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राज्यों से

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Apr 16, 2012, 12:00 am IST
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दिंनाक: 16 Apr 2012 13:30:01

राज्यों से

हरियाणा/ डा. गणेश दत्त वत्स

स्त्री–पुरुष का बिगड़ता लिंगानुपात

ढूंढते रह जाएंगे गृहलक्ष्मी

हमारे समाज में बेटा-बेटी, माता-पिता, भाई-बहन… सभी रिश्तों का अपना-अपना महत्व है। इसको भुलाकर जब हम अपना-पराया, लड़का-लड़की में भेदभाव करना शुरू कर देते हैं तो परिणाम विपरीत होने लगते हैं। हरियाणा में यही बात कई वर्षों से देखने में नजर आ रही है। यहां अभी भी अनेक लोग बेटी को बोझ व पराया धन और बेटे को वंश का वारिश समझते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीति बढ़ रही है, जोकि पूरे सामाजिक ढांचे के लिए खतरे की घंटी है।

हरियाणा में लिंगानुपात में अंतर लगातार बढ़ रहा है। कई जिलों में तो अनुपात का यह अंतर दो तिहाई ही देखने में आ रहा है। यही नहीं, मुख्यमंत्री के गृह जिले व साथ लगते दक्षिण हरियाणा के जिलों में भी यह अनुपात बहुत ही चिंताजनक है। आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में शून्य से छ: वर्ष आयु वर्ग में एक हजार लड़कों पर 830 लड़कियां हैं। इसमें भी देखें तो ग्रामीण क्षेत्रों में 831 व शहरी क्षेत्रों में 829 का अनुपात है। प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रभावित चार जिलों में यह अनुपात 1000 पर 800 को भी पार नहीं कर पाया है। झज्जर में यह अनुपात 1000 के मुकाबले 744 है। इसमें भी शहरी क्षेत्र में 780 जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 722 का अनुपात है। इसी प्रकार महेन्द्रगढ़ में 778, रेवाड़ी में 784, सोनीपत में 790 है। अम्बाला में यह अनुपात 807 (शहरी क्षेत्र 834, ग्रामीण क्षेत्र में 788), रोहतक में कुल अनुपात 807, कुरुक्षेत्र में 817, कैथल में 821, करनाल में 820, यमुना नगर में 825, पानीपत में 833, जींद में 835, फतेहाबाद में 845, सिरसा में 852, हिसार में 849, भिवानी में 831, गुड़गांव में 826, पंचकुला में 850, फरीदाबाद में 842 तथा पलवल में 862 का अनुपात है। प्रदेश का एक मात्र जिला मेवात है जहां अनुपात में उल्लेखनीय सुधार देखने में आया है। यहां कुल 1000 बालकों पर 903 बालिकाएं हैं। इसका कारण बेशक यहां की सामाजिक संरचना व एक विशेष जाति वर्ग की आबादी का होना हो, लेकिन इसका जिलों में रहने वाले सभी पंथों व जातियों के लोगों को अनुकरण करना चाहिए और कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई से बचना चाहिए।

अनुकरणीय तीन गांव

प्रदेश में बेशक लिंगानुपात में भारी अंतर है लेकिन यहां ऐसे कई गांव हैं जो बेटा-बेटी में अंतर नहीं मानते। इसी कारण इन गांवों में बेटियों की संख्या बेटों से अधिक है। जिला कैथल के गांव मुंदड़ी, कलायत व किताना-ये ऐसे तीन गांव हैं जहां कभी कन्या भ्रूण हत्या का मामला सामने नहीं आया। इसके लिए हरियाणा सरकार ने इन गांवों को सम्मानित किया गया। गांव मुंदडी में 1000 पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 1313, कलायत में 1000 के मुकाबले 1170 व किताना में 1140 तक हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इन गांवों को 25-25 लाख रूपये का विशेष अनुदान देने की घोषणा की है।

कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान

प्रदेश में सामाजिक जागरूकता अभियान जारी है। प्रशासन के साथ-साथ सभी सामाजिक संगठन इस काम में जुटे हैं। गत दिनों करनाल में करीब 28 किलोमीटर लम्बी एक रैली निकाल कर लोगों को संदेश दिया गया। इसमें दर्शाया गया कि दुनिया में हरियाणा का नाम रोशन करने वाली कल्पना चावला, ममता सौदा, सायना नेहवाल, ममता खरब, सुनीता डबास, कृष्णा पूनिया, सीमा आंतिल व गीता जाखड़ जैसी कई बेटियां ½èþþ*n

