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यात्रा की अवधि घटाना उसको समाप्त करने का षड्यंत्र

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May 12, 2012, 12:00 am IST
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विविध

दिंनाक: 12 May 2012 15:59:22

विविध

बाबा अमरनाथ यात्रा के संबंध में विहिप ने चेताया

–अशोक सिंहल, संरक्षक, विश्व हिन्दू परिषद

'जम्मू–कश्मीर के राज्यपाल बाबा अमरनाथ यात्रा के पदेन संरक्षक  होते हैं, परन्तु वर्तमान राज्यपाल हिन्दुओं की इस पावन यात्रा का संरक्षण नहीं, अपितु इसको समाप्त करने का कार्य कर रहे हैं'। उक्त बातें विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने गत 4 मई को दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहीं। 

श्री सिंहल ने कहा कि गत कुछ वर्षों में लिए गए निर्णयों से स्पष्ट होता है कि राज्यपाल हिन्दू आस्थाओं से नहीं, बल्कि अलगाववादियों की इच्छाओं से प्रभावित होकर यात्रा के सम्बन्ध में निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की इस कठिनतम यात्रा में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए ही राज्य सरकार ने श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की स्थापना की थी और राज्यपाल को इसका पदेन अध्यक्ष नियुक्त किया था। प्रारम्भ के कुछ वर्षों में इस बोर्ड ने कई उल्लेखनीय कार्य किए, परन्तु दुर्भाग्य से वर्तमान राज्यपाल ऐसे काम कर रहे हैं, जो इन्हें नहीं करने चाहिए। वे अपने संवैधानिक दायित्व की पूर्णरूपेण उपेक्षा कर रहे हैं।

श्री सिंहल ने कहा कि किसी भी धार्मिक यात्रा का मुहूर्त और अवधि उस धर्म का आंतरिक मामला है, इसमें किसी भी बोर्ड या सरकार को दखल देने का अधिकार नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 25, 26 तथा श्राइन बोर्ड एक्ट स्पष्ट रूप से इस काम के लिए मना करते हैं। उन्होंने कहा कि 2009 तक यात्रा की अवधि 60 दिन की ही थी। यात्रियों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए अवधि बढ़ानी चाहिए थी, परन्तु उस समय अलगाववादी नेताओं ने इसकी अवधि को घटाते हुए 30 दिन करने की धमकी दी थी। उसके बाद यात्रा को 2010 में 55 दिन किया गया और 2011 में 45 दिन की कर दिया गया। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज के विरोध के बावजूद अब 2012 में इसे 39 दिन की कर दिया गया।

श्री सिंहल ने कहा कि इस वर्ष 8 लाख यात्री यात्रा के लिए अपेक्षित हैं। यदि राज्यपाल की मानी जाए तो कम से कम 22,000 यात्रियों को प्रतिदिन दर्शन कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर एक दिन में अधिकतम 10,000 यात्री दर्शन कर सकेंगे। इस स्थिति में या तो वहां अराजकता बनेगी, जिसका परिणाम यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ होगा या आधे से अधिक यात्री दर्शन करने के संवैधानिक अधिकार से वंचित रहेंगे। दोनों ही परिस्थिति में राज्यपाल महोदय अपने संवैधानिक दायित्व की अवहेलना करेंगे।

श्री सिंहल ने कहा कि श्राइन बोर्ड में उन सदस्यों को भी रखा गया है, जिनकी बाबा अमरनाथ में कोई श्रद्धा नहीं है। शायद इसीलिए यह बोर्ड हिन्दू विरोधी निर्णय लेता है। राज्यपाल झूठे तकर्ों के सहारे यात्रा को सीमित करते-करते समाप्त करना चाहते हैं, जिसको हिन्दू समाज बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगा। 

श्री सिंहल ने कहा कि विहिप देशभर में 51 लाख शिवभक्तांे का भर्ती अभियान जल्द ही प्रारम्भ करेगी, जो अपने-अपने स्थानों पर ज्येष्ठ पूर्णिमा (4 जून) को शिव मंदिरों में जलाभिषेक कर भगवान शंकर से इन षड्यन्त्रों को विफल करने की प्रार्थना करेंगे। साथ ही यात्रा के शास्त्रीय मुहूर्त ज्येष्ठ पूर्णिमा पर बाबा के दर्शन के लिए पूरे देश से 51,000 शिवभक्त 2 जून को ही जम्मू पहुंचेंगे और उसके  बाद यात्रा प्रारम्भ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि केन्द्र सरकार इस स्थिति से बचना चाहती है तो विश्व हिन्दू परिषद् का उनसे आग्रह है कि वे इसमें दखल दे और राज्यपाल महोदय को अपने दायित्व का पालन करने का निर्देश दे और अवधि को कम करने की जगह यात्रियों को अधिकतम सुविधाएं देने का काम करंे। श्री सिंहल ने कहा कि इस संबंध में हमने माननीय राष्ट्रपति महोदया को भी ज्ञापन सौंपा है। संवाददाता सम्मेलन में श्री सिंहल के साथ विहिप के केन्द्रीय मंत्री डा. सुरेन्द्र जैन भी उपस्थित थे। प्रतिनिधि

