.-36, बी ब्लॉक, पनकी, कानपुर (उ.प्र.)
ऐसे खत्म होगा नकल का रोग
सुश्री लक्ष्मीकान्ता चावला का आलेख 'नकल के रोग से कब मुक्त होगी हमारी परीक्षा प्रणाली?' बड़ा सामयिक लगा। इस रोग को प्राचीनतम, संस्कारगत शिक्षा-दीक्षा के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। किसी बच्चे की पढ़ाई 5 वर्ष पूर्ण होने के बाद ही शुरू होनी चाहिए। इससे पहले बच्चे को घर में ही शिक्षा देनी चाहिए। छठी से दसवीं कक्षा का पाठ्यक्रम पूरे भारत में समान हो। ग्यारहवीं व बारहवीं के छात्रों को राज्यों की आवश्यकतानुसार शिक्षा मिलनी चाहिए। इसके आगे की पढ़ाई विद्यार्थियों की रुचि, मनोवृत्ति के आधार पर हो। ऐसा होने से नकल का रोग कम हो सकता है।
–डा. मदन मोहन वर्मा
एस.बी.-97, शास्त्री नगर, गाजियाबाद-201002 (उ.प्र.)
'सौगात' क्यों?
वर्तमान समय में पूरा देश मुस्लिम राजनीति के प्रभाव में आ चुका है। आज मुस्लिम तुष्टीकरण के खेल से देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों की गरिमा भी दांव पर लग गई है। बंगाल में इमामों को 2500 रु. प्रतिमाह वेतन और उत्तर प्रदेश में मुस्लिम लड़कियों को 30,000 रु. की सौगात आखिर क्यों? प. बंगाल और उत्तर प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब व दयनीय हो चुकी है, लेकिन फिर भी मुसलमानों के लिए भारी-भरकम योजनाओं व विकास कार्यक्रमों की घोषणाएं की जा रही हैं। आखिर इन परिस्थितियों के लिए कौन जिम्मेदार है? सर्वविदित है कि आजादी के बाद से अब तक देश में कांग्रेस व सहयोगी दलों का ही किसी न किसी रूप में वर्चस्व रहा है। हिन्दुत्व का भय दिखाकर मुस्लिम समाज को ठगने व उनको गरीब बनाकर रखने की साजिश कांग्रेस व सहयोगी दलों द्वारा रची जा रही है।
–मृत्युंजय दीक्षित
123, फतेहगंज, गल्ला मंडी, लखनऊ-226018 (उ.प्र.)
साम्प्रदायिक मांग
गत दिनों हैदराबाद में मजलिस पार्टी के विधायक अकबरउद्दीन ओवैसी ने श्रीराम जयन्ती (रामनवमी) पर प्रभु श्रीराम व बालाजी जयन्ती पर भगवान बजरंग बली की शोभायात्रा पर प्रतिबंध लगाने की दुस्साहसिक मांग की। उनका तर्क था कि इन शोभा यात्राओं से शहर में कानून-व्यवस्था भंग हो जाती है। यह मांग घोर निन्दनीय है। इस दुस्साहसिक साम्प्रदायिक मांग पर, पंथनिरपेक्षता का स्वांग करने वाली कांग्रेस सहित अधिकांश राजनीतिक दलों ने मुख पर उंगली रखते हुए आंखें मूंद लीं और स्थानीय हिन्दुओं को उनके हाल पर छोड़ दिया। इससे पहले भी इसी विधायक की मांग पर स्थानीय प्रशासन के आदेश पर हैदराबाद की प्रसिद्ध चारमीनार मस्जिद के पड़ोस में स्थित 'भाग्य लक्ष्मी' मन्दिर में घंटियों के बजाने पर रोक लगाई जा चुकी है। आज तथाकथित पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दलों द्वारा थोक मुस्लिम मतों की इच्छा से बार-बार हिन्दू समाज को लांछित व अपमानित किया जा रहा है और समुदाय विशेष को प्रसन्न करने के लिए हिन्दू समाज का दमन करने की राजनीति की जा रही है व हिन्दू विरोधी तत्वों व संगठनों को राजनीतिक शह दी जा रही है। क्या किसी हिन्दू धार्मिक क्रियाकलाप को सम्पन्न कराने हेतु, किसी अन्य समुदाय की मजहबी गतिविधियों को रोकने या स्थगित करने का साहस भारत सरकार कर सकती है? यदि नहीं तो 'हिन्दुस्थान' में केवल हिन्दुओं के साथ ही ये दमनात्मक रवैया क्यों?
–आनन्द मेहता
13/740, सरर्ाफा बाजार, सहारनपुर-247001 (उ.प्र.)
पञ्चांग
वि.सं.2069 तिथि वार ई. सन् 2012
ज्येष्ठ अमावस्या रवि 20 मई, 2012
(वट सावित्री व्रत)
ज्येष्ठ शुक्ल 1 सोम 21 ” “
” ” 1 मंगल 22 ” “
(तिथि वृद्धि)
” ” 2 बुध 23 ” “
” ” 3 गुरु 24 ” “
” ” 4 शुक्र 25 ” “
” ” 5 शनि 26 ” “
चिन्तित किसान
बम्पर पैदावार से, हुए सभी हलकान
लेकिन बोरी हैं नहीं, चिंतित सभी किसान।
चिंतित सभी किसान, सड़क पर ढेर लगे हैं
दिल्ली या भोपाल, सभी के होश उड़े हैं।
है 'प्रशांत' वर्षा कुछ दिन में आने वाली
गेहूं ज्यादा, फिर भी पेट रहेंगे खाली।
-प्रशांत
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