उत्तराखण्ड/ मनोज गहतोड़ी

बहुगुणा का गुणा–भाग

उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में गठित कांग्रेस सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मुख्यमंत्री घोषित होने के साथ ही चली आ रही कांग्रेस की अन्तर्कलह हर दिन नये रूप में सामने आ रही है। मंत्रिमंडल गठन से लेकर विभाग वितरण तक चली उठापटक ने ऐसे हालात बना दिए हैं कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का अधिकतर समय प्रदेश के विकास में कम अपनी पार्टी के रूठे हुए विधायकों व नेताओं को मनाने में ज्यादा बीत रहा है। बहुगुणा कभी हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य, तो कभी हरीश रावत के सामने नतमस्तक हो रहे हैं। देहरादून से लेकर सोनिया दरबार तक हुआ 'हाई प्रोफाइल ड्रामा' उत्तराखण्ड की जनता के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए अभी तक एक पहेली बना हुआ है। अब पौड़ी गढ़वाल के सांसद सतपाल महाराज ने भी हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोलकर जता दिया कि कांग्रेस पार्टी में अन्दरूनी संघर्ष घटने की बजाय बढ़ रहा है। सतपाल महाराज भी मुख्यमंत्री बनने का अरमान पाले हुए थे और इसके लिए उन्होंने बाकायदा सोनिया दरबार के सभी दरबारियों को राजी भी कर लिया था, लेकिन हरीश रावत की दावेदारी ने उनके अरमानों को पलीता लगा दिया। तभी से हरीश रावत से खार खाये बैठे सतपाल महाराज ने बहुगुणा सरकार में मंत्री के रूप में शामिल अपनी पत्नी अमृता रावत को मलाईदार विभाग दिलवाने के लिए यहां तक कह दिया कि 11 विधायक हमारे साथ हैं, लिहाजा हमें भी किसी से कम नहीं आंका जाना चाहिए। ऐसे में खुद के नेताओं की ब्लैकमेलिंग पर टिकी प्रदेश कांग्रेस सरकार के लिए शासन चलाना आसान नहीं है। कांग्रेसी नेताओं एवं विधायकों से डरे-सहमे मुख्यमंत्री बहुगुणा कोई महत्वपूर्ण फैसला लेने से पहले सोनिया दरबार में लगातार दस्तक दे रहे हैं। विभागों का बंटवारा सही तरीके से न होने के कारण मंत्रियो में असंतोष की ज्वाला धधक रही है। मनपसंद विभाग न मिलने से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य ने सरकारी गाड़ी सहित सभी जरूरी तामझाम वापस कर दिया, बाद में मुख्यमंत्री उन्हें मनाने पहुंचे। हालांकि  किसी हिन्दी फिल्म की शूटिंग की तरह चल रही सरकार को विपक्ष ने संभलने का मौका देकर फिलहाल राहत दे दी है लेकिन विपक्ष का नेता तय होते ही सरकार के लिए हमलों को झेल पाना और भी मुश्किलों भरा ½þÉäMÉÉ*n

मध्य प्रदेश/ प्रतिनिधि

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय द्वारा

सोशल मीडिया पर संगोष्ठी

संघ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. देव प्रकाश अग्रवाल का कहना है कि सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभावों के मद्देनजर इसके सही इस्तेमाल की आवश्यकता है, ताकि यह बेहद प्रभावकारी माध्यम गलत तत्वों के हाथों में पड़कर सामाजिक अशांति का कारण न बन जाए। प्रो. देव प्रकाश गत दिनों माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (भोपाल) में आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। व्याख्यान का विषय था 'सोशल मीडिया और लोकतंत्र'। उन्होंने कहा कि किसी भी माध्यम की मर्यादाएं जरूरी हैं ताकि वह आतंकियों, समाज-तोड़कों के हाथ में न पड़ सके। उनका कहना था कि सोशल मीडिया शिक्षा, परिवार, समाज, सरकार तथा अन्य सामाजिक सरोकारों को प्रभावित कर रहा है। उसकी यह ताकत लोकतंत्र को मजबूत कर रही है, पर हमें इसके खतरों का भी ध्यान रखना होगा।