हिन्दू संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन

बाबा अमरनाथ की यात्रा अवधि को हर साल कम किए जाने से क्षुब्ध हिन्दू संगठनों ने गत 11 मई को दिल्ली के जंतर–मंतर पर जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया तथा जम्मू–कश्मीर के राज्यपाल का पुतला फूंका। इसमें विश्व हिंदू परिषद, जम्मू–कश्मीर पीपुल्स फोरम, बजरंग दल, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा इत्यादि संगठनों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय सलाहकार समिति के सदस्य श्री बी.एल. शर्मा 'प्रेम' ने कहा कि यात्रा अवधि को कम करके राज्यपाल महोदय या तो यात्रा में अराजकता फैलाना चाहते हैं या फिर भक्तों को बाबा के दर्शन करने से वंचित रखना चाहते हैं। क्योंकि न्यायालयों के निर्णय व सैन कमेटी की सिफारिशों के अनुसार एक दिन में 10,000 से अधिक यात्री दर्शन नहीं कर सकते। इस हिसाब से 39 दिन में लगभग 4 लाख यात्री ही दर्शन कर पाएंगे, जबकि गत वर्ष सात लाख से अधिक लोगों ने दर्शन किए थे और इस बार यह आंकड़ा 8 लाख को पार करने की संभावना है।

प्रदर्शनकारियों को इन्द्रप्रस्थ विहिप के अध्यक्ष श्री स्वदेशपाल गुप्ता, महामंत्री श्री सत्येंद्र मोहन, जम्मू–कश्मीर पीपुल्स फोरम के प्रांत संयोजक श्री महेंद्र मेहता, बजरंग दल के प्रांत संयोजक श्री शिव कुमार, संसद सदस्य श्री अविनाश खन्ना ने भी संबोधित किया। प्रदर्शन के दौरान भगवान शंकर की क्रोधित मुद्रा में तांडव नृत्य भी हुआ। प्रतिनिधि

हज सब्सिडी पर निर्णय

सरकार के मुंह पर तमाचा

हज सब्सिडी पर गत दिनों आए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद इन्द्रप्रस्थ विहिप के महामंत्री श्री सत्येंद्र मोहन ने कहा कि यह निर्णय सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर गहरा तमाचा है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय के बाद सरकारें अपनी मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियों पर पुनर्विचार करें तथा भारत के संविधान की मूल भावना को समझते हुए मजहबी आधार पर किसी भी प्रकार का आरक्षण या अन्य भेद-भाव को रोकें।

विहिप दिल्ली के झण्डेवालान स्थित कार्यालय में गत 9 मई को सम्पन्न हुई बैठक में श्री सत्येन्द्र मोहन ने दिल्ली सरकार तथा उसके अल्पसंख्यक आयोग द्वारा मुस्लिम युवकों को बिना किसी कागजी कार्रवाई के ऋण दिए जाने तथा मदरसों के आधुनिकीकरण हेतु सरकारी पैसा दिए जाने के खिलाफ भी चेताया। उन्होंने कहा कि एक ओर तो केन्द्र सरकार म्यांमार से आए हजारों मुस्लिम शरणार्थियों को दिल्ली में बसाने की अनुमति दे चुकी है, जबकि गत छ: माह से दर-दर की ठोकरें खा रहे पाकिस्तान से अपनी जान बचाकर आए मात्र 150 हिन्दुओं को बार-बार पाकिस्तान वापस भेजने की धमकी दी जा रही है। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या इसी को 'सेकुलरिज्म' कहा जाता है?

बैठक में विहिप ने मांग की कि केन्द्र सहित देश की सभी सरकारें मजहबी आधार पर देश की जनता के साथ किसी भी प्रकार के भेदभाव को रोकें तथा देशवासियों की मेहनत की कमाई से दिए गए कर का दुरुपयोग सिर्फ अपने वोट बैंक को साधने में न करें, अन्यथा देश का हिन्दू समाज चुप नहीं बैठेगा। प्रतिनिधि

मुसलमान विशेषाधिकार मिलने के बाद भी पिछड़े क्यों?

