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केन्द्र सरकार द्वारा, भारत में, पाकिस्तानी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की छूट देने का प्रस्ताव अत्यन्त खतरनाक व राष्ट्रीय हितों के सर्वथा विपरीत है। अब तक देश के विदेशी विनिमय प्रबन्ध अधिनियम फॉरन एक्सचेंज मेनैजमेंट अर्थात फेमा के नियमों में इस पर पूर्ण रोक है। सुरक्षा कारणों से ऐसी रोक पाक विदेशी निवेश पर फेमा 1999 के नियमों में प्रारम्भ से ही है।
लेकिन, हाल ही में केन्द्रीय उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से देश के विदेशी मुद्रा प्रबन्ध अधिनियम के नियमों में संशोेधन कर देश में पाकिस्तानी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की छूट देने का आग्रह किया है। दुर्भाग्य से वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस संशोधन की अनुमति दे दी है। जबकि अभी तक पाकिस्तानी नागरिकों व पाकिस्तानी कम्पनियों द्वारा देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश करने पर सुरक्षा कारणों से प्रभावी रोक के प्रावधान हैं। पूर्व में बांग्लादेश के सम्बन्ध में भी ऐसी ही रोक है।
उद्योग व वाणिज्य मंत्रालय के इस आग्रह पर वित्त मंत्री के अनुमोदन के बाद अब यदि यह क्रियान्वित कर दी गयी तो पाकिस्तानी आई. एस. आई. पाकिस्तानी कम्पनियों में नौकरी के नाम पर राष्ट्र विरोधी तत्वों, जेहादी मुजाहीदीनों एवं पाकिस्तान के लिये जासूसी के लिये अत्यन्त सहजता से स्थानीय व विदेशी 'एजेण्टों' को भाड़े पर लेने को स्वतंत्र हो जायेगी। आतंकवादी व जेहादी कार्यों के लिये पाकिस्तान से देश में पैसा भेजना भी सहज हो जायेगा।
पाकिस्तान पर यह प्रतिबन्ध फेमा अधिनियम में नहीं हो कर, उसके नियमों में ही होने से वित्त मंत्री के अनुमोदन के बाद जब चाहे रिजर्व बैंक आदेश निकाल कर इस प्रतिबन्ध को हटा लेगा। एक बार यह प्रतिबन्ध हटते ही उद्योग नीति व प्रोत्साहन विभाग द्वारा सम्बन्धित प्रेस नोट जारी कर दिया जायेगा। इसके बाद ऐसा सन्दिग्ध निवेश द्रुत गति से होगा। उसके बाद न तो उसमें पुन: प्रतिबन्ध लगवाना आसान होगा और एक बार निवेश हो जाने पर उसका निष्कासन भी असम्भव ही हो जायेगा।
भारत द्वारा बहुत पहले पाकिस्तान को 'विश्व व्यापार संगठन' के नियमों के अधीन 'सर्वानुग्रहीत राष्ट्र' (एम.एफ.एन.) का स्तर प्रदान कर देने के बाद भी आज तक पाकिस्तान ने बदले में भारत को 'सर्वानुग्रहीत राष्ट्र' का स्तर नहीं प्रदान किया है। पाकिस्तान में आज भी भारत से 1200 वस्तुओं के आयात पर प्रतिबन्ध है। ऐसे में पाकिस्तान से विदेशी निवेश खोलने का कोई औचित्य नहीं है। पाकिस्तान में न तो निवेश के लिये बहुत अधिक निवेश योग्य पूंजी है और नहीं ही वैसी प्रौद्योगिकी है। केवल कुछ कम्पनियां खोल कर उनमें आई.एस.आई. के लिये काम करने वाले तत्व और भारत विरोधी प्रचारकर्त्ताओं को नौकरियां देकर उनके लिये देश में धन लाना आसान हो जायेगा। उल्टा यहां के वैज्ञानिकों को जोड़कर दोहरे उपयोग की संवेदनशील प्रौद्योगिकी और पाकिस्तान ले जायेगा।
यहां पर निवेश के नाम पर संयंत्र व कलपुर्जों की आड़ में शस्त्रास्त्रों का लाना-ले जाना, व्यावसायिक यात्राओं की आड़ में आई.एस.आई. एजेण्टों का भारत, पाक, चीन, बांग्लादेश व श्रीलंका के बीच आवागमन सहज हो जायेगा।
इन सभी खतरों को देखते हुए, वाणिज्य मंत्रालय के सुझाव पर, वित्त मंत्री द्वारा पाकिस्तान से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश खोलने के निर्णय को बदलना आज की अनिवार्य आवश्यकता है। n
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