इसके पूर्व भारतीय प्रबंधन संस्थान (इंदौर) के निदेशक प्रो. एन.रविचंद्रन ने कहा कि लोकतंत्र हमें फैसले लेने की ताकत देता है। यह आम आदमी को आवाज देता है, ऐसे में सोशल मीडिया का आना इस ताकत को और बढ़ा देता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, प्रदेश के पुलिस महानिदेशक श्री नंदन दुबे ने कहा कि मीडिया की लोगों की राय बनाने में एक अहम भूमिका है। मीडिया आज बहुत सारी चीजों को बनाने-बिगाड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। ऐसे में अगर मीडिया ईमानदार और प्रतिबद्ध हो तो वह लोकतंत्र को मजबूत करने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि परंपरागत मीडिया में जहां संवाद नियंत्रित था और कुछ ही लोग यह तय कर रहे थे कि क्या पढ़ना है और किन सवालों पर बात होनी है, वहीं सोशल मीडिया ने आम आदमी को ताकत दी है।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का संचालन प्रो. आशीष जोशी ने किया और आभार प्रदर्शन प्रो. रामदेव भारद्वाज ने किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आयोजित पूर्व छात्र मिलन में मीडिया, जनसंचार और आईटी से जुड़े पूर्व छात्रों ने अपने अनुभव सुनाए और सुझाव भी दिए। सायंकाल के सत्र में विद्याथिर्यों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं तथा प्रतिभा के वार्षिक आयोजन में विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी
किया MɪÉÉ*n

प.बंगाल/ बासुदेब पाल

ममता सिर्फ मुस्लिमों के लिए

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुस्लिम वोट बैंक के लालच में एक साथ कई कदम चलकर सबसे आगे निकलना चाह रही हैं। गत 3 अप्रैल को कोलकाता के 'नेताजी इनडोर स्टेडियम' में राज्य के हजारों इमामों को बुलाकर उन्होंने हर महीने 2500 रुपए भत्ता देने की घोषणा कर दी। जानकार और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सत्ता पाने के बाद लगभग हर क्षेत्र में असफल तृणमूल कांग्रेस सरकार ने अगले साल राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों में एकमुश्त मुस्लिम वोट पाने के लिए तुष्टीकरण की यह निम्नस्तरीय चाल चली है।

राज्य के 30,000 इमामों को भत्ता देने की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि वक्फ बोर्ड के द्वारा यह भत्ता दिया जाए। इस मामले में सरकार को सलाह देने हेतु मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक कार्य दल गठित करने की भी घोषणा की। हुगली जिले के फुरकुरा शरीफ दरगाह के इमाम लहा सिद्दीकी एवं आल इंडिया मिल्ली काउंसिल के राज्याध्यक्ष कारी फजलुर रहमान को उस कार्य दल में रखा गया है। मुख्यमंत्री ने इमामों को जमीन, मकान एवं इमामों के बच्चों की पढ़ाई की सारा खर्च देने की भी घोषणा की है। इसके लिए गठित कार्य दल पहले सिफारिश करेगा, फिर 15 दिन के भीतर सरकार उस सिफारिश को लागू करेगी।

हालांकि वोट बैंक के डर से राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने इस घोषणा को घातक, राज्य पर आर्थिक बोझ बढ़ाने वाला और वोट बैंक के लिए बेहूदा प्रयास बताया है।

इस इमाम सम्मेलन का आयोजन राज्य के अल्पसंख्यक मामले एवं मदरसा शिक्षा विभाग एवं पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम की ओर से किया गया था। यह विभाग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ही पास हैं। सम्मेलन में कुछ इमामों ने कहा कि इस प्रकार का सम्मेलन भारत में ही नहीं, विश्वभर में कभी नहीं हुआ। एक इमाम ने अपने भाषण में पंचायत चुनावों में वाममोर्चा को हराने की अपील भी की। सम्मेलन में बड़ी संख्या में इमाम आये थे। कांग्रेस की ओर से राज्य की कैबिनेट मंत्री सविता इयासमोन, तृणमूल कांग्रेस के सुब्रत मुखर्जी, पार्थ चट्टोपाध्याय, फिरहाद हकीम, अमित मित्रा और रेल मंत्री मुकुल राय भी प्रमुख रूप से इस सम्मेलन में उपस्थित रहे।

इसके बाद 9 अप्रैल को भी मुख्यमंत्री ने कोलकाता के नजदीक उत्तरी 24 परगना के बारासात स्टेडियम में अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम के एक आयोजन में अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं के ऊपर पैसों की बौछार कर दी। उन्होंने कहा कि पिछली वाममोर्चा सरकार ने 52,916 छात्रा-छात्राओं को भत्ता दिया था। वर्तमान सरकार ने केवल दस माह में 1,20,846 अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं को भत्ता दिया है। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर 10 हजार मदरसों को कानूनी मान्यता देने की घोषणा करते हुए हर जिले में एक अल्पसंख्यक भवन बनाने का भी वायदा किया और बारासात में पहले भवन की आधारशिला भी ®úJÉÒ*n

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