–इन्द्रेश कुमार, सदस्य, अ.भा.कार्यकारी मंडल, रा.स्व.संघ

गत 6 मई को राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के तत्वावधान में इलाहाबाद में जलसे का आयोजन किया गया। 1857 के शहीदों की याद में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रा.स्व.संघ के अ.भा. कार्यकारी मंडल के सदस्य इन्द्रेश कुमार एवं विशिष्ट अतिथि मोहम्मद अफजाल व सैय्यद शहजाद अली रहे।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि यह जलसा 1857 के शहीदों की याद दिलाता है, जब अंग्रेज आक्रांता बनकर आए थे और भारत में ताकतवर बन गये थे। ऐसे समय में भारत के लिए सन् 1857 से लेकर 1947 तक का समय ऐतिहासिक है। उस समय भारत के करीब 3 लाख 29 हजार लोगों ने कुर्बानी दी थी, जिसमें उत्तर प्रदेश के लाखों लोग थे। उस समय भारत को आजाद कराने में सभी जातियों-पंथों के लोग सम्मिलित थे, सभी भारतवासी थे। सभी का केवल एक ही नारा था 'फिरंगी मारो, देश बचाओ'। अंग्रेजों ने भारत में रहकर सात बार देश का विभाजन किया। उस समय भारत 83 लाख वर्ग किलोमीटर में था और बंटवारे के बाद अब 32 लाख 87 हजार वर्ग किलोमीटर रह गया है।

उन्होंने कहा कि मुसलमानों को विशेष अधिकार मिलने के बाद भी आखिर वे पिछड़े क्यों हैं? इसका जवाब मुस्लिम समाज को खोजना होगा। सच्चर कमेटी बनने के बाद 18 हजार करोड़ की सहायता राशि केन्द्र सरकार ने दी, वह धन कहां गया?

श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि जाति, पुरखे, मजहब से हमारी पहचान नहीं होती, बल्कि मुल्क से होती है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अधिकार मिलने के बावजूद समाज में आज उनकी हालत पिछड़ी क्यों है? इन कारणों को खोजना होगा। इस्लाम पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा है कि इस्लाम में लिखा है कि 'मां के पांव में ही जन्नत है'। मां और मातृभूमि एक ही है, जैसे हम अपनी मां की रक्षा करते हैं वैसे ही वतन के लिए जद्दोजहद करना और अपनी मातृभूमि के लिए कुर्बानी देना ही अपनी मातृभूमि के प्रति सच्ची श्रध्दा है। जो मां की सेवा नहीं कर सकता, मातृभूमि की रक्षा नहीं कर सकता वह बेईमान व गद्दार है।

श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि चीन ने तिब्बत को हड़पने के लिए दस लाख तिब्बतियों को मौत के घाट उतार दिया। यदि हम कदम से कदम मिलाकर चलेंगे तो हम दुनिया में नम्बर एक पर होंगे। हिन्दुस्थान समाचार

देशभर में मनी आदि पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती

समाज जो नहीं देख पाता, उसे दिखाता है पत्रकार

–डा. कृष्ण गोपाल, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ

 

वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा. कृष्ण गोपाल। मंचस्थ हैं श्री बल्देव भाई शर्मा (सबसे दाएं), डा. मुरली मनोहर जोशी (बाएं से चौथे) व अन्य अतिथि

 

'राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर देश चिन्तित है। देश आन्तरिक सुरक्षा के गम्भीर संकट का सामना कर रहा है। अंग्रेजों ने देश को मत-पंथ, समाज, जाति, वर्ग आदि कई टुकड़ों में बांटने का षड्यंत्र किया। ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री सर विंस्टन चर्चिल इस षड्यंत्र के पीछे थे लेकिन तीन साल पहले उसी ब्रिटेन के वित्तमंत्री ने भारत दौरे के बाद कहा कि किसी भी आपदा के समय यह देश एकसूत्र में बंध जाता है और संकट से जल्दी ही उबर जाता है'। उक्त उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने गत 6 मई को वाराणसी में विश्व संवाद केन्द्र, काशी द्वारा आदि पत्रकार देवर्षि नारद की जयन्ती की पूर्व संध्या पर आयोजित पत्रकार-सम्मान समारोह एवं संगोष्ठी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। वे कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।

पत्रकारों को किया गया सम्मानित

 

पत्रकार और पत्रकारिता के संबंध में बोलते हुए डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि पत्रकारिता समाज के पीछे देखने वाली आंख है। समाज ने जो नहीं देखा उसे आगे लाने का काम पत्रकार करता है। पत्रकार इतिहास में जाकर खोज करता है और भूतकाल से समाचार निकालकर समाज के सामने रखता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में कम्प्यूटर, इंटरनेट, फेसबुक, ट्विटर से त्वरित गति से दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक समाचार सम्प्रेषित हो जाता है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि भौतिकतावाद एवं बाजारीकरण के चलते पत्रकारिता के मूल्यों एवं सिद्धान्तों में गिरावट आई है। प्रौद्योगिकी एवं बाजारवाद से राष्ट्रीय सुरक्षा पर संकट बढ़ा है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जब खबर दी नहीं जाएगी बल्कि बेची जायगी तब संकट बढ़ेगा तथा राष्ट्र की सुरक्षा प्रभावित होगी। सांस्कृतिक मान्यताएं खत्म होंगी तो राष्ट्रीय संकट बढ़ेगा। डा. जोशी ने कहा कि जो पत्रकार आने वाले संकट का संदेश देते हैं वे नारदतुल्य आदरणीय हैं। आर्थिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय मुद्दे पर मीडिया की भूमिका प्रगतिशील होनी चाहिए।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पाञ्चजन्य के सम्पादक श्री बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि आदि पत्रकार देवर्षि नारद भू-लोक, देवलोक एवं पाताल लोक में सृष्टि के आदि संचारक हैं। इन तीनों लोकों की समस्याओं को विष्णु एवं भगवान शिव तक पहुंचाने वाले देवर्षि नारद समाज सेवा के लिए प्रतिबद्ध थे। वे चराचर जगत की समस्याओं का संप्रेषण ही नहीं करते थे, अपितु उनके समाधान के लिए प्रयास भी करते थे। वे आधुनिक पत्रकारिता के लिए प्रेरक एवं सत्यान्वेषी थे। वे पौराणिक पात्र नहीं, जीवन्त हैं। आज का पत्रकार समाज को चेताने का काम करता है। पत्रकार हमारे जीवन के श्रेष्ठ आदर्शों पर चिन्तन, आचरण करते हैं। इसलिए आज राष्ट्रीय सुरक्षा व देश की आंतरिक सुरक्षा के समक्ष उत्पन्न संकटों के बारे में मीडिया न केवल ईमानदारीपूर्वक व निष्पक्षता से सच्चाई को लोगों के सामने लाए, बल्कि देशवासियों में राष्ट्रवादी दृष्टि विकसित करने में भी सहयोगी हो, तभी वह राष्ट्रहित का संपादन कर सकता है।

इस अवसर पर आयोजित पत्रकार सम्मान समारोह में नगर के छ: पत्रकारों डा. वशिष्ठ नारायण सिंह, कुमार अजय, अरुण मिश्र, बद्री विशाल, सुश्री नीलिमा दीक्षित एवं लोकनाथ को स्मृति चिह्न एवं प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री विष्णु सदाशिव, वरिष्ठ पत्रकार डा. तीर विजय सिंह, संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री शिवनारायण, प्रान्त प्रचारक श्री अभय कुमार, महामना मदनमोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. ओमप्रकाश सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे।

नारद जयंती के उपलक्ष्य में एक अन्य कार्यक्रम गत 7 मई को नई दिल्ली में इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित किया गया। इसमें पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए पी.टी.वी. के श्रीपाल शक्तावत एवं कादम्बिनी पत्रिका के मुख्य कॉपी सम्पादक श्री संत समीर को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के अ.भा.कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम और गोष्ठियां समाज को सक्रिय और जागृत करने का कार्य करती हैं। जागृत चींटी हाथी का मुकाबला करती है, परन्तु व्यक्ति कितना भी गुणवान, बलवान और ताकतवर क्यों न हो, अगर वह सक्रिय और जागृत नहीं है तो उसकी दशा उस सिंह के समान है जिसके ऊपर चूहे खेलते हैं। उन्होंने कहा कि नारद जी ब्रह्माण्ड के प्रथम पत्रकार थे इसलिए पत्रकारिता से संबधित सभी व्यक्तियों को उनका जन्मदिन पत्रकार दिवस के रूप में मनाना चाहिए।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जनता पार्टी के अध्यक्ष डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि नारद मुनी विचारक भी थे और प्रचारक भी। पत्रकारों का भी यही काम है, उन्हें विचार भी व्यक्त करने चाहिए और जो समाज के कल्याण की बातें हैं उनका प्रचार भी करना चाहिए।

इस अवसर पर संघ के दिल्ली प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहुजा सहित संघ के अनेक पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे। प्रतिनिधिEnter News Text.

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